tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post2901182344151359757..comments2024-03-04T07:12:33.254-05:00Comments on उड़न तश्तरी ....: एक हारा हुआ योद्धा!!!Udan Tashtarihttp://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comBlogger94125tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-70688714585760079932020-12-04T02:23:05.050-05:002020-12-04T02:23:05.050-05:00Thank You for sharing this information about Shubh...Thank You for sharing this information about <a href="https://www.shubham.co/shubh-yodha.php" rel="nofollow">Shubh Yodha</a>. It's very Helpful.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-76783074584477587162009-08-20T11:27:30.920-04:002009-08-20T11:27:30.920-04:00A Great poem ....
but
made me SAD :-(A Great poem ....<br />but<br />made me SAD :-(लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-89874506908568655132009-08-19T11:39:58.536-04:002009-08-19T11:39:58.536-04:00प्यारे बड्डे।
आप सोचते होंगे के आपका यह बवाल कहाँ...प्यारे बड्डे। <br />आप सोचते होंगे के आपका यह बवाल कहाँ गायब है जो ब्लाग पर पहुँचता ही नहीं। माफ़ करना गुरू, कुछ तो मसरूफ़ियत कुछ बच्चों की बीमारी हमें चैन नहीं लेने दे रही थी। मगर जो सबसे बड़ी बात है ना, वो ये के हर बार आपको पढ़ने के बाद हम आश्चर्यजनक रूप से किंकर्तव्यविमूढ़ हुए जाते थे। ये विल्स कार्ड की और ये फ़ल्सफ़े की बड़ी बड़ी बातें ! बाप रे ये वही हमारे समीर भाई हैं क्या ? बाबा, आपने यह उड़नतश्तरी क्या उड़ाई, आप स्वयं अतुलनीय बन गए। सच बतलाएँ हमको आपके परम मित्र और छोटे भाई होने पर अब सरसर फ़ख़्र महसूस हुआ करता है। बहुत बहुत बहुत ही ख़ूब लेखन है यह, बेजोड़ है और इतिहास बनाने को निश्चित रूप से तत्पर है। हमारा नमन, शुभकामनाऎं एवं आभार स्वीकार करें।बवालhttps://www.blogger.com/profile/11131413539138594941noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-43208737221911593312009-08-19T04:33:37.085-04:002009-08-19T04:33:37.085-04:00यह पोस्ट आज देखे है तो आज ही टिप्पणी कर रहे हैं।
...यह पोस्ट आज देखे है तो आज ही टिप्पणी कर रहे हैं।<br /><br />निराशा बुरी लत समान है इसलिए ज़्यादा न ही साथ रहे तो ठीक है। क्षणिक है तो कोई बात नहीं।<br />समीरभाई! आपने तो कबसे ऐसे लिखना छोड़ दिया था फिर अचानक? <br />शुभकामनाएँ!premlatapandeyhttp://pasand.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-32545375470114174152009-08-13T12:27:59.244-04:002009-08-13T12:27:59.244-04:00......जिन्दगी में बहुत बार शायद ऐसा होता है....कि .........जिन्दगी में बहुत बार शायद ऐसा होता है....कि सही मायनों में हम सच को सोच पाते हैं....और हम यह भी पाते हैं....कि हमने सारा जीवन अपनी इस वक्त की सच्ची और गहन सोच की विपरीत जिया है....और सच जानिए उस वक्त हमें अपने सारे जीवन पर बड़ी कोफ्त होती है....मगर तब कुछ किया भी नहीं जा सकता....यहाँ तक कि समीर हरा भी नहीं जा सकता....इसलिए थोड़े समय का यह जो विषाद है.....यह थोड़े ही समय में ढल भी जाएगा....क्यूंकि सब चीज़ों की यही तो नियति है....आना और अपनी भूमिका पूरी करके चले जानाराजीव थेपड़ा ( भूतनाथ )https://www.blogger.com/profile/07142399482899589367noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-72237005530427490262009-08-13T12:27:48.786-04:002009-08-13T12:27:48.786-04:00......जिन्दगी में बहुत बार शायद ऐसा होता है....कि .........जिन्दगी में बहुत बार शायद ऐसा होता है....कि सही मायनों में हम सच को सोच पाते हैं....और हम यह भी पाते हैं....कि हमने सारा जीवन अपनी इस वक्त की सच्ची और गहन सोच की विपरीत जिया है....और सच जानिए उस वक्त हमें अपने सारे जीवन पर बड़ी कोफ्त होती है....मगर तब कुछ किया भी नहीं जा सकता....यहाँ तक कि समीर हरा भी नहीं जा सकता....इसलिए थोड़े समय का यह जो विषाद है.....यह थोड़े ही समय में ढल भी जाएगा....क्यूंकि सब चीज़ों की यही तो नियति है....आना और अपनी भूमिका पूरी करके चले जानाराजीव थेपड़ा ( भूतनाथ )https://www.blogger.com/profile/07142399482899589367noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-54797568136306571192009-08-13T10:21:42.027-04:002009-08-13T10:21:42.027-04:00जिस समय एकांत मुखर हो संवेदनाओं को वाणी देता है......जिस समय एकांत मुखर हो संवेदनाओं को वाणी देता है...मन इसी तरह बहा करता है.....यह थकान नहीं,बल्कि आगे बढ़ाने वाली उर्जा है....<br /><br />देखा आपने,भाव शब्द लययुक्त होकर काव्य का कितना सुन्दर निर्झरनी बन गया....रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-3544011094926393092009-08-13T00:32:13.500-04:002009-08-13T00:32:13.500-04:00आपका लेख पढ़कर बस किसी की कही एक बात याद आ गई...
&...आपका लेख पढ़कर बस किसी की कही एक बात याद आ गई...<br />"आदमी वो नहीं हालात बदल दे जिसको<br />आदमी वो है जो हालात बदल देते हैं" ।<br /> सुधी सिद्धार्थसलाम ज़िन्दगीhttps://www.blogger.com/profile/03486189305013047395noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-48569488856947004122009-08-12T20:25:11.328-04:002009-08-12T20:25:11.328-04:00बहुत ही सुंदर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लिखी हुई आप...बहुत ही सुंदर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लिखी हुई आपकी ये शानदार पोस्ट बहुत अच्छी लगी!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-20331593836517546252009-08-12T19:35:50.685-04:002009-08-12T19:35:50.685-04:00जिंदगी का निचोड़ है इस गीत में।
इतने लोगों के बाद...जिंदगी का निचोड़ है इस गीत में। <br />इतने लोगों के बाद हम तो बस समीर लाल की जै का नारा ही लगा सकते हैं। <br /><br /><br />::)))अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-76744543504503084732009-08-12T12:51:07.960-04:002009-08-12T12:51:07.960-04:00Sameer Bhaiya,
Aisi kavita aapke upar bilkul bhi ...Sameer Bhaiya,<br /><br />Aisi kavita aapke upar bilkul bhi suit nahi karti.<br /><br />Sandeep-RoopikaRoopikanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-61290296956046016122009-08-12T09:23:20.451-04:002009-08-12T09:23:20.451-04:00कहन में थकन उतर आई है बंधु. थोड़ा धीरज बटोरो. थोड़...कहन में थकन उतर आई है बंधु. थोड़ा धीरज बटोरो. थोड़ा याद करो यक्ष-युधिष्ठिर का संवाद. बाकी बेमिसाल लिखा खासकर कविता.Atmaram Sharmahttps://www.blogger.com/profile/11944064525865661094noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-43305570061807549772009-08-12T07:13:57.241-04:002009-08-12T07:13:57.241-04:00याद लिए कट जायेगा, जीवन थोड़ा पास
मन पागल कब मानता,...याद लिए कट जायेगा, जीवन थोड़ा पास<br />मन पागल कब मानता, पाले रखता आस<br />खोज रहा मैं अंश वो, जिस पर करता नाज<br />द्वार नहीं कोई कहीं , जिस पर लौटूँ आज<br /><br /><br />bahut hi behtareen...........<br /><br /><br /><br />aapki yatra shubh ho..............<br /><br />hum apko miss karenge.......डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-61203388646762459912009-08-12T04:30:43.168-04:002009-08-12T04:30:43.168-04:00Yahi jiwan ki lay hai.. kai bar aram kar lrna beht...Yahi jiwan ki lay hai.. kai bar aram kar lrna behtar hota hai..tabhi to agli manjil ke liye nai energy milagi.<br /><br />"वन्देमातरम और मुस्लिम समाज" को देखें "शब्द-शिखर" की निगाह से...Akanksha Yadavhttps://www.blogger.com/profile/10606407864354423112noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-91988977487305826192009-08-12T03:52:19.671-04:002009-08-12T03:52:19.671-04:00भाई समीर जी ,आपके ब्लॉग पर सुकून से ही आती हूँ...य...भाई समीर जी ,आपके ब्लॉग पर सुकून से ही आती हूँ...ये लेख बेहद अच्छा लिखा हैआपने हमेशा की तरह,लेकिन इतनी निराशा क्यो ?बहुत से बदलावों के लिए मुझे लगता है ध्यान ,प्रेम प्रतिब्धता और कार्य सभी की ज़रूरत है अस्तितव केप्रति अपनी ज़िमेदारी भी लेकिन ये भी सही है की कभी-कभी इसे आचरण में लाना मुश्किल होता हैसहमत हूँ इस बात से काश, जिन्दगी ये सुविधा देती. उसे जहाँ तक मन किया, रिवाइंड किया, फेर बदल की, और फिर से जी लिए.और मुझे लगता है कि ध्यान ,प्रेम प्रतिब्धता और कार्य की ज़रूरत की तरह अस्तितवके पार्टी अपनी ज़िमेदारीभी लेकिन ये भी सच है की इसे आचरण में लाना मुश्किल हो जाता है ...मैने ओशो को खूब पढ़ा है ...हाल ही में उनके एक लेख .योगा ..ए न्यू डाय रेक्शन में उन्होने लिखा है पूरी दुनिया को हँसी से भर दो हँसी किसी भी नाभिकीय हथियार से अधिक शक्ति शालीहै,प्रेम से भरी दुनिया युध का निर्णय नही लेगी ...लेकिन ये भी सही है की हमारी तकलीफें भी जिंदगी का एक बेतरतीब सच है जिसे चाहें तो ठीक कर लें अन्यथा जिंदगी तो हर हाल में कट ही जाएगीविधुल्लताhttps://www.blogger.com/profile/15471222374451773587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-44139405590779298432009-08-11T15:59:07.714-04:002009-08-11T15:59:07.714-04:00अत्यन्त संवेदनशील अभिव्यक्ति। आपके कविताओं का कायल...अत्यन्त संवेदनशील अभिव्यक्ति। आपके कविताओं का कायल तो थे ही किंतु आज तो गद्य और पद्य दोनों ने ही झकझोर के रख दिया । वाह ऐसा लगा जैसे जीवन की पीड़ा के स्वर शब्द दर शब्द निकल आयें हों...<br /><br />"जिन्दगी की किताब के पन्ने पलटाता हूँ। कितने ही जबाब दर्ज हैं बिना प्रश्न के। आज शायद उन जबाबों के आधार पर प्रश्न गढ़ कर खुद से ही करुँ तो जबाब बदल जायें मगर ऐसा होता कहाँ है."<br /><br />***<br /><br />आँखों में आंसू भरे, भीगे मन के ख्वाब <br />बचपन जिसमें तैरता, सूखा मिला तलाब....<br />अमिया की डाली कटी, तुलसी है नाराज <br />द्वार नहीं कोई कहीं , जिस पर लौटूँ आज<br /><br /><br /><br />वाह !! आप की रचनात्मकता को सहस्र नमन ...साधू !! साधू!!!Sudhir (सुधीर)https://www.blogger.com/profile/13164970698292132764noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-39559345206103685672009-08-11T13:21:16.360-04:002009-08-11T13:21:16.360-04:00आप की पोस्ट में जो निराशा झलक रही है ,वो ठीक नहीं ...आप की पोस्ट में जो निराशा झलक रही है ,वो ठीक नहीं है सर. एक इल्तजा है वजन कम करिए.हम चाहते हैं की आप जैसे एनर्जेटिक लोग ज्यादा दिनों तक साथ रहें. अगर बुरा लगा हो तो माफ़ी चाहूँगा क्योंकि मेरा भी वजन बाधा था तो दुनिया बुरी सी लगी और आत्मविश्वाश में कमी आई .अब सब ठीक हैबेरोजगारhttps://www.blogger.com/profile/10115308300075877382noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-34582505283000716622009-08-11T13:17:11.919-04:002009-08-11T13:17:11.919-04:00मैं भी सपनों मैं खोया था | आपके "एक हारा हुआ...मैं भी सपनों मैं खोया था | आपके "एक हारा हुआ योद्धा" ने पहले तो झकझोर कर जगाया और अब देखता हूँ तो आँखों मैं आंसू छलक आये हैं | <br /><br />राहों को तकते नयन, बन्द हुए किस रोज<br />माँ के आँचल के लिये, रीती मेरी खोज<br />कोई अब ऐसा नहीं, हो मेरा हमराज<br />द्वार नहीं कोई कहीं , जिस पर लौटूँ आज...<br /><br />समीर भाई सच बोलता हूँ आपने रुला दिया मुझे | और विडम्बना देखिये , फिर भी आपको दिल धन्यवाद दे रहा हूँ |Rakesh Singh - राकेश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/03770667837625095504noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-80106220848222192172009-08-11T13:07:45.211-04:002009-08-11T13:07:45.211-04:00दिनकर जी की पंक्तियां-
वीरता का सच्चा बंधुत्व
झूठ...दिनकर जी की पंक्तियां-<br /><br />वीरता का सच्चा बंधुत्व<br />झूठ है हार-जीत का भेद<br />वीर को नहीं विजय का गर्व<br />वीर को नहीं हार का खेद<br /><br />किये जो मस्तक ऊंचा रहे<br />पराजय जय में एक समान<br />छीनते नहीं यहां के लोग<br />कभी उस वैरी का अभिमानरविकांत पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/14687072907399296450noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-57141615736942496772009-08-11T12:38:47.103-04:002009-08-11T12:38:47.103-04:00योद्धा हमेशा लड़ते है और जीतते है।
जिन्दगी के फलसफ...योद्धा हमेशा लड़ते है और जीतते है। <br />जिन्दगी के फलसफे हर मोड़ पर बदलते जाते हैं. जो आज हैं, वो कल नहीं थे और शायद कल नहीं रहेंगे. ऐसे बिरले ही होंगे जो एक ही फलसफा लिए सारी जिन्दगी जी गये। <br />ये भी सच है।सुशील छौक्कर https://www.blogger.com/profile/15272642681409272670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-35770514213479069432009-08-11T06:08:51.908-04:002009-08-11T06:08:51.908-04:00“बहुत अच्छा लिखा। मजा आ गया (समझने से बच गये)” :)...“बहुत अच्छा लिखा। मजा आ गया (समझने से बच गये)” :)Ancorehttps://www.blogger.com/profile/03981607668207596789noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-37178391162429590372009-08-11T05:14:23.873-04:002009-08-11T05:14:23.873-04:00यह क्या समीर जी, आज हमारे जन्मदिन पर आपने ये कैसा ...यह क्या समीर जी, आज हमारे जन्मदिन पर आपने ये कैसा तोहफा दिया. इतना उदास तो आपको कभी नहीं देखा. बीमार होकर थोडा डिप्रेसन होने की संभावना तो रहती है, लेकिन किसने कहा आप बीमार हैं. फिर इतनी उदासी क्यों? वैसे ऐसे मूड में मोहम्मद रफी के पुराने गाने बहुत अच्छे लगते है. सुनकर देखिये अच्छा लगेगा.डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-11787836159866229942009-08-11T04:18:09.153-04:002009-08-11T04:18:09.153-04:00आँखों में आंसू भरे, भीगे मन के ख्वाब
बचपन जिसमें त...आँखों में आंसू भरे, भीगे मन के ख्वाब<br />बचपन जिसमें तैरता, सूखा मिला तालाब....<br />अमिया की डाली कटी, तुलसी है नाराज<br />द्वार नहीं कोई कहीं , जिस पर लौटूँ आज,<br /><br />बेहतरीन अभिव्यक्ति,<br /><br />बदलते समय के साथ सब कुछ बदलने लगता है,और फिर हम खुद को भी नही रोक पाते है,यह दुनिया हमे इतना मजबूर कर देती है की हमे बस अपनों तक ही सिमटना पड़ता है और पुरानी यादों के लिए तो वक्त ही नही निकाल पाते.पर आप तो आप है...बढ़िया लगा आप ने सोचने पर मजबूर कर दिया यादों के झरोखों मे फिर से..विनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-47231282571281065132009-08-11T03:47:34.573-04:002009-08-11T03:47:34.573-04:00इस लेख में आज पहली दफा मैंने आपको एक चिंतक के रूप ...इस लेख में आज पहली दफा मैंने आपको एक चिंतक के रूप में देखा व महसूस किया है। मैं इस लेख और कविता से प्रभावित हूं।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-14146000439571999412009-08-11T03:03:50.721-04:002009-08-11T03:03:50.721-04:00वो योद्धा ही क्या जो हार मान जाए.
{ Treasurer-T &a...वो योद्धा ही क्या जो हार मान जाए.<br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">{ Treasurer-T </a><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">& S }</a>Arshia Alihttps://www.blogger.com/profile/14818017885986099482noreply@blogger.com