प्रभु अपने
भक्तों का उद्धार करने भारत भूमि पर अपनी नाम पताका लहरा रहे हैं. लगता है अच्छे
दिन आने वाले हैं. प्रभु का इस तरह अवतरित होना कोई संप्रदायिकता वाली बात नहीं है और न ही इसे हिंदुत्व से जोड़कर देखना
चाहिये.
हर बात जिसमें अच्छे
दिन नजर आयें, वो संप्रदायिक ही
हो, ऐसा जरुरी तो नहीं.
नए नए युग
पुरुषों के शंखनाद से सारा वातावरण गुंजायमान है. एक नए युग की घोषणा हो चुकी है.
इस प्रभु में
आस्था रखना, इस प्रभु से संपर्क स्थापित करना, इस
प्रभु से कुछ मदद मांगना, यह हर एक प्राणी
का अधिकार है, अब यह मात्र
हिन्दुओं का अधिकार नहीं रहा. आप मुसलमान हों, इसाई हों, यहूदी हों,
इससे कोई फर्क नहीं पडता. इस प्रभु से आशीष
माँगने के लिए और अपनी समस्या का समाधान कराने के लिए ना तो अब आपको मंदिर जाने की
ज़रूरत है, ना कोई यज्ञ या अनुष्ठान
कराने की. ना कहीं तपस्या करने जाना है, ना व्रत उपवास, ना पंडितों की
चिरोरि, ना कोई तीरथ धाम.
प्रभु से अपनी
मनोकामना पूरी कराने के लिए बस आपको भारतीय रेल से यात्रा करना है. फिर किसी भी प्रकार की समस्या जैसे बच्चे के लिए
दूध और बिस्कुट, बीमार के लिए
दवाई, गुंड़े या शराबियों से
प्रतारणा निवारण, असहाय को सहायता,
प्रसव पीड़ा या अन्य कोई पीड़ा हो तो तुरंत प्रभु
को ट्विटर पर याद करिये और चन्द मिनटों में आपकी समस्या का मात्र समाधान ही नहीं
हो जायेगा वरन आप अगले दिन के समाचार पत्र की सुख्रियों में भी नजर आयेंगे कि कैसे
प्रभु ने चुटकियों में आपकी मनोकामना पूर्ण की.
आपको अहसास भी न
होगा कि जिस समस्या को आप इतनी बड़ी मान रहे थे वो प्रभु की शरण में जाते ही कैसे
चुटकियों में हल हो गई. प्रभु रेल मंत्री से ज़्यादा भगवान नज़र आने लगे हैं.
ट्विटर रेल मंत्रालय से परे प्रभु से सीधा सूत्र स्थापित कराता है और प्रभु सब काम
छोड़कर अपने भक्तों याने रेल यात्रियों की समस्याओं का त्वरित निवारण करने में लगे
है. न रेल प्रसाशन का जिक्र और न मंत्रालय से कुछ लेना देना. बस भक्त की समस्या ओर
प्रभु का वरदान. सीधा सीधा डायरेक्ट कनेक्शन.
पुराने ज़माने
में लोग घर द्वार छोड़ कर भूखे प्यासे जंगलो में वर्षों तपस्या करके भगवान से जो
वरदान पाते थे वो अब भारतीय रेल से मात्र प्रभु को ट्वीट भेज कर प्राप्त हो जाता
है. वैसे भी भारतीय रेल में यात्रा करना किसी तपस्या से कम तो नहीं फिर प्रभु
क्यूँ न करें मनोकामना पूर्ण.
यूँ देखा जाये तो
कार्य अति उत्तम है बस प्रभु भगवान का रुप धारण किये इतना याद किये रहें कि वो
सच्ची मुच्ची वाले भगवान नहीं हैं जैसे लक्ष्मी मैया सदा धन का डिपार्टमेन्ट देखती
रहेंगी शास्वत सत्य की तरह. कल को ये प्रभु शायद रेल मंत्री न रहें या उनकी सरकार सत्ता
से बाहर हो जाये तो भी यात्री जब प्रभु को ट्वीट करे तो उसे यूँ ही वरदान मिलता
रहे. कहीं बेचारे भक्त को रिकार्डिंग न मिलने लगे कि प्रभु अब रेलवे के भक्तों के
बदले एच आर डी के भक्तों की सेवा में लगे पुस्तकें और मिड डे मील पहुँचा रहे हैं. आप कृप्या रेलवे
वाले नये प्रभु को ट्वीट करिये और वरदान पाईये या अब प्रभु विपक्ष में बैठे हैं और
आपके ट्वीट को मुद्दा बना कर सरकार को हालाकान करेंगे. आपका आभार मुद्दा
भेजने के लिए- मस्त मुद्दा भेजे हो.
वैसे सोचा जाये
तो अब भला इससे ज़्यादा अच्छे दिन और क्या आ सकते है.
बोलो जयकारा !!
ऐसौ बल प्रभाव
प्रभु तोरा।
कस न हरहु दुःख
संकट मोरा।।
-समीर लाल 'समीर '
फोटो: गुगल साभार