tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post1828937192192131649..comments2024-03-04T07:12:33.254-05:00Comments on उड़न तश्तरी ....: हजारों ख्वाहिशें ऐसी….Udan Tashtarihttp://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-60373497115699259912014-10-12T05:00:11.424-04:002014-10-12T05:00:11.424-04:00अगर लिखवाए कोई उसको ख़त, तो हमसे लिखवाए
हुई सुबह औ...अगर लिखवाए कोई उसको ख़त, तो हमसे लिखवाए<br />हुई सुबह और घर से कान पर रख कर क़लम निकले,Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/10617116695001104053noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-70613625551574070592013-04-12T10:59:40.227-04:002013-04-12T10:59:40.227-04:00उश्शाक - प्रेमी । फैज़ - इनाम
देखें बुत क्या क्या ...उश्शाक - प्रेमी । फैज़ - इनाम<br />देखें बुत क्या क्या इनाम देते हैं प्रेमियों को<br />एक ब्राह्मण ने साल अच्छा बताया तो हैAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/15141052744983644146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-29911042350691947412006-12-29T01:20:00.000-05:002006-12-29T01:20:00.000-05:00ये जो हम हिज्र में दीवारो-दर को देखते हैं
कभी सबा ...ये जो हम हिज्र में दीवारो-दर को देखते हैं<br />कभी सबा को कभी नामाबर को देखते हैं<br />वो आये घर में हमारे खुदा की कुदरत है<br />कभी हम उनको, कभी अपने घर को देखते हैं<br /><br />ग़ालिब पर आपके दवारा लिखा यह लेख दिल को छू गया <br /> <br /><br />शुक्रिया समीर जीरंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-76355922276806229822006-12-28T20:49:00.000-05:002006-12-28T20:49:00.000-05:00हैप्पी बर्थ डे टू चचा, लेख बढ़िया लगा।हैप्पी बर्थ डे टू चचा, लेख बढ़िया लगा।अभिनवhttps://www.blogger.com/profile/09575494150015396975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-60967026175779293242006-12-28T20:19:00.000-05:002006-12-28T20:19:00.000-05:00जगदीश भाई, मनीष जी, संजय भाई,
आप सबका लगातार हौस...<b>जगदीश भाई, मनीष जी, संजय भाई,</b> <br /><br />आप सबका लगातार हौसला हफजाई के लिये बहुत बहुत शुक्रिया. ऐसे ही स्नेह बनाये रखें. :)<br /><br /><br /><b>राकेश भाई,</b><br /><br /><br />अरे, आप तो सब समझते हैं. ;) बस, रोज कहानियाँ करने का सिलसिला चल पड़ा है. थोड़ा सब्र करें, जल्दी ही कुछ लगाम दी जायेगी. स्नेह बनाये रखें.<br /><br /><br /><b>पंकज मास्साब,</b><br /><br />ये वाला शेर तो हम समझा देंगे आपको कि क्या मतलब है इसका. बाकि तो सब आप समझ ही गये हैं.<br />अन्यथा न लिजियेगा. :)<br /><br />और हाँ, एक कहीं पढ़ा था: शेर देखो:<br /><br /><b>दरख्त के पैमाने पे चिलमन ए हुस्न का फ़ुरकत से शरमाना….</b> (इसे ३ बार पढ़ा जाये)<br /><b>ये लाइन समझ मे आये तो मुझे जरुर बताना!!</b><br /><br /><br /><b>रत्ना जी</b><br /><br />बहुत शुक्रिया. काफी पहले यह फिल्म देख चुका हूँ, अब आपके कहने से एक बार और देखूँगा. :)आजकल जो भी कुछ कहता है, मै जरुर करता हूँ, क्या करुँ, आप तो सब समझती हैं..खैर, आज नामिनेशन का सिलसिला थम गया :)<br /><br /><b>पंडित जी,</b><br /><br />अरे गालिब चाचा न होते तो आज तो हमारी एक पोस्ट ही रह जाती. क्या लिखते?? :) धन्यवाद मित्र, पधारने के लिये. :)<br /><br /><b>नीरज भाई</b><br />आपका स्नेह देख आँखें भर आईं, बड़ी मुश्किल से धुँधला धुँधला आसूंओं के बीच से झांक झांक कर लिख रहा हूँ. बस, आप जैसे मित्रों का ही सहारा है, वरना हम क्या और हमारा लिखा क्या. :) बहुत शुक्रिया आपका.<br /><br />पुनः सबका धन्यवाद.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-12322672665926221202006-12-28T16:06:00.000-05:002006-12-28T16:06:00.000-05:00समीरजी,
गालिब चचा के जन्मदिन पर अतिउत्तम लेख परोसन...समीरजी,<br />गालिब चचा के जन्मदिन पर अतिउत्तम लेख परोसने पर साधुवाद स्वीकार करें |<br /><br />वैसे आजकल काफी भागदौड की जा रही है, सभी चिट्ठों पर आपकी टिप्पणियां दूर से ही चमक जाती हैं | लगता है चुनावी सरगर्मियां तेज हो चुकीं हैं |<br /><br />वैसे चुनाव तो आप ही जीतेंगे, हमनें तो अपनी जानपहचान वालों से आप ही को वोट करनें का आश्वासन भी ले लिया है |<br /><br />आप बेफिक्र रहें, <br /><br />साभार,<br />नीरजNeeraj Rohillahttps://www.blogger.com/profile/09102995063546810043noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-64071842795174879692006-12-28T10:57:00.000-05:002006-12-28T10:57:00.000-05:00हुई मुद्दत कि गालिब मर गया, पर याद आता है वो हर इक...हुई मुद्दत कि गालिब मर गया, पर याद आता है वो हर इक बात पर कहना कि यों होता, तो क्या होता...<br /><br />इश्क ने गालिब को निकम्मा किया...<br />अगर इश्क गालिब चचा को न हुआ होता तो न होते उनके ये शेर, गजलें, दीवान और न पढ़ रहे होते हम ये पोस्ट। :)Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1941999742628811582006-12-28T05:14:00.000-05:002006-12-28T05:14:00.000-05:00ग़लिब पर टी सीरीज़ वालों ने गुलज़ार के निर्देशन मे...ग़लिब पर टी सीरीज़ वालों ने गुलज़ार के निर्देशन में एक फिल्म बनाई थी- मिर्जा गालिब़ । इसमें नसिरूद्दीन शाह ने गालिब़ का रोल अदा किया था। कभी मौका मिले तो अवश्य देखिएगा। शायरी पसंद करने वालों के लिए यह फिल्म एक बेहतरीन तोहफ़ा है।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-9453223823728728912006-12-27T23:18:00.000-05:002006-12-27T23:18:00.000-05:00गालिब की रचनाएं हमारी अमुल्य धरोहर है.गालिब की रचनाएं हमारी अमुल्य धरोहर है.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-13650320174891280172006-12-27T23:04:00.000-05:002006-12-27T23:04:00.000-05:00यह वाला समझ नही आया
देखिये पाते हैं, उश्शाक बुतों...यह वाला समझ नही आया<br /><br />देखिये पाते हैं, उश्शाक बुतों से क्या फ़ैज़<br />इक बराह्मन ने कहा है कि ये साल अच्छा है<br /><br /><br />बाकि गालिब की गज़ले पढना या जगजीत सिंह की जबानी सुनना आह्लादक है।पंकज बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/05608176901081263248noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-78318833205874296472006-12-27T15:18:00.000-05:002006-12-27T15:18:00.000-05:00हुज़ूरे अनवर सलाम तुमको, कि याद गालिब की लेके आये
ब...हुज़ूरे अनवर सलाम तुमको, कि याद गालिब की लेके आये<br />बिना चचा के है कौन शायर, है किसकी जुर्रत कि गज़लें गाये<br />लगा है कुछ इन दिनों असर सा तुम्हारे ऊपर भी छा गया है<br />तभी तो चिट्ठे पर रोज ही कुछ नई कहानी को लेके आये<br /><br /><br />:-)राकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-3096948915696385192006-12-27T15:13:00.000-05:002006-12-27T15:13:00.000-05:00गालिब का ज़िक्र हो और यह लाइनें न हों
सब रकीबों से...गालिब का ज़िक्र हो और यह लाइनें न हों<br /><br />सब रकीबों से हों नाखुश पर ज़नाने मिस्र से<br />है जुलेखा खुश के महवे माहो कनाअँ हो गईंराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-80194866656229770422006-12-27T13:45:00.000-05:002006-12-27T13:45:00.000-05:00अच्छा संकलन ले के आए हैं आप गालिब के शेरों का !अच्छा संकलन ले के आए हैं आप गालिब के शेरों का !Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-27902383741697701372006-12-27T11:19:00.000-05:002006-12-27T11:19:00.000-05:00हैं और भी दुनिया में सुखनवर बहुत अच्छे कहते हैं कि...<i> हैं और भी दुनिया में सुखनवर बहुत अच्छे कहते हैं कि गा़लिब का है अंदाजे बयां और।</i><br /><br />गुलजार और जगजीत की गालिब पर बनी एलबम इतनी बार सुनी कि एक एक गजल दिमाग पर छप गई। गालिब के शब्द दिमाग को ही नहीं आत्मा को भी छूते हैं<br />प्रस्तुती के लिये धन्यवाद।Anonymousnoreply@blogger.com