tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post642598937299500853..comments2024-03-04T07:12:33.254-05:00Comments on उड़न तश्तरी ....: पी गये उधार में...Udan Tashtarihttp://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comBlogger38125tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-45119675614095125352008-05-21T21:25:00.000-04:002008-05-21T21:25:00.000-04:00वो दिखे तो साथ में लिये थे अपने भाई को गुठलियाँ भी...वो दिखे तो साथ में लिये थे अपने भाई को <BR/>गुठलियाँ भी साथ आईं, आम के अचार में. <BR/><BR/>वाह-वाह लालाजी ...बहुत सुंदर ...महफ़िल भी कमाल है भाई.....बधाईReetesh Guptahttps://www.blogger.com/profile/12515570085939529378noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-52686317327962045402008-05-21T19:27:00.000-04:002008-05-21T19:27:00.000-04:00समीर भाई ,बहुत बढ़िया ..आप की कविता मस्ती और दर्द क...समीर भाई ,<BR/>बहुत बढ़िया ..आप की कविता मस्ती और दर्द के एहसास से सराबोर है ..मुझे वोह साहिर लुधिआनवी साहिब के मशहूर हम दोनों फ़िल्म के गाने लाईनों की याद आ गयी ॥<BR/><BR/>बर्बादियाओ का सोग मनाना फिजौल था <BR/>बर्बादियाओं का जस्न मनाता चला गया <BR/><BR/>जो मील गया उसी को मुकद्दर समझ लिया <BR/>जो खो गया मैं उस को भुलाता चला गयाआशुhttps://www.blogger.com/profile/00177586469111424698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-79121782043947037852008-05-21T16:15:00.000-04:002008-05-21T16:15:00.000-04:00आपकी महफिल में दाद और दुख दोनों जताते हैं अपनी इन ...आपकी महफिल में दाद और दुख दोनों जताते हैं अपनी इन दो लाइनों के साथ ...... <BR/>उन्हें जाते जो देखा बार-बार बार में <BR/>बहते गए हम आसुँओं की धार में ..!मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-66042275038045244852008-05-21T02:38:00.000-04:002008-05-21T02:38:00.000-04:00वाह!वाह!वाह!वाह!वाह!वाह!वाह!भौत मज़ेदार हैं सरजी .....वाह!<BR/>वाह!वाह!<BR/>वाह!वाह!वाह!वाह!<BR/>भौत मज़ेदार हैं सरजी .......Kirtish Bhatthttps://www.blogger.com/profile/10695042291155160289noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-19188884846427352542008-05-21T01:46:00.000-04:002008-05-21T01:46:00.000-04:00आपने एक पोस्ट क्या लिखी,मयखाना बन गया,मय और समीर ज...आपने एक पोस्ट क्या लिखी,मयखाना बन गया,मय और समीर जी को चाहने वाले बहूत है। हम भी दो शेरो से उपस्थिति दर्ज करता हूँः<BR/><BR/>१."गिलासो में जो डूबे ,उभरे न जिंदगानी में,<BR/> हजारो बह गए इन बोतलो के बंद पानी मे"<BR/><BR/>लेकिन जनाब मानता कौन हैः<BR/><BR/>२."पाल ले एक रोग नादाँ जिंदगी के वास्ते,<BR/>सिर्फ सेहत के सहारे जिंदगी कटती नहीं"samagam rangmandalhttps://www.blogger.com/profile/05901769556529175565noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-22976021927117283412008-05-21T01:44:00.000-04:002008-05-21T01:44:00.000-04:00वो दिखे तो साथ में लिये थे अपने भाई को गुठलियों भी...वो दिखे तो साथ में लिये थे अपने भाई को <BR/>गुठलियों भी साथ आईं, आम के अचार में.<BR/><BR/>हा, हा, हा---.रूमाल तो भीगा ही, दिल्ली की इस लगातार बारिश के दौरान आपके बब्बर शेरों ने पकौडों का काम किया.Ila's world, in and outhttps://www.blogger.com/profile/13648932193142137941noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-20559007919282772602008-05-20T19:10:00.000-04:002008-05-20T19:10:00.000-04:00क्या समीर बाबु बड़ा दर्द छुपा रखा है....ग़ालिब नहीं...क्या समीर बाबु बड़ा दर्द छुपा रखा है....<BR/>ग़ालिब नहीं तो कम-से-कम टिनअहिया (भोजपुरी: टूटपुन्जिया) ग़ालिब तो जरूर बन गए. लगे रहिये बड़ा मज़ा आया. सिनेमा में ट्राई कीजिये. :)निशान्तhttps://www.blogger.com/profile/06289698191935366227noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-12436457215006548962008-05-20T17:50:00.000-04:002008-05-20T17:50:00.000-04:00समीर भाई बहुत बढ़िया आपने तो मुझ जैसे सूफ़ी आदमी को ...समीर भाई बहुत बढ़िया आपने तो मुझ जैसे सूफ़ी आदमी को भी मदहोश कर दिया। देखिए खरबूजा खरबूजे को देख रंग बदलता है..। जमे रहिए<BR/><BR/>सुमन कुमार घईAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-43583211525467943292008-05-20T13:46:00.000-04:002008-05-20T13:46:00.000-04:00भाई जी - इस का आनंद "मग"न हो कर लिया - [ कसम से ....भाई जी - इस का आनंद "मग"न हो कर लिया - [ कसम से ... हि..क्क :-)] छा गए मई के महीने में -<BR/>"यों चढ़ा नशा कि होश, होश को गंवा गया / और नींद पी गई उसे बची जो जार में." vaah - सादर - manishAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/08624620626295874696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-84411401353936680852008-05-20T12:03:00.000-04:002008-05-20T12:03:00.000-04:00बकौल चचा गालिबगालिब छुटी शराब, मगर अब भी कभी कभीपी...बकौल चचा गालिब<BR/><BR/>गालिब छुटी शराब, मगर अब भी कभी कभी<BR/>पीता हूँ रोजे-अब्र, शबे-माहताब में<BR/>काटे हैं तीन आपने दिन यों तो बार में<BR/>चौथे को छोड़ आये क्यों इश्क-ए-हिसाब में ?<BR/>खालेंगे अगर गुठलियाँ आचार के जो साथ<BR/>आयेगा और कुछ मजा खाना खराब मेंराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-62979913299881178822008-05-20T08:33:00.000-04:002008-05-20T08:33:00.000-04:00बहुत खूब, समीर भाई...बहुत बढ़िया शेर हैं.बहुत खूब, समीर भाई...बहुत बढ़िया शेर हैं.Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-28312601833971141842008-05-20T08:13:00.000-04:002008-05-20T08:13:00.000-04:00यहाँ तो अश्रुधारा से बाढ़ आ गई... कटा है एक इश्क ...यहाँ तो अश्रुधारा से बाढ़ आ गई... <BR/><BR/>कटा है एक इश्क में, कटेंगे तीन बार में. <BR/><BR/>वाह ! इश्क में वैसे अक्सर कटता ही है :-)Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-30304753333892135622008-05-20T07:54:00.000-04:002008-05-20T07:54:00.000-04:00अंशु के दोहे अच्छा जो देखन मैं चला अच्छा मिला ना क...अंशु के दोहे <BR/>अच्छा जो देखन मैं चला अच्छा मिला ना कोई<BR/>जो दिल देखा आपना मुझसे भला ना कोई<BR/><BR/>अंशु इस संसार मे सबसे मिलिए जाय <BR/>ना जाने किस भेस मे पत्रकार मिल जाय<BR/><BR/>जला है आलू का पराठा जहा आलू भी जल गया होगा<BR/>लगा रहे हो जो सौस का मलहम जुस्तजू क्या है <BR/><BR/>नेता अभिनेता दोउ खरे काके लागू पाए<BR/>बलिहारी नेता आपने जो अभिनय दिया सिखाय<BR/><BR/>जमीन पर आदमी है आसमान मे तारे है<BR/>जमीन के अन्दर जाकर देखो वह पानी ही पानी है<BR/>पानी ही पानी हैआशीष कुमार 'अंशु'https://www.blogger.com/profile/12024916196334773939noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-79508834021212516082008-05-20T07:22:00.000-04:002008-05-20T07:22:00.000-04:00सो गए चैन से हम, पी गए उधार मेक्या कहने बहुत बढ़िय...सो गए चैन से हम, <BR/>पी गए उधार मे<BR/>क्या कहने बहुत बढ़िया <BR/>पढ़ रहे है हम उधार मे.<BR/>आपकी कविता नए परिवेश मे बहुत बढ़िया लगी . आनंद अ गया <BR/>धन्यवादसमयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-7615315497426124362008-05-20T06:57:00.000-04:002008-05-20T06:57:00.000-04:00मेरी ओर से भी वाह-वाह!मेरी ओर से भी वाह-वाह!सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-35401702226471076152008-05-20T05:34:00.000-04:002008-05-20T05:34:00.000-04:00समीर जी..इतना मार्मिक भी न लिखा कीजिए!रूमाल रख के ...समीर जी..इतना मार्मिक भी न लिखा कीजिए!रूमाल रख के बैठे फिर भी कीबोर्ड गीला हो ही गया..अभी सुधरवाने डाला है!हा हा...pallavi trivedihttps://www.blogger.com/profile/13303235514780334791noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-17306884276059340122008-05-20T05:07:00.000-04:002008-05-20T05:07:00.000-04:00वो दिखे तो साथ में लिये थे अपने भाई को गुठलियाँ भी...वो दिखे तो साथ में लिये थे अपने भाई को <BR/>गुठलियाँ भी साथ आईं, आम के अचार में. <BR/>समीर जी<BR/>भाई बहुत खूब. आप की ग़ज़ल की तुक में एक शेर अर्ज़ है:<BR/>पी गए बैरल पे बैरल फ़िर भी देखो हाल ये<BR/>कुछ कमी होने ना पायी इस टपकती लार में <BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-21874820107069859562008-05-20T04:40:00.000-04:002008-05-20T04:40:00.000-04:00धांसू है!धांसू है!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-13416778283260556562008-05-20T03:55:00.000-04:002008-05-20T03:55:00.000-04:00vah vah janab maza aa gaya bahut badnaam hai ham i...vah vah janab maza aa gaya bahut badnaam hai ham insaano kee mehfil main lekin aabad hai piyakkado ki colony main ....aap ke madhushaala ko padhkar mera man bhee shayrana ho gaya....<BR/>zahid sharab peene se kaafir banaa main kyon ..<BR/>kya ek chullu panee main iman bah gaya ?कुमार आलोकhttps://www.blogger.com/profile/05450754013929589504noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-64002718480736600212008-05-20T03:33:00.000-04:002008-05-20T03:33:00.000-04:00वाह वाह!!अच्छा हुआ आपने वैधानिक चेतावनी दे रखी थी ...वाह वाह!!<BR/><BR/>अच्छा हुआ आपने वैधानिक चेतावनी दे रखी थी :) सचमुच शार्तसर्किट का खतरा था :)<BR/><BR/>***राजीव रंजन प्रसादराजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-61307657465926655092008-05-20T03:24:00.000-04:002008-05-20T03:24:00.000-04:00पड़ गए समीर जी जो बार घर के प्यार मेंमस्त रात भर बह...पड़ गए समीर जी जो बार घर के प्यार में<BR/>मस्त रात भर बहे दारु की तेज धार में.<BR/><BR/>क्या मशक्कतें हुईं, वो भाभीजी बताएंगी,<BR/>कि लठ्ठ तोड़ना पड़ा, खुमार के उतार में.<BR/><BR/>हमारी राय में तो इन्हें डोज पूरा दीजिये,<BR/>ये वो शगल नहीं जो छूट जाए एक बार में.<BR/><BR/>है लत बुरी इसे तो दूर से प्रणाम कीजिये,<BR/>घसीटते हैं सायकल, चलते कभी जो कार में.<BR/><BR/>बहुत हुआ ये लेक्चर, जरा बौट्ली तो पास कर,<BR/>रहते हैं बकते 'घोस्ट बस्टर' यूं ही बस बेकार में.Ghost Busterhttps://www.blogger.com/profile/02298445921360730184noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1005398485431582932008-05-20T03:02:00.000-04:002008-05-20T03:02:00.000-04:00अच्छा हुआ जो आपने रुमाल साथ रखने की चेतावनी दे दी...अच्छा हुआ जो आपने रुमाल साथ रखने की चेतावनी दे दी थी वरना तो आज गजब ही हो जाता माने शॉट सर्किट। :)mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-91178130258412861412008-05-20T02:11:00.000-04:002008-05-20T02:11:00.000-04:00लीजिये एक ओर धांसू कविता मय की बोतल लिए आ गई ....ओ...लीजिये एक ओर धांसू कविता मय की बोतल लिए आ गई ....ओर ऐसा पोज़ ...की बस पूछिये मत....गिरे पड़े ही सारी कहानी सुना दी..........उफ़ ये रुमाल कहाँ गया ?डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-78235592478190438772008-05-20T01:55:00.000-04:002008-05-20T01:55:00.000-04:00बहुत खूब...बहुत दिनो बाद असली रंग में लौटे है...मौ...बहुत खूब...बहुत दिनो बाद असली रंग में लौटे है...मौसम और माहौल का असर दिखे है :)संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-85137172007980191422008-05-20T01:51:00.000-04:002008-05-20T01:51:00.000-04:00huzur yoon samajh lijiye ki meraa kalejaa mooh ko ...huzur yoon samajh lijiye ki meraa kalejaa mooh ko aa gaya...<BR/>main badnaam hoon ya mujhe may aur maykhane ne neknaamiyon aur badgumaani ki dher saari saugaat dee hai....arze karenge shaayar smraat sameer sahab....<BR/><BR/>zahid sharab peene se kaafir banaa main kyon ?<BR/>kya ek chullu panee main imaan bah gaya....<BR/>maza aaya lal sahab yoon hi ham jaise sharaabiyon ki hoslaa- aafjaai karte rahe...कुमार आलोकhttps://www.blogger.com/profile/05450754013929589504noreply@blogger.com