tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post8632202777131074586..comments2024-03-04T07:12:33.254-05:00Comments on उड़न तश्तरी ....: विल्स कार्ड पर उतरी बातेंUdan Tashtarihttp://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comBlogger77125tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-46368674101230359172010-07-09T10:39:33.024-04:002010-07-09T10:39:33.024-04:00पंकज उपाध्याय का आभार! उन्होंने बज़ की ये पोस्ट तभी...पंकज उपाध्याय का आभार! उन्होंने बज़ की ये पोस्ट तभी यहाँ तक पहुँचा। सुखद संयोग है कि आज ही विल्स कार्ड पर से उतरी ग़ुलाब की कविता पढ़ी, और आज ही आपकी बगिया के ग़ुलाबों की बज़।<br />आपके विल्स से उस वक़्त धुआँ होता होगा, अब तो ख़ुश्बू फैल रही है।<br />वैसे ये वक़्त कब का रहा होगा? 1987 में मैं भी मुम्बई में था…<br />आज मेरा बेटा वहाँ पढ़ रहा है।<br />प्रवास हम सबके जीवन चक्र से जुड़ा है…<br />मैंने सिगरेट आज तक कभी नहीं पी।<br />बस, नहीं पी। ख़रीदी बहुत बार, मेरे मामा पीते थे - और इसीलिए उस दौर की हर सिगरेट के ब्राण्ड, धुएँ और स्तर के बारे में जानकारी है। चारमीनार से लेकर मार्कोपोलो होते हुए हिन्द्सवार तक…Himanshu Mohanhttps://www.blogger.com/profile/16662169298950506955noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-68201030593327252982009-07-08T23:11:50.553-04:002009-07-08T23:11:50.553-04:00पुरानी बातों को याद करना अच्छा लगता है...
सुन्दर...पुरानी बातों को याद करना अच्छा लगता है...<br /><br /><br />सुन्दर कविताएँराजीव तनेजाhttps://www.blogger.com/profile/00683488495609747573noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-37897943170126265222009-06-28T17:54:17.602-04:002009-06-28T17:54:17.602-04:00वाह! हमारा तो आज भी यही ब्रांड है...छोड़ने का हम भ...वाह! हमारा तो आज भी यही ब्रांड है...छोड़ने का हम भी सोच रहे हैं अर्से से। <br />ग्राहक, मौत, और कविता कब आ जाये कोई भरोसा नहीं ।<br />सुबीर भाई ने जबर्दस्त बात कह दी। <br />पोस्ट का जवाब नही।<br />विल्सकार्ड तो इसका मतलब है क्रिस्टीज़ और सोथबीज़ में आपको करोड़पति बना ही देंगे...कब करा रहे हैं नीलामी?अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-80289962011535064362009-06-27T01:50:12.856-04:002009-06-27T01:50:12.856-04:00यादें...हाँ यादें.....बस यादेंयादें...हाँ यादें.....बस यादेंअनिल कान्तhttps://www.blogger.com/profile/12193317881098358725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-2381859673273647522009-05-18T12:58:00.000-04:002009-05-18T12:58:00.000-04:00समीर भाई
"विल्स कार्ड पर उतरी बातें "
पोस्ट की तीन...समीर भाई<br />"विल्स कार्ड पर उतरी बातें "<br />पोस्ट की तीनों क्षणिकाएँ हृदय स्पर्शी हैं. <br /> बधाई <br />- विजयविजय तिवारी " किसलय "https://www.blogger.com/profile/14892334297524350346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-56828471046523789162009-05-18T12:56:00.000-04:002009-05-18T12:56:00.000-04:00समीर भाई
"विल्स कार्ड पर उतरी बातें "
पोस्ट की तीन...समीर भाई<br />"विल्स कार्ड पर उतरी बातें "<br />पोस्ट की तीनों क्षणिकाएँ हृदय स्पर्शी हैं. <br /> बधाई <br />- विजयविजय तिवारी " किसलय "https://www.blogger.com/profile/14892334297524350346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-38952339445976626132009-05-17T12:25:00.000-04:002009-05-17T12:25:00.000-04:00Sir, First time visit kiya aapka blog...canada mei...Sir, First time visit kiya aapka blog...canada mein rahkar hindi se pyaar aur maharat bhi.....harbaar mera utsaah badhate hain aap .. bahut- bahut shukriya ......abhi theek se nahi padha.... kabhi fursat mein aapki post padhoongiप्रियाhttps://www.blogger.com/profile/04663779807108466146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-50842037218382097372009-05-17T10:32:00.000-04:002009-05-17T10:32:00.000-04:00आपका यह अंदाज लाजबाब रहा.आपका यह अंदाज लाजबाब रहा.राजेश स्वार्थीhttps://www.blogger.com/profile/07732542895868068961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-10624662687070822442009-05-17T04:41:00.000-04:002009-05-17T04:41:00.000-04:00समझता हूँ कि उन सिगरेट के कागजों पे लिखी अभिव्यक्त...समझता हूँ कि उन सिगरेट के कागजों पे लिखी अभिव्यक्तियों को मौलिक स्वरुप में ही पेश किया जाए। स्कैन कर के दाल दीजिये। क्यों यादों के साथ खाम्खाह छेड़ छाड़ करना चाहते हैं। मेरी तरफ़ से ४ पंक्तियाँ समर्पित हैं:<br /><br />सिगरेट के कुछ आवारा पन्ने<br />अपनी पहचान से पूरी तरह अनजान<br />फ़िर पड़ी किसे है, जिसकी गरज हो वो जाने<br />ख़ुद तो धुंए के खेल में लिपटे हैं<br />पर किसे मालूम कि बड़ी गहरियों में उतरेंगे एक दिन<br /><br />सिगरेट के वही कुछ गिने चुने पन्ने<br />थोड़े लापरवाह, काफी कुछ बेलगाम<br />गुजरे वक्त को सहजे हुए बिना किसी खुदगर्जी के<br />वो तो वक्त के साथ ही थम गए थे,<br />ये तो हम तुम हैं जिन्हें पड़ी है वक्त से आगे जाने की<br /><br />और जब कभी आराम के पलों में याद आए<br />पीछे छूटी अनगिनत अनमोल घड़ियों की<br />तो फ़िर ढूँढने पड़ते हैं वही<br />सिगरेट के बेकदर, इधर उधर ठोकर खाते पन्ने<br />किस्मत अच्छी कि कुछ अभी भी सलामत है<br />नही तो वक्त ने अच्छे अच्छों को धूल चटाया है<br />कुछ के निशान बाकी हैं तो कईओं को पूरा मिटाया है<br /><br />चलो, दिन अच्छा है कि फ़िर याद कर रहे हैं हम और आप<br />अनजाने में ज़िन्दगी का हिस्सा बन गए वो सिगरेट के कुछ पन्नेRakesh Mishrahttps://www.blogger.com/profile/14484865662172236126noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-83359378142443298532009-05-17T04:01:00.000-04:002009-05-17T04:01:00.000-04:00यदि आपने उन सिगरेट की डिब्बों को फेंक दिया होता तो...यदि आपने उन सिगरेट की डिब्बों को फेंक दिया होता तो इन उत्कृष्ट पंक्तियों को पढने से हम वंचित रह जाते.hem pandeyhttps://www.blogger.com/profile/08880733877178535586noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-4352660725426715482009-05-16T13:57:00.000-04:002009-05-16T13:57:00.000-04:00'काश!! आँसूओं की बारिश से बचने का कोई छाता होता'
...'काश!! आँसूओं की बारिश से बचने का कोई छाता होता'<br /><br />waah!yah jabardast punch line hai!<br /><br />Gazab ki bhaavabhivyakti thi un dino bhi Sir..<br /><br />bahut achchee lagin sabhi rachnayen!Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-24539722627018919412009-05-16T07:14:00.000-04:002009-05-16T07:14:00.000-04:00खूबसूरत!खूबसूरत!Waterfoxhttps://www.blogger.com/profile/04083355344717381265noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-74274879804792116532009-05-16T06:59:00.000-04:002009-05-16T06:59:00.000-04:00Thanks for comment
i want to be perfact bloger
का...Thanks for comment<br />i want to be perfact bloger<br /><br />कांटों पर ही<br />खिलते हैं...<br />गुलाब !!<br /><br />कितने सुन्दर होते हैं न...<br />गुलाब!!!<br />in panktiyon ke saath pooree post achchhee hai badhaaiyanस्ट्रक्चरhttps://www.blogger.com/profile/01411341052621694683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-33325747793511910652009-05-16T00:56:00.000-04:002009-05-16T00:56:00.000-04:00आपने इस बीते पल को फिर से याद किया,
इस शौकिया-ए...आपने इस बीते पल को फिर से याद किया, <br />इस शौकिया-ए-दिल को तहे दिल से शुक्रिया. <br /><br />सिगरेट की डिब्बे पर भी,आपने कविताएँ लिखी,<br />सच मे बड़े ही अनोखे अंदाज है,आपके लेखनी के.विनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-46634551613463278352009-05-15T12:31:00.000-04:002009-05-15T12:31:00.000-04:00आपने संजीदा कर दिया था और अरविन्द मिश्रा जी की टि...आपने संजीदा कर दिया था और अरविन्द मिश्रा जी की टिप्पणी पढ़ मुस्कराहट तैर गयी ...!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-73570570707365023982009-05-15T12:24:00.000-04:002009-05-15T12:24:00.000-04:00पत्थर!!
न हँसते हैं
न रोते हैं...
मौन
बस!!
मौ...पत्थर!!<br /><br />न हँसते हैं<br /><br />न रोते हैं...<br /><br />मौन<br /><br />बस!!<br /><br />मौन रहकर<br /><br />सारी ठोकरें <br /><br />और अपमान<br /><br />सहते हैं...<br /><br />इसीलिये शायद!!<br /><br />सजाकर उन्हें<br /><br />हम<br /><br />भगवान<br /><br />कहते हैं!!<br /><br />बहुत अच्छी नज़्म ....अंतिम वाली भी अच्छी लगी ...और एक बात पहली बार जाना आप कितने संवेदनशील हैं ..... !!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-66080027409355889432009-05-15T06:30:00.000-04:002009-05-15T06:30:00.000-04:00"आँसू
अमृत की बूंदें
इन्हें मैं रोकता नहीं...
तुम..."आँसू<br />अमृत की बूंदें<br /><br />इन्हें मैं रोकता नहीं...<br />तुम भी मत रोकना."<br />बहुत सुंदर रचनाएँ हैं....<br />मेरा नया ब्लाग जो बनारस के रचनाकारों पर आधारित है,जरूर देंखे...<br />www.kaviaurkavita.blogspot.comप्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' https://www.blogger.com/profile/03784076664306549913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-84904978570702228282009-05-15T05:40:00.000-04:002009-05-15T05:40:00.000-04:00इसे कहते हैं, असली 'विल्स पॉवर.'
भैया, वे सारे वि...इसे कहते हैं, असली 'विल्स पॉवर.'<br /><br />भैया, वे सारे विल्स कार्ड छापिये, जिनपर लेखा/कविता के लेखक का नाम समीर लाल 'प्रेमी' है......:-)<br /><br />बहुत बढ़िया पोस्ट लगी.Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-91516046281032608112009-05-15T05:28:00.000-04:002009-05-15T05:28:00.000-04:00agar ham likhe is post ko to uska Title hoga "Gold...agar ham likhe is post ko to uska Title hoga "Gold Flake Card par utri baaten".. :)PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-35542285960881314422009-05-15T04:48:00.000-04:002009-05-15T04:48:00.000-04:00अक्सर कवियों के साथ ऐसा होता है। लेकिन अगर डॉट पेन...अक्सर कवियों के साथ ऐसा होता है। लेकिन अगर डॉट पेन रखते, तो ये परेशानी न होती।<br /><br /><A HREF="http://alizakir.blogspot.com/" REL="nofollow">-Zakir Ali ‘Rajnish’</A> <br /><A HREF="http://tasliim.blogspot.com/" REL="nofollow">{ Secretary-TSALIIM </A><A HREF="http://sciblogindia.blogspot.com/" REL="nofollow">& SBAI }</A>Science Bloggers Associationhttps://www.blogger.com/profile/11209193571602615574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-22394567647321982262009-05-15T03:00:00.000-04:002009-05-15T03:00:00.000-04:00likhne ki aadat aur khyaali sigreti duniya
ka kahn...likhne ki aadat aur khyaali sigreti duniya<br />ka kahna hi kyaG M Rajeshhttps://www.blogger.com/profile/03964085330432048085noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-74751498908605500202009-05-15T00:17:00.000-04:002009-05-15T00:17:00.000-04:00"-काश!! आँसूओं की बारिश से बचने का कोई छाता होता."..."-काश!! आँसूओं की बारिश से बचने का कोई छाता होता."<br />बचने के बारे में क्यों सोच रहे हैं, समीरलाल "प्रेमी" का "विल्स कार्ड" तो खुद ही कह रहा है कि...<br />आँसू<br />अमृत की बूंदें<br /><br />इन्हें मैं रोकता नहीं...<br />तुम भी मत रोकना.<br /><br />सींचना इनसे<br />अपने दुखों की बगिया को..<br /><br />जानती हो..<br /><br />कांटों पर ही<br />खिलते हैं...<br />गुलाब !!<br /><br />कितने सुन्दर होते हैं न...<br />गुलाब!!!<br /><br />अनूप शुक्ल जी ने अपनी टिप्पणी में कहा कि <br />"इसीलिये कहा गया है सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है। पहले दिल जलाती है फ़िर कागज भिगाती है।"<br /><br />इसे मैं यूँ कहूँगा कि <br />सिगरेट पहले ललचाती है,<br />स्टाइल का बोध करती है,<br />हर कश में हर मंजर दिखलाती है<br />धीरे-धीरे आदत डलवाती है,<br />फिर मचलवाती है,<br />अपने विना जीना दूभर बनाती है,<br />डाक्टर के पास ले जाती है<br />डाक्टर सिगरेट पीने को पाबन्द करता है<br />डाक्टर को ये दुश्मन वन समझाता है.<br />और एक दिन ..................<br />जैसे इसे सुलगाया था <br />वैसे ही असमय कोई हमें भी सुलगा रहा होगा.......<br />तब न बारिश काम आयेगी,<br />न विल्स कार्ड .<br /><br />खैर ये सन्देश आपके लिए नहीं क्योंकि आपने ज्ञान प्राप्त कर इसका परित्याग कर दिया. अब जब आपने सिगरेट का परीत्याग कर ही दिया तो विल्स कार्ड के पत्ते खलने में कोई ऐतराज़ नहीं क्योंकि जहाँ ये वधानिक चेतावनी "सिगरेट स्वाथ्य के लिए हानिकारक है " का बोध करायेगी वहीं आपके गुजरे ज़माने की सोंच के दर्शन भी करायेगी, तभी तो हमें पता चलेगा कि "प्रेमी" और "उड़न तश्तरी' में क्या अंतर है, वैसे जो थोडा बहुत किताबी ज्ञान कहता है वह यह कि प्रेमी चिपकू और उड़नतश्तरी बहता पानी जो कहीं एक जगह ठहरता ही नहीं...............<br /><br />टिप्पणी ज्यादा लम्बी हो गई सो अब रुकता हूँ .<br /><br />चन्द्र मोहन गुप्तMumukshh Ki Rachanainhttps://www.blogger.com/profile/11100744427595711291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-79837162459788891682009-05-14T23:00:00.000-04:002009-05-14T23:00:00.000-04:00ज़रा सोच कर तो देखिये कि ये विल्स की सिगरेट ना होती...ज़रा सोच कर तो देखिये कि ये विल्स की सिगरेट ना होती तो आप कहाँ होते....और एक बात बताऊँ....इस समय आपने लिखा भी बहुत ही अच्छा है....बहुत ही भावपूर्ण....मगर हमें कोफ्त इस बात पर हो रही है कि हाय हम भी सिगरेट क्यूँ नहीं पीते.....दारू भी पीते तो उसकी बोतल पर कुछ पंक्तियाँ लिख ही मारते.....!!राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ )https://www.blogger.com/profile/07142399482899589367noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-42057367811929022312009-05-14T22:30:00.000-04:002009-05-14T22:30:00.000-04:00जवाब हैं कई, पर आपका जवाब नहीं
तो कहिये क्यूं ना क...जवाब हैं कई, पर आपका जवाब नहीं<br />तो कहिये क्यूं ना कहें ? आप लाजवाब नहींबवालhttps://www.blogger.com/profile/11131413539138594941noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-64733970002789308792009-05-14T22:14:00.000-04:002009-05-14T22:14:00.000-04:00Adarneeya Sameer ji,
apkee ye kavitayen man ko ch...Adarneeya Sameer ji,<br /><br />apkee ye kavitayen man ko chhoo gayeen.aur yah bhee pata chala ki rachnayen karne ke liye kisi vishesh kagaj kee jaroorat naheen hotee ...man men bhav ..vichaar aa jaye, to inhen aap kaheen bhee abhivyakti de sakte hain.<br />Shubhkamnaon ke sath.<br />Poonamपूनम श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09864127183201263925noreply@blogger.com