आजकल कुछ शब्द लोग बड़ी वजनदारी और धड़ल्ले से बेझिझक इस्तेमाल करते हैं. ऐसा ही एक शब्द है - 'मल्टी टास्कर'. एक समय में एक से अधिक कार्य पूरी क्षमता और लगन से कर पाने की कला. नौकरी के लिए जितने आवेदन आते हैं- सब मल्टी टास्कर, सब टीम प्लेयर, सब सेल्फ स्टार्टर. मुझे लगता है ये योग्यतायें तो हर इन्सान में होती हैं, फिर भी लिखकर न बताओ तो बात पूरी नहीं होती. लिखकर बताने की जरुरत तो होनी नहीं चाहिये.
समय का क्या है. उसका तो काम ही करवट लेना है. आज एक ली है, तो कल दूसरी लेगा. कल को लोग यह न लिखने लग जायें कि दोनों पैर से चलने वाला, कान से सुनने वाला, आँख से देखने वाला. मेरे हिसाब से इस तरह की योग्यतायें होना स्वाभाविक है, न हो तो लिख कर बताओ, तब तो बात में दम भी नजर आये और बात भी समझ में आती है. जैसे एक आँख से नहीं दिखता है, टीम प्लेयर नहीं हूँ आदि. मगर अपनी कमी कौन उजागर करे, ये मानव स्वभाव है.
मल्टी टास्कर और टीम प्लेयर पर याद आया अपने अन्ना का नाम. आजकल वो भी मल्टी आंदोलनकारी होने में लगे हैं. टीम प्लेयर का चक्कर ऐसा फँसा कि टीम बदलने की तैयारी में जुटना पड़ा. जिन बातों का विरोध करने के लिए टीम गठित कर हल्ला बोला था, इन दिनों खुद टीम ही उस दलदल में फंसी नजर आ रही है. कोई अपना इन्कम टैक्स का बकाया प्रधान मंत्री कार्यालय में भर रहा है मानो इन्कम टैक्स वालों ने मांगा बस हो और लेने से इन्कार कर रहे हों..तो कोई हवाई यात्रा से हेराफेरी वाला धन लौटाने की पेशकश लिए घूम रहा है. उधर राजा और कलमाड़ी इनकी हरकतें देख तिहाड़ में बैठे दलील दे रहे हैं कि इन्होंने तो हेराफेरी का धन खुद की ट्रस्ट में जमा कर कह दिया कि गरीबों के लिए धरे हैं, इसलिए यह भ्रष्टाचार नहीं है. अन्ना और केजरीवाल ने हाँ में हाँ भी मिला दी टीम प्लेयर होने के नाते और हम, जिसने सारी कमाई खुद की ट्रस्ट में न जमा कर स्विस बैंक जैसे सार्वजनिक स्थल में रखी ताकि भविष्य में जब अमेरीका के मौजूदा हालात देखते हुए वहाँ गरीबों की बाढ़ आयेगी, तो उनकी मदद करेंगे. जब हवाई जहाज वाली हेराफेरी इस कारण से हेराफेरी नहीं है तो हमारा तो बहुत ही बड़ा पुण्य करम कहलाया. हमें तो जेल की बजाये भारत रत्न दिया जाना चाहिये.
सांसद खरीदी में भी एक किड़नी मरीज को बेवजह जेल और उस मार्फत अस्पताल में जबरन रहना पड़ा जबकि उन्होंने हर सांसद को पैसा देते समय कान में साफ कह दिया था कि इस पैसे से गरीबों की मदद करना, पुण्य कार्य होता है.
ऐसे हालातों में जब कलमाड़ी और राजा के साथ साथ कनीमोझी तक भारत रत्न की आस बैठे लगाये हैं तो अन्ना, द मल्टी आंदोलनकारी (उनका तो टास्क ही आंदोलन है) सचिन को भारत रत्न दिलवाने के लिए मैदान में कूद पड़े हैं. माना सचिन तेंदुलकर काबिल है मगर भारत रत्न किसे मिले और किसे नहीं, यह तय करना अन्ना के पाले में कब जा पहुँचा. शुरु हुए भ्रष्टाचार से, पहुँच गये कांग्रेस को हरवाने और आगे भी हरवाते रहने का जिम्मा अपने नाजुक काँधों पर उठा लिया यदि मन मुताबिक बिल न आया तो. फिर अब ये भारत रत्न. कभी कभी तो लगता है कि कल को फलाने को मंत्री बनाओ, वरना आंदोलन. मुम्बई से हमारे गांव सीधे फ्लाईट, वरना आंदोलन...आंदोलन करने के लिए मुद्दों की कमी तो है नहीं- नाले से नदी तक मुद्दों कें अंबार हैं मगर बस, जब से चेहरा फोकस में आया है, उनका फोकस लूज़ होता देख कर अफसोस सा होता है. अरे भई, बायोडाटा में एक शब्द और बढ़ाओ- वेल फोक्सड. मल्टी टास्कर का अर्थ यह तो होता नहीं है कि सारे टास्क बिलोर कर रख दूँगा बल्कि जैसे कि पहले कहा है यह एक समय में एक से अधिक कार्य पूरी क्षमता और लगन से कर पाने की कला है. जिसके लिए फोकस्ड अप्रोच की जरुरत होती है.
एक हमें देखो, मल्टी टास्कर होते हुए भी जबसे नई नौकरी ली है (हालांकि अब तो नई क्या- दो महिने से ज्यादा पुरानी हो गई है), ऐसा फोकस साधे हैं कि लिखना पढ़ना सब छूटा है. न ब्लॉग, न साहित्य. वैसे सच्चाई तो ये है कि चाहो, तो समय भी निकल ही आयेगा. खाना खाना नहीं छूटा, सोना नहीं छूटा, घूमना नहीं छूटा. लिखनें में आलस को कैसे छिपायें तो नई नौकरी की आड़ से बेहतर और कोई बहाना क्या हो सकता है. मौन व्रत साधना अभी सीखा नहीं है.
शायद जल्द ही आलस की चादर से बाहर निकलूँ इसीलिए आज कुछ भी लिख ही डाला है. शायद जागने के पहले की अंगड़ाई की तरह साबित हो...शायद लिखत पढ़त जोर पकड़े. फोकस तो साधे हुए हैं.
अक्सर ही जब मन के भावो को
शब्दों में ढाल नहीं पाता हूँ मैं...
किसी बहाने की आड़ ले
बहुत धीमे से मुस्कराता हूँ मैं...
समीर लाल 'समीर'
बहुत ही उम्दा विवेचन |
जवाब देंहटाएंजी हाँ, मुद्दों के लिये तो सुनहरा समय है आज का लेकिन बीच-बीच में आराम करने का मज़ा अलग ही है।
जवाब देंहटाएंकभी कभी ऐसा समय भी होता है जब प्रोडक्टिविटी की इच्छा होती है परंतु कुछ प्रोडक्टिव हो नहीं पाता :)
जवाब देंहटाएंअण्णा को आज मीडिया घेरे रहता है. अण्णा भी उनके लिए बस एक स्टोरी भर है.अण्णा सीधे व धुन के पक्के व्यक्ति हैं. बहुत तीन पांच नहीं जानते. मीडिया किसी को भी कहीं भी चढ़ा कर सीढ़ी खींच लेने में माहिर है...
जवाब देंहटाएंहमें लगता है, हम सब करने में सक्षम हैं, सब साधे सब जाये।
जवाब देंहटाएंकोई हवाई यात्रा से हेराफेरी वाला धन लौटाने की पेशकश लिए घूम रहा है. उधर राजा और कलमाड़ी इनकी हरकतें देख तिहाड़ में बैठे दलील दे रहे हैं कि इन्होंने तो हेराफेरी का धन खुद की ट्रस्ट में जमा कर कह दिया कि गरीबों के लिए धरे हैं, इसलिए यह भ्रष्टाचार नहीं है. अन्ना और केजरीवाल ने हाँ में हाँ भी मिला दी टीम प्लेयर होने के नाते और हम, जिसने सारी कमाई खुद की ट्रस्ट में न जमा कर स्विस बैंक जैसे सार्वजनिक स्थल में रखी ताकि भविष्य में जब अमेरीका के मौजूदा हालात देखते हुए वहाँ गरीबों की बाढ़ आयेगी, तो उनकी मदद करेंगे. जब हवाई जहाज वाली हेराफेरी इस कारण से हेराफेरी नहीं है तो हमारा तो बहुत ही बड़ा पुण्य करम कहलाया. हमें तो जेल की बजाये भारत रत्न दिया जाना चाहिये
जवाब देंहटाएंआप आए। ब्लाग जगत का सूनापन कुछ कम हुआ।
जवाब देंहटाएंएक समय में एक ही काम को पूरी तल्लीनता से किया जाये तो कहीं ज्यादा आत्मसंतुष्टि मिलती है..... यह बात बहुत अच्छी और अर्थपूर्ण लगी कि योग्यता को बताने की आवश्यकता ही क्यों पड़े...... उम्दा विवेचन
जवाब देंहटाएंफोकस में बने रहने के लिए 'मल्टी-टास्कर ' होना ज़रूरी है :-)
जवाब देंहटाएंआप भी हमेशा फोकस में रहें !
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जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा विचार हैं समीर जी ....नौकरी छोड़ो--सीधी फ्लाईट पकड़ो ..अन्ना का नया दल बन रहा हैं ..हमारे साथ आप भी आमंत्रित हैं ..जय हो ?
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा विचार हैं समीर जी ....नौकरी छोड़ो--सीधी फ्लाईट पकड़ो ..अन्ना का नया दल बन रहा हैं ..हमारे साथ आप भी आमंत्रित हैं ..जय हो ?
जवाब देंहटाएंफोकस था एक 'बिल' पे तो शेरो सी गरज थी,
जवाब देंहटाएंबढ़ने लगी डिमांड तो 'ख़ामोश'* हो गए,
गफलत में आ गए थे जो* जेलों में पहुँच कर,
'टीम अन्ना' कारनामो से बाहोश हो गए !
*मौनव्रत, * घोटालेबाज
-------------------------------------------------
'फोकस' था एक बॉल पे, लगते रहे शतक,
दो-दो* ! दिखे जो साथ, क्लीन बोल्ड हो रहे !!
*शतको का शतक, भारत रत्न
फोकस था एक 'बिल' पे तो शेरो सी गरज थी,
जवाब देंहटाएंबढ़ने लगी डिमांड तो 'ख़ामोश'* हो गए,
गफलत में आ गए थे जो* जेलों में पहुँच कर,
'टीम अन्ना' कारनामो से बाहोश हो गए !
*मौनव्रत, * घोटालेबाज
-------------------------------------------------
'फोकस' था एक बॉल पे, लगते रहे शतक,
दो-दो* ! दिखे जो साथ, क्लीन बोल्ड हो रहे !!
*शतको का शतक, भारत रत्न
'लूज़ फोकस' से नहीं मिलता है 'गोल'
जवाब देंहटाएंशिघ्र होता है पतन भटके ज़रा !
हारते 'खरगोश' भी है दौड़ में,
रास्ते में थक जो अटके ज़रा !!
http://aatm-manthan.com
समीर बेटा
जवाब देंहटाएंआशीर्वाद
मल्टी आन्दोलनकारी लेख स्टीक सुंदर
अमरीका हो या कनाडा नए कर्मचारी के आने पर यही कह परिचय करवाते हैं ही इज वन वीक ओल्ड
नवभारतटाइम्स में अन्ना जी टैक्सी वालों को भी ठीक करेंगे
Sarthak post.
जवाब देंहटाएंAabhaar. . !!
अक्सर ही जब मन के भावो को
जवाब देंहटाएंशब्दों में ढाल नहीं पाता हूँ मैं...
किसी बहाने की आड़ ले
बहुत धीमे से मुस्कराता हूँ मैं...
भावपूर्ण उम्दा अभिव्यक्ति .... आभार
फोकस किधर यह जानना भी जरूरी है वरना सारा फोकस धरा का धरा रह जायेगा।
जवाब देंहटाएंWaah... Achchhi multi tasking ki hai....
जवाब देंहटाएंChaliye New Job mubarak ho!
Vaise Hindi Bloging khud bhi apne aap mein Multi tasking hai... Yahan per blogger apni job ke sath-sath Lekhak, Kavi, Sahitykar, Vyangkaar, Dharm Guru, Vigyanik, Doctor, Politicion tak hote hain... Aur to aur Tippanikaar tak banna zaruri hota hain...
जवाब देंहटाएंबढि़या पोस्ट। इस पर याद आया कि मेरे मोहल्ले का एक लड़का जिसकी अभी अभी सरकारी नौकरी लगी है, एक दिन मिल गया। मैनें पूछा कौन सी पोस्ट है तो बोला एम0टी0एस0 यानी मल्टी टास्किग स्टाफ। दरअसल चपरासी के पद का अपग्रेडेड वर्जन है यह, यानी ऐसा कर्मचारी जो चपरासी के नियमित कार्यों के अतिरिक्त फोटोकॉपी करना, डॉक की प्रविष्टि करना इत्यादि जैसे काम भी जानता हो। वैसे आजकल हर फील्ड में मल्टीटास्किंग का जमाना है। आजकल की किराना दुकानों को ही लीजिये, राशन के साथ मोबाइल रिचार्ज कूपन, डी0टी0एच0 रिचार्ज, होमियोपैथिक दवाएं आदि भी उपलब्ध हैं।
जवाब देंहटाएंआज के समय में मल्टी टास्कर होना बहुत जरूरी है
जवाब देंहटाएंचलिए अंगड़ाई ले ली है, तो अब मल्टि-टास्कर बन ही जाएंगे।
जवाब देंहटाएंतो आजकल नए जॉब में बिजी हैं !
जवाब देंहटाएंसबसे बड़ा मल्टी टास्कर तो पत्नी होती हैं .
लेकिन अब अन्ना जी कर रहे हैं तो करने दो भाई .
वैसे सचिन को भारत रत्न मिले ( यदि वह एलिजिबल हैं ) तो हमें भी ख़ुशी होगी .
कभी कभी समय निकाल लेना ही सही है वर्ना आप भी सेलेब्रिटी की श्रेणी में आ जायेंगे :)
अक्सर ही जब मन के भावो को
जवाब देंहटाएंशब्दों में ढाल नहीं पाता हूँ मैं...
किसी बहाने की आड़ ले
बहुत धीमे से मुस्कराता हूँ मैं...
वाह!
a single post dealing with various issues from different angles, yet, well focused!
Hi..
जवाब देंहटाएंBhrastachar humare khun main vidyaman hai..log bhrashtachar ka matlab sirf sarkari mamlon main rishwat lene dene ko hi maante hain jabki vyavharik jeevan main pratyek vyakti kisi na kisi taur par esme lipt hai.. Yah parivarik, raajnaitik, vyavharik ya sarkari kaisa bhi ho sakta hai..to es se team Anna bhi chhooti nahi hai...
Vaise bhi jis ekjutta se team Anna ne jan andolan ko aage badhya hai unke beech aisi khatas sabko kharab mahsus ho rahi hai..
Deepak..
सार्थक व सटीक लेखन ...।
जवाब देंहटाएंगंभीर बातों को बड़े रोचक ढंग से समझा दिया आपने।
जवाब देंहटाएंओहो हम अब समझे हुज़ूर इतने दिनों से अपने ब्लॉग से यूँ खिंचे खिंचे से क्यूँ हैं ...नयी नौकरी जो शुरू की है...बधाई...उम्र के इस मोड़ पर नौकरी बदलने का लुत्फ़ ही कुछ और होता है...जैसे विधुर की दुबारा शादी हो जाये...दूसरी शादी पहली की तरह ही निभे या न निभे ये अलग बात है , लेकिन थ्रिल तो है ही बॉस...आप भी मल्टी टास्कर हैं...नौकरी भी करते हैं और ब्लॉग्गिंग भी...फेस बुक पर भी छाये रहते हैं...हमारे लिए आप अन्ना से क्या कम हैं :-)
जवाब देंहटाएंनीरज
IS SAARTHAK AUR VIVECHAATMAK LEKH
जवाब देंहटाएंKE LIYE AAPKO BADHAAEE.
बढ़िया विवेचन ........मल्टी टास्कर....
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों बाद ब्लाग पर...! मल्टी टास्क का यही तो नुकसान है... समय नहीं मिलता:)
जवाब देंहटाएंमतलब कि अब प्रूव हो चुके हैं नौकरी में !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिखा है ! आपको शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंआपका हमारे ब्लॉग http://tv100news4u.blogspot.com/ पर हार्दिक स्वागत है!
बहुत अच्छा लिखा है ! आपको शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंआपका हमारे ब्लॉग http://tv100news4u.blogspot.com/ पर हार्दिक स्वागत है!
मल्टी टास्किंग के बिना काम ही नहीं चलता आजकल.
जवाब देंहटाएं'नौकरी की आड़ से बेहतर और कोई बहाना क्या हो सकता है.'
जवाब देंहटाएंबहाना ढूँढना तो श्रीमान मल्टी टास्कर' के लिये बायें हाथ का खेल है .
यह सब तो मैं लिखनेवाला था। मेरी बात मुझसे पहले लिखकर आप तो खुद ही मल्टीटास्कर बन बैठे।
जवाब देंहटाएंमैं भी कहूं कि मेरा मन पिछले कुछ दिनों से पोस्ट लिखने का क्यों नहीं कर रहा...आपकी इस पोस्ट से असली वजह समझ आई...ये टेलीपैथी ही तो है गुरू के प्रभामंडल से निकली रश्मियां शिष्य पर कुछ असर तो करेगी हीं...
जवाब देंहटाएंअन्ना को ये देश पीपली लाइव का नत्था बनाकर छोड़ेगा...
रही नौकरी के आवेदन में मल्टीटास्किंग की बात तो एक मैडम ने अपने सीवी में जो लिखा, उससे ऊपर कुछ नहीं हो सकता...
I am flexible enough to perform in all positions...
जय हिंद...
आज के समय में मल्टी टास्कर होना बहुत जरूरी है
जवाब देंहटाएंवाह सर, मेरे मन की बात आपने लिख दी.
जवाब देंहटाएंसमयोचित विचारो॓॑ की अभिव्यक्ति प्रशन्सनीय है। बधाई।
जवाब देंहटाएंचलिए आपकी सक्रियता की आशा का संचार हुआ जो हमें भी प्रेरित करेगी।
जवाब देंहटाएंकरारा.सही मुद्दा उटाया है.....अन्ना का यही हाल है
जवाब देंहटाएंअक्सर ही जब मन के भावो को
जवाब देंहटाएंशब्दों में ढाल नहीं पाता हूँ मैं...
किसी बहाने की आड़ ले
बहुत धीमे से मुस्कराता हूँ मैं...
अब तो आलस टूट ही गया होगा ..अंगड़ाई भरपूर ली है
बहुत ही सुंदर विवेचन किया आपने..बधाई....
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग में आपका स्वागत है..
व्यस्तता सबसे अच्छा बहाना है .. पर न लिखने पढने के पीछे आलस का ही रोल होता है .. बढिया विश्लेषण !!
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण उम्दा अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंवाह समीर भाई ... मल्टीटास्किंग में तो माहिर हो आप भी ... और नयी नौकरी ... बधाई हो ... ये नई नौकरी कब आड़े आयगी ब्लोगिंग के ...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन.अन्ना जी धुन के पक्के है,लेकिन मीडिया ने जरूरत से ज्यादा हाईलाइट किया...
जवाब देंहटाएंmulti dimensional write up nut well focussed. Congrats for dealing with various aspects in a precise but satirical way....
जवाब देंहटाएंअण्णा तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं।
जवाब देंहटाएंसमीरलाल तुम खूब लिखो, हम तुम्हारे साथ हैं।
मौन व्रत :)
जवाब देंहटाएंक्या खूब कही आपने....कभी लैपटॉप की आड़ तो कभी नई नौकरी की आड़...आड़ लेने की कला के मास्टर हैं आप।
जवाब देंहटाएंमीडिया जिसे चाहे ऊपर चढ़ा देता है और जिसे चाहे धराशाई कर देता है |
जवाब देंहटाएंलगता नहीं की निष्पक्ष होता है |आपका क्या ख्याल है ?
आपका लेख विचारों को सक्रीय करने के लिए काफी है |
आशा
धीमे से मुस्कुराना कहर बरपाती है.
जवाब देंहटाएंआप तो अभी भी छाये हुए हो महराज
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूब विवेचन...
जवाब देंहटाएंमल्टी टास्किंग तो हम भी कर रहे हैं आज कल वापसी पर घर को ठीक करना, धूल भरी चादरें पर्दे धोना, खाना बनाना (खाना भी तो होता है ), थोडा () बहुत टीवी देखना घूमने जाना आदि ।
जवाब देंहटाएंअण्णा के पीछे न पडें प्लीज, वही तो हैं आम आदमी का भरोसा । फोकस तो अभी भी लोकपाल बिल पर ही है ।
बहुत बढ़िया, ज़बरदस्त और सार्थक लेखन !
जवाब देंहटाएंअक्सर ही जब मन के भावो को
जवाब देंहटाएंशब्दों में ढाल नहीं पाता हूँ मैं...
किसी बहाने की आड़ ले
बहुत धीमे से मुस्कराता हूँ मैं...
sadgi ke sath saral baat.....
बहुत सार्थक और सटीक विश्लेषण..सही कहा है कि मल्टी टास्कर होने की जगह वैल फोकस्ड होना ज्यादा बेहतर है...आभार
जवाब देंहटाएंप्रिय समीर भाई उडन तश्तरी जी अभिवादन ...बहुत सुन्दर समझाया आप ने सार्थक व् व्यंग्य का पुट लिए लेख ....
जवाब देंहटाएंभ्रमर ५
बाल झरोखा सत्यम की दुनिया
जब हवाई जहाज वाली हेराफेरी इस कारण से हेराफेरी नहीं है तो हमारा तो बहुत ही बड़ा पुण्य करम कहलाया. हमें तो जेल की बजाये भारत रत्न दिया जाना चाहिये. सांसद खरीदी में भी एक किड़नी मरीज को बेवजह जेल और उस मार्फत अस्पताल में जबरन रहना पड़ा जबकि उन्होंने हर सांसद को पैसा देते समय कान में साफ कह दिया था कि इस पैसे से गरीबों की मदद करना, पुण्य कार्य होता है. ऐसे हालातों में जब कलमाड़ी और राजा के साथ साथ कनीमोझी तक भारत रत्न की आस बैठे लगाये हैं
प्रिय समीर भाई उडन तश्तरी जी अभिवादन ...बहुत सुन्दर समझाया आप ने सार्थक व् व्यंग्य का पुट लिए लेख ....
जवाब देंहटाएंभ्रमर ५
बाल झरोखा सत्यम की दुनिया
जब हवाई जहाज वाली हेराफेरी इस कारण से हेराफेरी नहीं है तो हमारा तो बहुत ही बड़ा पुण्य करम कहलाया. हमें तो जेल की बजाये भारत रत्न दिया जाना चाहिये. सांसद खरीदी में भी एक किड़नी मरीज को बेवजह जेल और उस मार्फत अस्पताल में जबरन रहना पड़ा जबकि उन्होंने हर सांसद को पैसा देते समय कान में साफ कह दिया था कि इस पैसे से गरीबों की मदद करना, पुण्य कार्य होता है. ऐसे हालातों में जब कलमाड़ी और राजा के साथ साथ कनीमोझी तक भारत रत्न की आस बैठे लगाये हैं
सभी कंप्यूटर हो गये हैं...मल्टीटास्किंग का युग है...जीवन सिर्फ एक मिला है...सो सब कुछ इसी जनम में करना है...
जवाब देंहटाएंअन्ना जी है.. कुछ भी कर सकते है... मल्टी टास्क तो क्या मल्टी टास्क का बाप भी उनके लिए कुछ नहीं....
जवाब देंहटाएंअन्ना जी संघर्ष करो... हम चाय पी कर आ रहे है....:-)
सर जी मैं नीरज भाई की टीपणी का अनुमोसदन :) करता हूँ
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर पोस्ट .. हां सही है ... एक समय में मल्टी टास्कर की तरह मल्टिपल काम करने से तो काम की गुणवत्ता तो कम ही होगी...
जवाब देंहटाएंविचारों को इतना उलट-पुलट दिया कि पढ़ते-पढ़ते झाईं आ गई।..गज़ब का लेखन!
जवाब देंहटाएंगहन चिन्तन। वाकई आप भी मल्टीटास्कर हैं।
जवाब देंहटाएं"फोकस न लूज करो, मि.मल्टी-टास्कर!!!"
जवाब देंहटाएंVery Good Article. Bravo????
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Dr. OPVerma