tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post7183470138789484375..comments2024-03-04T07:12:33.254-05:00Comments on उड़न तश्तरी ....: अहमक या असहमतUdan Tashtarihttp://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comBlogger28125tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-25029847608732497772007-08-01T19:17:00.001-04:002007-08-01T19:17:00.001-04:00सत्येन्द्र भाईबस आपका ही आसरा हैं. बहुत आभार. :)दि...<B>सत्येन्द्र भाई</B><BR/><BR/>बस आपका ही आसरा हैं. बहुत आभार. :)<BR/><BR/><BR/><B>दिव्याभ भाई</B><BR/><BR/>अरे, इतनी हौसला अफजाई. बहुत बहुत धन्यवाद. आपका आते रहना बहुत हौसला बढ़ाता है.<BR/><BR/><B>संजय पटेल भाई</B><BR/><BR/>खारिज कहां कर रहे हैं भाई. बस वर्गीकृत करके नजर अंदाज कर रहे हैं. सबको सहूलियत रहे इसलिये लिख दिया. :) बहुत आभार पधारने का.<BR/><BR/><B>ममता जी</B><BR/><BR/>बहुत आभार बात मान गई आप, और क्या चाहिये हमें. बस यूँ ही स्नेह बनाये रहें.<BR/><BR/><B>शास्त्री जी</B><BR/><BR/>आपकी नजर में आया तो हम भी सहमत हो लेते हैं कि अच्छा ही होगा. ऐसे ही स्नेहाशीष देते रहें.<BR/><BR/><B>तरुण भाई</B><BR/><BR/>फिर ओ अब आप का हिसाब किताब समय के हाथों चला गया बकौल दिनकर जी. हम तो बस साधुवाद और आभार कह सकते हैं.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-2541933226195721752007-08-01T19:17:00.000-04:002007-08-01T19:17:00.000-04:00आलोक पुराणिक जीपैसे तो आजकल सिर्फ अहमकी में ही हैं...<B>आलोक पुराणिक जी</B><BR/><BR/>पैसे तो आजकल सिर्फ अहमकी में ही हैं. बाकि तो सोशल सर्विस वाली एन जी ओ हैं. अब जैसा आप कहें. बहुत धन्यवाद. :)<BR/><BR/><B>रवि भाई</B><BR/><BR/>फिर तो स्वागत है उसी तरफ :)<BR/><BR/>आभार.<BR/><BR/><BR/><B>अमित भाई</B><BR/><BR/>सही पकड़ा, बस जन कल्याण हेतु ही जारी किया गया है, बाकिया तो चल ही रहा है. बहुत धन्यवाद ध्यान लगाकर पढ़ने का. :)<BR/><BR/><BR/><B>संजीत</B><BR/><BR/>कोशिश करते रहो, हम अहमक होने दें जब न!!<BR/><BR/>पार्टी ड्यू रही न भाई, भारत यात्रा के दौरान. पक्का. धन्यवाद आने का.<BR/><BR/><B>श्रीश भाई</B><BR/><BR/>नहीं पूछते क्यूँ. मगर असहमती के लिये साधुवाद तो दे ही सकते हैं. :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-10344540421653788802007-08-01T19:16:00.001-04:002007-08-01T19:16:00.001-04:00पंकजअहमक तो हम अपने मुँह से कैसे कहें? तुम तो कितन...<B>पंकज</B><BR/><BR/>अहमक तो हम अपने मुँह से कैसे कहें? तुम तो कितने समझदार हो. अच्छा रहा आ गये समय से.<BR/><BR/><B>संजय भाई</B><BR/><BR/>बहुत आभार इतनी सारी असहमती के लिये. ऐसी ही असहमती पूर्ण शुभकामनायें बनाये रहें. :)<BR/><BR/><B>मिश्रा जी</B><BR/><BR/>:)<BR/><BR/>बस पहली लाईन पढ़ कर मैं खुश हो गया. बहुत आभार. स्नेह बनाये रखें.<BR/><BR/><B>अरविन्द भाई</B><BR/><BR/>आप और गलत-सवाल ही नहीं उठता. आपकी असहमती में भी इतना स्नेह झलक रहा है कि लग रहा है-काश, आप असहमत ही रहें. जन्म दिन की एक्स्क्लूसिव बधाई के लिये बहुत आभार.<BR/><BR/><B>आलोक भाई</B><BR/><BR/>पढ़ी तो नहीं, मगर अब रेक्मेन्डॆड बुक्स में नोट हो गई है. जल्द ही पढ़ ली जायेगी. उदाहरण जबरदस्त रहा. आते रहें, हौसला बना रहता है. बहुत आभार और धन्यवाद.<BR/><BR/><B>अनुराधा जी</B><BR/><BR/>अब एक बार ज्यादा बोल ही दिजिये. :)<BR/><BR/>आप आईं, अच्छा लगा. आते रहें, और अच्छा लगेगा. धन्यवाद.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-45147562003008359082007-08-01T19:16:00.000-04:002007-08-01T19:16:00.000-04:00अरुणकर आये सब जगह सहमती की टिप्पणी.अनूप भाईअरे भाई...<B>अरुण</B><BR/><BR/>कर आये सब जगह सहमती की टिप्पणी.<BR/><BR/><B>अनूप भाई</B><BR/><BR/>अरे भाई, क्या इरादा है? उदाहरण दे दें तो अभी यहीं बवाल मच जायेगा..हा हा!! फिर तो समझो काम ही हो गया आगे के लिये. :)<BR/><BR/><B>सुनीता जी</B><BR/><BR/>सबको मूर्ख घोषित करके सुना आप लम्बे अवकाश पर जा रही हैं :) बहुत शुभकामनायें. हम इन्तजार करते हैं.<BR/><BR/><B>संजय भाई</B><BR/><BR/>बहुत आभार जब तक बमचक असहमत न हो जायें.<BR/><BR/><B>परमजीत भाई</B><BR/><BR/>शायद?? यह असहमती है क्या?? :)<BR/><BR/>बहुत आभार.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-47031192410562455292007-08-01T18:46:00.000-04:002007-08-01T18:46:00.000-04:00मित्रोंआप सभी सहमतों, असहमतों और तटस्थों का हौसला ...मित्रों<BR/><B><BR/>आप सभी सहमतों, असहमतों और तटस्थों का हौसला आफजाई के लिये बहुत बहुत आभार.<BR/></B><BR/>ऐसा ही स्नेह बनाये रहें तीनों स्थितियों में. :)<BR/><BR/>सादर<BR/><BR/>समीर लालUdan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-10482921464844615652007-07-31T22:52:00.000-04:002007-07-31T22:52:00.000-04:00हमने बहुत कोशिश करी की सहमति की बात लिखें लेकिन टि...हमने बहुत कोशिश करी की सहमति की बात लिखें लेकिन टिप्पणियाँ देख कर लगा कि किसी को तटस्थ भी होना चाहिये, इसलिये हम तो भई इस बात पर तटस्थ रहेंगे ;)Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-73457624491469426232007-07-31T08:46:00.000-04:002007-07-31T08:46:00.000-04:00काफी अच्छा एवं सशक्त विश्लेषण है. साथ में व्यंग भी...काफी अच्छा एवं सशक्त विश्लेषण है. साथ में व्यंग भी!Shastri JC Philiphttps://www.blogger.com/profile/00286463947468595377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-66590173730276988572007-07-30T22:44:00.000-04:002007-07-30T22:44:00.000-04:00पूरी तरह सहमत है और मान ली आपकी बात की इन अहमक दर्...पूरी तरह सहमत है और मान ली आपकी बात की इन अहमक दर्जे के असहमत लोगों को नजर अंदाज करेंगे।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-54373706870377123462007-07-30T20:00:00.000-04:002007-07-30T20:00:00.000-04:00समीर"दा" ये अहमक़ भी बडे़ कलाकार होते हैं..आप इनसे ...समीर"दा" ये अहमक़ भी बडे़ कलाकार होते हैं..आप इनसे असहमत हो सकते हैं लेकिन इन्हे ख़ारिज नहीं कर सकते क्योंकि इन्हीं के होने से अक़्लमंदों (या तथाकथित अक़्लमंदों) की दुकान चलती है.sanjay patelhttps://www.blogger.com/profile/08020352083312851052noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-54939149886291010652007-07-30T12:15:00.000-04:002007-07-30T12:15:00.000-04:00कम-से-कम इस रचना पर तो मैं पूरी तरह से आपसे सहमत ह...कम-से-कम इस रचना पर तो मैं पूरी तरह से आपसे सहमत हूँ बस खुद से असहमत जान पड़ता हूँ।<BR/>बहुयामी प्रतिभा हैओ आपमें यह भी मेरी सहमती का ही भाव रखा जाए… :)Divine Indiahttps://www.blogger.com/profile/14469712797997282405noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-65811756198266187272007-07-30T11:13:00.000-04:002007-07-30T11:13:00.000-04:00मैं तो आपसे पूरी तरह सहमत हूं।मैं तो आपसे पूरी तरह सहमत हूं।Satyendra Prasad Srivastavahttps://www.blogger.com/profile/11602898198590454620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-47916429491736090632007-07-30T10:53:00.000-04:002007-07-30T10:53:00.000-04:00देखिए हम आपसे सहमत नहीं, अब ये मत पूछना क्यों, बस...देखिए हम आपसे सहमत नहीं, अब ये मत पूछना क्यों, बस्स!ePandithttps://www.blogger.com/profile/15264688244278112743noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-36309039353521305672007-07-30T08:12:00.000-04:002007-07-30T08:12:00.000-04:00अहमक होने मेरा मतलब है कि असहमत होने की कोशिश करते...अहमक होने मेरा मतलब है कि असहमत होने की कोशिश करते हुए असहमत!!<BR/><BR/>मस्त है!!<BR/><BR/>बड्डे पाल्टी कब दे रहे हो!!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-10331716048433575312007-07-30T06:58:00.000-04:002007-07-30T06:58:00.000-04:00वाह, सही लिखे हैं समीर जी, अपन भी आपसे सहमत हैं, ल...वाह, सही लिखे हैं समीर जी, अपन भी आपसे सहमत हैं, लेकिन लिखने का बताने का क्या लाभ? जिनको इन <I>अहमकों</I> के बारे में पता है वो इनको अनदेखा ही करते हैं और जिनको नहीं पता वे पहचान नहीं पाते कि अहमक कौन, आखिर अहमक भी तो नान-अहमकों को हर कहीं अहमक बताते रहते हैं ताकि उनको कोई अहमक के रूप में न पहचान ले, और कोढ़ में खाज बेचारे inferiority complex से भी ग्रसित होते हैं!! ;) हाँ, आपकी इस चेतावनी का लाभ उन लोगों को अवश्य हो सकता है जो अहमकों को पहचानते हैं लेकिन फिर भी उनको अनदेखा नहीं करते!! ;)<BR/><BR/>लेकिन जन कल्याण हेतु आपके द्वारा जारी की गई इस चेतावनी के लिए आपको साधूवाद। :)Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-24710607113233393502007-07-30T06:23:00.000-04:002007-07-30T06:23:00.000-04:00मैं पुराणिक जी से सहमत हूँ. पैसे किदर को मिलेंगे -...मैं पुराणिक जी से सहमत हूँ. पैसे किदर को मिलेंगे - जिदर को पैसा उदर को हम!रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-56281125087483547942007-07-30T03:29:00.000-04:002007-07-30T03:29:00.000-04:00पैसे किसमें ज्यादा मिलेंगे, अहमक होने में या असहमत...पैसे किसमें ज्यादा मिलेंगे, अहमक होने में या असहमत होने में सो बतायें, फिर हम आगे बतायेंगेALOK PURANIKhttps://www.blogger.com/profile/09657629694844170136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-3706009582487370572007-07-30T03:17:00.000-04:002007-07-30T03:17:00.000-04:00ज्यादा कुछ बोलेंगें तो आपको सकारात्मक अहमक लगेंगें...ज्यादा कुछ बोलेंगें तो आपको सकारात्मक अहमक लगेंगें । <BR/>वर्गीकरण सुन्दर किया है।anuradha srivastavhttps://www.blogger.com/profile/15152294502770313523noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-22837092010152386432007-07-30T03:13:00.000-04:002007-07-30T03:13:00.000-04:00मनोविज्ञान ने इस प्रकार के व्यवहार का विश्लेषण किय...मनोविज्ञान ने इस प्रकार के व्यवहार का विश्लेषण किया है। यदि आपने <A HREF="http://http://www.ericberne.com/" REL="nofollow">एरिक बर्न</A> की गेम्स पीपल प्ले या <A HREF="http://www.ericberne.com/Im_OK_Youre_OK.htm" REL="nofollow">थॉमस हॅरिस</A> की <A HREF="http://www.amazon.com/exec/obidos/ASIN/038000772X/qid=1099166574/sr=2-1/ref=pd_ka_b_2_1" REL="nofollow">आय्म ओके, यूर ओके</A> न पढ़ी हो तो ज़रूर पढ़ें।<BR/><BR/>आपके द्वारा वर्णित व्यवहार इस श्रेणी में आता है - <A HREF="http://pratie.blogspot.com/2005/09/why-dont-you-yes-but.html" REL="nofollow">क्यों नहीं - हाँ, लेकिन</A>।<BR/>उदाहरण - <BR/><BR/>शादी को सात साल हो गए हैं, पति दोस्तों के साथ कैरम खेलने चला गया है, पत्नी अपनी सहेलियों के साथ बैठी है - <BR/><BR/>प्रथम: "परेशान हूँ मैं - समझ नहीं आ रहा कि अपने पति के साथ कैसे जियूँ। कभी सुनता ही नहीं मेरी बात। बात बात पर ग़ायब हो जाता है"<BR/><BR/>द्वितीय: "तो तुम दोनो बैठ के बात क्यों नहीं करते?"<BR/><BR/>प्रथम: "हाँ, लेकिन वह तो चैन से बैठ ही नहीं सकता।"<BR/><BR/>तृतीय: "शायद तुम्हें घर में एक साथ रहने से थोड़ी खीझ हो रही है। कुछ दिन के लिए अलग अलग घूमने क्यों नहीं चले जाते?"<BR/><BR/>प्रथम: "हाँ, लेकिन वह तो बहुत महँगा होगा न।"<BR/><BR/>चतुर्थ: "अच्छा तो तलाक ही क्यों नहीं कर लेते?"<BR/><BR/>प्रथम: "हाँ, लेकिन बच्चों का क्या होगा?"<BR/><BR/>सभी दोस्त(सोचते हैं): "फिर तो कुछ उम्मीद ही नहीं है, कुछ नहीं हो सकता है।"<BR/><BR/>प्रथम (सोचती है): "मेरी कोई मदद कर ही नहीं सकता"<BR/><BR/>और यह निरर्थक वार्तालाप बार बार होता है। इससे "प्रथम" को यह "फ़ायदा" होता है कि यह सिद्ध हो गया कि उसकी हालत बहुत खराब है और कुछ निदान भी नहीं हो सकता है।<BR/>दोस्तों को यह "फ़ायदा" होता है कि उनके लिए यह सिद्ध हो गया कि दूसरे को नसीहत देने का कोई लाभ नहीं है।आलोकhttps://www.blogger.com/profile/03688535050126301425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-19778569643804820282007-07-30T02:59:00.000-04:002007-07-30T02:59:00.000-04:00पहले तो यह कि मैं पूरी विनम्रता के साथ आपसे असहमत ...पहले तो यह कि मैं पूरी विनम्रता के साथ आपसे असहमत हूं.( हो सकता है कि मैं गलत होऊं)<BR/><BR/> अहमक तरह के व्यक्ति दूसरे को नीचा दिखाकर खुद बडा होना चाहते हैं.<BR/><BR/>वसीम बरेलवी ने ऐसे ही लोगों के लिये लिखा है : <BR/><BR/>" अपने हर हर लफ्ज़ का मैं आईना हो जाऊंगा,<BR/>उसको छोटा कहके मैं कैसे बडा हो जाऊंगा ?"<BR/><BR/><BR/><BR/>दूसरा यह कि आपको अलग से एक्स्क्लूसिव बधाई देना था, अत: देर से सही "आपको जन्मदिन की बधाई एवं ढेरों शुभकामनायें".<BR/><BR/>ग़ुल्ज़ार के शब्दों में; " वो उम्र कम कर रहा था मेरी, मैं साल अपने बढा रहा था"<BR/><BR/>भारतीयम्डा.अरविन्द चतुर्वेदी Dr.Arvind Chaturvedihttps://www.blogger.com/profile/01678807832082770534noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-55890926025241049062007-07-30T02:20:00.000-04:002007-07-30T02:20:00.000-04:00Poore lekh se main 'sahmat' huun..Asahamat hone ke...Poore lekh se main 'sahmat' huun..<BR/><BR/>Asahamat hone ke peechhe apni maujoodagi darj karaane ki laalsa jyaada aur thos baatein na kah paane ki vivasata bhee hai..<BR/><BR/>Parsai ji ne hi likha tha.."Hain phoohad aur khud ko bataate hain fakkad...Vishwas ke saath, ki saamne waala unhein fakkad hi samajh raha hota hai...."Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-87141284765154401732007-07-30T01:24:00.000-04:002007-07-30T01:24:00.000-04:00घोर असहमती है, आपके इस लेख से. बात समझमें नहीं आयी...घोर असहमती है, आपके इस लेख से. बात समझमें नहीं आयी किसके लिए लिखा है. आयी भी तो आपने सही तरिके से नहीं लिखा. लिखा भी है तो प्रगतिशील नहीं है. है भी तो हमें क्या?<BR/><BR/>एक विनम्र अहसमतिमय टिप्पणी :)संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-17638511543642542062007-07-30T01:12:00.000-04:002007-07-30T01:12:00.000-04:00अरे वाह! क्या टैलीपैथी है? हमने भी आज लैम्पूनर्स क...अरे वाह! क्या टैलीपैथी है? हमने भी आज लैम्पूनर्स को ले कर पोस्ट घसीटी है. हम तो आपसे अव्वल दर्जे के सहमत हैं. <BR/>बल्कि आगे हमारी टिप्पणियां समीरात्मक होने लगेंगी - उत्तरोत्तर :)Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-56830091712441189382007-07-30T00:54:00.000-04:002007-07-30T00:54:00.000-04:00अजीब सी गुत्थी है यह तो. अब असहमत हुआ जाए कि अहमक!...अजीब सी गुत्थी है यह तो. अब असहमत हुआ जाए कि अहमक!<BR/><BR/><BR/>आप तो मेल का जवाब नही दे रहे तो लगा बीजी होंगे. :) फिर आपकी पोस्ट देखकर खुद से ही असहमत हुआ जा रहा हुँ, बहुत ही अहमक हुँ. क्या किया जाए. :)पंकज बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/05608176901081263248noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-20680513695411387982007-07-30T00:25:00.000-04:002007-07-30T00:25:00.000-04:00आप ने जो लेख मे लिखा ।शायद आप के विचार ठीक ही हो।आप ने जो लेख मे लिखा ।शायद आप के विचार ठीक ही हो।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-32968907135524674632007-07-30T00:17:00.000-04:002007-07-30T00:17:00.000-04:00मैं तो आपसे असहम कतई नहीं हूं. बमचक असहमत तो हो ही...मैं तो आपसे असहम कतई नहीं हूं. बमचक असहमत तो हो ही नहीं सकता.<BR/>अच्छे विचार.Sanjay Tiwarihttps://www.blogger.com/profile/13133958816717392537noreply@blogger.com