tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post3786627021624718969..comments2024-03-04T07:12:33.254-05:00Comments on उड़न तश्तरी ....: धार्मिक सहनशीलता और पौराणिक तटस्थताUdan Tashtarihttp://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comBlogger21125tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-29868257515933258312007-05-21T18:24:00.000-04:002007-05-21T18:24:00.000-04:00आप सबका बहुत आभार .पढ़ते रहें पढ़ाते रहें. आते रहें,...आप सबका बहुत आभार .पढ़ते रहें पढ़ाते रहें. आते रहें, बुलाते रहें. धन्यवाद, मन आनन्दित है आप सबकी टिप्पणियां पाकर.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-7063749253479823072007-05-07T04:41:00.000-04:002007-05-07T04:41:00.000-04:00"धार्मिक सहनशीलता और पौराणिक तटस्थता ही एक अति-सफल...<I>"धार्मिक सहनशीलता और पौराणिक तटस्थता ही एक अति-सफल राजनीतिक जीवन की कुँजी है."</I><BR/>बहुत खूब दर्शन है। वैसे हम तटस्थ नहीं हैं आपके ही पक्ष में हैं।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-52616068463065859742007-05-07T00:28:00.000-04:002007-05-07T00:28:00.000-04:00:)bahut bahut khoob ....:):)bahut bahut khoob ....:)रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-51324984026400761822007-05-06T03:10:00.000-04:002007-05-06T03:10:00.000-04:00ओ उड़न खटोले वाले राही ..... लेख और कविता का बेजो...ओ उड़न खटोले वाले राही ..... लेख और कविता का बेजोड़ मिश्रण है भाई आपकी कलम में ... कब तक बने रहेंगे हम मौन्दर्शी तटस्थअ के नाम पर अपने भय को छुपकर ॥ हास्य के चटकारे व्यंग और ताने क्या नही है आपके लेख में... <BR/>आपका पंखा - सजीव सारथीSajeevhttps://www.blogger.com/profile/08906311153913173185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-2554507443788789342007-05-04T18:07:00.000-04:002007-05-04T18:07:00.000-04:00सदा की तरह बहुत बढ़िया लिखा है । मजा आ गया ।घुघूती ...सदा की तरह बहुत बढ़िया लिखा है । मजा आ गया ।<BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-5803010102190310322007-05-04T14:40:00.000-04:002007-05-04T14:40:00.000-04:00भाई इतना दिमाग मत खर्च करवाएँ । इतनी गूढ़ता से अपनी...भाई इतना दिमाग मत खर्च करवाएँ । इतनी गूढ़ता से अपनी बात रखिएगा तो जो थोड़ा मोड़ा बचा है वो भी खाली हो जाएगा :)Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-61711180581431961122007-05-04T13:42:00.000-04:002007-05-04T13:42:00.000-04:00उत्तम! अति उत्तम!!उत्तम! अति उत्तम!!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-76390239682988736792007-05-04T11:47:00.000-04:002007-05-04T11:47:00.000-04:00Thanks for you work and have a good weekendThanks for you work and have a good weekenddavid santoshttps://www.blogger.com/profile/08976825493652779441noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-39564630468205641572007-05-04T02:08:00.000-04:002007-05-04T02:08:00.000-04:00क्या टिप्पणी करें? तटस्थता को प्राप्त करने की कोशि...क्या टिप्पणी करें? तटस्थता को प्राप्त करने की कोशिश में है. संतुलन शब्दो में भी रखना चाहते है.<BR/><BR/>यह क्या अनर्गल लिख रहा हूँ? जाने दे. सिधा सरल कहूँ तो पढ़ कर मजा आया.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-81616584110097637352007-05-03T23:59:00.000-04:002007-05-03T23:59:00.000-04:00योग मार्केटिंग के बल पर विश्व स्तर पर बेच दिया गया...योग मार्केटिंग के बल पर विश्व स्तर पर बेच दिया गया तो हम तो मुफ्त दे रहे हैं:<BR/><BR/>मुफ्त मे मिलना संशय को जन्म देता है ! <BR/>बिना लिए कुछ ना दें । आपको स्वामी जी से परामर्श करना चाहिए :)note padhttps://www.blogger.com/profile/17125205742214556205noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-3196766388760482162007-05-03T14:19:00.000-04:002007-05-03T14:19:00.000-04:00करते रहिए बंधुवर कोशिश।।आप तो खूब तटस्थ रहेंगे पर...करते रहिए बंधुवर कोशिश।।<BR/>आप तो खूब तटस्थ रहेंगे पर म्रित्र जमाना रहने नहीं देगा। एकाध वोट तो अब आपको खोना ही पड़ेगा।<BR/>:<BR/>:<BR/>अच्छा लिखा है, इससे कम स कम अगले फड्डे तक आपको तटस्थ रहने की सुविधा मिल गई है। पर फिर सूरज निकलेगा फिर उजला होगा। :)<BR/>:<BR/>:<BR/>इस टिप्पणी में आप को आप न समझा जाए - ये तो केवल प्रतीकात्मक है।मसिजीवीhttps://www.blogger.com/profile/07021246043298418662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-190896172632641432007-05-03T13:17:00.000-04:002007-05-03T13:17:00.000-04:00मिला ज्ञान हमको, न होंगें हम अब पक्षाधारहैं तटस्थ ...मिला ज्ञान हमको, न होंगें हम अब पक्षाधार<BR/>हैं तटस्थ हम, नहीं करेंगें टिप्पणियां इस बार<BR/>सहनशील हो, अब खेलेंगे राजनीति के खेल<BR/>आप देखिये धार तेल की, हम देखेंगे तेलराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-26829914478372666292007-05-03T11:56:00.000-04:002007-05-03T11:56:00.000-04:00हम तटस्थ होकर कहते हैं, 'स्वामी समीरानंद जी की जय ...हम तटस्थ होकर कहते हैं, 'स्वामी समीरानंद जी की जय हो।' मानव जाति ही नहीं, हमारी बिल्ली 'कीका' तक स्वामी जी के दीदार के लिए बेज़ार हैं। कहती है कि --- चलो यह कहानी फिर कभी!<BR/> समीर भाई, मजा आ गया पढ़ने में - बड़ी गहराई डुबकी लगाई है।महावीरhttps://www.blogger.com/profile/00859697755955147456noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-83764088323918055412007-05-03T08:34:00.000-04:002007-05-03T08:34:00.000-04:00अभय भाईबहुत आभार. भूल सुधार कर ली गई है. :)अभय भाई<BR/>बहुत आभार. भूल सुधार कर ली गई है. :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-32257101786316937652007-05-03T04:09:00.000-04:002007-05-03T04:09:00.000-04:00मगर जरा उनसे पूछ कर देखियेगा कि जनता की सुविधा के ...मगर जरा उनसे पूछ कर देखियेगा कि जनता की सुविधा के लिये उनके अहाते में उनकी जमीन पर एक मंदिर/मजार बनवा दें क्या!! सब धार्मिकता एक मिनट में दर किनार हो जायेगी...<BR/><BR/>बहुत बढ़िया समीर जी....वैसे,इन दिनों आदमी मजबूरी में ही धार्मिक और तटस्थ होता हैPiyushhttps://www.blogger.com/profile/07432495541442214838noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-29432157788116888302007-05-03T02:42:00.000-04:002007-05-03T02:42:00.000-04:00वाह वाह समीर जी, बढिया लिखा है आप ने..तटस्था को ले...वाह वाह समीर जी, बढिया लिखा है आप ने..तटस्था को ले कर.. और नेता ..<BR/><BR/>"आदमी तो नेता बन सकता है मगर नेता आदमी कभी नहीं"<BR/><BR/>भला हम (मै) आप से अलग हो सकते है....... वैसे भी जहां रिस्क दिखे हम कहना ज्यादा उचित रहता है.. बेभाव की पडे तो डिवीजन का फ़ायदा होता है... ही ही ही...Mohinder56https://www.blogger.com/profile/02273041828671240448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-53652458625786784172007-05-03T00:22:00.000-04:002007-05-03T00:22:00.000-04:00आप धार्मिक सहनशील हैं या पौराणिक तट्स्थ बात समझ नह...आप धार्मिक सहनशील हैं या पौराणिक तट्स्थ बात समझ नहीं आयी. <BR/><BR/>वैसे बात पते की है..काकेशhttps://www.blogger.com/profile/12211852020131151179noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-31911534385431478302007-05-02T23:56:00.000-04:002007-05-02T23:56:00.000-04:00सुन्दर लेख है.. सब कुछ कह कर भी तटस्थता नहीं छोड़ी....सुन्दर लेख है.. सब कुछ कह कर भी तटस्थता नहीं छोड़ी..धन्य हैं आप(मतलब हम, प्रतीक रूप में कह रहा हूँ).. <BR/>आपके सूत्र में तटस्थता की जगह तटस्था हो गया है.. बाकी सब मस्त है..अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-15099375876226803142007-05-02T23:54:00.000-04:002007-05-02T23:54:00.000-04:00है मुनिवर,आपके प्रवचन को सुनकर मैं प्रेरित हो रहा ...है मुनिवर,<BR/><BR/><BR/>आपके प्रवचन को सुनकर मैं प्रेरित हो रहा हुँ. वैसे ही आपने मुझे हद से ज्यादा प्रेरित कर रखा है, अब तो सागर छलकने लगा है. मुझे डर है कि कहीं मैं ज्वार भाटा के चक्कर में ना पड जाऊँ.<BR/><BR/><BR/>बहुत सही खबर ली है, मान्यवर. ऐसे ही लेते रहें.<BR/><BR/><BR/>आपकी लेखनी में धार आ रही है. साधुवाद. :) <BR/><BR/>अंत में मेरी चार लाइने:<BR/><BR/><BR/>नेता और अभिनेता एक,<BR/><BR/>अन्दर कुछ, कुछ और बाहर,<BR/><BR/>मकसद और मतलब भी एक,<BR/><BR/>कर अभिनय और भर रूपयों का सागर.पंकज बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/05608176901081263248noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-44626937242303641702007-05-02T23:36:00.000-04:002007-05-02T23:36:00.000-04:00" जब तक हमारी सहनशीलता हमारा व्यक्तिगत नुकसान नहीं..." जब तक हमारी सहनशीलता हमारा व्यक्तिगत नुकसान नहीं करती, हम सहनशील हैं. दूसरा प्रताड़ित होता रहे, हम सहनशील रहेंगे और हर सहनशील व्यक्ति का मूक समर्थन करते रहेंगे."<BR/><BR/>बहुत खूब!!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-44920709101786397432007-05-02T23:01:00.000-04:002007-05-02T23:01:00.000-04:00संमीरा(बालीवुड की समीरा नही) नन्द महाराज जी को वंद...संमीरा(बालीवुड की समीरा नही) नन्द महाराज जी को वंदन,आपकी कविता का जवाब नही ,मजा आ गया<BR/>"धार्मिक सहनशीलता और पौराणिक तटस्था ही एक अति-सफल राजनीतिक जीवन की कुँजी है." -स्वामी समीरानन्द <BR/>महाराज आपके प्रवचन की यहा पूरी तैयारी हो चुकी है लेकिन आप अपना वादा भुल रहे है आपने अपने तमाम आडियो विडिओ तथा पब्लिश की जाने वाली सामग्री के समस्त अधिकार (कापीराईट )आप हमे<BR/>दे चुके है अब आप आगे से अपने लेख उडन तशतरी जी को ना देकर पंगेबाज पर ही दे इससे आश्रम को हानि हो रही है प्रेम से बोलो समीरानन्द महाराज की जैयArun Arorahttps://www.blogger.com/profile/14008981410776905608noreply@blogger.com