tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post5781653079417077504..comments2024-03-04T07:12:33.254-05:00Comments on उड़न तश्तरी ....: आप गदहा लेखक हैं……..Udan Tashtarihttp://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comBlogger48125tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-11736267815192847702021-10-12T06:04:11.243-04:002021-10-12T06:04:11.243-04:00मनोरंजक है।मनोरंजक है।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09032154745723256522noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-62609657164108506952016-09-14T09:52:11.433-04:002016-09-14T09:52:11.433-04:00आनंद आ गया।आनंद आ गया।P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-59161412432517902532014-09-18T08:06:38.519-04:002014-09-18T08:06:38.519-04:00अच्छी दुलत्ती मार दी अच्छी दुलत्ती मार दी P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-70627637948620514812007-05-24T15:18:00.000-04:002007-05-24T15:18:00.000-04:00समीर भाई, यह आपबीती तो कई साइटों पर देनी चाहिए जिस...समीर भाई, यह आपबीती तो कई साइटों पर देनी चाहिए जिससे रोमनी लोग इस रोमन-हिंदी का पीछा छोड़ें। हिंदी शब्दों के अंगरेजीकरण ने तो तबाही कर रखी है। <BR/>उधर 'a' के डंडे की हर शब्द पर ऐसी पूंछ लग गई है कि 'योग' का 'योगा' और ना जाने <BR/>क्या क्या कर डाला है। हमने एक बार 'योग' कह दिया तो कहने लगे, 'आपको हिंदी नहीं आती?' <BR/>इसी चक्कर में एक मित्र Arun का Aruna बन गया। बेचारे का लिंग-परिवर्तन ही कर डाला!<BR/>आपका लेख केवल व्यंग्य ही नहीं, ज्ञान वर्धक भी है।महावीरhttps://www.blogger.com/profile/00859697755955147456noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-78474120278544321422007-05-21T18:25:00.000-04:002007-05-21T18:25:00.000-04:00आप सबका बहुत आभार .पढ़ते रहें पढ़ाते रहें. आते रहें,...आप सबका बहुत आभार .पढ़ते रहें पढ़ाते रहें. आते रहें, बुलाते रहें. धन्यवाद, मन आनन्दित है आप सबकी टिप्पणियां पाकर.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-66936438712276929152007-05-16T12:52:00.000-04:002007-05-16T12:52:00.000-04:00वाह! मजेदार! टिप्पणी करने मे कुछ देर हुई, लेकिन हम...वाह! मजेदार! टिप्पणी करने मे कुछ देर हुई, लेकिन हम भी आपके --- लेखन के ---- पाठक है!! सो टिप्पणी करना हमारा हक बनता है!rachanahttps://www.blogger.com/profile/14183659688400073503noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-46381014026439858262007-05-16T02:19:00.000-04:002007-05-16T02:19:00.000-04:00Agar sahi akshro ko chun kar shabd banaaye jaye th...Agar sahi akshro ko chun kar shabd banaaye jaye tho Roman main bhi sahi Hindi likhi jaa sakti hai. gadha ki jagah gadya hona chaahiye tha.<BR/><BR/>annapurnaAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-20289637771924161792007-05-15T16:53:00.000-04:002007-05-15T16:53:00.000-04:00समीर जी,गदहा लेख़्न अवश्य ही हिन्दी साहित्य की एक व...समीर जी,<BR/><BR/>गदहा लेख़्न अवश्य ही हिन्दी साहित्य की एक विधा होगी जो हमारे और आपके विदेश आगमन के बाद ईजाद की गई होगी। किन्तु यह कैसे हुआ कि आपके लेखन को पढ़ के ये जनाब कोयल बन गए। यह जरूर ही कोई जन्तर मन्तर वाला मामला है। सँभल कर रहना।Laxmihttps://www.blogger.com/profile/01605651550165016319noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-43749475867159644182007-05-15T15:41:00.000-04:002007-05-15T15:41:00.000-04:00वाह समीर भाई…,रंग हमेशा की तरह आपका जमा ही रहता है...वाह समीर भाई…,<BR/>रंग हमेशा की तरह आपका जमा ही रहता है…अब क्या कहे हमें लगता है की कही अगली बारी मेरी तो नहीं तो दो-चार बार पुन: पधारेगे और अपना स्पेलिंग देख लेंगे…। :) :) :)Divine Indiahttps://www.blogger.com/profile/14469712797997282405noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-45656460729283146712007-05-15T11:34:00.000-04:002007-05-15T11:34:00.000-04:00sat sat naman guru kya arth ka anarth kiya hai ya ...sat sat naman guru kya arth ka anarth kiya hai ya kahoon ki kya anarth ka arth kiya hai. lagta hai tippani bhi aapki aur arth bhi ....ha ha maja aa gayaAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-31216545782526338432007-05-15T11:08:00.000-04:002007-05-15T11:08:00.000-04:00आपभी कभी कभी हँसा हँसा कर पेट दुखा देते हो। पर हमे...आपभी कभी कभी हँसा हँसा कर पेट दुखा देते हो। पर हमें इस तरह पेट दुखाना अच्छा लगता है। <BR/><BR/>लिखते रहें गदहा लेखन, हम दुलत्ती खाने तैयार हैं।Sagar Chand Naharhttps://www.blogger.com/profile/13049124481931256980noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-31134375232571607682007-05-15T09:06:00.000-04:002007-05-15T09:06:00.000-04:00शुक्रिया...आपका ब्लॉग देखा, ...बहुत उम्दा है व्यंख...शुक्रिया...आपका ब्लॉग देखा, ...बहुत उम्दा है व्यंख पढ़ कर मज़ा आ गया गदाह लेखक परGeehttps://www.blogger.com/profile/10115781717096712010noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-37194699029624036352007-05-14T13:28:00.000-04:002007-05-14T13:28:00.000-04:00पहला (मूल) पाठ ही सही है। यदि आप स्वामी समीरानन्द ...पहला (मूल) पाठ ही सही है। यदि आप स्वामी समीरानन्द कहलाते हैं तो आप वास्तव में गदहा (गधा नहीँ) हैं। मेरी जानकारी में महापुरुष शब्द का एक पर्याय "गदहा" भी होता है। जाँच करें और यदि ठीक हो तो इस पर एक स्पष्टीकरण / स्वीकृति पोस्ट से नवाज़ें ।Rajeev (राजीव)https://www.blogger.com/profile/04166822013817540220noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-74330801191775060052007-05-14T11:35:00.000-04:002007-05-14T11:35:00.000-04:00वाह वाह मजा आ गया, पूरी महफ़िल सजी है सुबह एक था अब...वाह वाह मजा आ गया, पूरी महफ़िल सजी है सुबह एक था अब पैतीस <BR/>कूहू<BR/>कूहूArun Arorahttps://www.blogger.com/profile/14008981410776905608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-67688213846651333462007-05-14T10:52:00.000-04:002007-05-14T10:52:00.000-04:00दिन भर् की थकान निकल गयी हंस हंस कर।वैसे तो मै आपक...दिन भर् की थकान निकल गयी हंस हंस कर।<BR/><BR/>वैसे तो मै आपकी और फुर्सतिया के सारे लेख् पढ्ता हूं, लेकिन आज कमेन्ट किये बिना रहा नही गया<BR/><BR/>लेख के लिये धन्यवाद्mkthttps://www.blogger.com/profile/12856096126979971515noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-39150188387085142672007-05-14T10:24:00.000-04:002007-05-14T10:24:00.000-04:00मूड खराब था .... आपने हंसा दिया ...thanksमूड खराब था .... आपने हंसा दिया ...thanksSajeevhttps://www.blogger.com/profile/08906311153913173185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-14526174222024465972007-05-14T10:07:00.000-04:002007-05-14T10:07:00.000-04:00मेरे कहने को तो कुछ बचा ही नहीं है.जो मेरे पूर्ववर...मेरे कहने को तो कुछ बचा ही नहीं है.<BR/>जो मेरे पूर्ववर्तियों ने कहा है उन सभी गदहों को यहां कापी-पेस्ट कर लीजिये.dhurvirodhihttps://www.blogger.com/profile/14333651535802973230noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-50433902311073666412007-05-14T10:00:00.000-04:002007-05-14T10:00:00.000-04:00:-) :-):-) :-)उन्मुक्तhttps://www.blogger.com/profile/13491328318886369401noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-91447595952204324982007-05-14T08:46:00.000-04:002007-05-14T08:46:00.000-04:00अब आदरणीय ओम प्रकाश आदित्य बतला ही गये थे:जो गलिय...अब आदरणीय ओम प्रकाश आदित्य बतला ही गये थे:<BR/><B><BR/>जो गलियों में डोले वो कच्चा गधा है <BR/>जो कोठे पे बोले वो सच्चा गधा है <BR/>जो खेतों में दीखे वो फ़सली गधा है <BR/>जो माईक पे चीखे वो असली गधा है <BR/></B><BR/>चूँकि जब उन्होंने लिखा था तो देश काल की समस्यायें और साधन भिन्न थे. आज के साधन और. समाज के तहद उनकी इस रचना को ऐसे कहना चाहिये :<BR/><B><BR/>जो गलियों में गरियाये, कच्चा गधा है <BR/>जो कोयल सा चिल्लाये सच्चा गधा है <BR/>जो टिपियाये चिट्ठे पे फ़सली गधा है <BR/>जो नुक्ते लगाये वो असली गधा है<BR/></B>Geetkaarhttps://www.blogger.com/profile/16969431721717308204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-50547228761466670152007-05-14T08:36:00.000-04:002007-05-14T08:36:00.000-04:00अंग्रेजी में लिख कर कोई दिखा गया है लगा आईनावरना ह...अंग्रेजी में लिख कर कोई दिखा गया है लगा आईना<BR/>वरना हम प्रभुत्व के मद में झूम रहे थे बस मुस्काते<BR/>वरना आप और हम कैसा लिखते हैं इसकी गुत्थी को<BR/>हल कर पाता कौन ? नहीं जो मित्र प्रशंसक ये सुलझातेराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-33819210867235970462007-05-14T07:17:00.000-04:002007-05-14T07:17:00.000-04:00खूब, शीर्षक द्वारा तो वाकई आपने असमंजस में डाल दिय...खूब, शीर्षक द्वारा तो वाकई आपने असमंजस में डाल दिया था! ;)Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-41818327416031031562007-05-14T07:15:00.000-04:002007-05-14T07:15:00.000-04:00बाली उम्र में आपको आत्मज्ञान हो गया. गधत्व को उपलब...बाली उम्र में आपको आत्मज्ञान हो गया. गधत्व को उपलब्ध होने पर बधाई स्वीकार करें.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-33054565125464343362007-05-14T06:38:00.000-04:002007-05-14T06:38:00.000-04:00हा हा हा, मजा आ गया पढ़कर वाकई फुरसतिया जी और आप सब...हा हा हा, मजा आ गया पढ़कर वाकई फुरसतिया जी और आप सबसे बढ़े गदहा लेखक हो और हम सब आपकी दुल्लती साली के कोयल हैं।<BR/><BR/>इस विषय पर सर्वज्ञ पर <A HREF="http://akshargram.com/sarvagya/index.php/romanagari" REL="nofollow">रोमनागरी</A> नामक लेख पढ़ना न भूलें। आपके इस लेख का लिंक भी वहाँ डाल देते हैं।<BR/><BR/>काश हम भी आपके जैसे गदहा लेखक होते। :(ePandithttps://www.blogger.com/profile/15264688244278112743noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-82075861407197684872007-05-14T05:50:00.000-04:002007-05-14T05:50:00.000-04:00मजा आ गया । आपके लेख तो हमेशा ही अलग होते है। शीर्...मजा आ गया । आपके लेख तो हमेशा ही अलग होते है। शीर्षक देख कर तो हम चौंक ही गए थे।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-39863164235202307752007-05-14T05:00:00.000-04:002007-05-14T05:00:00.000-04:00सीरीयस से मूड में बैठी थी....उडन तश्तरी उड़ी....तो...सीरीयस से मूड में बैठी थी....उडन तश्तरी उड़ी....तो देखा....<BR/><BR/>कितना हँसायेंगे आप??<BR/><BR/>आप सचमुच मस्त गदहा लेखक हैं....और मैं कोयल!!<BR/><BR/>अपनी दुल्लती साली सँभाल कर रखे....कभी जरूरत पड़ने पर इस्तेमाल कीजिये।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16964389992273176028noreply@blogger.com