tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post3892778878720023818..comments2024-03-04T07:12:33.254-05:00Comments on उड़न तश्तरी ....: चूं चूं चीं चीं और हम लोग!!Udan Tashtarihttp://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comBlogger31125tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-29640079233932787182007-08-31T02:29:00.000-04:002007-08-31T02:29:00.000-04:00माफ़ किजियेगा गुरुदेव बहुत दिनो से बुखार हुआ था कोई...माफ़ किजियेगा गुरुदेव बहुत दिनो से बुखार हुआ था कोई रचना पढ़ नही पाई...आपकी कविता बहुत ही सुन्दर है आप तो हर विधा में पारंगत है कोई जवाब नही ...<BR/><BR/>सुनीता(शानू)सुनीता शानूhttps://www.blogger.com/profile/11804088581552763781noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-47850029682372802542007-08-27T01:58:00.000-04:002007-08-27T01:58:00.000-04:00फिर तेरी कहानी याद आई - ऐना!!फिर तेरी कहानी याद आई - ऐना!!अनुराग श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/17660942337768973280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-67938008998755888262007-08-24T09:27:00.000-04:002007-08-24T09:27:00.000-04:00फुर्र फुर्र उडता उडता आया,जल्दी से अब कमेंटियाया,ब...फुर्र फुर्र उडता उडता आया,<BR/><BR/>जल्दी से अब कमेंटियाया,<BR/><BR/>बोलु बोले क्या लिखोगे,<BR/><BR/>मोलु बोले जो सोचोगे,<BR/><BR/>खुशाल बोली चीं ची करती,<BR/><BR/>लिख दो भैया करो जल्दी,<BR/><BR/>हमे तो अब दाना है खाना,<BR/><BR/>समीरलालजी को यह बताना,<BR/><BR/>कि कविता उनकी रट ली है,<BR/><BR/>और कागज पर छप ली है,<BR/><BR/>अब बच्चों को रटवाएंगे <BR/>खुब ताली पीटवाएंगे.<BR/><BR/><BR/>बच्चे लोग ताली बजाओ ताली बजाओ..पंकज बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/05608176901081263248noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-19154568505941507282007-08-23T08:25:00.000-04:002007-08-23T08:25:00.000-04:00बहुत अच्छी रचना है, बधाई स्वीकारें।बहुत अच्छी रचना है, बधाई स्वीकारें।Dr.Bhawna Kunwarhttps://www.blogger.com/profile/11668381875123135901noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-66914336420855222752007-08-23T03:54:00.000-04:002007-08-23T03:54:00.000-04:00कविताओं का बर्गीकरण बहद रोचक है. समझ में नहीं आ रह...कविताओं का बर्गीकरण बहद रोचक है. समझ में नहीं आ रहा की स्वयं को किस वर्ग में रखू. सुंदर और सरगर्भीत,अच्छी रचना और अच्छी सोच यदि अच्छी भावनाओं के साथ परोसी जाए तो होठों से वाह निकलना लाज़मी है.रवीन्द्र प्रभातhttps://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-65532337487371278432007-08-23T01:52:00.000-04:002007-08-23T01:52:00.000-04:00अपने बालक को पढ़ा कर प्रतिक्रिया लेनी होगी :)अपने बालक को पढ़ा कर प्रतिक्रिया लेनी होगी :)Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-85845583169439539032007-08-22T21:46:00.000-04:002007-08-22T21:46:00.000-04:00अपने बारे में भी कंफ्यूजन हो गया। आपके बारे में भी...अपने बारे में भी कंफ्यूजन हो गया। आपके बारे में भी। क्या कहूं आपको। धर्म के नाम पर लड़ते लोगों के दादा, चाचा या ऐसा कोई बड़ा जो हंसते-हंसते रहा दिखा सके।Satyendra Prasad Srivastavahttps://www.blogger.com/profile/11602898198590454620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-32818819908877928002007-08-22T19:18:00.000-04:002007-08-22T19:18:00.000-04:00अब सुनिये असली कविताचिड़िया चूं चूंहूं हूं नहीं हू...अब सुनिये असली कविता<BR/>चिड़िया चूं चूं<BR/>हूं हूं <BR/>नहीं हूं नहीं हूं <BR/>क्यों हूं क्यों हूं <BR/>यों हूं यो हूं <BR/>भूल भूल भूल <BR/>फूल फूल फूल <BR/>कविता छोड़<BR/>पत्थर पाठकों के सिर पे फोड़<BR/>चोआंचू चोआंचू<BR/>करतकरतचक चचक<BR/>रकपकतप कचकचट<BR/>घोंटापा घोंटापा सैटलका<BR/>करतर दगहदा <BR/>चूं चूं <BR/>चिड़िया बन गया हूं मैं<BR/>या मैं ही चिड़िया हूं<BR/>इस कविता का भावार्थ जो बतायेगा, उसे ऐसी पांच कविताएँ बतौर इनाम दी जायेंगी।ALOK PURANIKhttps://www.blogger.com/profile/09657629694844170136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-5091681520058666192007-08-22T17:51:00.000-04:002007-08-22T17:51:00.000-04:00कहते हैं कि बूढ़ा और बालक एक समान ही होते हैं, सो ...कहते हैं कि बूढ़ा और बालक एक समान ही होते हैं, सो हम तो हिर फिर के 'अ' वर्ग <BR/>में आगए हैं। अतः फसाद फझीता तो हमारा अधिकार है। सो, चाहो या ना चाहो, मना करो या ना करो, चाहे झगड़ा कर लो, हमें यह कविता इतनी पसंद आई है कि बिना पूछे अपनी फाइल में डाल ली है। <BR/>हम एक शशोपंज में हैं: अगर हमारे नाती ने पूछ लिया कि स्वामी समीरानंद के आश्रम में जो यह तीन धर्म-निर्पेक्ष सुंदर चूं चूं करती उड़ते फिरते बजरीगार दिख रहे हैं, उनमें से कौन सा बोलू है,<BR/>कौन सा मोलू और कौन सा खुशाल है, तो हम क्या कहेंगे ? बाल-हट आप जानते ही हैं। मानेगा नहीं जब तक नाम नहीं मलेंगे।<BR/>उसे बहुत अच्छा लगेगा, हम तो अभी कायल हो गए।महावीरhttps://www.blogger.com/profile/00859697755955147456noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-2297927622557768582007-08-22T15:24:00.000-04:002007-08-22T15:24:00.000-04:00पहले हमें बतायें कितना आरक्षण हर एक वर्ग मेंऔर कहा...पहले हमें बतायें कितना आरक्षण हर एक वर्ग में<BR/>और कहां सुविधायें कितनी हो उपलब्द रहेंगी सबको<BR/>तब ही अपना तुक्का फ़िट कर टिपिया पायेंगे चिट्ठे पर<BR/>एक टोकरी दाने वाली पहले भिजवा देना हमकोराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-67427959763871268882007-08-22T12:23:00.000-04:002007-08-22T12:23:00.000-04:00बहुत अच्छा! दीपक भारतदीपबहुत अच्छा! <BR/>दीपक भारतदीपdpkrajhttps://www.blogger.com/profile/11143597361838609566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-81392274152073718062007-08-22T09:16:00.000-04:002007-08-22T09:16:00.000-04:00समीर भाई,काश की चूँ चूँ चीँ चीँ करती चिडिया जितनी ...समीर भाई,<BR/>काश की चूँ चूँ चीँ चीँ करती चिडिया जितनी अक्ल इन्सानोँ मेँ आ जाती...<BR/>तो जीवन कितना खुशहाल रहता , है ना ?<BR/>स्नेह,<BR/>-- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-26009743496361320152007-08-22T07:27:00.000-04:002007-08-22T07:27:00.000-04:00पढने की बजाय यदि आपसे स्वर मे इसे सुनते तो अधिक आन...पढने की बजाय यदि आपसे स्वर मे इसे सुनते तो अधिक आनन्द आता। इंतजार रहेगा।Pankaj Oudhiahttps://www.blogger.com/profile/06607743834954038331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-39935849987781257472007-08-22T06:55:00.000-04:002007-08-22T06:55:00.000-04:00फुर्र फुर्र फुर्र फुर्र:):)फुर्र फुर्र फुर्र फुर्र...फुर्र फुर्र फुर्र फुर्र:):)<BR/><BR/>फुर्र फुर्र फुर्र फुर्र करती आपकी यह कविता हमको बहुत भाई .. <BR/>पर हम कौन से वर्ग में यह बात समझ ना आई:) <BR/>मुझे तो फुर्र फुर्र वर्ग ही अच्छा लगा ..:) बाक़ी का क़िस्सा जानने की उत्सुकता है ....और मैने अपने स्कूल में नर्सरी के बच्चो को यह "'चूं चूं, चीं चीं"' सिखानी तो क्या करना होगा :)<BR/>""इस कविता के सारे अधिकार बहुते सस्ते में."" कितने सस्ते में है यह बताए ज़रूर :)रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-90500158705942283972007-08-22T06:14:00.000-04:002007-08-22T06:14:00.000-04:00अच्छी है फुर्र -फुर्र करती चिड़िया की कविता. वर्ग ...अच्छी है फुर्र -फुर्र करती चिड़िया की कविता. <BR/>वर्ग पहचानना कठिन लग रहा है. <BR/><BR/> .... :)mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-40227427137257599762007-08-22T04:00:00.000-04:002007-08-22T04:00:00.000-04:00अब बच्चों की कविताओं में भी धर्म का जिक्र होगा क्य...अब बच्चों की कविताओं में भी धर्म का जिक्र होगा क्या? <BR/><BR/>"हिन्दु मुस्लिम सिख इसाई<BR/>चिड़ियों ने यह जात न पाई<BR/>जिसने पाला उसकी होती<BR/>उसी धर्म का बोझ ये ढोती<BR/>मुस्लिम के घर रह कर आई<BR/>एक नहीं पूरे दो साल"<BR/><BR/>भले ही यह पंक्तियाँ सौहार्द सिखा रहीं हैं परंतु बिना द्वेष समझाए क्या प्रेम सिखाया जा सकता है?<BR/><BR/>मेरे विचार से यह कविता परिपक्वता की पराकाष्ठा है जो केवल आप जैसे अनुभवी कवि के कलम से ही उपज सकती है.Vikashhttps://www.blogger.com/profile/01373877834398732074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-48944306601631841992007-08-22T03:55:00.000-04:002007-08-22T03:55:00.000-04:00बचपन में बाल-भारती और नन्दन पढ़ने का कोटा कुछ बचा र...बचपन में बाल-भारती और नन्दन पढ़ने का कोटा कुछ बचा रह गया था. आपने उसकी सुध ली. धन्यवाद!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-10088475916132569802007-08-22T03:27:00.000-04:002007-08-22T03:27:00.000-04:00कुद कुद की जगह कूद कूद और ठूमक-ठूमक की जगह ठुमक-ठु...कुद कुद की जगह कूद कूद और ठूमक-ठूमक की जगह ठुमक-ठुमक हो जाए तो कैसा रहेगा?<BR/>बच्चे बड़े मजे से गायेंगे इसे, कापी करके कुछ को बांटता हूं, कवि समीरलाल के नाम के साथ.Sanjay Tiwarihttps://www.blogger.com/profile/13133958816717392537noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-61568121609771725682007-08-22T02:14:00.000-04:002007-08-22T02:14:00.000-04:00समीर जी.. बहुत खूब..अच्छा लगा..काश हम सभी भी चिड़िय...समीर जी.. बहुत खूब..अच्छा लगा..काश हम सभी भी चिड़ियों जैसे ही होते.. न धर्म, जाति, देश के नाम पर अलग न धन, मान, अहं से विलग..<BR/>कवि कुलवंतKavi Kulwanthttps://www.blogger.com/profile/03020723394840747195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-18998749401675846642007-08-22T01:35:00.000-04:002007-08-22T01:35:00.000-04:00सर जी बड़ी मस्त कविता लिक्खी है, बिलुकल अपने वरगी!म...सर जी बड़ी मस्त कविता लिक्खी है, बिलुकल अपने वरगी!<BR/>मजा आ गयाAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-65544923949584227432007-08-22T01:32:00.000-04:002007-08-22T01:32:00.000-04:00एका का संदेश देने वाली इस कविता को बच्चों के पाठ्य...एका का संदेश देने वाली इस कविता को बच्चों के पाठ्यक्रम में शामिल कर दिया जाना चाहिए!उमाशंकर सिंहhttps://www.blogger.com/profile/17580430696821338879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-86915737334663214672007-08-22T01:20:00.000-04:002007-08-22T01:20:00.000-04:00समीर लाल जी,फुर्र फुर्र फुर्र फुर्रहम उड़ते-उड़्ते अ...समीर लाल जी,<BR/>फुर्र फुर्र फुर्र फुर्र<BR/>हम उड़ते-उड़्ते अभी आए हैं,<BR/>आप के चिठ्ठे पर टिपियाए हैं।<BR/><BR/>हम को कौन-से वर्ग मे रखा,<BR/>हम तो हैं आप का पंखा।<BR/><BR/>ची ची चू चू<BR/>लेख है बढिया!<BR/>ची ची चू चू<BR/>आप ने ये कविता लिखी क्यूँ ?<BR/><BR/>क्या हम सब छोटे बच्चे हैं ?<BR/>आप के सामने सब कच्चे हैं!<BR/>हा हा ही ही<BR/>तू तू मैं मैं<BR/>सब चलता है<BR/>अपने को कुछ नही खलता है।<BR/><BR/>बस लिखना है<BR/>लिखते ही जाना..<BR/>सब मिलजुल अब गाएं गाना<BR/>ची ची चू चू<BR/>ची ची चू चू<BR/><BR/>अब जाते हैं ,<BR/>कई जगह और टिपियाना है।<BR/>फुर्र फुर्र फुर्र फुर्र<BR/>फुर्र फुर्र फुर्र फुर्र<BR/>रूकना नही उड़्ते जाना है।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1820905440880634692007-08-22T01:15:00.000-04:002007-08-22T01:15:00.000-04:00मैंने अपने "अ" वर्ग की बेटी के लिये इस कविता को से...मैंने अपने "अ" वर्ग की बेटी के लिये इस कविता को सेव कर लिया है । बाकी प्रतिक्रिया उसके पढ लेने के बाद टिपियाई जायेगी ।Pratyakshahttps://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-56603805685550581232007-08-22T01:14:00.000-04:002007-08-22T01:14:00.000-04:00लय में पढ़ा और फिर ताली बजाई.तुत्लाते बच्चे को रटवा...लय में पढ़ा और फिर ताली बजाई.<BR/><BR/>तुत्लाते बच्चे को रटवायेंगे, थोड़ी लम्बी जरूर है, मगर पहले दो पेरा में चलने की सारी सम्भावना है.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-40129561927512957822007-08-22T00:48:00.000-04:002007-08-22T00:48:00.000-04:00उडनतश्तरी जी आप तो वाकई चाचा की तरह कविता लिख दि.....उडनतश्तरी जी आप तो वाकई चाचा की तरह कविता लिख दि.............Anonymousnoreply@blogger.com