tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post116113272774507861..comments2024-03-04T07:12:33.254-05:00Comments on उड़न तश्तरी ....: चलत कत टेढ़ो टेढ़ो रेUdan Tashtarihttp://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1161306287026639942006-10-19T21:04:00.000-04:002006-10-19T21:04:00.000-04:00सच तो यह है कि मैंने यह बात उन सभी के लिये लिखी जो...सच तो यह है कि मैंने यह बात उन सभी के लिये लिखी जो इसे अपने लिये लिखा समझ रहे हैं.लेकिन यह उन पर भी लागू होती है जो यह समझ रहे हैं कि यह उन पर लागू नहीं होती. हमारे तमाम साथी बहुत अच्छा लिखते हैं और कुछ मेहनत करके उनके लेख छपनीय हो सकते हैं.<BR/>कुछ लोग तो सच में ही बहुत अच्छा लिखते हैं और अगर पत्रिकाऒं को उनके लेख मिलेंतो वे खुश हो जायें. मेरी कामना है कि लोग अपने हुनर को पहचाने और आगे बढ़ें.टिप्पणी देर से की सोचने में समय लगा.अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1161187802858936172006-10-18T12:10:00.000-04:002006-10-18T12:10:00.000-04:00कहा किसी ने मैं हूँ बस मैं, कहा किसी ने मैं अव्वल ...कहा किसी ने मैं हूँ बस मैं, कहा किसी ने मैं अव्वल हूँ<BR/>और समझता है ये कोई इन सब में, मैं सिर्फ़ सफ़ल हूँ<BR/>पर मुझको वोश्वास कि मेरा नाम नहीम इनमें शामिल है<BR/>बाकी सब आने वाले है< मैं जो बीत चुका वो कल हूँराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1161169971647472632006-10-18T07:12:00.000-04:002006-10-18T07:12:00.000-04:00पता नहीं, पर एक और कैटेगरी होनी चाहिए थी शायद। क्य...पता नहीं, पर एक और कैटेगरी होनी चाहिए थी शायद। क्या किसी और को मेरी तरह ऐसा नहीं लगा कि यह मेरे लिए तो लिखा गया हो ही नहीं सकता?Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/04620320921284985622noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1161155576897181592006-10-18T03:12:00.000-04:002006-10-18T03:12:00.000-04:00अरे गुरूदेव आप भी शिकार हो चुके हैं बहुत दुःख हुआ ...अरे गुरूदेव आप भी शिकार हो चुके हैं बहुत दुःख हुआ यह देखकर।<BR/><BR/>असल में गलती मेरी है, फुरसतियाजी ने उस पोस्ट को प्रकाशित करने से पूर्व मुझसे "टेलिपेथी" के जरिये सम्पर्क कर पोस्ट के साथ मेरा नाम भी छापने की अनुमति चाही थी मगर मैने अनुमति सिर्फ यही सोच कर नहीं दी कि कहीं बाकि रचनाकारों का हृदय आहत ना हो मगर इससे इस प्रकार का विवाद भी खड़ा हो सकता है मुझे उम्मीद ना थी, मुझे क्षमा करें।<BR/><BR/>मैं सम्पूर्ण ब्लॉग जगत से अपने चिट्ठे पर सार्वजनिक रूप से क्षमा याचना करूंगा।गिरिराज जोशीhttps://www.blogger.com/profile/13316021987438126843noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1161154149288356232006-10-18T02:49:00.000-04:002006-10-18T02:49:00.000-04:00भाई साहब मुझे आप पहली, दूसरी और तीसरी तीनो ही श्रे...भाई साहब <BR/>मुझे आप पहली, दूसरी और तीसरी तीनो ही श्रेणी का शिकार समझें।<BR/>फ़ुरसतिया जी ने एक ही तीर से कितनों का शिकार किया है। अभी भी कितने लोग और होंगे जो इस खुशफ़हमी में होंगे कि वह लेख हमारे लिये लिखा था।Sagar Chand Naharhttps://www.blogger.com/profile/13049124481931256980noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1161152200270425712006-10-18T02:16:00.000-04:002006-10-18T02:16:00.000-04:00समीर भाई हम भी हैं आपके कारवां में!!मुझे लगा कि उन...समीर भाई हम भी हैं आपके कारवां में!!<BR/>मुझे लगा कि उन्होंने मेरे बारे में लिखा है, कन्फर्म करने के लिये मैंने उन्हें मेल भी लिखा, और सच, अभी तक तक उनकी ओर से कोई खंडन नहीं आया:)<BR/>बहुत अच्छा लिखे हैं, बधाई।Jagdish Bhatiahttps://www.blogger.com/profile/17093503828934988942noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1161145674734768232006-10-18T00:27:00.000-04:002006-10-18T00:27:00.000-04:00कुछ विदेशी ताकतो कि वजह से मैं चिट्ठाजगत से कट कर ...कुछ विदेशी ताकतो कि वजह से मैं चिट्ठाजगत से कट कर रह गया था, वरना मैंने भी फुरसतीयाजी का वह लेख पढ़ा होता और आपसे बधाई भी ले रहा होता, आखिर मैं ही तो हूँ जिसके बारे में वे ऐसा लिख सकते हैं, यह बात और है की खुशफहमी तो कोई भी पाल सकता हैं. किस किस को रोके. :)<BR/>आपने खुब लिखा हैं. अन्दर तक गुदगुदा दिया. मजा आया.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1161144247093132752006-10-18T00:04:00.000-04:002006-10-18T00:04:00.000-04:00संक्षेप में इतना ही कहना चाहुंगा, कि फुरसतियाजी चा...संक्षेप में इतना ही कहना चाहुंगा, कि फुरसतियाजी चाणक्य हैं इसमें कोई शक नहीं। <BR/><BR/>उनका लोहा तो मानना ही पडेगा। लोगों से काम करवा लेने की क्षमता हो या ईशारो में या व्यंग्य में किसी तक सन्देश पहुँचाना हो... उनकी कोई सानी नहीं।पंकज बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/05608176901081263248noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1161144112387778372006-10-18T00:01:00.000-04:002006-10-18T00:01:00.000-04:00अरे पूरा चिट्ठाकार समूह आपके कारवां में आ जुडा ;-)...अरे पूरा चिट्ठाकार समूह आपके कारवां में आ जुडा ;-)<BR/><BR/><BR/>क्या पोस्ट है , मज़ा आ गया ।Pratyakshahttps://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1161138254950411642006-10-17T22:24:00.000-04:002006-10-17T22:24:00.000-04:00मुझे तो लगा कि मैं पहली श्रेणं में हूंमुझे तो लगा कि मैं पहली श्रेणं में हूंAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1161136845039178822006-10-17T22:00:00.000-04:002006-10-17T22:00:00.000-04:00वैसे मै एक सही बात कहू तो कई लोगों को बुरा लगेगा, ...वैसे मै एक सही बात कहू तो कई लोगों को बुरा लगेगा, मै लगभग बहुत कम ही आनलाइन किसी के लेख को पढता तथा जिस किसी के लेख को पढता हूं टिप्पणी अवश्य करता हूं। इसका एक कारण है कि मेरी आखे आनलाइन पर थोडा कम कम करती है और जो लेख मुझे अच्छा लगता है उसका प्रिंट निकाल कर पडता हू। वास्तव मै कल का फुरसतियां जी के लेख को नही पढ पाया इसका एक कारण और भी है कि कुछ वरिष्ट चिठ्ठाकार एसे है जिनके लेख के लिये मानक है जैसे फुरसतिया जी ही है, इसने लेखो को मै विषय और टिप्पणी के आधार पर पडता हूं। टिप्पणी भी कुल जमा 4 ही था तथा विषय भी मेरे लायक नही था क्योकि ''लिखये तो छपाइये भी न!''मेरे लिये नही था, क्योकि मेरे मे अभ वह गुण, विचार तथा बात रखने की क्षमता नही कि कोई मेरी लेखो तथा कविताओं को अपनी पत्रिकाओं मे जगह दें और ये दूसरी बात है कि स्थानीय समाचार पत्रो मे मेरे पाठकीय कालम मे छपते रहते है। <BR/>फुरसतिया जी के जिन लेखो को की टिप्पणी 10 से ऊपर पहुचे उसे पढना ही पडता है। <BR/>वैसे कई व्लागर है जो कही भी अन्यत्र लिख कर भेजने मे सक्षम है और उनके लिये वाकई अच्छा लिखते है नाम न लूगा अन्यथा काफी लम्बी लिस्ट तैयार हो जायेगी। <BR/>वैसे मै अभी तक वो टिप्पणी कर रहा था जो मुझे फुरसतिया पर करनी थी, यह तो समीर जी के साथ बेमानी होगी की उनके ब्लाग पर उनके बारे मे न लिख कर सबके बारे मे लिख रहा हूं, पर चिन्ता न करे उस लम्बी लिस्ट मे आपका नाम सर्वोपरि है। <BR/>आपने सभी के लिये चार कटेगरी ही बनाई पर आप मेरे लिये कटेगरी बनाना भूल ही गये। :-(<BR/><BR/>:-) :-) हा हा हा <BR/><BR/>आप सदा एसे ही लिखते रहे। <BR/>शुभ कामनाओ सहित <BR/>आपका <BR/>प्रमेन्द्रAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1161135728047988132006-10-17T21:42:00.000-04:002006-10-17T21:42:00.000-04:00मुझे पूरी उम्मीद है कि फुरसतिया ने यह मेरे बारे मे...मुझे पूरी उम्मीद है कि फुरसतिया ने यह मेरे बारे में लिखा है लेकिन मैं इसकी पुष्टि नहीं कराऊँगा।Laxmihttps://www.blogger.com/profile/01605651550165016319noreply@blogger.com