tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post7800566508636948201..comments2024-03-04T07:12:33.254-05:00Comments on उड़न तश्तरी ....: एक रात कुछ यूँ गुजरे....वीरान कविता रचतेUdan Tashtarihttp://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comBlogger86125tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-16959320655382301802011-02-19T05:47:26.847-05:002011-02-19T05:47:26.847-05:00समीर जी , एक अच्छा सन्देश देती हुई पोस्ट.. अच्छा ल...समीर जी , एक अच्छा सन्देश देती हुई पोस्ट.. अच्छा लगा..<br /><br />आभार.....डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) https://www.blogger.com/profile/00271115616378292676noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-29606489863663596772011-02-16T18:49:26.192-05:002011-02-16T18:49:26.192-05:00aisa hi hota ye safar....bas har saal jaane oir dh...aisa hi hota ye safar....bas har saal jaane oir dher saare sapno se shuru hokar kuch adhurapan sa liye lotna padta hai...Dr.Bhawna Kunwarhttps://www.blogger.com/profile/11668381875123135901noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-13480648997811118192011-02-14T00:04:29.989-05:002011-02-14T00:04:29.989-05:00चचा जी, आपसे मिलने का मेरा भी मन था...लेकिन जब आप ...चचा जी, आपसे मिलने का मेरा भी मन था...लेकिन जब आप थे दिल्ली में, तब मैं आ नहीं पाया..बहन की शादी के वजह से..फिर बाद में जब आया उसके चार पांच दिन पहले ही आप वापस चले गए थे शायद.<br />वैसे समझ सकता हूँ..की समय की कमी हो जाती है...आप तो कैनाडा से आये थे, हम तो यहीं रह के घर जाते हैं दस पन्द्रह दिनों के लिए तो कितनो से मिलना बाकी रह जाता है...समय का ही सब दोष है :(<br /><br />खैर, अगली बार आपसे मिलना होगा पक्का :)abhihttps://www.blogger.com/profile/12954157755191063152noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-50120808552521583852011-02-14T00:02:04.783-05:002011-02-14T00:02:04.783-05:00उस आदमी के बारे में पढ़ के बहुत बुरा लग रहा है.. :...उस आदमी के बारे में पढ़ के बहुत बुरा लग रहा है.. :( दिल उदास हो गया..<br />और कविता भी उदास कर गया मन को :(abhihttps://www.blogger.com/profile/12954157755191063152noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-72313791544971983552011-02-13T10:40:33.015-05:002011-02-13T10:40:33.015-05:00आपकी वीरान कविता ज़िदगी की सच्चाई है।
अपने ब्लाग ...आपकी वीरान कविता ज़िदगी की सच्चाई है।<br /><br />अपने ब्लाग पर आपका पहला क़दम देख अभिभूत हूं।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-36101427088543266602011-02-13T07:10:07.839-05:002011-02-13T07:10:07.839-05:00kavita rachne ka anutha idea pasand aaya.............kavita rachne ka anutha idea pasand aaya...............CS Devendra K Sharma "Man without Brain"https://www.blogger.com/profile/14027886343199459617noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-86031784499990154522011-02-13T06:35:26.938-05:002011-02-13T06:35:26.938-05:00डॉ. दिव्या श्रीवास्तव ने विवाह की वर्षगाँठ के अवसर...डॉ. दिव्या श्रीवास्तव ने विवाह की वर्षगाँठ के अवसर पर किया पौधारोपण<br />डॉ. दिव्या श्रीवास्तव जी ने विवाह की वर्षगाँठ के अवसर पर तुलसी एवं गुलाब का रोपण किया है। उनका यह महत्त्वपूर्ण योगदान उनके प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता, जागरूकता एवं समर्पण को दर्शाता है। वे एक सक्रिय ब्लॉग लेखिका, एक डॉक्टर, के साथ- साथ प्रकृति-संरक्षण के पुनीत कार्य के प्रति भी समर्पित हैं।<br /> “वृक्षारोपण : एक कदम प्रकृति की ओर” एवं पूरे ब्लॉग परिवार की ओर से दिव्या जी एवं समीर जीको स्वाभिमान, सुख, शान्ति, स्वास्थ्य एवं समृद्धि के पञ्चामृत से पूरित मधुर एवं प्रेममय वैवाहिक जीवन के लिये हार्दिक शुभकामनायें।<br /><br />आप भी इस पावन कार्य में अपना सहयोग दें।<br /><br /><br />http://vriksharopan.blogspot.com/2011/02/blog-post.htmlवृक्षारोपण : एक कदम प्रकृति की ओरhttps://www.blogger.com/profile/01360818390523348171noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-82679092546705174512011-02-13T03:18:55.789-05:002011-02-13T03:18:55.789-05:00जीवन की सार्थकता शायद इसी में हैजीवन की सार्थकता शायद इसी में हैKajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-57388630078248357652011-02-12T23:35:29.596-05:002011-02-12T23:35:29.596-05:00Bahut aacha laga.....Bahut aacha laga.....Rahulhttp://www.myhimachal.innoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-83820837542189195142011-02-12T23:13:46.316-05:002011-02-12T23:13:46.316-05:00कब कहाँ किस रूप में मिल जाये जिंदगी कह नहीं सकते ।...कब कहाँ किस रूप में मिल जाये जिंदगी कह नहीं सकते । केबिन की तरह कितने लोग भी अबेन्डन्ड कर दिये जाते हैं । मैं खो गया कहीं आपका संस्मरण पढ़कर ।रजनीश तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/10545458923376138675noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-13608945980698297632011-02-12T21:24:11.211-05:002011-02-12T21:24:11.211-05:00अपनी सोची कब होती है, जो सोचे वो ऊपर वाला... ज़िंद...अपनी सोची कब होती है, जो सोचे वो ऊपर वाला... ज़िंदगी जो भी दे, स्वीकार करना ही पड़ता है... "बस, ३० दिन. क्या कुछ करने की सोचता होगा इन ३० दिनों में वो. कितने कुछ अरमान साथ लिये जायेगा और फिर उसे तो अगली बार की तसल्ली भी नहीं.".... इन पंक्तियों ने बेबसी को पूरी तरह से व्यक्त किया है और पढ़ने वालों के दिल को व्याकुल भी किया है .... अपनों से, अपने घर से दूर जाने का दुःख हमेशा ही असहनीय होता है, लेकिन जब वापसी की गुंजाइश न हो, एक-एक दिन गिन कर अंत की ओर कदम बढ़ाना कितना त्रासदायी होता है, मै जानती हूँ, मेरे परिवार ने भी यह दुःख झेला है पिछले साल. ख़ैर .. अपने बस में तो कुछ भी नहीं.... जाही विधि राखे राम ताही विधि रहिये.... के सिवा और चारा भी क्या है. <br /><br />रात आसमान में <br />अपनी उजली चादर <br />बिछाता चाँद... <br /><br />झाड़ियों की झुरमुट में <br />अँधेरों को हराने की <br />नाकाम कोशिश में जुटे <br />जुगनुओं की जगमगाहट <br /><br />बहुत सुन्दर उपमान... सही कहा मीनू जी ने, यह पंक्तियाँ काफ़ी कुछ गुलज़ार जी की रचनाओं जैसी लगती हैं... अत्यन्त सुन्दर रचना.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-35829573192863752302011-02-12T13:41:02.104-05:002011-02-12T13:41:02.104-05:00सुन्दर अभिव्यक्ति। जब तक इस बात का अहसास होता है क...सुन्दर अभिव्यक्ति। जब तक इस बात का अहसास होता है कि समय वाकई बहुत कम है, समय चुक जाता है।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-58888165882272752312011-02-12T10:53:31.602-05:002011-02-12T10:53:31.602-05:00कविता में यह दृश्य सचमुच सुन्दर दिखाई देता है .. क...कविता में यह दृश्य सचमुच सुन्दर दिखाई देता है .. काश आप छत्तीसगढ़ भी आते.. यहाँ भी बहुत कुछ था देखने के लिए , हम तो इंतज़ार ही करते रह गए और आपके स्वागत की तैयारी धरी रह गई । खैर अगली बार सही..शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-51277176774734511222011-02-12T06:00:27.866-05:002011-02-12T06:00:27.866-05:00`सोचा था कि १० दिनों को केरल भी घूम आयेंगे इस बार,...`सोचा था कि १० दिनों को केरल भी घूम आयेंगे इस बार, वो भी रह गया. '<br /><br />ब्लागर मीट से फुरसत मिले ... तब ना :)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-6051831773042238042011-02-12T02:58:02.268-05:002011-02-12T02:58:02.268-05:00..डा० अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09556018337158653778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-15052310186354630822011-02-12T02:57:37.031-05:002011-02-12T02:57:37.031-05:00ईश्वर के न्याय पर क्रोध तो उपजता ही है, पर डॉक्टर ...<i><br />ईश्वर के न्याय पर क्रोध तो उपजता ही है, पर डॉक्टर को भी यूँ किसी के जीवन की मियाद निर्धारित करने का अधिकार नहीं हैं ।<br />बिडम्बनाओं से उपजी करुणा को आम आदमी कितने पल तक याद रख पाता है !<br /></i>डा० अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09556018337158653778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-73329684197669023202011-02-12T00:17:14.724-05:002011-02-12T00:17:14.724-05:00sabse pehle to nazm ke liye.....behad khoobsurat.....sabse pehle to nazm ke liye.....behad khoobsurat....bohot hi kamaal ki nazm.....<br /><br />aur ab aapke chhuttiyon ke sarrr se khatm ho jaane par.....i can imagine kaisa lag raha hoga...muddaton raah dekhte hain jaane ki....aur jaakar hosh sambhal paane se pehle waapas....sapne sa guzar jaata hai sab...haina??<br /><br />i love ur writing sir....beautiful style :)Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-64291024705627891212011-02-11T10:11:18.487-05:002011-02-11T10:11:18.487-05:00.
@-मन उदास होने लगता है। सोचता हूँ, अगली बार ज्य....<br /><br />@-मन उदास होने लगता है। सोचता हूँ, अगली बार ज्यादा दिन के लिए आऊँगा और जरा ज्यादा व्यस्थित कार्यक्रम बना कर...<br /><br />------<br /><br />आप भारत आने का कार्यक्रम चाहे जितनी लम्बी अवधी का बना लें , कम ही लगेगा। वापस लौटते समय यही महसूस होगा की थोडा और वक़्त मिल जाता। क्यूंकि अपने देश की मिटटी हमें बार बार अपनी तरफ बुलाती है ।<br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-89784288836565093682011-02-11T00:18:50.258-05:002011-02-11T00:18:50.258-05:00सही कहा है किसी ने.. "कल हो न हो, आज जितना चा...सही कहा है किसी ने.. "कल हो न हो, आज जितना चाहो जी लो"<br />एक अच्छा सन्देश देती हुई पोस्ट.. अच्छा लगा..<br /><br />आभारPratik Maheshwarihttps://www.blogger.com/profile/04115463364309124608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-84816045443489305762011-02-10T11:39:43.945-05:002011-02-10T11:39:43.945-05:00जीवन के अंतिम दिनों में,व्यक्ति फ्लैशबैक में जी रह...जीवन के अंतिम दिनों में,व्यक्ति फ्लैशबैक में जी रहा होता है,जहां खुशियों के पल भी बहुत कुछ न कर पाने की कसक में गुम हो जाते हैं। अपने जीवन से ज्यादा मलाल इस बात का होना कि उसकी मृत्यु से कइयों का कष्ट जुड़ा है,मनुष्य की संवेदना का एक मार्मिक पक्ष है।कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-9240184541780718672011-02-10T11:07:49.413-05:002011-02-10T11:07:49.413-05:00ओह !ओह !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-35187569852700123872011-02-10T10:52:08.702-05:002011-02-10T10:52:08.702-05:00bahut hi gahra likha hai....bahut hi gahra likha hai....सु-मन (Suman Kapoor)https://www.blogger.com/profile/15596735267934374745noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-20694833493495617092011-02-10T06:26:57.019-05:002011-02-10T06:26:57.019-05:00आपकी कलपनाएं बिलकुल अनोखी होती हैं।
---------
ब्...आपकी कलपनाएं बिलकुल अनोखी होती हैं।<br /><br />---------<br /><b><a href="http://za.samwaad.com/2011/02/blog-post_10.html" rel="nofollow">ब्लॉगवाणी: एक नई शुरूआत।</a></b>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-32343181482147425182011-02-10T04:16:03.719-05:002011-02-10T04:16:03.719-05:00dil ko chu gayi ..........pr hume to pata hi nahi ...dil ko chu gayi ..........pr hume to pata hi nahi chal aap kab aaye aur kab chale gaye.......hume to aap hamesha hi yahi kahi aas pass lagte hai .......bhini bhini mahek ke saathamrendra "amar"https://www.blogger.com/profile/00750610107988470826noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-22961616137929407622011-02-10T00:40:53.365-05:002011-02-10T00:40:53.365-05:00किसी शायर ने क्या खूब कहा है -
ये माना जिन्द्गगी ह...किसी शायर ने क्या खूब कहा है -<br />ये माना जिन्द्गगी होती है चार दिन की,<br />बहुत होते हैं यारो ये चार दिन भी l <br />इस बात का अहसास वहां पर होता है जिस जगह पर वह युवक खड़ा है जिसका वर्णन आपने किया है ,<br />ज़िन्दगी की यही हकीकत है कम से कम उसे पता तो है उसके पास अब 30 दिन बचे हैं<br />दिल को छूते शब्द एवं भावमय प्रस्तुति हेतु आभार व्यक्त करता हूँ .पी.एस .भाकुनीhttps://www.blogger.com/profile/10948751292722131939noreply@blogger.com