tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post7467517746113778245..comments2024-03-04T07:12:33.254-05:00Comments on उड़न तश्तरी ....: इश्क का टमटमUdan Tashtarihttp://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comBlogger27125tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-7799098433316792852007-07-30T07:12:00.000-04:002007-07-30T07:12:00.000-04:00हँसने में भी उसके , पायल सी खनकती थीउसी राग में गा...हँसने में भी उसके , पायल सी खनकती थी<BR/>उसी राग में गाते थे, उसी राग में लिखते थे.<BR/><BR/>अब भी तो उसी राग में ही जीं रहे हैं... यह राग न होँ तो जीवन कैसाAnil Aryahttps://www.blogger.com/profile/14108322173036444861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-42463119987753231842007-07-27T02:55:00.000-04:002007-07-27T02:55:00.000-04:00देरी के लिये माफी चाहूँगी...एक खूबसूरत रचना के लिय...देरी के लिये माफी चाहूँगी...<BR/>एक खूबसूरत रचना के लिये और खूबसूरत लेख के लिये बहुत-बहुत बधाई...Dr.Bhawna Kunwarhttps://www.blogger.com/profile/11668381875123135901noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-24633633277958307742007-07-26T14:35:00.000-04:002007-07-26T14:35:00.000-04:00kamaal hai aapke paryog sameer jikhaastour par yah...kamaal hai aapke paryog sameer ji<BR/>khaastour par yah lines ....<BR/> <BR/><BR/>देखे न अगर उसको, एक टीस से उठती थी<BR/>रिसते हुये जख्मों को, खुद ही सिया करते थे।<BR/><BR/>aur yah ..<BR/><BR/>भीनी सी महक उसकी, जो उसका पता देती<BR/>वो लिख के लिफाफे पे, भेज़ा किया करते थे।<BR/><BR/>ati sundar ...:)रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-79935741815657479192007-07-23T12:26:00.000-04:002007-07-23T12:26:00.000-04:00वैसे तो दोनों ही प्रयोग बहुत उम्दा हैं .....लकिन प...वैसे तो दोनों ही प्रयोग बहुत उम्दा हैं .....लकिन पहला वाला अधिक पसंद आया...<BR/><BR/>लालाजी को बधाईReetesh Guptahttps://www.blogger.com/profile/12515570085939529378noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-65665163051763452412007-07-23T11:38:00.000-04:002007-07-23T11:38:00.000-04:00इश्क में भी प्रयोग! आप वंदनीय हैं। वैसे प्रयोग जबर...इश्क में भी प्रयोग! आप वंदनीय हैं। वैसे प्रयोग जबर्दस्त भी। और वो पीड़ा भी कि जिससे इश्क किया, उसे तक पता नहीं चल पाया।Satyendra Prasad Srivastavahttps://www.blogger.com/profile/11602898198590454620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-69439734896790354842007-07-23T07:57:00.000-04:002007-07-23T07:57:00.000-04:00समीर जी, आज का पोस्ट पढ़ कर तो मजा आ गया. कुछ लोग ...समीर जी, आज का पोस्ट पढ़ कर तो मजा आ गया. कुछ लोग तो लगता है सुबह उठ कर दातुन वगैरह बाद में करते है और आपका चिट्ठा पहले पढ़ते है और टिप्पणी उससे भी पहले कर डालते हैं आपने अपने उपर हँसते हुए दूसरों पर बड़ा बढ़िया व्यंग्य किया. उत्तम. अति उत्तम.बसंत आर्यhttps://www.blogger.com/profile/15804411384177085225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-8897026299078657962007-07-23T07:46:00.000-04:002007-07-23T07:46:00.000-04:00समीर जी, आज का पोस्ट पढ कर तो मजा आ गया. कुछ लोग त...समीर जी, आज का पोस्ट पढ कर तो मजा आ गया. कुछ लोग तो लगता है सुबह उठ कर दातुन वगैरह बाद में करते है और आपका चिट्ठा पहले पढते है और टिप्पणी उससे भी पहले कर डालते हैं आपने अपने उपर हंसते हुए दूसरो पर बड़ा बढिया व्यंग्य किया. उत्तम. अति उत्तम.बसंत आर्यhttps://www.blogger.com/profile/15804411384177085225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-86253872978007791182007-07-23T07:06:00.000-04:002007-07-23T07:06:00.000-04:00आचार्य समीर जी बहुतै बढिया लगा पढ कर आपकी कविता भी...आचार्य समीर जी बहुतै बढिया लगा पढ कर आपकी कविता भी तन को छू गई । अब ज्यादा का लिखैं सबै बात तो हमार बढे भाई लोगन नें कह ही दिया है । धन्यवाद36solutionshttps://www.blogger.com/profile/03839571548915324084noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-61401280607407892982007-07-23T07:03:00.000-04:002007-07-23T07:03:00.000-04:00Hansne mein bhi to uske jo phool bikharte the, Tah...Hansne mein bhi to uske jo phool bikharte the, <BR/>Tah ke kitaabon mein hum rakh liya karte the...<BR/><BR/>Bahut 'copy book' style ka ishq tha..Warna bikhre phoolon ko kitaabon mein tah karke nahin rakhte (waise agar ye kitaab ishq karne ka manual thi, to baat alag)...<BR/><BR/>Abhi ka ishq hota to phoolon ko ikattha karke kisi mandir ke saamne waali dukaan par becnh aate...<BR/><BR/>Aap ke dono prayog bahut achche lage..Maine sahityakunj par aapkee rachnaayein dekhi, bahut achchha laga...Agle prayog ka intezaar rahega.Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-28804414247382454482007-07-23T06:02:00.000-04:002007-07-23T06:02:00.000-04:00देखिए साफ साफ बता रहे हैं बोल्ड में लिखे डिस्क्...देखिए साफ साफ बता रहे हैं बोल्ड में लिखे डिस्क्लेमर की तरह पढें- बात वही जो पुराणिक मास्साब ने कही...<BR/>....देखिए यहॉं दिल्ली में हम मास्टरों को तो बालक बरगलाने के पइसे मिलते हैं इसलिए हमारा क्या जाता है पर इनपर अमल ऊमल न ही करें तो अच्छा, करें तो अपने बूते करें और खुद भूगतें।<BR/>तुम नए लौंडे लपाटे मामले की सीरियसनेस तो समझते नहीं हो...जाओ मिंया।मसिजीवीhttps://www.blogger.com/profile/07021246043298418662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-14356189403050509762007-07-23T06:00:00.000-04:002007-07-23T06:00:00.000-04:00समीर जी, आज का पोस्ट पढ कर तो मजा आ गया. कुछ लोग त...समीर जी, आज का पोस्ट पढ कर तो मजा आ गया. कुछ लोग तो लगता है सुबह उठ कर दातुन वगैरह बाद में करते है और आपका चिट्ठा पहले पढते है और टिप्पणी उससे भी पहले कर डालते हैं आपने अपने उपर हंसते हुए दूसरो पर बड़ा बढिया व्यंग्य किया. उत्तम. अति उत्तम.बसंत आर्यhttps://www.blogger.com/profile/15804411384177085225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-37750861234684877022007-07-23T04:27:00.001-04:002007-07-23T04:27:00.001-04:00यह कामदेव का बाण है ही बौराने वाला - अब देखें, पुर...यह कामदेव का बाण है ही बौराने वाला - अब देखें, पुराणिक मास्साब न जाने किस बेनाम को अपना पासवर्ड लुटा बैठे! :) <BR/>बाकी, मौका लगते ही कविता ठेलने की बीमारी आपकी अभी की है या किशोरावस्था की! :)Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-35253773712299737352007-07-23T04:27:00.000-04:002007-07-23T04:27:00.000-04:00समीर जी, आप के लेख ने बहुत अच्छा ज्ञान दिया है ।धन...समीर जी, आप के लेख ने बहुत अच्छा ज्ञान दिया है ।धन्यवाद।रचना तो बेहतरीन है ही।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-12464214277446364442007-07-23T03:17:00.000-04:002007-07-23T03:17:00.000-04:00सांड़ की फुफकार को प्राणायाम से जोड़कर अच्छा काम क...सांड़ की फुफकार को प्राणायाम से जोड़कर अच्छा काम किया है आपने. साड़ों का कुछ भला हो जाए शायद.<BR/>बाकी तो आप बुजुर्ग हैं. प्रेम का जो अनुभव बताएंगे उसके मद्देनजर ही हम आगे चलने की कोशिश करेंगे.Sanjay Tiwarihttps://www.blogger.com/profile/13133958816717392537noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-12566972220239106902007-07-23T03:12:00.000-04:002007-07-23T03:12:00.000-04:00भैय्या युवा मन वाले, हम जैसे किशोरमना को तो इश्क क...भैय्या युवा मन वाले, हम जैसे किशोरमना को तो इश्क के दांव-पेंच लड़ाने के गुर आप जैसन को देख कर ही मिलते हैं इसलिए आप तो जारी ही रखो, ये पुराणिक मास्साब जैसन को को तो एकाध दिन स्कूल से वापसी में धर के समझा लेंगे!<BR/><BR/>बाकी प्रयोग पढ़ने से तो दिल खुस हुई गवा!<BR/>चलो हम जाते है, छमिया नंबर चार का बुलावा आई गवा है ना!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-4719214767736047582007-07-23T02:39:00.000-04:002007-07-23T02:39:00.000-04:00प्रयोग २ शानदार लगा ! बधाई.प्रयोग २ शानदार लगा ! बधाई.Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1665791102297326092007-07-23T01:27:00.000-04:002007-07-23T01:27:00.000-04:00गदहा व पदहा दोनो मस्त है मगर गदहा बाजी मार रहा है....गदहा व पदहा दोनो मस्त है मगर गदहा बाजी मार रहा है.<BR/><BR/><BR/>दलितों को मुर्ख बनाने वाली बात बहुत पसन्द आयी. :) <BR/>आत्माओं से बाते करने का प्रयास जारी है सफल हुए तो प्रथम नागरीक बन ही जाएंगे.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-38941534114981212672007-07-23T01:09:00.000-04:002007-07-23T01:09:00.000-04:00गली अति सांकरी यामे नाहि समायोबाहर बैठे खुद रहे और...गली अति सांकरी यामे नाहि समायो<BR/>बाहर बैठे खुद रहे औरन को उकसायो<BR/>उंचे उंचे स्वरन में प्रेम भजन अति गायो<BR/>खुद तो साबुत बची रहे गैरन को मरवायोNeelimahttps://www.blogger.com/profile/14606208778450390430noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-50407888660765458002007-07-23T00:55:00.000-04:002007-07-23T00:55:00.000-04:00लालाजी अब मुँह खुलवाओगे क्या आप? खी खी खी :)लालाजी अब मुँह खुलवाओगे क्या आप? खी खी खी :)पंकज बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/05608176901081263248noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-28861621867786084612007-07-23T00:20:00.000-04:002007-07-23T00:20:00.000-04:00ये टमटम तो खूब तेज़ दौड गया :-)ये टमटम तो खूब तेज़ दौड गया :-)Pratyakshahttps://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-91805317805028560142007-07-22T22:31:00.000-04:002007-07-22T22:31:00.000-04:00हम कुछ कहेंगे नहीं एक गाना गायेंगे—बड़े मियां दीवा...हम कुछ कहेंगे नहीं एक गाना गायेंगे—बड़े मियां दीवाने..............Yunus Khanhttps://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-544988413900521482007-07-22T22:23:00.000-04:002007-07-22T22:23:00.000-04:00"...हालांकि रंग रुप और साईज में अभी भी टक्कर दे सक..."...हालांकि रंग रुप और साईज में अभी भी टक्कर दे सकते हैं.<BR/><BR/>बहिन जी के हवाले से बोल रहा हूँ. पूछ रही थीं कि क्या कामदेव खुद ही मानव रूप में अवतरित हो गये हैं जो हमको टक्कर दे सकते हैं. <BR/><BR/>सुना है 'कनेडा' जा रही हैं. <BR/><BR/>बहुत बढिया लिखा है. - साधुवाद!अनुराग श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/17660942337768973280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-35226674793788282172007-07-22T22:17:00.000-04:002007-07-22T22:17:00.000-04:00दद्दा ,इस उभ्र मे भी इशक का भूत नही उतरा ; कुछ तो ...दद्दा ,इस उभ्र मे भी इशक का भूत नही उतरा ; कुछ तो छोडिये नयी पीढी के लिये :)Dr Prabhat Tandonhttps://www.blogger.com/profile/14781869148419299813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-71600999741901664352007-07-22T22:16:00.000-04:002007-07-22T22:16:00.000-04:00दोनों प्रयोग बेहतरीन हैं मगर पहला ज्यादा सराहनीय ह...दोनों प्रयोग बेहतरीन हैं मगर पहला ज्यादा सराहनीय है भाई समीर.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-36712621625463479732007-07-22T22:10:00.000-04:002007-07-22T22:10:00.000-04:00एकदम सरल भाषा में ऐसे समझो कि इसका एक बटा दस भाग भ...<B>एकदम सरल भाषा में ऐसे समझो कि इसका एक बटा दस भाग भी दलितों को मूर्ख बनाने में लगाते तो अभी भारत के सबसे बड़े राज्य के मुख्य मंत्री होते हालांकि रंग रुप और साईज में अभी भी टक्कर दे सकते हैं.</B><BR/>धन्यवाद गुरुदेव,ज्ञान देने के लिये,माफ़ कीजीयेगा अब मै यहा टिपियाने मे और मेहनत और वक्त बरबाद नही कर सकता .आप गुड रह गये तो क्या मै चला चीनी (मुखिया मंत्रीयो का) बनने..:)Arun Arorahttps://www.blogger.com/profile/14008981410776905608noreply@blogger.com