tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post6534268628110591483..comments2024-03-04T07:12:33.254-05:00Comments on उड़न तश्तरी ....: न जाने क्यूँ-एक घुटन!!!Udan Tashtarihttp://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comBlogger71125tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-51998525385457059552009-08-12T04:38:42.921-04:002009-08-12T04:38:42.921-04:00देख कर हालत जहां की
संवेदनायें सब
सो गई हैं
और मेर...देख कर हालत जहां की<br />संवेदनायें सब<br />सो गई हैं<br />और मेरे दिल से उठती<br />कवितायें अब<br />खो गई हैं.<br /><br />प्रेणास्पद बाते कोई आपसे सीखे। सरजी! समझ नही आता है आप इन सभी सवेदन भरे पात्र को बेखुबी निभा भी लेते हो चुटिकियो मे एक सामाजिक सन्देश भी दे जाते हो। आज हे प्रभू आपकी इस महान साहित्यक कला को सलाम करना है। आप अन्दर कि दृष्टी से देखे मै आपको<br /><br />standing avation दे रहा हू।<br /><br />आभार। शुभकामानाऍ<br /><br />हे प्रभू यह तेरापन्थ<br /><br />मुम्बई टाईगरSELECTION - COLLECTION SELECTION & COLLECTIONhttps://www.blogger.com/profile/00660058760277265615noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-77750263462483205962009-07-17T07:31:20.207-04:002009-07-17T07:31:20.207-04:00सच कहा सर.सच कहा सर.रामकृष्ण गौतमhttps://www.blogger.com/profile/00472122414824979028noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-8361320675424686492009-07-16T15:59:58.585-04:002009-07-16T15:59:58.585-04:00svednaye haitbhi to aapne dusro ke dard ko mhsus k...svednaye haitbhi to aapne dusro ke dard ko mhsus kiya hai .kitu ye sikke ka ak phlu hai .teji se bdlte <br />samajik privesh me aaj koi bhi naoukar malik ki kisi bhi prkar ki jyadti bardasht nhi krta aur apne nye raste chun leta hai kyoki aaj uske samne bhut viklp hai .<br /><br />manvta ke vicharo se bhari man ko chu lene vali post .शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-36761277617701266092009-07-16T15:34:52.707-04:002009-07-16T15:34:52.707-04:00क्या बात है समीर भाई यह तो सम्वेदना का अतिरेक हैक्या बात है समीर भाई यह तो सम्वेदना का अतिरेक हैशरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-36386765471560890052009-07-16T13:05:31.367-04:002009-07-16T13:05:31.367-04:00वाकई में ये विषय सोचने के लिए ही नही कुछ करने के ल...वाकई में ये विषय सोचने के लिए ही नही कुछ करने के लिए है........<br />मुझे कुछ पंक्तियाँ याद आ रहीं हैं यहाँ पर............<br />"वो बच्चा जो बेचता है आपके बच्चे को गुब्बारे,<br />उसे भी अपनी नन्ही ख्वाहिशों की याद रहती है!!"लोकेन्द्र विक्रम सिंहhttps://www.blogger.com/profile/08180984515356933377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-54393597029815190242009-07-16T09:06:33.401-04:002009-07-16T09:06:33.401-04:00aapko padhhna meri jaroorat ho gai he/
insaani zaz...aapko padhhna meri jaroorat ho gai he/<br />insaani zazbaat aour samvednaao ki rachnaye mujhe hameshaa ruchikar lagi he// <br />bahut kuchh seekhane ko mi rahaa he aapse/<br /><br />dhnyavaadअमिताभ श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/12224535816596336049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-73672678049587508142009-07-16T09:00:07.185-04:002009-07-16T09:00:07.185-04:00नहीं, अब संवेदना को जगाना होगा...खोई कविता को वापस...नहीं, अब संवेदना को जगाना होगा...खोई कविता को वापस लाना होगा...अब और नहीं...अज्ञेय की पंक्ति याद रही है-<b>आज अगर खामोश रहे तो कल सन्नाटा छाएगा</b>रविकांत पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/14687072907399296450noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-72624800591630147502009-07-16T08:51:44.750-04:002009-07-16T08:51:44.750-04:00देख कर हालत जहां की
संवेदनायें सब
सो गई हैं
और मेर...देख कर हालत जहां की<br />संवेदनायें सब<br />सो गई हैं<br />और मेरे दिल से उठती<br />कवितायें अब<br />खो गई हैं.<br /><br />........................<br />SO SAD.Ancorehttps://www.blogger.com/profile/03981607668207596789noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-82964982189565991152009-07-16T08:39:56.221-04:002009-07-16T08:39:56.221-04:00Ye duniya aisi hi hai.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Sec...Ye duniya aisi hi hai.<br /><a href="http://alizakir.blogspot.com/" rel="nofollow">-Zakir Ali ‘Rajnish’</a> <br /><a href="http://tasliim.blogspot.com/" rel="nofollow">{ Secretary-TSALIIM </a><a href="http://sciblogindia.blogspot.com/" rel="nofollow">& SBAI }</a>adminhttps://www.blogger.com/profile/09054511264112719402noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1478846169181992142009-07-16T05:17:20.346-04:002009-07-16T05:17:20.346-04:00बस इस कविता को न खोने दो सरकार...बस इस कविता को न खोने दो सरकार...गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-78624860529663260252009-07-16T03:52:49.614-04:002009-07-16T03:52:49.614-04:00आत्म मन्थन कर आप क्या-क्या् निकाल रहे है , आजकल!
...आत्म मन्थन कर आप क्या-क्या् निकाल रहे है , आजकल!<br /><br />एसा ही एक अनुभव मुझे भी हुआ, लालच हो रही है कि आप तक भि पहुन्चा दूं।<br /><br />shishtataa<br />शिष्टता<br /><br />सर उठाये रखने की स्थिति मनुष्य को गर्वानुभाव कराती है,फिर वह<br />चाहे जूते पर पाँलिश करवाते समय किसी युवक या अबोध बालक के<br />सामने लकड़ी के तख़्ते पर पाँव रखने की अवस्था में ही सर क्यों न<br />उठाना पड़ रहा हो। उस समय नीचे देखना आपको कम ही रूचिकर<br />लगेगा!<br /><br />अब जबकि पाँलिश किये हुए जूते पहनने का आचरण शिष्टता की परीधि<br />में आता है और हमारा पांव बल्कि हमारा जूता थामे होने की स्थिति<br />में किसी व्यक्ति से सेवा लेते हुए अशिष्ट हमे कुछ भी प्रतीत नही होता;<br />इसी बदले हुए संदर्भ में उस सेवा का मूल्य, अव्मूल्यित हुए रूपये को<br />उछाल कर भी दे तो वह कर्त्य फ़ैशन ही माना जायेगा!<br /><br />खड़े रहने की अवस्था की मजबूरी वश या आत्माभिमान की किसी अनजानी<br />भावना वश तना हुवा मेरा माथा ठनका, जैसे ही मैरा उछाला हुवा सिक्का<br />पसीने में लिप्त गर्म हथेली में चुपचाप समा जाने कि बजाये फ़र्श पर गिर<br />कर खनका।<br /><br />सिक्के की मद्धिम होती धवनि के साथ-साथ ही जैसे मै भी अर्श से फ़र्श<br />पर उतरा!<br />एक मासूम बालक, एक परिचित सा चेहरा, रूपये का कैच जिसने अभ्यस्त<br />न होने के कारण छोड़ दिया था, मुस्कराते हुए मुझसे बोला, "अंकल, आपसे<br />पैसे नही लूंगा।", आवाज़ पह्चानी सी लगी। सहसा स्मर्ति-पटल पर एक<br />चित्र उभरा। रेल्वे प्लेटफ़ार्म पर पांच पैसे की भीख मांगता हुवा एक परेशान<br />चेहरा। मुझसे भीख नही दी गई, मैने उसकी भूख मिटाने का प्रबन्ध कर दिया और एक पाँलिश की डिब्बी व ब्रश दिलवा दिये थे।<br />यह वही प्यारा सा बालक सूरज था,जिस पर भीख का गहन मैने नही लगने दिया था, मांगने का सबसे पहला प्रयास उसने मुझसे ही किया था। उसके<br />बापू का पता पूछ कर एक चिठठी भी डाल दी थी। शायद वह लेने नही<br />आया, तभी तो वह इसी शहर में बस गया दिखता है। पिता के लिये यह<br />सूरज अस्त हो चुका था या पिता ही का सूरज अस्त हो गया था…यह<br />जानने का प्रयत्न कर मै सूरज को उदास होता नही देखना चाहता था।<br />आज, छः माह बाद क्रतझता से मुझे देखते हुए यह प्यारा सा बालक मुझे<br />निःशुल्क सेवा दे कर प्रथम भेट का वह कर्ज़ उतारने का प्रयत्न कर रहा था।<br />मैने भी ज़िद कर उसका दिल नही तोड़ा। लेकिन उसके साथ सड़क ही<br />पर खड़े रह चाय अवश्य पी, प्रसन्नचित घर पर लौटा। अब मै अपने<br />जूते की पाँलिश स्वयँ ही बना लेता हूँ, ताकि अन्जाने ही में उस बालक या<br />किसी और व्यक्ति को हेय द्रष्टि से न देख लूँ। हाँ, चाय पीने के बहाने उस<br />बालक की कुशल-क्षेम जानने अक्सर चला जाता हूँ।<br /><br />[http://adabnawaz.blogspot.com]<br /><br />-Mansoorali hashmiMansoor ali Hashmihttps://www.blogger.com/profile/09018351936262646974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-45087663804977302012009-07-16T03:30:09.233-04:002009-07-16T03:30:09.233-04:00sameer zee apki samvedna ko salam karta hoon. Ap j...sameer zee apki samvedna ko salam karta hoon. Ap jaise log samaj ko jodne ka kam karte hain.amlendu asthanahttps://www.blogger.com/profile/03358266859679497823noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-12523545519416472492009-07-16T02:17:00.069-04:002009-07-16T02:17:00.069-04:00marmik post hai...
meetmarmik post hai...<br />meetमीतhttps://www.blogger.com/profile/04299509220827485813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-87602408227791958962009-07-16T00:41:11.624-04:002009-07-16T00:41:11.624-04:00समीरजी !!!
""मैने हमेशा ही अपने आप को द...समीरजी !!!<br /><br />""मैने हमेशा ही अपने आप को दूसरे की जगह भी रख कर देखा है. इतनी क्षमता मुझमें हमेशा ही रही है और मुझे इस बात का गर्व है.""<br /><br />आप द्वारा उपर लिखे वाक्य ही आपके लेख की अवधारणा है एवम समाधान भी। अगर हम सभी किसी अन्य को भला बुरा कहे उससे पहले स्वय को उसकी जगह पर रखकर देखे तो अक्कल ठीकाने आजाऐ।<br /><br />अति सुन्दर!!!<br />इन विचारो ko वैज्ञानिक इसलिए कह रहा हू की ऐसे विचारो कि आज के समय मे अधिक अपेक्षा है।<br /><br />आभार<br />हे प्रभु यह तेरापन्थ<br />मुम्बई टाईगरहें प्रभु यह तेरापंथhttps://www.blogger.com/profile/12518864074743366000noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-57632470791622905982009-07-15T21:24:46.393-04:002009-07-15T21:24:46.393-04:00एक संवेदनशील पोस्ट।
कहीं पढ़ा था कि
हमने समंदर मे...एक संवेदनशील पोस्ट।<br /><br />कहीं पढ़ा था कि<br /><b>हमने समंदर में मछ्लियों की तरह तैरना सीख लिया, आसमान में पंछियों की तरह उड़ना सीख लिया। अब जरा धरती पर इंसानों की तरह व्यवहार करना भी सीख लें!</b>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-29772461480852574982009-07-15T20:12:24.031-04:002009-07-15T20:12:24.031-04:00संवेदनायें सोई नहीं पूरी तरह जागरूक हैं। और कविताय...संवेदनायें सोई नहीं पूरी तरह जागरूक हैं। और कवितायें- उनके खोने का तो सवाल ही नहीं। जहां संवेदना है और लिखने की क्षमता है वहां कविता तो होगी ही।Dr. Amar Jyotihttps://www.blogger.com/profile/08059014257594544439noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-23156073137941651142009-07-15T16:09:37.830-04:002009-07-15T16:09:37.830-04:00बहुत गहराई में जाकर लिखा आपने ,बहुत उम्दा लेख |
बध...बहुत गहराई में जाकर लिखा आपने ,बहुत उम्दा लेख |<br />बधाई |शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-78166451057098072452009-07-15T16:04:49.181-04:002009-07-15T16:04:49.181-04:00बहुत गहराई में जाकर लिखा आपने ,बहुत उम्दा लेख |
बध...बहुत गहराई में जाकर लिखा आपने ,बहुत उम्दा लेख |<br />बधाई |शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-58068794313962633152009-07-15T15:52:32.480-04:002009-07-15T15:52:32.480-04:00कैसा अजीब इत्तेफ़ाक़ ..! एक बार पहले आपने '...कैसा अजीब इत्तेफ़ाक़ ..! एक बार पहले आपने 'jenny 'के बारेमे पूछा था .."मेरे घरमे भूत है ",इस बात को लेके ..!( आजतक यहाँतक -'बोले तू कौनसी बोली?')<br />मैंने उसे अपनी बेटी की तरह प्यार दिया... घर के हर व्यक्ती के घुस्से से उसे महरूम रखा ..ये पहली बार नही ,की , ऐसे किसी ने मुझपे एक नागिन की तरह वार किया ,जो उसने किया ..!<br /><br />मैंने अपने जीवन में नौकर तो रखे, लेकिन, उन्हें हमेशा इंसान ही समझा..! लेकिन ९० प्रतिशत से अधिक लोगों ने इस बात का ग़लत फायदा उठाया..ये भी उतना ही कड़वा सच है! <br /><br />http://shamasansmaran.blogspot.com<br /><br />http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com<br /><br />http://shamasansmaran.blogspot.com<br /><br />http://shama-kahanee.blogspot.com<br /><br />http://shama-baagwaanee.blogspot.com<br /><br />http://lalitlekh.blogspot.com<br /><br />Aapke lekhan kaushaly ke bareme comment karnekee qabiliyat nahee rakhtee...! <br /><br />http://fiberart-thelightbyalonelypath.blogspot.comshamahttps://www.blogger.com/profile/15550777701990954859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-56899807689730010122009-07-15T14:34:12.901-04:002009-07-15T14:34:12.901-04:00जो मैं लिखना चाहती थी, आप ने लिख दिया.
नमन करती हू...जो मैं लिखना चाहती थी, आप ने लिख दिया.<br />नमन करती हूँ-संवेगात्मक अभिव्यक्ति की.<br />धन्यवाद!Dr. Sudha Om Dhingrahttps://www.blogger.com/profile/10916293722568766521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-51912680318552181712009-07-15T14:29:36.807-04:002009-07-15T14:29:36.807-04:00देख कर हालत जहां की
संवेदनायें सब
सो गई हैं
और मेर...देख कर हालत जहां की<br />संवेदनायें सब<br />सो गई हैं<br />और मेरे दिल से उठती<br />कवितायें अब<br />खो गई हैं.<br /><br /><br />bahut khoob kaha<br />poore lekh ka saar in panktiyo main sama gaya ...:)Nipun Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/16960357101414101878noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-73333250946764939442009-07-15T11:46:25.666-04:002009-07-15T11:46:25.666-04:00Sahi likha Uncle ji .Sahi likha Uncle ji .Akshitaa (Pakhi)https://www.blogger.com/profile/06040970399010747427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-29548894117582652422009-07-15T11:44:52.040-04:002009-07-15T11:44:52.040-04:00Samvedna khatm to nahin huyi hai, par hamne uska d...Samvedna khatm to nahin huyi hai, par hamne uska daman jarur chhod diya hai..apki post rah dikhati hai, sochne ko majbur karti hai !!KK Yadavhttps://www.blogger.com/profile/05702409969031147177noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-44052905906061343702009-07-15T11:16:04.526-04:002009-07-15T11:16:04.526-04:00बहुत ही उम्दा लेखन सो चुकी मानवीय संवेदनाओं को जगा...बहुत ही उम्दा लेखन सो चुकी मानवीय संवेदनाओं को जगाने का बेहतरीन प्रयास .anilhttps://www.blogger.com/profile/16782475492940797688noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-72228683097823832932009-07-15T10:49:41.552-04:002009-07-15T10:49:41.552-04:00समीर जी मेने देखा है यह सब , ओर लडा भी हुं इस बात ...समीर जी मेने देखा है यह सब , ओर लडा भी हुं इस बात के लिये, लेकिन कोई नही सुधरने वाला, यह रामू को या शायमू बेचारे के संग इस से भी बुरा बरताव देखा है,इंसानियत .....? काश आप की इस पोस्ट से दस लोग भी सुधर जाये दस रामू सुखी हो जायेगे.<br />धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.com