tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post5318391890052652555..comments2024-03-04T07:12:33.254-05:00Comments on उड़न तश्तरी ....: अंधड़....Udan Tashtarihttp://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comBlogger92125tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-36575579700162167972010-07-20T00:11:42.599-04:002010-07-20T00:11:42.599-04:00"मेरा काम है घोंसला बनाना
और
हवा का उजाड़ना ..."मेरा काम है घोंसला बनाना <br />और <br />हवा का उजाड़ना <br /><br />और फिर हम <br />अपने अपने काम में जुट जाते हैं <br />नई लगन के साथ!!!"<br /><br /><br /><b>bahut hi behtreen.............bahut khoob! </b>Shah Nawazhttps://www.blogger.com/profile/01132035956789850464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-12747531986405401652010-06-04T14:13:24.909-04:002010-06-04T14:13:24.909-04:00अपने दादा मुक्तिबोध कह गये हैं ... बिना विचार के न...अपने दादा मुक्तिबोध कह गये हैं ... बिना विचार के न हम सो सकते हैं न जी सकते हैं ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-10174647560185458352010-05-20T03:01:06.527-04:002010-05-20T03:01:06.527-04:00आपके परिजन? नहीं जी प्रियजन लिखना था .
आपके प्रियज...आपके परिजन? नहीं जी प्रियजन लिखना था .<br />आपके प्रियजनों,प्रशंसकों को नाराजं किया है मैंने.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-43871410885093370042010-05-19T17:13:27.277-04:002010-05-19T17:13:27.277-04:00bahut aache se likha hai aap ne title bhi aacha ha...bahut aache se likha hai aap ne title bhi aacha hai.Tejhttps://www.blogger.com/profile/07239419875368579533noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-30926699699388296042010-05-17T01:39:37.688-04:002010-05-17T01:39:37.688-04:00और फिर हम
अपने अपने काम में जुट जाते हैं
नई लगन ...और फिर हम <br />अपने अपने काम में जुट जाते हैं <br />नई लगन के साथ<br />sahi hame apna kaam karna chahiye,chahe koi bhi hawa kitne bhi rode dale,apna ghosla bante rehna chahiye.mehekhttp://mehhekk.wordpress.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-88408062620495633542010-05-15T13:01:03.593-04:002010-05-15T13:01:03.593-04:00नहीं
नहीं
मेरा काम है घोंसला बनाना
और
हवा का उजाड़न...नहीं<br />नहीं<br />मेरा काम है घोंसला बनाना<br />और<br />हवा का उजाड़ना<br /><br />और फिर हम<br />अपने अपने काम में जुट जाते हैं<br />नई लगन के साथ!!!...<br /><br />बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति.डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-77861651764051356922010-05-15T10:23:42.612-04:002010-05-15T10:23:42.612-04:00सुंदर.सुंदर.Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-23987088666315989832010-05-15T10:16:23.066-04:002010-05-15T10:16:23.066-04:00समीर जी!
प्रणाम। आपको नमस्ते लिखता था, आज पहली बार...समीर जी!<br />प्रणाम। आपको नमस्ते लिखता था, आज पहली बार (शायद) याद के दयार में प्रणाम कर रहा हूँ।<br />मैंने अपने अनुभव दर्ज करने में ही साफ़ कर दिया था कि आप किस स्थान पर हैं मेरी नज़र में, उस समय।<br />हालात ऐसे बने कि मन उखड़ा, तो मैंने बहुत क़ाबू किया, करते-करते भी कुछ-न-कुछ कहीं-न-कहीं टीप ही गया। फिर भी, कहीं उल्लंघन न हो मर्यादा का इसलिए, आज तक टाला और अब आया, जब आज अपनी सोच ज़ाहिर कर सका, संयत होकर मगर खुलकर, अपनी आज की पोस्ट में।<br />यहाँ आकर रहा-सहा मूड भी सुधर गया - आप की पंक्तियों से -<br /><em>मेरा काम है घोंसला बनाना<br />और<br />हवा का उजाड़ना<br />और फिर हम<br />अपने अपने काम में जुट जाते हैं<br />नई लगन के साथ!</em><br /><br />एक अर्थ में अच्छा भी रहा, आप तो वहीं हैं जहाँ थे; बहुतों की मूर्धन्यता और परिपक्वता की कलई खुली इसी बहाने। हमारे जैसे नए-पुरानों का चक्षून्मीलन हुआ।<br /><br />जाते-जाते दो शे'र अर्ज़ किए जाता हूँ, कृष्ण बिहारी 'नूर' साहब के-<br /><br />अब ये आलम है कि हाथों से छुपाए हूँ लहू<br />मैंने जो पत्थर उछाला था-उसी ने सर छुआ<br />और<br />मैं तो छोटा हूँ, झुका दूँगा कभी भी अपना सर<br />सब बड़े ये तय तो कर लें कौन है सबसे बड़ा!<br />शुभकामनाओं सहित,Himanshu Mohanhttps://www.blogger.com/profile/16662169298950506955noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-42238619549623505882010-05-15T08:09:49.638-04:002010-05-15T08:09:49.638-04:00पूज्य दादा
एक क्षण भी नही लगाया और आपने मेरे व्यूज...पूज्य दादा<br />एक क्षण भी नही लगाया और आपने मेरे व्यूज़ छाप दिए ?<br />आप जैसा व्यक्ति ही ऐसा करऩे का साहस कर सकता है .<br />मेरे मन में आपका दर्जा और ऊंचा हो गया है दादा !<br />मैं जानती हूँ आपको मेरी बात ऩे कहीं न कहीं आहत तो किया ही होगा.<br />माफ़ कर दीजिये .<br />किन्तु हम जिन्हें चाहते हैं ,प्यार करते हैं,सम्मान देते हैं उसके सामने सत्य ना बोल कर बहुत अच्छा नही कर रहे ,<br />बल्कि उसका बुरा ही कर रहे होते हैं. <br />आप जैसे व्यक्तित्व के लिए ये सब लिख कर मैंने आपके परिजनों को नाराज कर दिया है और बिजली मुझ पर गिरेगी ये भी जानती हूँ किन्तु .......<br />इन सबकी बहुत ज्यादा परवाह भी मैं नही करती .<br />ये मेरी एक बहुत बड़ी कमी या विशेषता ??????? भी है<br />हा हा हा<br />क्या करूं ऐसीच हूँ मैं<br /> 'छुटकी 'Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-79972318410982437452010-05-15T07:29:46.781-04:002010-05-15T07:29:46.781-04:00'शातिर हवा
फिर नये अण्दाज़ में
आ जाती है
अपने अ...'शातिर हवा<br />फिर नये अण्दाज़ में<br />आ जाती है<br />अपने अंधड़ पर<br />मुखौटा लगाये<br />पुरबाई का<br />और तब<br />वे जो मेरा साथ देने को हुए थे<br />तत्पर<br />गंवाने लगते हैं<br />अपने अपने घोंसले<br />ताकते हैं मेरी ओर<br />मैं उठ कर लड़ूँ<br />हवा से..<br />को नहीं<br />नहीं<br />मेरा काम है घोंसला बनाना<br />और<br />हवा का उजाड़ना और फिर हम<br />अपने अपने काम में जुट जाते हैं<br />नई लगन के साथ!!! '<br /><br />सर! दादा तो हैं ही.अक्सर अपने ही लोंगों कहती हूँ (और कहती ही नही ये मेरे जीवन का,मेरी सोच का केन्द्र बिंदु भी है इसे आत्म श्लाघा ना समझें)कि मेरे लिए कोई क्या कहता है,इसकी कभी परवाह करती ही नही .क्यों सब मुझे महान,बहुत अच्छा समझे? अरे भई ! तुम्हारी सोच जहाँ तक जाये, सोचो. जिस लेवल की बात करनी आती है,करो. मैं क्या हूँ वो लोग बताएंगे,सर्टिफिकट देंगे तभी मुझे मालूम होगा क्या?<br />हर स्तर की लेंग्वेज आने के बाद भी सामने वाले के स्तर तक नही उतरती.<br />यहाँ तो दो बुद्धिजीवियों की बात हो रही है,बाकि भी सभी बुद्धिजीवी ही हैं फिर..........<br /> 'शातिर हवा' 'पुरवाई का मुखोटा' शब्दों को पढ़ कर मुझे दुःख हुआ.<br />फूलों में लपेट कर पत्थर ही मारा है आपने, अच्छा नही किया. आपके व्यक्तित्व की गरिमा के अनुकूल नही.<br /><br />मेरा दादा 'आम' आदमी हो ही नही सकता. वो कईयों का रोल मोडल है.<br />लोंगों ने खुल कर गाली गलोच की, आपने? आप जैसे लोंगों की चुप्पी ही एक जबर्दस्त विरोध प्रकट करने के लिए काफी है,उस चुप्पी में से भी एक 'ग्रेस' झलकता है आपका. <br />कविता अच्छी है किन्तु.......... उन पंक्तियों को पढ़ कर मुझे अफ़सोस हो रहा है.<br />आप एक विश्व प्रसिद्ध ब्लोगर हैं,विद्वान है.मेरे श्रद्धेय है.मगर दादा! आप ये भी जानते हैं चाटुकारों ने बड़े बड़े साम्राज्य नष्ट कर दिए बुद्धिमान सम्राट जान ही नही पाए कि शुभचिंतक,प्रसंशक और चाटुकार कौन कौन है उनके ईर्द गिर्द.प्रसिद्धि,ताकत,सम्पन्नता का मूल्य चुकाना पड़ जाता है कभी कभी.<br />आप चाहें तो इस टिप्पणी को पब्लिश ना करें. <br /><br /> 'नहीं<br />नहीं<br />मेरा काम है घोंसला बनाना<br />और<br />हवा का उजाड़ना और फिर हम<br />अपने अपने काम में जुट जाते हैं<br />नई लगन के साथ!!'<br />ये है वो समीर लाल जी, उडन तश्तरीजी,मेरा दादा जिसे हजारों लाखों को लोग प्यार करते है ,सम्मान देते हैं.<br />दादा! माफ कर दीजिए,पर. ....Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-85419090449069992172010-05-15T03:30:13.380-04:002010-05-15T03:30:13.380-04:00वाह वाह महारज जी, किस अंदाज़ में कह गए, कोई जवाब नह...वाह वाह महारज जी, किस अंदाज़ में कह गए, कोई जवाब नहीं आपका। बात एकदम वाजिब कही है और बड़ी ही सहजता से।बवालhttps://www.blogger.com/profile/11131413539138594941noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-44712734253151609562010-05-13T17:55:29.590-04:002010-05-13T17:55:29.590-04:00लगभग अद्भुत....
आलोक साहिललगभग अद्भुत....<br /><br />आलोक साहिलआलोक साहिलhttps://www.blogger.com/profile/07273857599206518431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-81723314462439373612010-05-13T17:42:20.464-04:002010-05-13T17:42:20.464-04:00शायद जीवन इसी का नाम है.....शायद जीवन इसी का नाम है.....Pt. D.K. Sharma "Vatsa"https://www.blogger.com/profile/05459197901771493896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-17416070602472461682010-05-13T15:56:40.755-04:002010-05-13T15:56:40.755-04:00samir ji !आपकी इस पोस्ट ने बड़ी हिम्मत दी !samir ji !आपकी इस पोस्ट ने बड़ी हिम्मत दी !सुशीला पुरीhttps://www.blogger.com/profile/18122925656609079793noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-8004857640526917032010-05-13T15:07:47.893-04:002010-05-13T15:07:47.893-04:00सुंदर कविता । सबको अपना अपना काम करते रहना चाहिए ।...सुंदर कविता । सबको अपना अपना काम करते रहना चाहिए । और किया भी क्या जा सकता है ।अर्कजेशhttp://arkjesh.blogspot.com/2010/05/blog-post_12.htmlnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-17259208162237222102010-05-13T14:03:12.168-04:002010-05-13T14:03:12.168-04:00मैं भी वही कहना चाह रहा था जो पंकज ऊपर कह गए हैं.मैं भी वही कहना चाह रहा था जो पंकज ऊपर कह गए हैं.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-77296522081450772462010-05-13T13:50:02.849-04:002010-05-13T13:50:02.849-04:00हर संवेदनशीलमन ब्लोग्गर के साथ कभी न कभी यहां इस ...हर संवेदनशीलमन ब्लोग्गर के साथ कभी न कभी यहां इस अंधड का सामना करना ही पडेगा । आप बरगद के दरख्त हैं तो जाहिर है कि अंधड का रुख आपकी तरफ़ अक्सर हुआ करेगा । मगर इतना ध्यान रखिएगा कि इन दरख्तों पर बहुतों ने अब अपने घोंसले बना लिए हैं कम से कम उनके लिए ही सही बरगद को स्थिर रहना ही होगा ।अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-40529480901078425802010-05-13T13:34:54.752-04:002010-05-13T13:34:54.752-04:00"हवायें लाख जोर लगायें आंधियां बनकर,
बादल जो ..."हवायें लाख जोर लगायें आंधियां बनकर,<br />बादल जो बरसने आता है, बस छा ही जाता है।"<br /><br />कविता बहुत अच्छी लगी।<br /><br />आभार स्वीकार करें।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-22211028866454610232010-05-13T13:32:40.742-04:002010-05-13T13:32:40.742-04:00मेरा काम है घोंसला बनाना
और
हवा का उजाड़ना और फि...मेरा काम है घोंसला बनाना <br />और <br />हवा का उजाड़ना और फिर हम <br />अपने अपने काम में जुट जाते हैं <br />नई लगन के साथ!!!<br /><br /><br />बहुत सही लिखा है... नई लगन के साथ अपने काम में जुट जाते हैं..Dev K Jhahttps://www.blogger.com/profile/06471032900319205793noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-80208009550337102112010-05-13T13:31:17.106-04:002010-05-13T13:31:17.106-04:00अक्सर ऎसा होता है कि हम अंधडो की तैयारी मे लगे होत...अक्सर ऎसा होता है कि हम अंधडो की तैयारी मे लगे होते है और अंधड़ सिर्फ़ हवा के मामूली झोके होते है और जलती गर्मी मे ऐसे झोके भी सही..<br /><br /><b>"मेरी कमिया निकालने वाले, तू है कोई निगेहबान मेरा.." </b><br /><br />I would like to say sorry with folded hands, if any of the used alphabet is conveying any wrong meaning...<br /><br />आपकी कविता से भावुकता झलक रही है... लेकिन बडे होने के नाते आपसे बहुत उम्मीदे है.. और ये उम्मीदे भी की आप हमारे जैसे क्षुद्र ब्लोगरो के लिये एक मिसाल देगे.. आपके नये कमेन्ट्स मुझे अच्छे नही लग रहे :( :(Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय)https://www.blogger.com/profile/01559824889850765136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-26535965048049145142010-05-13T13:23:15.500-04:002010-05-13T13:23:15.500-04:00P.S. अनूप जी की नयी पोस्ट पढियेगा.. उन्होने बहुत प...<b>P.S. अनूप जी की नयी पोस्ट पढियेगा.. उन्होने बहुत प्यार से लिखी है..<br /><br />"पिटूं इस दुख की घड़ी में मैं तुम्हारे साथ हूं। तुम भी हमारे साथ ही आ जाओ। दोनों मिलकर इस दुख की घड़ी को पार करें। पिंटू बबुआ –आई लव यू!" :)</b><br /><br />जावो पिंटू जावो, फ़ुरसतिया ने अब तो दूत भी भेज दिया बुलाने को.ढपो्रशंखhttps://www.blogger.com/profile/14074234658513322278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-44146476251365325972010-05-13T13:18:12.088-04:002010-05-13T13:18:12.088-04:00वाह क्या कर्म भाव हैवाह क्या कर्म भाव हैडॉ महेश सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/18264755463280608959noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-29626580935313933072010-05-13T13:03:04.704-04:002010-05-13T13:03:04.704-04:00flawless ...and smoothly flowing work of poetry......flawless ...and smoothly flowing work of poetry...Sameer bhai bahut badhiyaYogesh Sharmahttps://www.blogger.com/profile/13296401748828517861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-64064958899083145412010-05-13T12:29:38.557-04:002010-05-13T12:29:38.557-04:00कविता पड़ कर आचानक मधुशाला की यह पंक्तियाँ याद आ ग...कविता पड़ कर आचानक मधुशाला की यह पंक्तियाँ याद आ गई!<br /><br />मदिरालय जाने को घर से चलता है पीनेवला, किस पथ से जाऊँ असमंजस में है वह भोलाभाला, <br />अलग-अलग पथ बतलाते सब पर मैं यह बतलाता हूँ राह पकड़ तू एक चला चल, पा जाएगा मधुशाला।Vivekhttps://www.blogger.com/profile/03695830868123281532noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-45688229657498840262010-05-13T12:29:38.558-04:002010-05-13T12:29:38.558-04:00इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय)https://www.blogger.com/profile/01559824889850765136noreply@blogger.com