tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post5537696906091030264..comments2024-03-04T07:12:33.254-05:00Comments on उड़न तश्तरी ....: एक, दो, तीन........Udan Tashtarihttp://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comBlogger26125tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-79041947718414191782007-03-01T06:18:00.000-05:002007-03-01T06:18:00.000-05:00समीर जी,आपने भी मुझे लपेट दिया..... ये लो तीन दिन ...समीर जी,<BR/><BR/>आपने भी मुझे लपेट दिया..... ये लो तीन दिन मे तीन लोगो ने शीकार कर लिया :)<BR/>वैसे ये राहत की बात है कि आपके प्रश्नो का उत्तर मैने दो किश्तो मे दे दिये है... एक प्रत्यक्षाजी के सवोलो के जवाब मे दूसरे ईस्वामी जी के जवाब मे<BR/><BR/>हमारे पुराने डोमेन से नारद जी नाराज थे इसलिये नयी दूकान खोली है, आपके जवाब वहीं है !<BR/>नयी दूकान का पता है<BR/>http://hindigram.org<BR/>और आपके सवालो के जवाब है<BR/>http://www.hindigram.org/index.php?option=com_content&task=view&id=17&Itemid=9<BR/>http://www.hindigram.org/index.php?option=com_content&task=view&id=15&Itemid=9Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-48736321109621872502007-03-01T02:46:00.000-05:002007-03-01T02:46:00.000-05:00सच माने मे हिन्दी चिटठाकारी मे एकाकी पन कम और परिव...सच माने मे हिन्दी चिटठाकारी मे एकाकी पन कम और परिवार की भावना अधिक दिखती है। और असली हकदार तो आप का प्यार ही है जो बार -2 हमें यहाँ तक खींच लाता है।<BR/> हरिशंकर परसाई की ही तर्ज पर मुझे लखनऊ के ही के पी सक्सेना जी की व्यंग्यात्मक शैली बहुत पसंन्द आती है, क्या ख्याल है के पी के बारे में।Dr Prabhat Tandonhttps://www.blogger.com/profile/14781869148419299813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-7683922690840456632007-02-27T17:00:00.000-05:002007-02-27T17:00:00.000-05:00समीर जी लीजिये हमने जिस परम्परा को तोड़ने का दुस्स...समीर जी लीजिये हमने जिस परम्परा को तोड़ने का दुस्साहस किया था उसको फिर सम्मान पूर्वक जोड़ने का प्रयास कर रहे है। हमारे शिकार हैं-<BR/>1.<A HREF="http://kaviparichay.blogspot.com/2006/12/blog-post_30.html" REL="nofollow">तुषार जोशी</A><BR/>2.<A HREF="http://kaviparichay.blogspot.com/2007/01/blog-post_06.html" REL="nofollow">अनिल कुमार त्रिवेदी</A><BR/>3.<A HREF="http://kaviparichay.blogspot.com/2006/12/blog-post.html" REL="nofollow">राजीव रंजन प्रसाद</A><BR/>4.<A HREF="http://kaviparichay.blogspot.com/2007/01/blog-post_25.html" REL="nofollow">अनुपमा चौहान</A><BR/>5.<A HREF="http://kaviparichay.blogspot.com/2007/02/blog-post.html" REL="nofollow">मोहिन्दर कुमार</A><BR/><BR/>और जैसी की प्रथा है मैं भी प्रथा का पालन करते हुये कुछ प्रश्न पूछना चाहूँगी-<BR/><BR/>प्रश्न १- साहित्यिक जगत से जुड़ा हुआ कोई अनुभव बतायें?<BR/>प्रश्न २- किस साहित्यिक विभूति से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ और मिलने की इच्छा रही?<BR/>प्रश्न ३- किस उम्र के पड़ाव से लिखना प्रारम्भ किया और क्यों?<BR/>प्रश्न ४- होली उल्लास को लिये हुये आपके दरवाजे पर दस्तक दे रही है उस सन्दर्भ में कुछ लिखें?<BR/>प्रश्न ५- युवा वर्ग में अपनी भारतीय संस्कृति को जीवित बनाये रखने एवं उनमें साहित्यिक अभिरुचि<BR/>पैदा करने के लिये क्या प्रयास होने चाहियें?<BR/>प्रश्न ६- अपनी रुचि की ५ साईट जो ब्लॉग से अलग हों बतायें?Dr.Bhawna Kunwarhttps://www.blogger.com/profile/11668381875123135901noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-67147691213570659272007-02-27T13:22:00.000-05:002007-02-27T13:22:00.000-05:00आप तो व्यक्ति से संस्था हुए जा रहे हैं। आपके हर ...आप तो व्यक्ति से संस्था हुए जा रहे हैं। आपके हर तेवर से कुछ सीखे जा सकने की गुंजाइश है।मसिजीवीhttps://www.blogger.com/profile/07021246043298418662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-54280981733510073632007-02-27T06:40:00.000-05:002007-02-27T06:40:00.000-05:00ye naya andaj pasand aayaa!! hamesha kee tarah ek ...ye naya andaj pasand aayaa!! hamesha kee tarah ek seekh ke roop me is lekh ko bhi padh aur samajh liya! maaf kare hindi nahi likha pa rahi kuchch samasya hai.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-539864071851317092007-02-27T05:09:00.000-05:002007-02-27T05:09:00.000-05:00माफ करना समीर जी अपने सवालों में ऐसे उलझे की आपके ...माफ करना समीर जी अपने सवालों में ऐसे उलझे की आपके लेख को पढ़ा तो बहुत स्वाद ले लेकर :)पर अपनी चिन्ता में आपको टिप्पणी देना भूल गये। समीर जी आपके विचार पढ़कर अच्छा लगा और अच्छा लगा ये "प्रोग्राम" जिससे हम सभी के व्यक्तित्व के बारे में जान सके। मेरी ओर से बहुत-बहुत बधाई!!!Dr.Bhawna Kunwarhttps://www.blogger.com/profile/11668381875123135901noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-65816644202604973342007-02-27T00:32:00.000-05:002007-02-27T00:32:00.000-05:00समीर जी आपका लिखा दिल को बाँध लेता है ...बहुत ही भ...समीर जी आपका लिखा दिल को बाँध लेता है ...बहुत ही भाव पूर्ण शेली में लिखते हैं आप .. <BR/>पहले में चिट्ठाकारी के विषय में नही जानती थी <BR/>..लिखती कई जगह थी पर वोह संतुष्टि नही मिलती थी ..जो अब यहाँ लिखने में मिलती है ... <BR/><BR/>आपके प्रश्नो का उतर देने की कोशिश करती हूँ :) <BR/>१.आपके लिये चिट्ठाकारी के क्या मायने हैं?<BR/><BR/> यह मेरे लिए सच में अब एक नशा बन चुका है ..यहाँ पर सब इतना अच्छा और भाव पूर्ण लिखते हैं की अब बिना पढ़े रहा नही जाता है ..रोज़ नयी बात पढ़ने को मिलती है ..रोज़ कुछ नया पढ़ने कि जो भूख थी वोह यहाँ आ के अब जैसे शांत हो जाती है<BR/><BR/>२.क्या चिट्ठाकारी ने आपके जीवन/व्यक्तित्व को प्रभावित किया है? <BR/><BR/> यहाँ सब एक परिवार की तरह हैं ..सो सबका लिखा हुआ पढ़ने से असर तो पड़ता ही है कई अच्छी बाते जानने को मिलती हैं ..कई के विचार हमे परभावित करते हैं ..अब यहाँ एक का नाम लेना मुश्किल है सच में कई के लिखा पड़ने से मेरे अंदर एक सकरात्मक सोच उत्पन हुई है .... <BR/><BR/> ३.आप किन विषयों पर लिखना पसन्द/झिझकते है? <BR/> <BR/>मेरे पसंद के विषय कविता ही हैं मुझे ज़िंदगी की सचाई ,प्यार और दर्द पर लिखना बहुत पसंद है ...लिखना पसंद नही है तो किसी विवाद पर कुछ ऐसा नही लिखना चाहती की किसी का दिल दुखे ..क्यूँ की मेरे लिखने के मक़सद हमेशा दूसरो के दिल की बात अपने लफ़्ज़ो में कहना है .. अब इस में कितनी कामयाब हूँ यह नही जानती ..पर हमेशा दिल कि बात लिखने कि कोशिश रही है मेरी!<BR/><BR/>४.यदि आप किसी साथी चिट्ठाकार से प्रत्यक्ष में मिलना चाहते हैं तो वो कौन है?<BR/><BR/>यह सबसे मुश्किल सवाल है ...क्यूं कि जिनको मैं इतने दिन से पढ़ रही हूँ उन सबसे मिलने की इच्छा होना स्वभाविक है ..अब इनमें किसी एक का नाम नही लिया जा सकता है ..दिल में बस एक उमीद है कि एक दिन सबसे ज़रूर मुलाक़ात होगी ...:) <BR/><BR/>५.आपकी पसँद की कोई दो पुस्तकें जो आप बार बार पढते हैं.<BR/><BR/>मेरी पसंद कि पुस्तके जो मैं बार -बार पढ़ती हूँ ..एक "अमृता प्रीतम" कि "रसिदी टिकट" और दूसरी "बशीर बद्र" कि "तुम्हारे लिए "<BR/><BR/>और अंत में आप सबका दिल से शुक्रिया कि आप मेरे लिखे को बहुत ध्यान और बहुत प्यार से पढ़ते हैं .यही बात मुझे और अच्छा लिखने कि प्रेरणा देती है ..शुक्रिया <BR/><BR/>रंजूरंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-16180631000702787632007-02-26T22:03:00.000-05:002007-02-26T22:03:00.000-05:00ये बहुत नाइन्साफ़ी है कि अभी तक आपकी इस पोस्ट की चर...ये बहुत नाइन्साफ़ी है कि अभी तक आपकी इस पोस्ट की चर्चा नहीं हुयी। चिट्ठाखोरी भी एक नशा है<BR/>और आप इसके चक्कर में फंस गये हैं। अब इससे मुक्ति का फिलहाल कोई उपाय भी नहीं है। ये जो भाषाई पहलवानी वाली बात कही आपने वह भी एक तरह की पहलवानी ही है महाराज! अरे कठिन लिखना सीखो न आपको कौन रोकता है! :)<BR/>कामना है कि आपकी टिप्पणी करते रहने की बदनामी और होये और आप एक-एक पोस्ट पर दो-दो टिप्पणियां करने लगो!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-87179446897503563562007-02-26T17:06:00.000-05:002007-02-26T17:06:00.000-05:00समीर जी ने मुझे टैग किया है। उनके प्रश्नों के उत्त...समीर जी ने मुझे टैग किया है। उनके प्रश्नों के उत्तर देखने के लिये <A HREF="http://www.dilkedarmiyan.blogspot.com/" REL="nofollow"> यहाँ</A> क्लिक करें।Dr.Bhawna Kunwarhttps://www.blogger.com/profile/11668381875123135901noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1751045539268339272007-02-26T14:05:00.000-05:002007-02-26T14:05:00.000-05:00समीर भाई,अपने घर से दूर होने और व्यस्तता बढ़ जाने क...समीर भाई,<BR/>अपने घर से दूर होने और व्यस्तता बढ़ जाने के कारण मैं नेट पर नहीं आ सका पर सर्व प्रथम बधाई स्वीकारे पुन: पुरस्कार प्राप्त करने के लिए…और यह मैं जानता था तो आश्वस्त था ही…।<BR/>अब प्रवचन से लेकर परिचर्चा और प्रश्नोतरी सभी की<BR/>उम्दा धारा आसे बहती है…।<BR/>बहुत अच्छा लगा…बधाई…पुन: स्वीकारे!!!Divine Indiahttps://www.blogger.com/profile/14469712797997282405noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-30211088289950785452007-02-26T02:26:00.000-05:002007-02-26T02:26:00.000-05:00समीर जी परीवार बढा रहे हो, इस्तीहार भी निकाल दिया ...समीर जी परीवार बढा रहे हो, इस्तीहार भी निकाल दिया कि मैं एक गधा हूं, बडे काम का हूं जनाब. जिसके घर के बाहर बध जाता हूं उसके पौबारह हो जाते है.आपके बारे में पढा कि आप अवार्ड पा गए है. आपका साक्षातकार भी पढा, तो यह गधा आपका टेबल फैन बन गया. आपकी उडन तस्तरी पर भी जा पहूंचा. पढा, और विज्ञापन देखा तो लगा ढेंचू ढेंचू करने. ऐसा मालिक भी साहब किस्मत वाले गधों को ही नसीब होता है जो जनवरों को भी घर परीवार का हिस्सा मान ले. वर्ना आजकत तो भारत में जिस गाय का दूध पी कर खान्दान बनता थ उसे कसाई को बेच दिया जाता है, परीवा की धुरी रह बुजुर्ग घर में कुत्ते से भी गया गुजरा हो जता. अलीसेसन कुत्ता ब्रिटेनिया के बिस्किटा खात है और बुजुर्ग रोटी के एक टुकडे को गिडगिडाता है. फिर ऐसे में यदी आप जानवरों को भी परीवार का सदस्य मानते हैं तो आप महान हैं आपका नाम मेनका जी को मेल करन चाहिये मै. अखिल संसार गधा एकता मच की ओर से यह प्रस्ताव अवश्य भेजूंगा.योगेश समदर्शीhttps://www.blogger.com/profile/05774430361051230942noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-65068492670522530192007-02-26T00:19:00.000-05:002007-02-26T00:19:00.000-05:00वाह खूब दिल से जवाब दिए सब। आज की पोस्ट स्वामी समी...वाह खूब दिल से जवाब दिए सब। आज की पोस्ट स्वामी समीरानन्द ने नहीं समीरलाल जी ने लिखी है।<BR/><BR/>लेकिन हमारे <A HREF="http://epandit.blogspot.com/2007/02/game-of-tagging-and-15-questions.html" REL="nofollow">प्रश्न नंबर १ और २</A> के उत्तर नहीं दिए आपने।ePandithttps://www.blogger.com/profile/15264688244278112743noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-36921832812052983672007-02-26T00:14:00.000-05:002007-02-26T00:14:00.000-05:00एक बड़े कवि ने भी कहा है "जिस तरह हम बोलते हैं उस त...एक बड़े कवि ने भी कहा है "जिस तरह हम बोलते हैं उस तरह तू लिख,और इसके बाद भी हम से बड़ा तू दिख"।<BR/>समृद्धि पहले या समता?कभी विवेकानन्द,गाँधी,विनोबा और जयप्रकाश जैसों से कल्पना में भेंट हो जाए।दलित-वंचित का, हाट-बाजार का ब्रह्मज्ञान और मठी-तिकड़मी ब्रह्मज्ञान के बीच अभेद नहीं रह जाएगा।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-51438040997703396512007-02-25T15:23:00.000-05:002007-02-25T15:23:00.000-05:00विवरण और तर्क के साथ सम्पूर्ण उत्तर!विवरण और तर्क के साथ सम्पूर्ण उत्तर!Rajeev (राजीव)https://www.blogger.com/profile/04166822013817540220noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-86807623116231964612007-02-25T14:25:00.000-05:002007-02-25T14:25:00.000-05:00लिखी कहानी लाला बन कर, प्रवचन देते बन कर स्वामीहे ...लिखी कहानी लाला बन कर, प्रवचन देते बन कर स्वामी<BR/>हे महान चिट्ठा लेखन, यों लगता है हो अन्तर्यामी<BR/>वसुधा एक कुटुम्बी, तुमने चिट्ठा जग आधार किया है<BR/>आस बने अब चिट्ठाकारी, सहज तुम्हारी ही अनुगामीराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-27300597821317475262007-02-25T11:59:00.000-05:002007-02-25T11:59:00.000-05:00समीर जीआपने सत्य लिखा है कि लिखना भी एक नशा बन जात...समीर जी<BR/><BR/>आपने सत्य लिखा है कि लिखना भी एक नशा बन जाता है.....न लिखो तो मन उचाट होने लगता है और लिख्नने लगो तो सोचो कि किस विषय पर लिखा जाये....सब विषयों पर तकरीबन तकरीबन कुछ न कुछ लिखा जा चुका है<BR/>किसी ने सच ही कहा है<BR/><BR/>"किसी को दौलत, किसी को शौहरत किसी को इज्जत का नशा है<BR/>तो फिर मय के नशे में क्या खराबी है<BR/>मै सच कहता हूं ध्यान से सुनो दोस्तो<BR/>आदतन हर आदमी शराबी है "<BR/><BR/>तो हम चिट्ठाकार भी एक तरह के शराबी ही हुए.......लिखने के नशे में टुल ....Mohinder56https://www.blogger.com/profile/02273041828671240448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-28433617661102757612007-02-25T10:29:00.000-05:002007-02-25T10:29:00.000-05:00बढ़िया लेख !बढ़िया लेख !Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-50155487858979795762007-02-25T07:21:00.000-05:002007-02-25T07:21:00.000-05:00समीर जी, जबलपुर के पानी में कुछ तो जादू है, आपके ल...समीर जी, जबलपुर के पानी में कुछ तो जादू है, आपके लेखन में भी <BR/>परसाईजी, रजनीश, महेश योगी, सुभद्रा कुमारी चौहान, सेठ गोविंद दास, रामेश्वर शुक्ल जैसे साहित्यकारों के गुण नजर आते हैं। बधाई!!नितिन | Nitin Vyashttps://www.blogger.com/profile/14367374192560106388noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-322082649691135382007-02-25T03:34:00.000-05:002007-02-25T03:34:00.000-05:00गुरु मुझे शिष्य बना लो आप तो बस्……और हां मुझे ना स...गुरु मुझे शिष्य बना लो आप तो बस्……और हां मुझे ना सुनाई नही देता। हा हा हा…।<BR/> मस्त लिखा है आपने हमेशा की तरह। आपकी "मेरी नजर में अंतरजाल पर हिन्दी का विकास…………" इस बात से मैं सहमत हूं क्योंकि हिंदी इसीलिए बची हुई है या समृद्ध हुई है कि इसने समय समय पर अन्य भाषाओं के शब्दों को अपने मे समाहित किया है। क्लिष्ट हिन्दी की बजाय हिन्दुस्तानी भाषा जो आम बोलचाल की भाषा है ज्यादा अच्छी और प्रभावी लगती है , कम से कम मेरी नज़र में।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-67252747236767249822007-02-25T03:31:00.000-05:002007-02-25T03:31:00.000-05:00अच्छा लगा आपका जवाब देने का अंदाज़.. और मौलिकता भी....अच्छा लगा आपका जवाब देने का अंदाज़.. और मौलिकता भी...maAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-67461706012118689982007-02-25T03:29:00.000-05:002007-02-25T03:29:00.000-05:00स्टूडेंट तो आप अच्छे निकले, बहुत अच्छा जवाब भी दिय...स्टूडेंट तो आप अच्छे निकले, बहुत अच्छा जवाब भी दिया, मगर टीचर की तरह प्रशन पत्र सही नहीं बना, भाई साहब तीन और पांच नम्बर पर एक ही सवाल है, सेम टू सेम । स्माईले :)Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-54854178641692477122007-02-25T02:20:00.000-05:002007-02-25T02:20:00.000-05:00वाह लालाजी,खूब लिखे हो आप.. हमेशा की तरह. पर गिरफ्...वाह लालाजी,<BR/><BR/>खूब लिखे हो आप.. हमेशा की तरह. <BR/><BR/>पर गिरफ्तार हो गए ना. :( मैने तो आपका नाम नही दिया. मुझे गिरफ्तारी से डर लगता है.पंकज बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/05608176901081263248noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-23266045729555616532007-02-25T01:59:00.000-05:002007-02-25T01:59:00.000-05:00वाह मान गये, जवाब हो तो ऐसा।वाह मान गये, जवाब हो तो ऐसा।उन्मुक्तhttps://www.blogger.com/profile/13491328318886369401noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-84986383665846977002007-02-25T00:32:00.000-05:002007-02-25T00:32:00.000-05:00अगर परीक्षा में इस प्रकार उत्तर देते तो फेल हो जात...अगर परीक्षा में इस प्रकार उत्तर देते तो फेल हो जाते, मगर यह चिट्ठा जगत है. आप पूरे अंको से पास होंगे. :)Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-90060166592776567082007-02-24T23:29:00.000-05:002007-02-24T23:29:00.000-05:00Without you're permission Bhai,I have 'dared' to i...Without you're permission Bhai,I have 'dared' to include you as my 'favorite' hindi blogger.I am 'equally' audacious to put you on my main page too,Rok sako tou rok lo.<BR/>Love,PI.Anonymousnoreply@blogger.com