tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post8666808233341235243..comments2024-03-04T07:12:33.254-05:00Comments on उड़न तश्तरी ....: संगत कीजे साधु की...Udan Tashtarihttp://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comBlogger19125tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-40058140515862550802007-01-06T19:11:00.000-05:002007-01-06T19:11:00.000-05:00indscribe भाईजान
बहुत शुक्रिया. हम तो आपकी गज़लों ...<b>indscribe भाईजान</b><br /><br />बहुत शुक्रिया. हम तो आपकी गज़लों के चयन के शुरु से ही कायल हैं.<br /><br /><br /><b>महावीर जी</b><br /><br />अरे, आपका तो आशिर्वाद ही हमारी लेखनी को सफल बनाता है. आपका मेरे ब्लाग तक आना ही मेरे लिये सौभाग्य है. ऐसा ही आशीष देते रहें.<br /><br /><br /><b>सृजन शिल्पी जी</b><br /><br />आप तो अंतर्यामी हैं. सब पहले ही जान गये. वादा रहा, लेखन उसी उत्साह से जारी रहेगा. बस आप अपना आवागमन बनाये रखें और उत्साहवर्धन करते रहें.<br /><br /><br /><b>अविनाश भाई</b><br /><br />शुभकामओं के लिये बहुत बहुत धन्यवाद.<br /><br /><br /><b>मनीष भाई</b><br /><br />बहुत बहुत धन्यवाद, मनीष भाई. आदेश का पालन होगा. :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-34970595229825587912007-01-06T18:57:00.000-05:002007-01-06T18:57:00.000-05:00तरुण भाई
आपने जयकारा लगाया तभी तय हो गया कि स्वर्ण...<b>तरुण भाई</b><br />आपने जयकारा लगाया तभी तय हो गया कि स्वर्ण कलम तो अब आ ही गया.<br />बहुत शुक्रिया और आगे भी जयकारा जारी रखें, बडा सिद्ध है, भाई.<br /><br /><b>आशीष भाई</b><br /><br />आप तो चिट्ठे पर आ जाते हैं, वो यूँ ही अमर हो जाता है. इसी तरह आवागमन जारी रखें. बहुत शुक्रिया.<br /><br /><b>संजय भाई</b><br /><br />बस उद्देश्य पूरा हुआ. कोशिश थी आप रात में हँसते हँसते सोयें मगर थोडी देर हो गई और आप कॉफी पीकर सो गये थे. चलिये सुबह ही सही. बहुत धन्यवाद हौसला अफजाई के लिये.<br /><br /><b>रत्ना जी</b><br /><br />आपने तो जो कहा वो कर भी दिया और आप अपना मत भी हमें ही दे आईं, ऐसा लगता है. बहुत बहुत आभार. ऐसे ही स्नेह बनाये रखें. और अब ज्यादा परेशान न हों, धीरे धीरे यह लेखन शुरु करने की देरी समय के साथ ही पुरानी हो जायेगी. :) :) वैसे भी शायद इसीलिये मुनीर साहब का कलाम मुझे बहुत पसंद है:<br />"हमेशा देर कर देता हूँ मैं........."<br />बहुत शुक्रिया.<br /><br /><b>गुमनाम मित्र</b><br /><br />आने को तो आज आ जायें, मगर जायेंगे कहाँ प्रवचन देने. कुछ नाम पता बता देते तो ठहरने और खाने की भी बंदोबस्ती हो जाती और मन निश्चिंत रहता इतनी लंबी यात्रा में. बहुत शुक्रिया निमंत्रण के लिये और पधारने के लिये. इंतजार लगवा दिया आपने.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-48040137508471569092007-01-06T18:43:00.000-05:002007-01-06T18:43:00.000-05:00जगदीश भाई
बस हास्य विनोद ही उद्देश्य भी था इस पोस...<b>जगदीश भाई</b><br /><br />बस हास्य विनोद ही उद्देश्य भी था इस पोस्ट का. आपने सफल कर दिया लिखना हँस करके. आपके स्नेह का आभारी हूँ.<br /><br /><b>राकेश भाई</b><br /><br />आपकी टिप्पणी ने चार चाँद लगा दिये इस पोस्ट पर. गुप्त सारों को जनहित में बताकर आपने पूरे ब्लाग जगत को लाभांवित किया है. सब नतमस्तक हैं. बहुत बहुत आभार. बस यही स्नेह मिलता र्हे. लेखनी चलती रहेगी, यह वादा है. :)<br /><br /><b>पंडित जी</b><br /><br />आप हमारे गुरुत्व को हमेशा ही धनी बनाते आये हैं, आपका स्नेह बनाये रखें.<br /><br /><b>उन्मुक्त जी</b><br /><br />यह आपका बड़प्पन है, जो आप ऐसा सोचते हैं. आपकी तारीफ से मनोबल बढ़ता है, कृप्या यूँ हीं मनोबल बढ़ाते रहें, आभार.<br /><br /><b>नीरज भाई</b><br /><br />अरे, आप तो बहुत बेहतरीन कुंडली रचते हैं, हमारी कुंड़ली की दुकान तो इसके आगे अब बंद ही समझो, जो आपने शुरु कर दी तो.. :)<br />बिल्कुल पूरे मूड में लिखी है, मगर प्रवचन के वक्त जरा हंसता कम हूँ, अब ले लो स्माईली :) :)<br />बहुत शुक्रिया.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-37387119660567879662007-01-06T09:52:00.000-05:002007-01-06T09:52:00.000-05:00जीत की हार्दिक बधाई ! इसी तरह अपनी लेखनी चलाते रहि...जीत की हार्दिक बधाई ! इसी तरह अपनी लेखनी चलाते रहिए , सफलता सदा आपके कदम चूमेंगी !Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-83578494973377269282007-01-05T15:06:00.000-05:002007-01-05T15:06:00.000-05:00कमाल है बंधु, ब्लाग व्यंग्य की जमीन भी तैयार करता ...कमाल है बंधु, ब्लाग व्यंग्य की जमीन भी तैयार करता है, आपने इसे साबित किया है. मेरी खूब-खूब शुभकामनाएंAvinash Dashttps://www.blogger.com/profile/17920509864269013971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-35286313504833638182007-01-05T07:30:00.000-05:002007-01-05T07:30:00.000-05:00यूँ तो चुनाव परिणामों की घोषणा रविवार, 7 जनवरी को ...यूँ तो चुनाव परिणामों की घोषणा रविवार, 7 जनवरी को की जाएगी, परंतु आप स्वर्ण पदक विजेता, वर्ष 2006 के सबसे उदीयमान चिट्ठाकार के रूप में मेरी बधाई अग्रिम रूप से स्वीकार कर लें। पूरी उम्मीद है कि इस पुरस्कार का वैसा कोई विपरीत असर चिट्ठा जगत में आपकी सक्रियता पर नहीं होगा, जैसा कि पूर्व में कुछ पुरस्कार विजेता चिट्ठाकारों पर हुआ था। :-)Srijan Shilpihttps://www.blogger.com/profile/09572653139404767167noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-43432931147558712972007-01-04T06:09:00.000-05:002007-01-04T06:09:00.000-05:00boh't umda likhte haiN aap...boh't umda likhte haiN aap...editorhttps://www.blogger.com/profile/17073543434209800940noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-3889951707391339372007-01-04T04:49:00.000-05:002007-01-04T04:49:00.000-05:00Guruji man prasan ho gaya, swarg ke anand prapt ho...Guruji man prasan ho gaya, swarg ke anand prapt ho gaye. <br />Aap india aakar bhakto ka uddhar karein.<br />It is like apne ghar ka deepak/chirag giving roshni to neighbor house.(Ref: Swadesh movie)Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-51316674635913021122007-01-03T23:51:00.000-05:002007-01-03T23:51:00.000-05:00समीर भाई,
चुनाव में तीन स्थान इसी...समीर भाई,<br /> चुनाव में तीन स्थान इसी लिए ऱखने पड़े क्योकि हर व्यक्ति जानता है कि प्रथम स्थान पर आपके इलावा कोई और हो ही नहीं सकता। कल्पना हो या यथार्थ, गद्य हो या पद्य आपकी कलम से निकले सुनहरी शब्दों की आभा में आपकी स्वर्ण कलम सदैव चमकती है। जब ईश्वर ने ही आपको इस नियामत से बक्शा है तो हम लोगों की क्या बिसात जो उसकी मंशा में टांग फंसाएं। रजत और कास्य के बीच झूलते हम शेष जन तो बस यह सोच कर हैरान परेशान है कि आप ने इतनी देर से सन् 2006 में ही लिखना शुरू क्यों कियाAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-32313801143359524062007-01-03T22:50:00.000-05:002007-01-03T22:50:00.000-05:00धन्य हो मुनिवर. सुबह सुबह खुब हँसाया. बहुत खुब. बह...धन्य हो मुनिवर. सुबह सुबह खुब हँसाया. बहुत खुब. बहुत खुब. बहुत खुब.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-34187396727046585102007-01-03T22:47:00.000-05:002007-01-03T22:47:00.000-05:00गुरु स्वामी समीरानंद की जय ! गुरु स्वामी समीरानंद ...गुरु स्वामी समीरानंद की जय ! गुरु स्वामी समीरानंद अमर रहे !३..बारAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-71707683857187082142007-01-03T21:49:00.000-05:002007-01-03T21:49:00.000-05:00स्वामी जी, इतना लंबा प्रवचन देंगे तो गद्दी तो पक्क...स्वामी जी, इतना लंबा प्रवचन देंगे तो गद्दी तो पक्की समझो.....हमने तो समीरानंद का जयकारा कब का लगा दिया था....धन्य कर दिया महाराज आज दर्शन देके भक्त को.....जय होAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-35092993868602267212007-01-03T20:49:00.000-05:002007-01-03T20:49:00.000-05:00समीरानन्द महाराज को सादर नमन,
न तो इस पोस्ट में, ...समीरानन्द महाराज को सादर नमन,<br /><br />न तो इस पोस्ट में, और न ही टिप्पणियों में स्माईली का प्रयोग किया गया है |<br />अर्थात समीरानन्द्जी विनोद के मूड में नहीं हैं |<br /><br />तरकश के घाट पर लगी चिट्ठाकारों की भीड,<br />समीरानन्द प्रवचन करें दुश्मन का बल क्षीण |<br />दुश्मन का बल क्षीण के अब तो सभी मौज मनावें,<br />ईस्वामी दस्तक उन्मुक्त आईना सब मिल गाना गावें |<br />कहे नीरज कविराय के भैया धन्य भाग्य हमारे,<br />ग्यान बांटने भक्तजनों को समीरानन्दजी पधारे |Neeraj Rohillahttps://www.blogger.com/profile/09102995063546810043noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-48277163110529029372007-01-03T20:25:00.000-05:002007-01-03T20:25:00.000-05:00वहां चाहे जितनी पर्चियां हों, कलम तो एक पर ही चलनी...वहां चाहे जितनी पर्चियां हों, कलम तो एक पर ही चलनी है वह है टोरोंटो से कोई चिट्ठाकार, जिसका नाम है समीरलाल। वह न केवल २००६ का, पर हिन्दी चिट्ठेकारों में सबसे श्रेष्ट है। जिसका गद्य और पद्य दोनो में कोई मुकाबला नहीं, उसका बात रखने का ढ़ंग अनूठा है। कड़वी से कड़वी बात इतनी सहजता और मिठास से रखता है कि कोई बुरा नहीं मान सकता। हर चिट्ठे पर पहुंच कर, प्रत्येक का मनोबल बढ़ाना जो बाखूबी से समझता हैउन्मुक्तhttps://www.blogger.com/profile/13491328318886369401noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-22452080123794365882007-01-03T18:57:00.000-05:002007-01-03T18:57:00.000-05:00परम आदरणीय, प्रात:स्मरणीय, पूज्यनीय, वंदनीय, आनंद ...परम आदरणीय, प्रात:स्मरणीय, पूज्यनीय, वंदनीय, आनंद दायक, सुखदायक, मंगलकारी,भवभयहारी श्री श्री एक करोड़ एक लाख एक हज़ार एक सौ आठ श्री श्री स्वामी समीरानंद जी महाराज को सादर नमन.<br /> <br />आपकी ज्ञानवर्धक हितोपदेशों की शब्दावलि हमारे चक्षुओं में एक दिव्य रोशनी भर कर अन्तर्मन को झंझोड़ कर कहने लगी कि बेटा उठ. इस संसार में सब नश्वर है. कुछ भी अगर शाश्वत है तो केवल तरकश और तरकश पर मौजूद बारह अवतार.<br /> <br />फिर उस शब्दावलि ने शौनकादि अट्ठासी हज़ार ॠषिओं को आशीर्वाद देते हुए कहा कि बारह में से नौ तो केवल मायाभ्रम हैं. उनकी ओर ध्यान मत दे. केवल तीन ही तो हैं जो त्रिमूर्ति की तरह तीनों लोकों में विद्यमान है. और तीनों का उद्गम तो एक ही है. एक ही शक्ति है जो विभिन्न रूपों में समय की पुकार के अनुसार चिट्ठाजगत में अवतरित होती है. जान ले कि न कोई पहले था, न है और न रहेगा. जो कुछ है शून्य है और इस शून्य को पार कराने का एकमात्र साधन है उड़न तश्तरी.<br /> <br />फिर सूतवचन की परिपाटी में दिव्य वाणी ने ्कहा सुन पुत्र. मैं तेरे हित में एक रहस्य प्रकाशित करने जा रहा हूँ जो कि देवों को भी दुर्लभ है. दुर्गा सप्तशती में वर्णित प्रधानिक रहस्यों से भी रहस्यमय और अनगिनत तिलस्मों के परे बारह तालों में बन्द यह रहस्य मैं तुझ पर अतिशय प्रेम के कारण प्रकाशित कर रहा हूँ<br /> <br />( हे मुनिश्रेष्ठ ! क्योंकि साधारण चिट्ठाकार आपके गूढ़ उपदेश को समझ [पाने में अक्षम हैं इसलिये मैं आपके दिव्य सन्देश में लीन गुप्त सारों को जनहित में बता रहा हूँ )<br /> <br />सुन ! जैसे आद्यशक्ति केवल एक ही है वैसे ही २००६ का सर्वश्रेष्ठ चिट्ठाकार होने का अधिकार तो केवल उड़नतश्तरी को ही है. इसी पर सवार होकर गीता ज्ञान से लेकर कुंडली जागरण और टिप्पणी का सही मार्ग प्राप्त कर सकता है. हां अब आगे की समझ अपने आप तलाश कर और बेझिझक और बेहिचक तरकश पर जाकर उड़न्तशतरी के हिस्से में स्व्र्णतीर चला आ. रजत और कांस्य के भ्रम में न पड़. उन्हें चाहे जिधर उठा कर रख दे,व्र पहुंचेंगे तो मेरे ही स्वरूपों पर.<br /> <br />हे महात्मने. आपकी दिव्य वाणी के सन्देशों की व्याख्या के लिये संभावनायें तो बहुत हैं परन्तु गॄहस्थी के झंझटों में पड़ा यह जीव इस वक्त तो विदा ही ले रहा है इस आशा के साथ कि आप भविष्य में भी हमें अपने अभूतपूर्व उपदेशों से गौरवान्वित करेंगे.<br /> <br />जय श्री हरे\इ. जय उड़नतश्तरी. जय श्री स्वामी समीरानंदराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-44890100435078947752007-01-03T17:51:00.000-05:002007-01-03T17:51:00.000-05:00स्वामी समीरानन्द की जय ! आपके आदेश का पालन होगा गु...स्वामी समीरानन्द की जय ! आपके आदेश का पालन होगा गुरुवर। :)Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-92030182598292514952007-01-03T13:01:00.000-05:002007-01-03T13:01:00.000-05:00वोट डालने जब मैं निकला हुई मुझे हैरानी
एक ओर स्वाम...वोट डालने जब मैं निकला हुई मुझे हैरानी<br />एक ओर स्वामीजी,दूजी ओर भाईजी नामी<br />एक लिये है लैपटाप तो एक सुरा की बोतल<br />आज मजे लो, अब चुनाव की बातें सोचेंगे कलराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-50850640192717602852007-01-03T13:00:00.000-05:002007-01-03T13:00:00.000-05:00वोट डालने जब मैं निकला हुई मुझे हैरानी
एक ओर स्वाम...वोट डालने जब मैं निकला हुई मुझे हैरानी<br />एक ओर स्वामीजी,दूजी ओर भाईजी नामी<br />एक लिये है लैपटाप तो एक सुरा की बोतल<br />आज मजे लो, अब चुनाव की बातें सोचेंगे कलराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-38694460959437414702007-01-03T12:15:00.000-05:002007-01-03T12:15:00.000-05:00गुरू समीरान्द जी की जय !!
बहुत हंसाया मालिक।
हंस ...गुरू समीरान्द जी की जय !!<br />बहुत हंसाया मालिक। <br />हंस हंस के पेट फूल गया । सच्च इतनी अच्छी पोस्ट पहले कभी नहीं देखी। वाह वाह !!! :DAnonymousnoreply@blogger.com