tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post2646707543374088161..comments2024-03-04T07:12:33.254-05:00Comments on उड़न तश्तरी ....: और फिर रात गुजर गईUdan Tashtarihttp://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comBlogger36125tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-43249926230379500502007-08-14T19:49:00.000-04:002007-08-14T19:49:00.000-04:00सभी मित्रों का हौसला बढ़ाने के लिये बहुत बहुत आभार....<B><BR/><BR/>सभी मित्रों का हौसला बढ़ाने के लिये बहुत बहुत आभार.<BR/><BR/>इसी तरह स्नेह बनाये रखें. बहुत आभार.<BR/><BR/></B>Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-5329973836884157102007-08-11T06:17:00.000-04:002007-08-11T06:17:00.000-04:00समीर जी आपकी कहानी में माता पिता का दर्द देखा पढ़ा ...समीर जी आपकी कहानी में माता पिता का दर्द देखा पढ़ा व महसूस किया । मेरे बच्चे भी दस साल से दूर हैं पर इस कहानी की तरह से नहीं, १ क्योंकि वे भारत में हैं , २ क्योंकि हम भी समय के साथ उनके अनुरूप स्वयं को बदल रहे हैं ।<BR/>यहाँ से ही प्रवीण परिहार की कविता http://merakhayal.blogspot.com/2006/07/blog-post_06.htmlपढ़ने गई । उनकी कविता व आपकी कहानी दोनों एक ही बात अलग अलग ढंग दे कह रहे हैं। उनकी कविता एक सच्चाई है तो यह दूसरी । दोनों में कोई विरोधाभास नहीं है। रिश्ते, समय, जीवन सब बदलते रहते हैं । चाहकर भी छूटे रिश्तों को हम वहाँ नहीं पहुँचा सकते जहाँ छोड़कर आए थे । बस वे यादें ही सहेज कर रख सकते हैं । और अपने जीवन को कुछ ऐसे जीने का प्रयास कर सकते हैं , कुछ उन लोगों से भर सकते हैं जिन्हें आज भी हमारी अवश्यकता हो , जिन्हें हम अपना समय दें तो वे उसे कीमती मानें । <BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-75168084542975884952007-08-10T21:19:00.000-04:002007-08-10T21:19:00.000-04:00बहुत अच्छी तरह वर्णन किया है आपने इस सच्चाई का। एक...बहुत अच्छी तरह वर्णन किया है आपने इस सच्चाई का। एक और सच भी है अमेरिका जैसे प्रदेश का और उन में बसे प्रदेसीयों का. http://merakhayal.blogspot.com/2006/07/blog-post_06.html ज्ररा उस पर भी नज़र डाले।प्रवीण परिहारhttps://www.blogger.com/profile/12891464897493045802noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-7606369693656300072007-08-10T09:52:00.000-04:002007-08-10T09:52:00.000-04:00इंसान कभी कभी किसी ऐसे पेड जैसा हो जाता है, जो अपन...इंसान कभी कभी किसी ऐसे पेड जैसा हो जाता है, जो अपने नवकोपलों में इतना खो जाता है कि जड को भूल ही जाता है………बहुत ही संवेदना के साथ लिखा है आपने एक एक शब्द्……अच्छा लगा| <BR/><BR/>सादर,<BR/>आशुAshutoshhttps://www.blogger.com/profile/07413912951133767797noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-16238631950234493212007-08-09T15:13:00.000-04:002007-08-09T15:13:00.000-04:00शब्द हां मुझे शब्द चाहियेसारे शब्द लेख मेम तुमने ल...शब्द हां मुझे शब्द चाहिये<BR/>सारे शब्द लेख मेम तुमने लिख डाले न इतना सोचा<BR/>कुछ तो छोड़े होते जिनको हम टिप्पणी बना लिख पाते<BR/>अक्षर अक्षर विद्रोही हो हमसे दूर गया, जा बैठा<BR/>तब हम अपने उद्गारों को कैसे फिर चित्रित कर पाते<BR/>और लेख यह बार बार दुहराता है थपकी दे देकर<BR/>मित्र न चुप यों होकर बैठो<BR/>इस चिन्तन पर जरा गाईये<BR/>शब्द हाम मुझे शब्द चाहियेराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-41119842770567966602007-08-09T13:14:00.000-04:002007-08-09T13:14:00.000-04:00सबसे दिलफरेब हैं गम रोजगार के.सबसे दिलफरेब हैं गम रोजगार के.इष्ट देव सांकृत्यायनhttps://www.blogger.com/profile/06412773574863134437noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-221235479158233202007-08-09T12:24:00.000-04:002007-08-09T12:24:00.000-04:00बहुत बढिया और हृदय स्पर्शी कहानी दीपक भारतदीपबहुत बढिया और हृदय स्पर्शी कहानी <BR/>दीपक भारतदीपdpkrajhttps://www.blogger.com/profile/11143597361838609566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-50109296294204294782007-08-09T11:24:00.000-04:002007-08-09T11:24:00.000-04:00कहानी के भीतर एक और नई कहनी क्या बात है… समीर भाई…...कहानी के भीतर एक और नई कहनी क्या बात है… समीर भाई… हृदय विह्वल हो उठा…!!!Divine Indiahttps://www.blogger.com/profile/14469712797997282405noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-47391427271065816172007-08-09T10:31:00.000-04:002007-08-09T10:31:00.000-04:00sammeer ju aapne prem chand ki yad dila di.sammeer ju aapne prem chand ki yad dila di.MEDIA GURUhttps://www.blogger.com/profile/10414414319396783378noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-91308145072940652942007-08-09T10:28:00.000-04:002007-08-09T10:28:00.000-04:00prem chnd ki yad aa gayi.prem chnd ki yad aa gayi.MEDIA GURUhttps://www.blogger.com/profile/10414414319396783378noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-64556959846654523772007-08-09T10:27:00.000-04:002007-08-09T10:27:00.000-04:00sachmuch prem chnd ki yad aa gayisachmuch prem chnd ki yad aa gayiMEDIA GURUhttps://www.blogger.com/profile/10414414319396783378noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-23484718507910055372007-08-09T10:07:00.000-04:002007-08-09T10:07:00.000-04:00मर्मस्पर्शी कथा, महावीर जी की कहानी वसीयत की याद आ...मर्मस्पर्शी कथा, महावीर जी की कहानी <A HREF="http://www.abhivyakti-hindi.org/kahaniyan/vatan_se_door/2007/vasiyat/vasiyat1.htm" REL="nofollow">वसीयत</A> की याद आ गई।ePandithttps://www.blogger.com/profile/15264688244278112743noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-83919279067035564892007-08-09T09:42:00.000-04:002007-08-09T09:42:00.000-04:00समीर भाई,आप की सँवेदना कथा के पात्रोँ से , पाठक के...समीर भाई,<BR/>आप की सँवेदना कथा के पात्रोँ से , पाठक के ह्रदय तक करुणा फैलाने मेँ सफल हुई है.<BR/>ऐसे ही लिखते रहिये ..चाहे हास्य हो, शृँगार रस या और कुछ !<BR/>स -स्नेह,<BR/>-लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-35809704760650463602007-08-09T08:58:00.000-04:002007-08-09T08:58:00.000-04:00दिल को छू देने वाली ये कहानी सच्चाई को भी बयान करत...दिल को छू देने वाली ये कहानी सच्चाई को भी बयान करती है बहुत मर्मस्पर्शी कहानी है...Dr.Bhawna Kunwarhttps://www.blogger.com/profile/11668381875123135901noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-63170879074636633722007-08-09T06:12:00.000-04:002007-08-09T06:12:00.000-04:00डा. रमा द्विवेदी said.. आधुनिक युग में मां-बाप के...डा. रमा द्विवेदी said..<BR/><BR/><BR/> आधुनिक युग में मां-बाप के दयनीय सच को बयान करती यह कहानी अच्छी बन पड़ी है...बधाई..Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-11573236765888888162007-08-09T04:40:00.000-04:002007-08-09T04:40:00.000-04:00बहुत सही!!!!!शब्द नही मिल रहे मुझे!!बहुत सही!!!!!<BR/><BR/>शब्द नही मिल रहे मुझे!!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-76063766496413427842007-08-09T04:28:00.000-04:002007-08-09T04:28:00.000-04:00रोज नये सपने बुने जाते और रोज टुटे हुये सपनों की क...रोज नये सपने बुने जाते और रोज टुटे हुये सपनों की किरच उठायी जाती ।<BR/> फिर तस्सली से बिना शिकन लाये नया इन्तजार । कईयों की कहानी है ये ।anuradha srivastavhttps://www.blogger.com/profile/15152294502770313523noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-79238892291304052512007-08-09T04:18:00.000-04:002007-08-09T04:18:00.000-04:00रोइये जार-जार क्या कीजिये हाय-हाय क्यूंरोइये जार-जार क्या कीजिये हाय-हाय क्यूंALOK PURANIKhttps://www.blogger.com/profile/09657629694844170136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-18406433414336537272007-08-09T04:03:00.000-04:002007-08-09T04:03:00.000-04:00मार्मिक सच .मार्मिक सच .Poonam Misrahttps://www.blogger.com/profile/08526492616367277544noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-26428018613565376202007-08-09T04:00:00.000-04:002007-08-09T04:00:00.000-04:00गुरुदेव! आपसे सेंटियत्व कि उम्मीद नही थी। मैं तो ह...गुरुदेव! आपसे सेंटियत्व कि उम्मीद नही थी। मैं तो हँसने आया था। लेकिन अब हर विधा मे आपकी गुरुता देखकर गुरू-गम्भीर होकर जा रहा हूँ।Vikashhttps://www.blogger.com/profile/01373877834398732074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-65901391703349740962007-08-09T03:03:00.000-04:002007-08-09T03:03:00.000-04:00अच्छी लगी पर लगा जज़्बात के ऊपर ऊपर से गुजर गये। थ...अच्छी लगी पर लगा जज़्बात के ऊपर ऊपर से गुजर गये। थोड़ी और ढील दी होती तो इससे बहुत बेहतर लिखते।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16964389992273176028noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-12302513766650991832007-08-09T02:54:00.000-04:002007-08-09T02:54:00.000-04:00साधारण तरीके से असाधारण बात, बहुत अच्छासाधारण तरीके से असाधारण बात, बहुत अच्छाYatish Jainhttps://www.blogger.com/profile/14283748451497318321noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-68546741071936803282007-08-09T01:53:00.000-04:002007-08-09T01:53:00.000-04:00समीरजी,पढते पढते मन भारी हो गया है, बस साधुवाद के ...समीरजी,<BR/><BR/>पढते पढते मन भारी हो गया है, बस साधुवाद के अलावा और कुछ लिखना नहीं हो पायेगा ।<BR/><BR/>नीरजNeeraj Rohillahttps://www.blogger.com/profile/09102995063546810043noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-47275876911957073562007-08-09T01:14:00.000-04:002007-08-09T01:14:00.000-04:00बहुत ही संवेदनशील लेख है। सच्ची ये कहानी तो हर घर...बहुत ही संवेदनशील लेख है। सच्ची ये कहानी तो हर घर की हो गयी है ।<BR/>बस माँ-बाप के अलावा हर किसी के लिए समय होता है।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-82022080795279565622007-08-09T01:05:00.000-04:002007-08-09T01:05:00.000-04:00वाह भाइ लगा की प्रेमचंद युग लौट आया..:)वाह भाइ लगा की प्रेमचंद युग लौट आया..:)Arun Arorahttps://www.blogger.com/profile/14008981410776905608noreply@blogger.com