tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post8685819965977183617..comments2024-03-04T07:12:33.254-05:00Comments on उड़न तश्तरी ....: चिट्ठाकारों के लिये गीता सारUdan Tashtarihttp://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comBlogger21125tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-76961377365910263122011-07-01T00:19:56.984-04:002011-07-01T00:19:56.984-04:00uff bhaiya jee...kitna sochte ho aap ham sab ke li...uff bhaiya jee...kitna sochte ho aap ham sab ke liye:Dमुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-61721089256653509032011-06-23T12:11:13.796-04:002011-06-23T12:11:13.796-04:00स्वामी समीरानंद जी को प्रणाम.
आज के सत्संग ने सां...स्वामी समीरानंद जी को प्रणाम.<br />आज के सत्संग ने सांसारिक चिटठा जगत की मोह-माया के बंधनों से मुक्त होने की प्रेरणा दी है.चिटठा लिखे जा,टिप्पणी की चिंता न कर.टिप्पणियां तो मृग-तृष्णा हैं,मिथ्या हैं.इनके चक्कर में भागेगा तो टीपते रह जायेगा.पोस्ट कब लिखेगा ? और जब पोस्ट ही नहीं लिख पायेगा तो टिप्पणियों की अभिलाषा कैसी ? वाह स्वामी जी,आँखें खोल दी आपने.अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-59616356949524826292011-06-23T04:11:22.637-04:002011-06-23T04:11:22.637-04:00बहुत बढ़िया गीता का सार है ...!!
अच्छा लगा...!!बहुत बढ़िया गीता का सार है ...!!<br />अच्छा लगा...!!Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-60567243399862801482011-06-23T02:02:25.110-04:002011-06-23T02:02:25.110-04:00जय हो प्रभु…………अद्भुत ज्ञान दिया है इससे तो सारे ब...जय हो प्रभु…………अद्भुत ज्ञान दिया है इससे तो सारे ब्लोगर्स का बेडापार ही समझो।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-53331361640874347382011-06-23T00:54:56.763-04:002011-06-23T00:54:56.763-04:00बहुत बढ़िया है सर!
सादरबहुत बढ़िया है सर!<br /><br />सादरYashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-34789556534858725482011-06-22T03:34:43.031-04:002011-06-22T03:34:43.031-04:00आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल २३-६ २०११ ...आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल २३-६ २०११ को यहाँ भी है <br /><br /><a href="http://nayi-purani-halchal.blogspot.com/" rel="nofollow">आज की नयी पुरानी हल चल - चिट्ठाकारों के लिए गीता सार </a>संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-91520199113413044212009-03-04T03:23:00.000-05:002009-03-04T03:23:00.000-05:00जोहार श्री श्री १००८ समीर जी महाराज को इस तुक्क्ष ...जोहार <BR/>श्री श्री १००८ समीर जी महाराज को इस तुक्क्ष से निम्न कोटि के चिट्ठाकार का प्रणाम स्वीकार हो , <BR/>गुरुवर हमने तो एक छोटा सा ब्लॉग सार ही लिखा है पर आपने तो पूरी गीता ही लिख डाली थी वो भी तीन वर्ष पहले जब हम इस जगत का नाम भी नहीं जानते थे . धन्य है प्रभु आप , आप की महिमा निराली है .<BR/><BR/>आपके चरणों में नतमस्तक <BR/>एक अबोध बालक <BR/>आलोकआलोक सिंहhttps://www.blogger.com/profile/00082633138533183604noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-14455997835917572962006-12-29T14:17:00.000-05:002006-12-29T14:17:00.000-05:00हे पार्थ! इस चिट्ठाजगत में जिन्हें तू समझ रहा है.....हे पार्थ! इस चिट्ठाजगत में जिन्हें तू समझ रहा है... वे तो बस तेरे हारे हुए प्रतिद्वंद्वी हैं. तू किस धर्मसंकट में है... त्याग दे लोकलाज... कूद पड़ चुनावी रण में... प्रचार कर अपना... बना अपने लिए वोटों का रन... जीत तेरी ही होगी.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-25103124359817239552006-12-26T12:33:00.000-05:002006-12-26T12:33:00.000-05:00चिट्ठावाधिकारस्ते मा टिप्पणी कदाचन
और
परित्राणाय ...चिट्ठावाधिकारस्ते मा टिप्पणी कदाचन<br /><br />और<br />परित्राणाय चिट्ठस्य क्रत्तिकायाय टिप्पणिम<br />चर्चास्थापनार्थाय संभवामि युगे युगेराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-20439853094640636892006-12-26T07:38:00.000-05:002006-12-26T07:38:00.000-05:00* लीतियेगा को पढे़ लिजियेगा। गलती के खेद है।* लीतियेगा को पढे़ लिजियेगा। गलती के खेद है।Pramendra Pratap Singhhttps://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-44107320220276889322006-12-26T07:36:00.000-05:002006-12-26T07:36:00.000-05:00मैने कुछ ज्यादा ही अन्यथा लखि दिया है कृपया अन्...मैने कुछ ज्यादा ही अन्यथा लखि दिया है कृपया अन्यथा मत लीतियेगाPramendra Pratap Singhhttps://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-15189212759280746752006-12-26T07:19:00.000-05:002006-12-26T07:19:00.000-05:00इस 'चिट्ठा-गीता' ने मन के दर्पण पर जम रही सारी धूल...इस 'चिट्ठा-गीता' ने मन के दर्पण पर जम रही सारी धूल पौंछ डाली . प्रवचन से समझ पाया कि यह 'चिट्ठा-जगत' आभासी है और 'चिट्ठा-जीवन' नश्वर . अपने चिट्ठे के प्रति माया-मोह के सारे बंधन कट गये . अब ज्ञान की मुक्तावस्था में विचरण कर रहा हूं . गुरु उड़नस्वामी को प्रणाम!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-28034327020886566552006-12-26T06:53:00.000-05:002006-12-26T06:53:00.000-05:00"जो टूल लिखने को इस्तेमाल करते हो, वो भी तुम्हारा ..."जो टूल लिखने को इस्तेमाल करते हो, वो भी तुम्हारा नहीं है .<br />आज तुम इस्तेमाल कर रहे हो, कल कोई और भी करेगा और परसों कोई और."<br /><br />ये वाला नियम कुछ लोगों पर फिट नहीं होता स्वामी जी। फोर एक्जाम्पल जब ई-स्वामी 'हग' टूल तथा देवेंद्र परख 'हिन्दीराइटर' प्रयोग कर रहे हों।<br /><br />धन्य हैं ऋषिवर चुनाव के कारण आजकर आपकी छ्टी-इंद्रियां जागृत होकर नई-नई चीजें खोज रही हैं। ;)Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-77254752231240582592006-12-26T06:32:00.000-05:002006-12-26T06:32:00.000-05:00"बिनु सत्संग विवेक ना होई।""बिनु सत्संग विवेक ना होई।"प्रेमलता पांडेhttps://www.blogger.com/profile/11901466646127537851noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-33739614984717817632006-12-26T02:04:00.000-05:002006-12-26T02:04:00.000-05:00गीता की नवीनतम व्याख्या के लिये श्री श्री श्री 0...गीता की नवीनतम व्याख्या के लिये श्री श्री श्री 007 समीर लाल जी महाराज के चरणो मे उनके भक्त श्री 420 प्रमेन्द्रानन्द के द्वारा उनके चरण कमलो मे उनके ज्ञान द्वारा एक तुच्छ व्यायाख्या........ <br /><br />तुम क्यो खडे हो किसके लिये खड़े हो।<br />यहॉं तुम्हारा कौन है। कभी खुद से चिन्तन किया कि कभी किसी को टिप्पणी की नही दूसरे से क्या अपेक्षा रखते है। कभी अपने घर का वोट पाया है, क्या तुम्हारी बात को तुम्हारे सगे सम्बन्धियों ने तुम्हारा सर्मथन किया है तो बीच बाजार आ कर वोट मागने खडे हो गये हो। अपने आप को देखो तुम्हे नही लगता कि अपनी कविताओं को सुना कर तुमने कितने अनगिनत पाप किये है। कितने अबोध विद्याथियों का श्राप (अपना तो लिख गये, और हमारे सिर पर मढ गये)तुम्हारे सिर उठाये हुये हो, उनके मुँह से निकली एक एक आह तुम्हे चैन से नही मरने देगी।Pramendra Pratap Singhhttps://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-44118239676016197182006-12-26T01:56:00.000-05:002006-12-26T01:56:00.000-05:00धन्यवाद प्रभू, आपने इस मोह माया से बचा लिया। वरना ...धन्यवाद प्रभू, आपने इस मोह माया से बचा लिया। वरना टिप्पणियां क्या हम तो पुरस्कार की भी उम्मीद रख रहे थे। अब यदि पुरस्कार न भी मिला तो आपकी यह पोस्ट मेरे समेत बहुतों के बहुत काम आयेगी :DAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-62659470153649695472006-12-26T01:06:00.000-05:002006-12-26T01:06:00.000-05:00वाह! ऐसे गीता सार तो और लिखे जाने चाहिएँ.वाह! ऐसे गीता सार तो और लिखे जाने चाहिएँ.रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-20857014230457720162006-12-26T00:03:00.000-05:002006-12-26T00:03:00.000-05:00सच कहा गुरूदेव.
हमें तो आज फिर से गीता की याद सता...सच कहा गुरूदेव.<br /><br />हमें तो आज फिर से गीता की याद सताने लगी है. आपको पता है क्या वो आजकल कहाँ है?<br /><br />कृपया अन्यथा न लें.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-75225730533904073302006-12-25T23:35:00.000-05:002006-12-25T23:35:00.000-05:00बहुत सही प्रभु, आपने तो सच्चे ज्ञान के दर्शन करा द...बहुत सही प्रभु, आपने तो सच्चे ज्ञान के दर्शन करा दिए। यह शरीर नश्वर है, ब्लॉग, टिप्पणी तो सब मोह माया है, इन सबसे ऊपर उठो, जागो, नया सवेरा तुम्हारा इन्तज़ार कर रहा है।<br /><br />जाते जाते, एक <a href="http://www.jitu.info/merapanna/?p=352">गीता सार </a> यहाँ भी।Jitendra Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/09573786385391773022noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-77696274873625767562006-12-25T22:50:00.000-05:002006-12-25T22:50:00.000-05:00धन्य है गुरूदेव आपने आँखे खोल दी. मैं मुरख-खलगामी ...धन्य है गुरूदेव आपने आँखे खोल दी. मैं मुरख-खलगामी खाँमखाँ टिप्पणीयों के पीछे अपने ब्लड-प्रेशर को ऊपर-नीचे करता रहा. <br />आपको साधूवाद देता हूँ जो आप चिट्ठाजगत में अवतरे. <br />महाराज ऐसे आनन्द दायक प्रवचन देते रहें, आत्मा प्रसन्न रहेगी.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-59056370512013818362006-12-25T22:42:00.000-05:002006-12-25T22:42:00.000-05:00प्रभु मै कृतज्ञ हुआ।
धर्मपथ पर चलते रहना ही नियती...प्रभु मै कृतज्ञ हुआ।<br /><br />धर्मपथ पर चलते रहना ही नियती है। बिना सोचे लिखते जाने से मेरा तात्पर्य है। क्या था, क्या है और क्या होगा, यह कौन जानता है? क्या पाया है क्या खोना है। सब हमारे हैं सबके हम हैं। सब चतुर हैं सब चंगे हैं। हमाम में सब नंगे हैं। <br /><br />हमें तो कर्तव्यपथ पर चलना है। <br />फल की आशा के बिना कर्म करना है। <br />मझदार में नैया भले डूब जाए।<br />हंसते हंसते भवसागर तरना है।<br /><br />जय हो ज्येष्ठ जय हो।पंकज बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/05608176901081263248noreply@blogger.com