tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post116603441796717276..comments2024-03-04T07:12:33.254-05:00Comments on उड़न तश्तरी ....: वाशिंगटन में उड़न तश्तरी भाग १Udan Tashtarihttp://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1166177279288095032006-12-15T05:07:00.000-05:002006-12-15T05:07:00.000-05:00कविताएं सुनी . बधाई स्वीकारें !कविताएं सुनी . बधाई स्वीकारें !Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1166177184231445982006-12-15T05:06:00.000-05:002006-12-15T05:06:00.000-05:00कविताएं सुनी . बधाई स्वीकारें !कविताएं सुनी . बधाई स्वीकारें !Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1166160888289670362006-12-15T00:34:00.000-05:002006-12-15T00:34:00.000-05:00पढने का अपना मज़ा जरूर है पर मन की आवाज़ नही होती..आ...पढने का अपना मज़ा जरूर है पर मन की आवाज़ नही होती..<BR/><BR/>आपकी कविताएँ आपकी वाणी में सुनना सचमुच में बहुत ही आनन्ददायक रहा। <BR/><BR/>अब तो यही आस है कि प्रत्यक्ष अहसास भी हो ही जाए।पंकज बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/05608176901081263248noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1166124625098178572006-12-14T14:30:00.000-05:002006-12-14T14:30:00.000-05:00वाह... आपकी ज़बरदस्त कविता सुनकर तो मैं यहाँ अपने ...वाह... आपकी ज़बरदस्त कविता सुनकर तो मैं यहाँ अपने कम्प्यूटर के सामने भी तालियाँ बजा रहा हूँ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1166116787442260692006-12-14T12:19:00.000-05:002006-12-14T12:19:00.000-05:00खैनी कभी न खाइए बिन ताली मारे आपकितना भी हो घिस चु...खैनी कभी न खाइए बिन ताली मारे आप<BR/>कितना भी हो घिस चुके भाता नहीं वो स्वाद <BR/>भाता नहीं वो स्वाद ताली करवाती सब काज <BR/>बच्चा हो या बड़ा कोई वो ताली का मोहताज<BR/> <BR/>भई वाह, ताली महिमा भा गई.. इसके बाद की कुंडलिया ''तुम्हीं हो कामना मेरी तुम्हीं हो आराधना मेरी'' पर तो कामना, आराधना, आशा वगैरह छा गई.. इनसे रिश्तों पर भी खूब तालियां बटोर गए समीर भाई.. बधाई हो..<BR/><BR/>वैसे हमें तो ''आफ़िस के गुर'' के गुर ज़्यादा पसंद आए हैं.. <BR/><BR/>मैनेजर से मत लीजिए कभी भी पंगा आप <BR/>ज़रा ज़रा सी बात पर वो दे देता है श्राप <BR/>बतलाया है गुर आपको अपने तक रखना बात<BR/>जीवन भर सजती रहे यूं ही मस्ती की बारात <BR/><BR/>समीर भाई, आपकी अन्य रचनाएं यूट्यूब के सौजन्य से सुनने मिल गई वो है ''प्रवासी की पीड़ा''...''बहुत खुश हूं फिर भी न जाने क्यूं'' और ''नेता जी महान हैं''..भी सुनी. यह हाईटेक तरीक़ा प्रशंसनीय है.. सुविधाजनक भी.. बड़े चाव से सुना जा सकने वाला माध्यम. भाव-भंगिमा जो देखने मिलती है... बधाई स्वीकार करें.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1166070483521758512006-12-13T23:28:00.000-05:002006-12-13T23:28:00.000-05:00आपसे साक्षात कविता सुनना, अद्भुत अनुभव रहा.खुब आनन...आपसे साक्षात कविता सुनना, अद्भुत अनुभव रहा.<BR/>खुब आनन्द लिया.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1166064665611352962006-12-13T21:51:00.000-05:002006-12-13T21:51:00.000-05:00कविताएं सुनी मैंने । भई वाह । मन को भा गईं । बधाई ...कविताएं सुनी मैंने । भई वाह । मन को भा गईं । बधाई हो । पर पोडकास्ट थोड़ा सही नहीं चलता है । ऐसा क्या नेट सर्विस वीक होने के कारण है ?Anonymousnoreply@blogger.com