tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post2878640366355418702..comments2024-03-04T07:12:33.254-05:00Comments on उड़न तश्तरी ....: मुझे समीर लाल एक शैलीकार लगते हैं: श्री ज्ञानरंजन जी: ‘देख लूँ तो चलूँ’ के विमोचन परUdan Tashtarihttp://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comBlogger105125tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-41673337895496922522011-10-02T16:39:31.795-04:002011-10-02T16:39:31.795-04:00ज्ञानरंजन जी ने समीरलाल के लेखन के सभी पक्षों को ग...ज्ञानरंजन जी ने समीरलाल के लेखन के सभी पक्षों को गहरी सूझ के साथ उकेरा है.उनके इस वक्तव्य में प्रवासी लेखकों की रचनाओं को विवेचित करने के सिद्धांत भी उभर रहे हैं. <br /><br />समीरलाल जी को अनेक बधाइयां और शुभकामना कि ज्ञानरंजन जी ने जो दिशा उद्घाटित की है उनकी कलम उसमें भी यात्रा करे !RISHABHA DEO SHARMA ऋषभदेव शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09837959338958992329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-57801026231972822172011-07-14T10:43:01.552-04:002011-07-14T10:43:01.552-04:00भाई समीर जी
आपकी पुस्तक के विमोचन के बारे में पढना...भाई समीर जी<br />आपकी पुस्तक के विमोचन के बारे में पढना और कोई छः सात महिने बाद भाई ज्ञान जी की आवाज़ सुनना दो-दो सौभाग्य एक साथ प्राप्त हुए |<br />आजकल आपके इलाके में हूँ मतलब कि यू.एस.ए.में | आशा है परिचय और बढ़ेगा | मेरा फोन नंबर है <br />३३०-६८८-४९२७ और आपका ?<br />आपका <br /><br />रमेश जोशीjoshi kaviraihttps://www.blogger.com/profile/16394390577465219081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-85252684449221235712011-01-31T01:59:10.898-05:002011-01-31T01:59:10.898-05:00आदरणीय समीर जी
नमस्कार
आपका उपन्यास " देख लूं...आदरणीय समीर जी<br />नमस्कार<br />आपका उपन्यास " देख लूं तो चलूँ " मुझे परसों मिली और कल दिन भर में उसे पढ़कर ही दम लिया .<br />सबसे पहले तो मैं आपको धन्यवाद दूंगा की आपने इतनी अच्छी किताब मुझे भेजी .<br /><br />ये एक उपन्यास नहीं है ,बल्कि एक autobiographical collage है , जिसमे आप आज के आम आदमी का भी characterize करते है और उस इंसान का भी जो की तन से इस दुनिया से भागने की कोशिश में लगा हुआ है .. [ like we all are in a rat race ] कहानिया पढ़ते पढ़ते कभी आँखे भीग जाती थी , कभी मन उदास हो जाता था, कभी होंठो पर एक छोटी सी हंसी आ जाती थी , कभी कभी पढना रोककर ,कहीं हवाओ में बात भी करने लगा मैं. यानी की एक जीवन में जितने भी रंग शामिल है वो सब आपने अपने अद्बुत लेखन से live कर दिए है ....आपकी लेखनी अपनी सी लगती है ,ऐसा लगता है , की मैं हूं उस कहानी में कहीं , किसी के भी रूप में .. ये एक बहुत बड़ी बात है की इस तरह से अपने आपको , किसी और की कहानी में देखना , या किसी और के लेखन में देखना , उस लेखक के लिये बहुत बड़ी उपलब्दी मानी जायेंगी .<br />मुझे बहुत ख़ुशी है की मैं आपसे मिला हूं और आपके भीतर के लेखक को जानता हूं.<br /><br />धन्यवाद.<br />आपका<br /><br />विजय<br />हैदराबादvijay kumar sappattihttps://www.blogger.com/profile/06924893340980797554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-73292649424668864432011-01-27T22:06:13.650-05:002011-01-27T22:06:13.650-05:00आदरणीय समीर जी "देख लूँ तो चलूँ’ के विमोचन पर...आदरणीय समीर जी "देख लूँ तो चलूँ’ के विमोचन पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाये. <br />regardsseema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-39936306567603541392011-01-23T13:51:47.592-05:002011-01-23T13:51:47.592-05:00बहुत बहुत बधाई समीर जी. ज्ञान जी का लिखा भी बहुत द...बहुत बहुत बधाई समीर जी. ज्ञान जी का लिखा भी बहुत दिनों के बाद पढने को मिल रहा है.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-17942735094111018072011-01-23T10:57:29.237-05:002011-01-23T10:57:29.237-05:00बहुत बहुत बधाई ........बहुत बहुत बधाई ........सु-मन (Suman Kapoor)https://www.blogger.com/profile/15596735267934374745noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-74725367893607441782011-01-23T07:06:41.813-05:002011-01-23T07:06:41.813-05:00समीर सर,
उपन्यास विमोचन की हार्दिक बधाई। ’एक ऊबा ह...समीर सर,<br />उपन्यास विमोचन की हार्दिक बधाई। ’एक ऊबा हुआ सुखी’ विशेषण ही बहुत शानदार लगा। तय है कि शानदार लिखा होगा, लेकिन तारीफ़ पढ़ने के बाद ही करेंगे।<br />पुन: बधाई स्वीकार करें।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-30885939358444628012011-01-23T02:32:03.483-05:002011-01-23T02:32:03.483-05:00बधाई हो सर।
मेरी शुभकामनाएं हैं, आपकी पुस्तक के ढ...बधाई हो सर। <br />मेरी शुभकामनाएं हैं, आपकी पुस्तक के ढेरों संस्करण छपें।रवि धवनhttps://www.blogger.com/profile/04969011339464008866noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1244121938467099422011-01-23T00:35:53.961-05:002011-01-23T00:35:53.961-05:00समीर जी का उपन्यास एक ही बैठक मे पढ गयी। लेकिन ग्य...समीर जी का उपन्यास एक ही बैठक मे पढ गयी। लेकिन ग्यानरंजन जी ने जिस बारीकी से छोटी छोटी बात मे भी गहन चिन्तन और सोच पकडी है उससे आचम्भित हूँ। उन्हों ने सही कहा है समीर जी की अपनी अलग शैली है।उनकी सोच मे कहीं प्रवासी होने की छटपटाहट है, प्रवाह पाठक को बान्धे रखता है । जिसे पढ कर पाठक कभी उकताता नही है। समीर जी को इस उपन्यासिका के प्रकाशन के लिये बहुत बहुत बधाई। आशा है इसका सभी पाठक तहे दिल से स्वागत करेंगे। समीर जी अगले उपन्यास के लिये अग्रिम बधाई स्वीकार कीजिये। शुभकामनायें।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-52564810875715517712011-01-22T16:04:02.872-05:002011-01-22T16:04:02.872-05:00आपका बिल्कुल सही चित्रण किया है वरिष्ठ साहित्यकार ...आपका बिल्कुल सही चित्रण किया है वरिष्ठ साहित्यकार जी ने। आपके ब्लॉग पर से जितना आपको जाना है वो उन्होंने कह दिया है। जाहिर है कि द्वंद में फंसे रहना नियती होती कई लोगो की....पर उसमें फंस कर ठहर जाना जीवन नहीं है। आप भी कोशिश में हैं। कोशिश कामयाब होती है पर बात वहीं है कि किस तरह तालमेल बैठाएं, देश विदेश नहीं, विदेश देश नहीं। सारी अच्छी बातें एक साथ एक जगह आसानी से मिलती भी तो नहीं। वैसे भी अब आपके पास निर्णय लेने का समय है। कुछ दिन और ठहर जा मन कह कर बहला सकते हैं आप दिल को। पर मुझे लगता है कि आप दायरों को तोड़ने की कोशिश करेंगे तो बेहतर होगा......आखिर कुछ सुख जो हिंदुस्तान में नहीं मिलता उसे आप जुटा चुकें हैं..उपन्यास के लिए बधाई।Rohit Singhhttps://www.blogger.com/profile/09347426837251710317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-8448538390451540022011-01-22T12:44:22.465-05:002011-01-22T12:44:22.465-05:00देख लूं तो चलूं,बधाई लेते जाएं।
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मुझे तो आपकी कि...देख लूं तो चलूं,बधाई लेते जाएं। <br />*<br />मुझे तो आपकी किताब की सबसे बड़ी उपलब्धि यही लगती है कि आप इसके बहाने ज्ञानरंजन जी को यहां ले आए। आपके उपन्यास के बहाने उन्होंने ब्लाग की जिन सीमाओं का जिक्र किया है उन पर हम सबको गंभीरता से विचार करना चाहिए।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-25132819018218943272011-01-22T08:51:29.814-05:002011-01-22T08:51:29.814-05:00हार्दिक शुभकामनाएं... बधाईयां...हार्दिक शुभकामनाएं... बधाईयां...Sushil Bakliwalhttps://www.blogger.com/profile/08655314038738415438noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-55725282865579673322011-01-22T08:21:39.188-05:002011-01-22T08:21:39.188-05:00aapki shaili prabhavi hai,yuin hi hum logo ka tant...aapki shaili prabhavi hai,yuin hi hum logo ka tanta nahi lagta.aap iske patra hai sir :) shubhkamnayen!!Parul kananihttps://www.blogger.com/profile/11695549705449812626noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-11012326150329495642011-01-22T07:18:25.913-05:002011-01-22T07:18:25.913-05:00आपको ढेर सारी शुभकामनाएं।आपको ढेर सारी शुभकामनाएं।संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-10750423599866965182011-01-22T07:17:42.828-05:002011-01-22T07:17:42.828-05:00बहुत बहुत बधाई ! सर जी !बहुत बहुत बधाई ! सर जी !संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-67353303545446259352011-01-22T06:29:31.323-05:002011-01-22T06:29:31.323-05:00खूबसूरत प्रस्तुतिखूबसूरत प्रस्तुतिVIJAY KUMAR VERMAhttps://www.blogger.com/profile/06898153601484427791noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-42544015154599661752011-01-22T06:15:57.591-05:002011-01-22T06:15:57.591-05:00समीर जी
"देख लूँ तो चलूँ’ उपन्यास के
प्रकाश...समीर जी <br />"देख लूँ तो चलूँ’ उपन्यास के <br />प्रकाशन और विमोचन पर <br />आपको बहुत बहुत बधाई <br />हार्दिक शुभ कामनाएं <br />-<br />-<br />ज्ञानरंजन जी को पढना-सुनना हमेशा ही सुखद होता है, उन्होंने उपन्यास की समीक्षा भी बेहतरीन की है ! <br />-<br />-<br />पढ़-सुनकर बेचेंई तो बढ़ गयी है <br />पता नहीं कब पढ़ पाऊंगा इस उपन्यास को !प्रकाश गोविंदhttps://www.blogger.com/profile/15747919479775057929noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-16773478473480626782011-01-22T05:24:11.383-05:002011-01-22T05:24:11.383-05:00बहुत बहुत बधाई !
बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!बहुत बहुत बधाई !<br />बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!Minakshi Panthttps://www.blogger.com/profile/07088702730002373736noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-85578980313458810902011-01-22T02:05:17.694-05:002011-01-22T02:05:17.694-05:00sameer ji, badhaai.
और ज्ञान रंजन जी का यह अभिभा...sameer ji, badhaai. <br /><br />और ज्ञान रंजन जी का यह अभिभाषण, अति महत्वपूर्ण है.सचमुच संग्रहणीय.अजेयhttps://www.blogger.com/profile/05605564859464043541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-47626155373083026562011-01-22T00:04:00.760-05:002011-01-22T00:04:00.760-05:00bakiya sari baten to jara oonchi hai......lekin sa...bakiya sari baten to jara oonchi hai......lekin sameer da ek bahut hi<br />komal hridya evam ati-samvenshil insan hain.....jo inke krite me spasht jhalkti hai.....<br /><br />yse har-ek ko to ek 'prati' milni mushkil hai.....lekin agar blog par<br />thora bahut dal diya jai to sarbhara<br />varg bhi kuch khuskishmat ho le....<br /><br />pranam.सञ्जय झाhttps://www.blogger.com/profile/08104105712932320719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-74850885831600710862011-01-22T00:02:13.279-05:002011-01-22T00:02:13.279-05:00सबसे अच्छे वाले अंकल जी को इसके लिए बधाई...आपने पा...सबसे अच्छे वाले अंकल जी को इसके लिए बधाई...आपने पापा को जो किताब भेजी है, वह बहुत अच्छी लग रही है.Akshitaa (Pakhi)https://www.blogger.com/profile/06040970399010747427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-11743791583297631352011-01-21T23:52:45.776-05:002011-01-21T23:52:45.776-05:00बहुत-बहुत बधाई ।बहुत-बहुत बधाई ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-63496063078679019072011-01-21T22:04:50.548-05:002011-01-21T22:04:50.548-05:00बहुत बहुत बधाई ! सर जी !
इस नए विमोचन के लिए !बहुत बहुत बधाई ! सर जी !<br />इस नए विमोचन के लिए !प्रवीण त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/02126789872105792906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-13502150446200669842011-01-21T17:11:29.378-05:002011-01-21T17:11:29.378-05:00हार्दिक बधाई समीर जी!हार्दिक बधाई समीर जी!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-35955313315617168412011-01-21T15:49:44.739-05:002011-01-21T15:49:44.739-05:00ज्ञानरंजन का भाषण सरसरी तौर पर ही पढा है किन्तु ज...ज्ञानरंजन का भाषण सरसरी तौर पर ही पढा है किन्तु जितना भी पढा, साफ-साफ लगा कि उन्होंने पूरी आत्मपरकता से आपके लिए अपनी बात कही है। ज्ञानरंजन का स्पर्श मात्र ही किसी भी कृति का महत्व बढा देता है। आप सचमुच में सुभागी है कि ज्ञानरंजन की टिप्पणियॉं 'देख लूँ तो चलूँ' को मिलीं।<br /><br />आपको अकूत बधाइयॉं।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.com