tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post116234767336810879..comments2024-03-04T07:12:33.254-05:00Comments on उड़न तश्तरी ....: दुई पाटन के बीच में..Udan Tashtarihttp://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1162800886736488972006-11-06T03:14:00.000-05:002006-11-06T03:14:00.000-05:00बहुत खूब!!!बहुत खूब!!!rachanahttps://www.blogger.com/profile/14183659688400073503noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1162390233678168202006-11-01T09:10:00.000-05:002006-11-01T09:10:00.000-05:00राम के पांवपत्थर बनी अहल्या सेबच कर निकल भी जातेमग...राम के पांव<BR/>पत्थर बनी अहल्या से<BR/>बच कर निकल भी जाते<BR/>मगर<BR/>कुछ पत्थर ऐसे होते हैं<BR/>जो खुद आगे बढ़ कर<BR/>कदम चूम लेते हैंराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1162390163271932152006-11-01T09:09:00.000-05:002006-11-01T09:09:00.000-05:00साथ जलेबी के क्यों भूले उड़द दाल की गर्म कचौड़ीसाथ स...साथ जलेबी के क्यों भूले उड़द दाल की गर्म कचौड़ी<BR/>साथ साथ आलू की स्ब्जी बेसन वाली जो खाते हैं<BR/>बीबी के संग संग मित्रों को भी अब इस श्रेणी में रक्खा<BR/>आधी बात बता देते हैं, आधी बात छिपा जाते हैंराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1162390096557634672006-11-01T09:08:00.000-05:002006-11-01T09:08:00.000-05:00इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.राकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1162382881086964102006-11-01T07:08:00.000-05:002006-11-01T07:08:00.000-05:00बढिया व्यन्गय ! आपने जबलपुर के पोहे जलेबी की याद द...बढिया व्यन्गय ! आपने जबलपुर के पोहे जलेबी की याद दिला कर मेरे दुध-सिरियल सन्तोषी पेट की ईच्छाऍ जगा दीं.Kalicharanhttps://www.blogger.com/profile/13820034560677352485noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1162365331174780052006-11-01T02:15:00.000-05:002006-11-01T02:15:00.000-05:00वाह कुंडली नरेश आपने तो फ़ुरसतियाजी की दुकान पर ताल...वाह कुंडली नरेश आपने तो फ़ुरसतियाजी की दुकान पर ताला लगवाने का पूरा इंतजाम कर दिया।<BR/>हरिजन एक्ट के दुरुपयोग पर आपने अच्छा व्यंग्य लिखा मैं भी म.प्र. से हूं यहाँ सब ये आम है।bhuvnesh sharmahttps://www.blogger.com/profile/01870958874140680020noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1162362877717407832006-11-01T01:34:00.000-05:002006-11-01T01:34:00.000-05:00दुई पाटन के बीच में बाकी बचा न कोयघुन सारे तो अब ब...दुई पाटन के बीच में <BR/>बाकी बचा न कोय<BR/>घुन सारे तो अब बच निकले<BR/>गेहूँ पिस चटनी होय<BR/>गेहूँ पिस चटनी होय<BR/>यही है व्यथा हमारी<BR/>आम इक भारतवासी की<BR/>कुल कथा यह सारी।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1162360187839536972006-11-01T00:49:00.000-05:002006-11-01T00:49:00.000-05:00बढिया व्यंग !बढिया व्यंग !Pratyakshahttps://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1162357101745460232006-10-31T23:58:00.000-05:002006-10-31T23:58:00.000-05:00अद्भुत. इस विषय पर इस प्रकार का व्यंग्य! बहुत खुब ...अद्भुत. इस विषय पर इस प्रकार का व्यंग्य! बहुत खुब लिखा हैं. उत्तम रचना. इसे अधिक से अधिक लोगो को पढना (पढ़वाना) चाहिए.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1162356665716979322006-10-31T23:51:00.000-05:002006-10-31T23:51:00.000-05:00लालाजी,इन खादीधारीयों और खाकीधारीयों के उपर ना जान...लालाजी,<BR/><BR/>इन खादीधारीयों और खाकीधारीयों के उपर ना जाने कितने व्यंग्य और लेख लिखे जा चुके हैं और लिखे जा रहें हैं।<BR/><BR/>कईओं ने तो नेताओं और खाकी योद्धाओं के विषय में पी.एच.डी. भी कर रखी है। पर वस्तुतः हम यह भूलने लग जाते हैं कि आखिर हम खुद अपने कर्तव्यों का कितना पालन करते हैं?<BR/><BR/>राह चलते समय सामने पडे पत्थर को उठाकर किनारे कर देने की जहमत कितने उठाते हैं?पंकज बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/05608176901081263248noreply@blogger.com