tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post115711886360721471..comments2024-03-04T07:12:33.254-05:00Comments on उड़न तश्तरी ....: उसको साथ निभाते देखाUdan Tashtarihttp://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-64582959945056014212011-04-06T11:34:54.140-04:002011-04-06T11:34:54.140-04:00मदहोशी के इस आलम मे,जो भी हो बस वही सही है
दुख और ...मदहोशी के इस आलम मे,जो भी हो बस वही सही है<br />दुख और सुख दोनों रातों मे,उसको जाम पिलाते देखा.<br /><br />बहुत खूब ग़ज़ल,<br /><br />हाइकु भी बहुत पसंद आये, ख़ास तौर पर ये वाले:<br /><br />वाह रे देश<br />गरीबी पाती भूख<br />मूर्ति को दूध.<br /><br />मेरा ये देश<br />कितने परिवेष<br />फिर भी एक.'साहिल'https://www.blogger.com/profile/13420654565201644261noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-37549421615036199932011-04-05T14:10:48.066-04:002011-04-05T14:10:48.066-04:00शर्तों की बुनियाद कभी भी, रिश्तों का आधार नही है
ख...शर्तों की बुनियाद कभी भी, रिश्तों का आधार नही है<br />खुद की हस्ती बेच बेच कर, उसको साथ निभाते देखा.<br /><br />शायद तभी अभी तक धरती टिकी हुई है ..<br /><br />हाईकू सभी बहुत अच्छी लगींसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-22051662645188451032011-04-05T06:12:12.177-04:002011-04-05T06:12:12.177-04:00हैवानो की इस दुनिया मे, इन्सानों की कमी नही है
अनज...हैवानो की इस दुनिया मे, इन्सानों की कमी नही है<br />अनजानों की कब्रों पर जा, उसको फ़ूल चढाते देखा\<br />वाह जबर्दस्त्त प्रवाह <br />हाइकू भी मस्त हैं.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-83771411825032532192011-04-05T01:52:30.434-04:002011-04-05T01:52:30.434-04:00हैवानो की इस दुनिया मे, इन्सानों की कमी नही है
अनज...हैवानो की इस दुनिया मे, इन्सानों की कमी नही है<br />अनजानों की कब्रों पर जा, उसको फ़ूल चढाते देखा.<br />bahut hi sahiरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-3562396166939089932011-04-05T01:38:01.884-04:002011-04-05T01:38:01.884-04:00हालात का अवलोकन करती शानदार रचना।हालात का अवलोकन करती शानदार रचना।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-77057638304470325902011-04-05T01:19:22.230-04:002011-04-05T01:19:22.230-04:00समीर जी ,
बहुत बढ़िया गज़ल कही है आपने ..हर शे&#...समीर जी ,<br />बहुत बढ़िया गज़ल कही है आपने ..हर शे'र लाजवाब और इसकी तो बात ही क्या ..वाह<br /><br /><br />शर्तों की बुनियाद कभी भी, रिश्तों का आधार नही है<br />खुद की हस्ती बेच बेच कर, उसको साथ निभाते देखा.<br /><br />और हर हाइकू कमाल..बधाई जानदार सृजन के लिए <br /><br />सादर <br />मुदितामुदिताhttps://www.blogger.com/profile/14625528186795380789noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1157693987537528822006-09-08T01:39:00.000-04:002006-09-08T01:39:00.000-04:00bahut sundar ....bahut sundar ....deepa joshihttps://www.blogger.com/profile/07018191547581424326noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1157475076375210212006-09-05T12:51:00.000-04:002006-09-05T12:51:00.000-04:00तारीफ़ करूँकितनी हद तकआप बतायें-०-०-०-०-०-०-०बन्दी ...तारीफ़ करूँ<BR/>कितनी हद तक<BR/>आप बतायें<BR/>-०-०-०-०-०-०-०<BR/>बन्दी नहीं हुआ है मौसम,लहराते हर एक दिशा में<BR/>केवल इन्सानों ही को तो है दीवार बनाते देखा<BR/>जिन रिश्तों पर फ़ख्र कभी था,आज बदलते फिर मौसम में<BR/>उन रिश्तों को बाज़ारों में बोली खूब लगाते देखाराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1157265677927601592006-09-03T02:41:00.000-04:002006-09-03T02:41:00.000-04:00बहुत अच्छा लिखा है।बहुत अच्छा लिखा है।प्रेमलता पांडेhttps://www.blogger.com/profile/11901466646127537851noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1157177286556165652006-09-02T02:08:00.000-04:002006-09-02T02:08:00.000-04:00बड़िया है।बड़िया है।रत्नाhttps://www.blogger.com/profile/03508535869768847255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1157175229319833382006-09-02T01:33:00.000-04:002006-09-02T01:33:00.000-04:00वापिस रंग में आ गये.बहुत खुब.वापिस रंग में आ गये.<BR/>बहुत खुब.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1157173527179568942006-09-02T01:05:00.000-04:002006-09-02T01:05:00.000-04:00और कितनी तारीफ करू? वैसे ही..... :-)पर रहा भी नहीं...और कितनी तारीफ करू? वैसे ही..... :-)<BR/><BR/>पर रहा भी नहीं जाता!!पंकज बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/05608176901081263248noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1157165943705056762006-09-01T22:59:00.000-04:002006-09-01T22:59:00.000-04:00वाह,वाह!कुंडलिया गुरू हायकू उस्ताद भी हो गये!वाह,वाह!कुंडलिया गुरू हायकू उस्ताद भी हो गये!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1157143505271049032006-09-01T16:45:00.000-04:002006-09-01T16:45:00.000-04:00शर्तों की बुनियाद कभी भी, रिश्तों का आधार नही हैखु...शर्तों की बुनियाद कभी भी, रिश्तों का आधार नही है<BR/>खुद की हस्ती बेच बेच कर, उसको साथ निभाते देखा.<BR/><BR/>वाह, बहुत बहुत सुंदर पंक्तियाँ हैं। क्या बात है!!!Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी https://www.blogger.com/profile/13192804315253355418noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1157133600579976612006-09-01T14:00:00.000-04:002006-09-01T14:00:00.000-04:00आपको ऐसे खयाल कहां से आते हैं? - वाह वाह और वाह -...आपको ऐसे खयाल कहां से आते हैं? - वाह वाह और वाह - आपका हर शब्द बहुत ही जानदार हैShuaibhttps://www.blogger.com/profile/09917522401192571532noreply@blogger.com