tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post4785556977562567623..comments2024-03-04T07:12:33.254-05:00Comments on उड़न तश्तरी ....: दुनिया जिसे कहते हैंं जादू का खिलौना है....Udan Tashtarihttp://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-45535177290344054332016-11-14T20:51:28.060-05:002016-11-14T20:51:28.060-05:00संवेदना भी उपहास का हिस्सा बन रही है। ... लोग सिर्...संवेदना भी उपहास का हिस्सा बन रही है। ... लोग सिर्फ और सिर्फ स्व में सिमित होते जा रहे हैं या होने को मजबूर हैं Archana Chaojihttps://www.blogger.com/profile/16725177194204665316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-2791854332847469002016-11-14T10:21:12.359-05:002016-11-14T10:21:12.359-05:00आपने बहुत सही कहा , आपकी सोच के क्या कहने आपने बहुत सही कहा , आपकी सोच के क्या कहने girish pankajhttps://www.blogger.com/profile/16180473746296374936noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-35456648936593933612016-11-14T09:50:12.053-05:002016-11-14T09:50:12.053-05:00bahut sahi kaha...bahut sahi kaha...शारदा अरोराhttps://www.blogger.com/profile/06240128734388267371noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-85489873388437804602016-11-14T00:48:16.515-05:002016-11-14T00:48:16.515-05:00इसी मान कर चलने में न जाने कितने संबंधों के महल ने...इसी मान कर चलने में न जाने कितने संबंधों के महल नेस्तनाबूत हो जाते हैं...और हम अवाक से बस देखते रह जाते हैं...<br /><br />आपने सही कहा। अक्सर रिश्तों में हम बिना बात किए ही सोच लेते हैं कि सामने वाले को पता ही होगा और इसी वजह से रिश्तों में अपनत्व खत्म होता जाता है। व्यंग्य तगड़ा है और समाज ऐसा है कि कईयों के लिये बाप बड़ा न भैया सबसे बड़ा रुपैया। इसलिए आपके मित्रों का ये सोचना भी लाजमी था कि रूपये की बात चल रही थी।विकास नैनवाल 'अंजान'https://www.blogger.com/profile/09261581004081485805noreply@blogger.com