tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post3910702063138120689..comments2024-03-04T07:12:33.254-05:00Comments on उड़न तश्तरी ....: आसमानी रिश्ते भी टूट जाते हैं..Udan Tashtarihttp://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comBlogger90125tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-35241122429242604252010-05-18T21:49:29.413-04:002010-05-18T21:49:29.413-04:00ओ हंसाने वाले तुने रुला दिया आज
संवेदना की इससे भ...ओ हंसाने वाले तुने रुला दिया आज <br />संवेदना की इससे भी ऊँची उड़ान होगी क्या ? <br />बहुत ही मार्मिक और अंतःकरण को छूने वाला अनमोल लेख !!राम त्यागीhttps://www.blogger.com/profile/05351604129972671967noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-85933682143987384992009-11-20T14:25:05.937-05:002009-11-20T14:25:05.937-05:00''आसमानी रिश्ते भी टूट जाते हैं 'पढ़ा
...''आसमानी रिश्ते भी टूट जाते हैं 'पढ़ा <br />एक नए समीर से परिचय हुआ, वैसे उम्र मे छोटे हैं आप मुझसे .<br />समुद्र की चंचल,शरारती लहरें ...लोग बाहर ही देखते हैं ...समुद्र की गहराई मे छिपा अंधकार ..असीम गंभीरता ....कोई झांके तो दिखे ....<br />एक दिन सागर ने खुद ही दिल खोल दिया .....<br />अब मालूम हुआ मेरे आर्टिकल 'पीछा नही छोड़ते ...ये यादों के साये' मे 'इलाहबाद प्लेटफोर्म' को पढ़कर इतनी सम्वेदनशील प्रतिक्रिया क्यों दी थी <br />आप मे भी वही सब जीता है ,जो मुझ मे भी ... <br />'आसमानी रिश्ते...'पढ़ा ,मेरे आंसू बहते गए ....फिर दोबारा पढ़ा ... और जिन्हें नही रुकना था ,वे नही रुके ... <br />इतना लम्बा खत सा लिखती जा रही हूँ <br />मालूम है आप जैसे ब्लोगर्स को बहुत सारे ब्लॉग पर जाके व्यूज़ भी देने होते हैं ,इसे पढने की न फुर्सत होगी न जरूरत ..फिर भी लिख रही हूँ <br />उम्र मे छोटे हो ,पर...<br />प्रणाम दादा !सौ बरसे जिए ..Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-51218418264624718302009-11-09T18:19:19.200-05:002009-11-09T18:19:19.200-05:00मेरी कम उम्र मे ही मुझे पापा का साथ छोड़ना पड़ा वो...मेरी कम उम्र मे ही मुझे पापा का साथ छोड़ना पड़ा वो हमें छोड़ कर चले गए ऊपर हमसे बहुत दूर जिन्हें मे सबसे ज्यादा प्यार करता हूं........<br />और हाँ लेकिन वो विरासत मे मुझे अपनी कलम दे गए वो एक अच्छे लेखक और पत्रकार थे......<br />उनकी याद मे मैंने कुछ पंक्तियाँ लिखी हैं आपसे बतना चाहूंगा <br />ये पन्ने हैं जिंदगी के इनमे आपका पता तलाशता हूं<br />आप खो गए हैं मगर अब बस आपकी यादों का हिसाब<br />संभालता हूं<br /><br />बस एक पन्ना खाली छुटा है मेरी इस किताब का<br />बात वो अधूरी छोड़ गए बोले,बेटा अभी बताता हूं<br /><br />बस मेरे मे ही सीमित है आपके रूप का हर रंग<br />अपने जिस्म के हर हिस्से को आपमे ही बसाता हूं<br /><br />गुजरते बचपन के साथ वक्त भी ये गुजर जाएगा मगर<br />गुजरे हुए कल की गलियों से मै अब भी गुजरता हूं<br /><br />मेरा मुक़द्दर तो देखो ये मुझे छोड़ मेरे अपनों पर कहर ढाता है<br />इसलिए जिस्म छोड़ कभी-कभी आपके साथ निकल पड़ता हूं<br /><br />अकसर बचपन मे आसमानों मे छिपे राज आप सुनाते थे मुझको<br />अब क्यूँ नही बरसते आसमां से आप,देखो तो जरा मे कितना गरजता हूं<br /><br />सच आसमानी रिश्ते भी साथ छोड़ जाते हैं......<br /><br /><br /><br />माफ़ी चाहूंगा स्वास्थ्य ठीक ना रहने के कारण काफी समय से आपसे अलग रहा <br /> <a href="http://akshaya-mann-vijay.blogspot.com/" rel="nofollow"><br />अक्षय-मन "मन दर्पण" से </a>!!अक्षय-मन!!https://www.blogger.com/profile/05340059809215740706noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-72648357726408253542009-11-09T13:53:58.349-05:002009-11-09T13:53:58.349-05:00आपकी ये रचना बहुत कुछ कह रही है....और मैं भी बहुत ...आपकी ये रचना बहुत कुछ कह रही है....और मैं भी बहुत कुछ कहना चाह रही हूँ, पर कुछ भी नहीं कह पा रही हूँ.आप्रवासियों का दिल जैसे निकाल कर रख दिया है आपने यहाँ ...न जाने किस बेहतर विकल्प की तलाश में हम जिन्दगी की असली खुशियाँ गवां देते हैं......और अंत में रह जाते हैं कुछ प्रश्न और एक अतृप्त आत्मा....बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति ....बधाई स्वीकारें.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-32873513892441437692009-11-09T05:55:39.060-05:002009-11-09T05:55:39.060-05:00यादें अक्सर दुखदायी ही क्यों होती हैं। यह बात समझ ...यादें अक्सर दुखदायी ही क्यों होती हैं। यह बात समझ में क्यों नहीं आती?<br />------------------<br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">और अब दो स्क्रीन वाले लैपटॉप।</a><br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">एक आसान सी पहेली-बूझ सकें तो बूझें।</a>Arshia Alihttps://www.blogger.com/profile/14818017885986099482noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-64369873589535957462009-11-09T04:50:21.271-05:002009-11-09T04:50:21.271-05:00gaadi bulaa rahi hai,siti baja rahi hai,jindgi hai...gaadi bulaa rahi hai,siti baja rahi hai,jindgi hai,chalti hai aur bas chalti jaa rahi hai.devendraduniyahttps://www.blogger.com/profile/03605481517593880724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-18365298924812001392009-11-08T13:04:16.875-05:002009-11-08T13:04:16.875-05:00अभी चार दिनों बाद मित्र के परिवार के एक दुखद हादसे...अभी चार दिनों बाद मित्र के परिवार के एक दुखद हादसे से सामना कर् वापस लौटा हूँ ,एक पोस्ट लगाई और आपके ब्लॉग पर आकर यह रचना पढ़ी .. किश्नु और जगतारा तो बचकर आ गये लेकिन .. कितने ही बच्चे लौटकर नही आ पाते.. । हम इंसान ही तो हैं समीर भाई कितना दुख बर्दास्त करें ..। घर से निकलते हैं हम और किसीकी ज़िन्दगी से ही निकल जाते है ..फिर कभी लौट नही पाते ..। हाँ वह गाँव और घर भी हमारे साथ ही आता है और वह भी कभी नही लौटता ।<br />अभी आँसू पोछ ही रहा था कि आप की इस रचना ने फिर रुला दिया ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-76888795286978313672009-11-08T09:20:37.289-05:002009-11-08T09:20:37.289-05:00sameer ji ,
namaskar
behad samvedansheel rachana ...sameer ji ,<br />namaskar <br />behad samvedansheel rachana padhkar doori or ekant ka aabhas huaa,<br />jo hamare shahar , ghanv or desh se juda hota hai .<br />aapase parichit hone ka avasar mila hai.<br />ghar to abhi bhi aapaka hai .<br />hum sab aapake hi to apane hain .<br />renu...Renu Sharmahttps://www.blogger.com/profile/07005735117071191731noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-30130570751551527172009-11-08T05:05:13.683-05:002009-11-08T05:05:13.683-05:00ये सारे भाव सारी यादें,तब नहीं आतीं,जब बेहतर विकल्...ये सारे भाव सारी यादें,तब नहीं आतीं,जब बेहतर विकल्प की तलाश में कदम बढ़ रहें होते हैं,जब थक कर दो पल सुस्ताने को बैठते हैं,तो घटाओं की तरह यादें उमड़ उमड़ कर बरसती हैं....पर यही जीवन का सत्य है...और सबको इसका सामना करना ही पड़ता है,कोई गाँव से शहर आया,कोई महानगर तो कोई परदेश...सबके साझे दर्द को शब्द दे दिए आपनेrashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-73094772125191469252009-11-08T00:50:32.437-05:002009-11-08T00:50:32.437-05:00आसमानी रिश्ते भी टूट जाते हैं..
बारिश यूँ ही बेवज...आसमानी रिश्ते भी टूट जाते हैं.. <br />बारिश यूँ ही बेवजह नहीं होती... <br /><br />-आज फिर मेरी आँख बरसी है. <br /><br />बस.....-सारी कथा इन तीन पंक्तियों में व्याप्त है ...."बारिश यूँ ही बेवजह नहीं होती... ".....आह....! तू जो मिल जाती कहीं ....न बहते कतरे लहू के ....न ये बारिशें होतीं ......!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-79325313963970005622009-11-08T00:25:21.587-05:002009-11-08T00:25:21.587-05:00रुला दिया ना! हाँ नहीं तो।रुला दिया ना! हाँ नहीं तो।बवालhttps://www.blogger.com/profile/11131413539138594941noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-24427080736771965472009-11-07T09:28:22.232-05:002009-11-07T09:28:22.232-05:00समय बडा बलवान है । बेहतर विकल्प हमेशा घर से दूर क्...समय बडा बलवान है । बेहतर विकल्प हमेशा घर से दूर क्यूं होते हैं, इस प्रश्न में ही छुपा है उत्तर । स्वतंत्रता का जबरदस्त मोह । आपका आखरी शेर बहुत पसंद आया ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-68526242279399765372009-11-07T07:17:52.524-05:002009-11-07T07:17:52.524-05:00हम्म..भौतिक परिवेश से हटकर भी सबकी एकाकी दुनिया हो...हम्म..भौतिक परिवेश से हटकर भी सबकी एकाकी दुनिया होती है..Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-70312293167793431032009-11-07T03:58:02.928-05:002009-11-07T03:58:02.928-05:00उपस्थित।उपस्थित।Rajeyshahttps://www.blogger.com/profile/01568866646080185697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-12934078841854222562009-11-07T02:32:01.861-05:002009-11-07T02:32:01.861-05:00'जड़ों से छूट जाने क दर्द यहाँ की तड़क भड़क की ते...'जड़ों से छूट जाने क दर्द यहाँ की तड़क भड़क की तेज रफ्तार भागती जिन्दगी में गुम होकर रह गया ठीक वैसे ही जैसे उसकी अपनी पहचान'<br /><br />-दिल को छू गयी आप की यह पोस्ट ...इस दर्द को हम आप ही समझ सकते हैं.<br />-कोई अपनी मर्ज़ी से अपनी मिट्टी से दूर नहीं जाना चाहता ..कुछ न कुछ मजबूरी तो होती ही है.<br /><br />लिखने को बहुत कुछ है..फिर कभी..Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-50907859266025854772009-11-07T01:59:05.466-05:002009-11-07T01:59:05.466-05:00सरकार, ये तो सेंटी कर दिया आपने पूरी तरह।
आपके हिस...सरकार, ये तो सेंटी कर दिया आपने पूरी तरह।<br />आपके हिस्से के सच से पूरी तरह सहमत हूँ...क्या देश छोड़ना ही घर छोड़ना होता है? अपने ही मुल्क में भी तो लोग गांव छोड़ कर दूर-दराज के इलाके में जाते हैं।<br /><br /> जैसा कि फुरसतिया देव ने कहा है हमसब अपने-अपने सच को जी रहे हैं।<br /><br />आपको इतना कमजोर पड़ते कभी नहीं देखा पहले। हौसला रखें....गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-57013540160024388252009-11-07T01:02:18.882-05:002009-11-07T01:02:18.882-05:00Sameer sir,
ham hamesh aapko nahi padh paate kyon...Sameer sir,<br /><br />ham hamesh aapko nahi padh paate kyonki aapki post badi hoti hai...but ye jo likha hai na aapne bahut touching hai.....but waqt ke saath chalna padta hai..<br /><br />आसमानी रिश्ते भी टूट जाते हैं..<br />बारिश यूँ ही बेवजह नहीं होती...<br /><br />-आज फिर मेरी आँख बरसी है. <br /><br />These lines are the brief of above story. <br /><br />hamko lagta hai .....ki aap ek bahut achchey insaan hai.. God bless you!प्रियाhttps://www.blogger.com/profile/04663779807108466146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-12903284165025704882009-11-06T23:03:45.556-05:002009-11-06T23:03:45.556-05:00जक्रव्यूह में फंसा जीवन
शेष बची
सिर्फ यादें....
...जक्रव्यूह में फंसा जीवन<br />शेष बची <br />सिर्फ यादें....<br /><br />आसमानी रिश्ते भी टूट जाते हैं<br />बारिश यूँ बेवजह नहीं होती<br />--वाह !<br />आनंद आ गया समीर जी, आपका यह लेख पढ़कर।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-18856549644966745892009-11-06T15:06:55.062-05:002009-11-06T15:06:55.062-05:00"If diamonds were a plentiful as pebles, nobo..."If diamonds were a plentiful as pebles, nobody would stoop to pick them up".<br />Its the human nature,that we crave for things which we dont have.<br /><br />I am absolutely certain a lot of people in india would love to swap places with you Sameerji.<br /><br />You have a great medium to express your feelings,and you have readers who empathise with you.<br /><br />Wishing peace and happiness to you always.RAJhttps://www.blogger.com/profile/07878949762663754191noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-85351010830458983732009-11-06T12:23:47.083-05:002009-11-06T12:23:47.083-05:00यह क्या लिख दिया सर जी, और क्यों लिख दिया..हम सब ज...यह क्या लिख दिया सर जी, और क्यों लिख दिया..हम सब जो अंदर ही अंदर से इसी सच के साक्षी हैं...मगर खुद को भरमाये रहते हैं..तरह-२ के ख्वाबों, उपलब्धियों की मृग-तृष्णा मे..मगर आप सब बेकार कर देते हैं..यह लिख कर..सच कहूं तो यह पोस्ट हिंदी-चिट्ठाकारी की अमूल्य निधि है..असर रात भर रहेगा अब...मगर सोम्वार को फिर वही तेज रफ़्तार...<br /><br />उसे अपनी गाड़ी की गति बढ़ाते बढ़ाते १०० के आसपास ले जाना होती है, तभी हाईवे पर तेज रफ्तार कारों के काफिले में वो शामिल हो पाता हैअपूर्वhttps://www.blogger.com/profile/11519174512849236570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-87282810528555446842009-11-06T11:47:44.018-05:002009-11-06T11:47:44.018-05:00समीर भाई जी ... आपने इस कालजयी पोस्ट द्वारा उन ला...समीर भाई जी ... आपने इस कालजयी पोस्ट द्वारा उन लाखों-करोडों लोगों के दिल की बात कही है जो जड़ों से लगभग कट से गए हैं | <br /><br />मैं आपकी ही उन पंग्तियों को उधृत कर रहा हूँ जो ... हमें अन्दर तक झकझोरती है, फिर सोचने को मजबूर करती है ... <br /><br />"... पलायन की आँधी, विकल्पहीनता के गर्भ से उठी बेहतर विकल्प की दिशा में बहती आँधी, जिसका मुकाबला करते जाने कितनी बार झुक कर वह सीधा खड़ा हो गया था किन्तु एक तेज झोके के साथ वह जड़ से उखड़ आ पड़ा था ...."<br /><br />"आश्चर्य होता है सदियों से ऐसा देख कर कि बेहतर विकल्प घर से दूर ही होते हैं अक्सर, न जाने क्यूँ. किस बात के लिए बेहतर विकल्प- क्या रोजगार के लिए, स्वतंत्र जिन्दगी के लिए, नया कुछ जानने के लिए कि बस, एक नया रोमांच."<br /><br />मैं निःशब्द हूँ .... बस फिर से आपकी बात ही दुहराता हूँ : <br />"सोचता हूँ तो लगता है क्या यही बेहतर विकल्प होता है जिसको पाने के लिए इन्सान अपना सर्वस्व खोता है. नहीं, शायद नहीं. यह तो शायद उम्र की उमंग होती है जो दूरदृष्टि के आभाव में यह समझ ही नहीं पाती कि क्या होता है वाकई बेहतर विकल्प और जब तक यह बात समझ आ पाती है, वापसी के सारे द्वार बंद हो चुके होते हैं"Rakesh Singh - राकेश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/03770667837625095504noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-8540235047341591372009-11-06T11:19:28.903-05:002009-11-06T11:19:28.903-05:00यादें बस यादें ही रह जाती हैं .........यादें बस यादें ही रह जाती हैं .........pratimanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-89324727275634366642009-11-06T10:41:50.190-05:002009-11-06T10:41:50.190-05:00क्यों इमोशनल करते हो भाई? बेहतर विकल्प का तो पता ...क्यों इमोशनल करते हो भाई? बेहतर विकल्प का तो पता नहीं मगर हम मध्यवर्गीयों ने तो सामान्य विकल्प भी पीढियों से घर से दूर ही पाया है. यही जीवन है. टीसता भी है सालता भी है और दर्द में भी एक सुखद अहसास देता है. जो ठोकर लगे बिना संभल गए वे भाग्यशाली हैं. मगर जिनमें सँभालने की ताकत भी परदेस जाए बिना न आये वे मजबूर, मजदूर क्या करेंगे?Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-75184753669239932282009-11-06T10:41:46.797-05:002009-11-06T10:41:46.797-05:00yakeen ke sath kah sakta hoon ki sirf aapki aankh ...yakeen ke sath kah sakta hoon ki sirf aapki aankh nahi balki jo 64 padh chuake hain aur yah 65vaan path raha hai uski aankh bhi barsi hogi...दीपक 'मशाल'https://www.blogger.com/profile/00942644736827727003noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-33823827330583797452009-11-06T10:34:23.596-05:002009-11-06T10:34:23.596-05:00aapke kahne se ab to sabne kayal hona bhi chhod di...aapke kahne se ab to sabne kayal hona bhi chhod diya fir main kaise houn, ek kaam karta hoon koyal ban ke aapke yashgeet gata hoon :), kya karoon likhte hi itna jhannatedaar hain.... ki raha nahin jata(control nahin hota...)<br />Jai Hind...दीपक 'मशाल'https://www.blogger.com/profile/00942644736827727003noreply@blogger.com