tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post8032176898482752534..comments2024-03-04T07:12:33.254-05:00Comments on उड़न तश्तरी ....: मरघट से....राजू भाईUdan Tashtarihttp://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comBlogger34125tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-23422565735536166202007-07-08T22:52:00.000-04:002007-07-08T22:52:00.000-04:00अभिषेकआभार,पसंद किया. अब हंस ही लो, कम मौके लगते ह...<B>अभिषेक</B><BR/><BR/>आभार,पसंद किया. अब हंस ही लो, कम मौके लगते हैं आज के जमाने में हंसने के.<BR/><BR/><B>अरविन्द भाई</B><BR/><BR/>प्रायोजित भी मानो, तो ठीक. कुछ कमाई का जुगाड बविष्य में हो जायेगा. और लोग भी तो प्रायोजिअ करवायेंगे हमसे. आपकी बात का कैसे बुरा मान सकते हैं भाई वो भी दो पेग के बाद. :)<BR/><BR/>आभार, आपने रचना पसंद की.<BR/><BR/><B>द्वियाभ भाई</B><BR/>आप आ जाते हैं तो शैली काम कर जाती है. आते रहें, आभार.<BR/><BR/><B>ममता जी</B><BR/>जी, मैं पूर्णतः आपसे सहमत हूँ. आने का आभार.<BR/><BR/><B>संजय भाई</B><BR/>अरे, आप और गलत-कतई नहीं. सच कहा आपने. और पधारने के लिये आभार.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-86041309063121632512007-07-08T22:51:00.001-04:002007-07-08T22:51:00.001-04:00पंकजआभार...आपने लेखनी को सराहा!!मिश्र जीसंदेह न कर...<B>पंकज</B><BR/><BR/>आभार...आपने लेखनी को सराहा!!<BR/><BR/><B>मिश्र जी</B><BR/>संदेह न करो मित्र. इसमें गल्ती राजू भाई की है, लिखे तो हमहिं हैं.<BR/><BR/><B>महावीर जी</B><BR/><BR/>मिलवाये देता हूँ आपको मगर सच में, जेब खाली करके ही आईयेगा. बस यूँ ही आशीर्वाद दे दें. :)<BR/><BR/><B>खालिद</B><BR/><BR/>बहुत समझदार हो भाई!!<BR/><BR/><B>अनूप भाई</B><BR/><BR/>आभार. सच कह रहे हैं राजू भाई हर तरफ छाये हैं.<BR/><BR/><B>विनोद भाई</B><BR/><BR/>आभार, आपने पसंद किया यह चित्रण. आते रहिये.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-83263640948842315082007-07-08T22:51:00.000-04:002007-07-08T22:51:00.000-04:00अमित:) छपा तो उड़न तश्तरी पर ही है, मगर ये राजू भाई...<B>अमित</B><BR/>:) छपा तो उड़न तश्तरी पर ही है, मगर ये राजू भाई भी न!! जो न करवा दें. :)<BR/><BR/><B>श्रीश भाई</B><BR/><BR/>बात करता हूँ. अपने आदमी हैं, सेटिंग लगवा देंगे.<BR/><BR/><B>डॉक्टर साहब</B><BR/><BR/>देखिये, बन जाये तो आना काम तो बना ही समझो. :)<BR/><BR/><B>यूनुस भाई</B><BR/>अरे, तो दमोह जबलपुर तो एक ही है.मुकेश नायक से पूछ लो या रत्नेश सालोमन से-दोनों जगह को एक ही बतायेंगे और तो और जयंत मलैया भी यही कहेंगे. :) तो हम तो दोनों को एक ही माने बैठे हैं. :) दोनो जगह के लोगों मे स्क्रू ही बनते हैं, हा हा!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-54686114395378783772007-07-08T22:50:00.001-04:002007-07-08T22:50:00.001-04:00ज्ञानदत्त जीआर.डी.ई.एम.अस. का बिजनेस प्लान बना लेत...<B>ज्ञानदत्त जी</B><BR/><BR/>आर.डी.ई.एम.अस. का बिजनेस प्लान बना लेते हैं. शायद चल ही निकले. ट्राई करने में कोई बुराई नहीं है. :) आभार, आईडिया देने के लिये.<BR/><BR/><BR/><B>नीरज</B><BR/><BR/>चलो, तुम्हारे मन माफिक पोस्ट निकल गई, यह ठीक रहा. आते रहो, लिखते रहेंगे.<BR/><BR/><BR/><B>रंजू जी</B><BR/>हम भी कह देते हैं-हरि ओम!!! आभार तारीफ के लिये.<BR/><BR/><B>मनीष भाई</B><BR/>अरे, उनके एक से एक कमाल हैं. :) कभी और किस्से सुनाये जायेंगे जैसे कि उनका शादी अभियान.<BR/><BR/><B>चंद्रभूषण जी</B><BR/>बात तो आप सही कह रहे हैं. मौलिक रचना ही सुनाते थे बतौर रिहर्सल. :)<BR/>सच यह भी है कि यह समाज के जरुरी अंग हैं. बस सबकी दोहन क्षमतायें अलग अलग हैं. :) आभार आप पधारे. जारी रखें, अच्छा लगेगा.<BR/><BR/><B>संजीत</B><BR/>बहुत आभार!!! :) अरे, तुम्हारी वो तस्वीर-जबरदस्ती अलग की, कितना फबता तो था कुर्ता पैजामा सपेद विथ ब्लैक ग्लासेस...एक दम राजू भाई की कॉपी. मगर तुम तो हमारे शिष्य हो.. :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-19497049654084477872007-07-08T22:50:00.000-04:002007-07-08T22:50:00.000-04:00राकेश भाईबहुत आभार. स्नेह जारी रखें. :)अरुणराजू की...<B>राकेश भाई</B><BR/><BR/>बहुत आभार. स्नेह जारी रखें. :)<BR/><BR/><B>अरुण</B><BR/><BR/>राजू की तरफ से पंगेबाज का संदेशा-यह लो पावती. :)<BR/><BR/><B>सुजाता जी</B><BR/><BR/>साधुवाद-आपने दैविक उर्जा प्राप्त की, हम सबका ही भला होगा. :)<BR/><BR/><B>मसीजिवी भाई</B><BR/><BR/>पता करवाता हूँ पुन:. मैं भी सोचता था कि एम एम एम का बंदा लगता है इसीलिये तो बी.ए. को विवादित कहा और "भी" इसलिये कि उनकी पूरी शख्सियत ही विवादित थी मय उनके कवि होने के. :)<BR/><BR/><B>राजीव भाई</B><BR/><BR/>बहुत आभार. ऐसे ही हौसला बढ़ाते रहें.<BR/><BR/><B>संजीव भाई</B><BR/><BR/>आभार-आपसे हौसला मिलता है कि नये नये स्थलों पर कुछ तलाशा जाये.<BR/><BR/><B>आलोक भाई</B><BR/><BR/>ड्राफ्ट तो मिल गया. वो रख लेते हैं मगर ठेके के एवज में नहीं, दान दक्षिणा के हिसाब से. :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-28917484023311044752007-07-08T15:20:00.000-04:002007-07-08T15:20:00.000-04:00हम सब किसी न किसी रूप में राजू हैं. क्यों जी गलत ब...हम सब किसी न किसी रूप में राजू हैं. क्यों जी गलत बात बोलता हूं?Sanjay Tiwarihttps://www.blogger.com/profile/13133958816717392537noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-82607846072747272052007-07-08T07:04:00.000-04:002007-07-08T07:04:00.000-04:00आपने राजू भाई का बिल्कुल सही चित्रण किया है और ऐसे...आपने राजू भाई का बिल्कुल सही चित्रण किया है और ऐसे लोग हर जगह देखे जा सकते है।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-41823694124968570362007-07-07T13:48:00.000-04:002007-07-07T13:48:00.000-04:00समीर भाई,आपकी शैली अद्भुत है इसकारण इतना प्यार भी ...समीर भाई,<BR/>आपकी शैली अद्भुत है इसकारण इतना प्यार भी आप बटोरते है… व्यंग भी हुआ और पता भी नहीं चला की कुछ कहा भी है यही तो लेखनी की विशेषता है…।Divine Indiahttps://www.blogger.com/profile/14469712797997282405noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-4860630310846094152007-07-07T08:49:00.000-04:002007-07-07T08:49:00.000-04:00आइये शक़ करें. यह पोस्ट समीर भाई की निजी पोस्ट है ....आइये शक़ करें. यह पोस्ट समीर भाई की निजी पोस्ट है ..या राजु भाई द्वारा प्रयोजित है. हमें वैसे तो शक़ करने का कोई कारण नही है, परंतु कभी कभी शक़ करना ही पड़ता है.<BR/>हमें पता है शक़ करने पर समीर भाई बुरा भी मान सकते है. कोइ बात नही ,बुरा मानेंगे तो दो पेग ज्यादा पीयेंगे..हमारा क्या कर लेंगे ..?<BR/><BR/>राजे भाई नाम के जिस करेक्टर की बात समीर भई ने की है, साफ है कि बन्दा बहुत जुगाड़ू है. अपना नाम देश विदेश में पहुंचाना चाहता है और यह भी जानता है कि समीर भाई यदि अपने चिट्ठे पर लिख मारेंगे तो बस समझो हो गया काम.<BR/><BR/>अब यह भी बताओ समीर भई कि ये प्रयोजित सौदा कितने में पटा ? <BR/><BR/>( विज्ञापन अच्छा था , यह बताने की भी जरूरत है क्या ?)डा.अरविन्द चतुर्वेदी Dr.Arvind Chaturvedihttps://www.blogger.com/profile/01678807832082770534noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-3669363290177595702007-07-07T03:05:00.000-04:002007-07-07T03:05:00.000-04:00इसे पढने के बाद समझ नहीं आ रहा हसूं या सोचूँ कि ऐस...इसे पढने के बाद समझ नहीं आ रहा हसूं या सोचूँ कि ऐसे कितने राजू भाई हमारे आस पास बैठे होंगे!<BR/>समीर भैया इतने अच्छे लेख के लिए बहुत बधाई।Waterfoxhttps://www.blogger.com/profile/04083355344717381265noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-90345752075971424002007-07-06T14:01:00.000-04:002007-07-06T14:01:00.000-04:00राजू भाई जॆसे तथाकथित समाज सेवी,कवि व मॆनेजमॆंट गु...राजू भाई जॆसे तथाकथित समाज सेवी,कवि व मॆनेजमॆंट गुरु आज भी हमारे आस-पास ही मिल जायेंगे.बडा ही सटीक चित्रण किय़ा हॆ आपने.विनोद पाराशरhttps://www.blogger.com/profile/16819797286803397393noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-18423316405242874482007-07-06T13:55:00.000-04:002007-07-06T13:55:00.000-04:00राजू भाई जॆसे तथाकथित समाज सेवी,कवि व मॆनेजमॆंट गु...राजू भाई जॆसे तथाकथित समाज सेवी,कवि व मॆनेजमॆंट गुरु आज भी हमारे आस-पास ही मिल जायेंगे.बडा ही सटीक चित्रण किय़ा हॆ आपने.विनोद पाराशरhttps://www.blogger.com/profile/16819797286803397393noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-37837572902823236272007-07-05T21:48:00.000-04:002007-07-05T21:48:00.000-04:00आजकल हर तरफ़ इवेंट मैनेजरों की धूम है। यह तो बहुत छ...आजकल हर तरफ़ इवेंट मैनेजरों की धूम है। यह तो बहुत छोटे लेवेल के मैनेजर हैं। लोग तो दुनिया को ठीक करने की मैनेजरी कर रहे हैं। कोई किसी को सभ्य बना रहा है, कोई किसी को लोकतांत्रिक बना रहा है कोई किसी को अधुनिक। राजू भैया हर तरफ़ छाये हैं। :)Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-78752837773700427222007-07-05T13:43:00.000-04:002007-07-05T13:43:00.000-04:00राजू भाई तो जो करते रहे हों उनका तो पता नहीं, मगर ...राजू भाई तो जो करते रहे हों उनका तो पता नहीं, मगर उनका नाम लगाकर आप जरुर अपनी चार लाईनें सुना गये:<BR/><B><BR/>आसमां अमृत गिराता, आज अपनी आँख से<BR/>पुष्प खुद गिर समर्पित, आज अपनी शाख से<BR/>आप सा व्यक्तित्व नहीं, कोई भी दूजा है यहाँ<BR/>आपका आना हुआ था, इस धरा के भाग* से<BR/></B><BR/>* भाग=भाग्य<BR/><BR/>गुरु आत्मा आप भी कम नहीं हो. :)<BR/>(खालिद)Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-77873114693853765522007-07-05T13:06:00.000-04:002007-07-05T13:06:00.000-04:00बहुत ही उत्कंठा हो रही है राजू भाई से साक्षात रूप ...बहुत ही उत्कंठा हो रही है राजू भाई से साक्षात रूप से मिलने की! लेकिन पहले जरूर बता देना जिससे मैं अपनी जेब पहले ही खाली कर के आऊं।<BR/>बहुत ही मजा आया पढ़ कर।महावीरhttps://www.blogger.com/profile/00859697755955147456noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-83896481591252509322007-07-05T12:55:00.000-04:002007-07-05T12:55:00.000-04:00समीर जी ये तो कुछ अलग ही शैली लगी। संदेह करने की आ...समीर जी ये तो कुछ अलग ही शैली लगी। संदेह करने की आशंका लगती है :)।RC Mishrahttps://www.blogger.com/profile/06785139648164218509noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-41811581174936263462007-07-05T10:46:00.000-04:002007-07-05T10:46:00.000-04:00राजुभाई निसन्देह एक बहुत अच्छे इंसान हैं. वे सबका ...राजुभाई निसन्देह एक बहुत अच्छे इंसान हैं. वे सबका ख्याल रखते हैं, पिछले दिनों जब मै उनसे न्यू यॉर्क में मिला था तो मैं उनसे इतना प्रभावित हुआ कि इंडिया हाउस में मै पार्टी देने से खुद को रो क नही पाया. खैर उनके आगे तो यह कुछ भी नही. <BR/><BR/>सिंगापुर में उनके साथ कॉफी पीते समय भी यही सोच रहा था कि यह आदमी कितना भला है. वाह!! <BR/><BR/>साधुवाद. आपका धन्यवाद महोदय श्री राजु भाई के बारे में लिखने के लिए.पंकज बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/05608176901081263248noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-36375260966311720752007-07-05T10:11:00.000-04:002007-07-05T10:11:00.000-04:00आपके लिखे से जबलईपुर की याद आ गयी । ऐसे लोग जबलईपु...आपके लिखे से जबलईपुर की याद आ गयी । <BR/>ऐसे लोग जबलईपुर के ही हो सकते हैं । <BR/>कहते हैं कि खालिस जबलपुरिया के सिर में कील ठोंको तो वो स्क्रू बनकर निकलेगी । <BR/>पर आपको बता दें समीर भाई के अपन दमोह के हैं जबलपुर के नईं ।Yunus Khanhttps://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-28679239321155411462007-07-05T09:08:00.000-04:002007-07-05T09:08:00.000-04:00एक दिन अवशय यह राजू नेता ही बनेगा :)एक दिन अवशय यह राजू नेता ही बनेगा :)Dr Prabhat Tandonhttps://www.blogger.com/profile/14781869148419299813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-54727428035851761212007-07-05T09:00:00.000-04:002007-07-05T09:00:00.000-04:00ये राजू भाई इस काम की ट्रेनिंग देते हों तो जरा हमा...ये राजू भाई इस काम की ट्रेनिंग देते हों तो जरा हमारी उनके पास ट्यूशन रखवा दीजिए न।ePandithttps://www.blogger.com/profile/15264688244278112743noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-69853745449691376942007-07-05T08:53:00.000-04:002007-07-05T08:53:00.000-04:00हुम्म, लगा नहीं कि उड़तश्तरी पर छपा है, थोड़ा हट के ...हुम्म, लगा नहीं कि उड़तश्तरी पर छपा है, थोड़ा हट के है। :)Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-34526122057716452152007-07-05T04:22:00.000-04:002007-07-05T04:22:00.000-04:00उड़नतश्तरी से टपकी एक खालिस उड़नतश्तरीनुमा रचना!!इ र...उड़नतश्तरी से टपकी एक खालिस उड़नतश्तरीनुमा रचना!!<BR/><BR/>इ राजू भाई का हुलिया पढ़कर एहसास हुआ कि अपन ने अपनी सफ़ेद कुर्ता और काला चश्मा वाली फोटू हटा के ठीक ही किया नई तो गुरु का कोई भरोसा नई कि…………Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-79565007124806107692007-07-05T04:14:00.000-04:002007-07-05T04:14:00.000-04:00प्यारे भाई, अपने राजू भाई के यहां मुक्तकों की मौलि...प्यारे भाई, अपने राजू भाई के यहां मुक्तकों की मौलिकता तो है, भले ही वे इनका कुठांव इस्तेमाल करते हों। यहां अपने संस्थान में मेरा वास्ता अक्सर एक शायर नुमा सज्जन से पड़ता है जो हर खुशी-गमी के मौके पर दूसरों के शेर, वह भी बहुत जाने-पहचाने, इस बेरहमी से ठेलते हैं कि श्रद्धांजलि के समय हाथ बांधकर सिर झुकाए खड़े लोग भी फिस-फिस हंस देते हैं। बहरहाल, मिले मौके की आंत तक दुह लेने वाली ऐसी ही प्रतिभाओं के बल पर यह दुनिया कायम है...चंद्रभूषणhttps://www.blogger.com/profile/11191795645421335349noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-35052217578271735202007-07-05T02:27:00.000-04:002007-07-05T02:27:00.000-04:00वाह ! आपके राजू भाई तो कमाल की चीज निकले!वाह ! आपके राजू भाई तो कमाल की चीज निकले!Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-57887833881213838702007-07-05T02:21:00.000-04:002007-07-05T02:21:00.000-04:00पढ़ के समीर जी हमारे मूह से सिर्फ़ एक शब्द निकला ह...पढ़ के समीर जी हमारे मूह से सिर्फ़ एक शब्द निकला हरि ओम हरि ओम:) बहुत अच्छा लिखते हैं आप कोई शक़ नही इस बात में :)रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.com