tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post115630031283595406..comments2024-03-04T07:12:33.254-05:00Comments on उड़न तश्तरी ....: हम तो चले परदेश रे भईया....Udan Tashtarihttp://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-64149655377956808082010-04-13T15:55:08.774-04:002010-04-13T15:55:08.774-04:00चिट्ठाचर्चा से यहा पहुचा और समीर जी की एक और शख्सि...चिट्ठाचर्चा से यहा पहुचा और समीर जी की एक और शख्सियत को देखा :)<br /><br />ये पोस्ट और टिप्प्णिया देखकर सबको सीखना चाहिये की एक अच्छा ब्लागर कैसे बनते है :) वाह, आपने सबको रिप्लाई किया है.. मै भी ऐसे ही करता हू :D<br /><br />kidding...Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय)https://www.blogger.com/profile/01559824889850765136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1156551607046982232006-08-25T20:20:00.000-04:002006-08-25T20:20:00.000-04:00संजय भाईधन्यवाद.निश्चित तौर पर आप सुखी हैं, यह सब ...<B>संजय भाई</B><BR/>धन्यवाद.निश्चित तौर पर आप सुखी हैं, यह सब तो अहसासों की बात है.<BR/><BR/><B>छाया भाई</B><BR/>बहुत धन्यवाद.<BR/><BR/><B>मानोशी जी</B><BR/>धन्यवाद.देखो कैसा संजोग निकला कि हमारी कलम से आपके मन बात निकल गई.<BR/><BR/><B>पवन जी</B><BR/>वैसे आप बिना फोंट हुये भी http://www.kaulonline.com/uninagari/ पर जा कर टाइप करके कट पेस्ट कर सकते हैं.<BR/>पधारने और प्रोतसाहन के लिये धन्यवाद.<BR/><BR/><B>लक्ष्मी जी</B><BR/><BR/>बहुत धन्यवाद.सही फरमा रहे हैं.<BR/><BR/><B>निधी जी,</B><BR/>आ जाओ, जी.बहुत बढ़िया है, बस थोड़ी सी मेहनत और लगन..:)<BR/>बकिया तो हम लोग हैं ही...<BR/><BR/><B>समीर लाल</B>Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1156551580278505522006-08-25T20:19:00.000-04:002006-08-25T20:19:00.000-04:00जगदीश भाईबात की गहराई पहचानी गई, लिखना सफ़ल. धन्यवा...<B>जगदीश भाई</B><BR/><BR/>बात की गहराई पहचानी गई, लिखना सफ़ल. धन्यवाद.<BR/><BR/><B>अनूप भाई,</B><BR/><BR/>अब तो कीर्तन मंडली मे आ ही गये हैं, मजा आ रहा है.<BR/>बहुत धन्यवाद आपका हौसला बढ़ाने के लिये, हमेशा की तरह.<BR/><BR/><B>पंकज भाई</B><BR/><BR/>धन्यवाद, अनुमोदन के लिये.<BR/><BR/><B>जीतू भाई,</B><BR/><BR/>धन्यवाद, पप्पू भाईया के दोनो एपिसोड पढ़े.आन्नद आ गया.<BR/><BR/><B>राकेश जी</B><BR/><BR/>पद्य मे क्या बात कही है आपने, मै पूर्णतः सहमत हूँ.<BR/>बहुत धन्यवाद.<BR/><BR/><B>अतुल भाई</B><BR/><BR/>पूरा पूरा श्रेय आपको दिया जाता है. :)<BR/>धन्यवाद.<BR/><BR/><B>सागर भाई,</B><BR/><BR/>"मैं किस वतन की तलाश में युँ चला था घर से <BR/>कि अपने ही घर में भी अजनबी हो गया हूँ आकर "<BR/>बहुत सही कह रहे हैं आप.<BR/>धन्यवाद<BR/><B>समीर लाल</B>Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1156422468687954022006-08-24T08:27:00.000-04:002006-08-24T08:27:00.000-04:00सदैव की तरह बढ़िया लिखा है। जो आगया है वह लौटना चाह...सदैव की तरह बढ़िया लिखा है। जो आगया है वह लौटना चाहते हुए भी लौट नहीं सकता। जो नहीं आया है वह आना चाहता है। प्रवासी त्रिशंकु की तरह हैं, न इधर के न उधर के।Laxmihttps://www.blogger.com/profile/01605651550165016319noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1156384790038384192006-08-23T21:59:00.000-04:002006-08-23T21:59:00.000-04:00Sir, Let me say that, YOU ROCK here in your own ro...Sir, Let me say that, YOU ROCK here in your own rocking way, I dont have hindi fonts with me in my laptop otherwise i could enter some poetic comments here....<BR/>-Blessed blogging!Pavan Tyagi (पवन त्यागी)https://www.blogger.com/profile/17748606230472431234noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1156360423775199372006-08-23T15:13:00.000-04:002006-08-23T15:13:00.000-04:00बहुत बहुत सही। बिल्कुल हमारे मन की बात बता दी आपने...बहुत बहुत सही। बिल्कुल हमारे मन की बात बता दी आपने। अगर कहते हैं, सोच लीजिये आने से पहले, राह कठिन है तो परेशानी, और अगर कहते हैं आ जाइए तो आने के बाद भी हमें भी कोसेंगे। :-) तो बिल्कुल आप वाला पोलिसी है हमारा भी, " हाँ बस मेहनत की ज़रूरत है, फिर सब बढ़िया" <BR/><BR/>बहुत अच्छा लिखा है समीर।Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी https://www.blogger.com/profile/13192804315253355418noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1156360300480706972006-08-23T15:11:00.000-04:002006-08-23T15:11:00.000-04:00अच्छा लिखा।अच्छा लिखा।ई-छायाhttps://www.blogger.com/profile/15074429565158578314noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1156344543236307452006-08-23T10:49:00.000-04:002006-08-23T10:49:00.000-04:00कोई परदेश जा कर दुखी हैं तो न जा पाने से दुखी हैं....कोई परदेश जा कर दुखी हैं तो न जा पाने से दुखी हैं.<BR/>जो भी हो आपने लिखा अच्छा हैं. पढ़ कर मजा आया, इस हिसाब से हम सुखी हैं.<BR/>:)संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1156341424828331212006-08-23T09:57:00.000-04:002006-08-23T09:57:00.000-04:00मैं अपने घर में ही अजनबी बन गया हूँ आकरमुझे यहाँ द...मैं अपने घर में ही अजनबी बन गया हूँ आकर<BR/>मुझे यहाँ देखकर मेरी रूह डर गई है,<BR/>सहम के सब आरजुएं कोनों में जा छिपी हैं<BR/>लवें बुझा दी है अपने चेहरों की, हसरतों ने<BR/>कि शौक पहचानता ही नहीं है<BR/>मुरादें दहलीज ही पे सर रख कर मर गई हैं<BR/>मैं किस वतन की तलाश में युँ चला था घर से <BR/>कि अपने ही घर में भी अजनबी हो गया हूँ आकरSagar Chand Naharhttps://www.blogger.com/profile/13049124481931256980noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1156338866257633412006-08-23T09:14:00.000-04:002006-08-23T09:14:00.000-04:00समीर जी को उकसाने में हमारा भी योगदान गिना जाये। ध...समीर जी को उकसाने में हमारा भी योगदान गिना जाये। धुँरंधर लिखते हैं भाई साहब।Atul Arorahttps://www.blogger.com/profile/00089994381073710523noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1156337874861257992006-08-23T08:57:00.000-04:002006-08-23T08:57:00.000-04:00अपनी ही खींची रेखा हैं, जो लगीं बींधने आज हमेंअपना...अपनी ही खींची रेखा हैं, जो लगीं बींधने आज हमें<BR/>अपना ही निश्चय, चला नहीं जिस पर था किसी और का वश<BR/>यह अपना ही चुनाव तो है, अब कहो फूल या तुम काँटे<BR/>चाहो तो ये मधुमास करो, चाहो तो कर डालो नीरसराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1156317518502531082006-08-23T03:18:00.000-04:002006-08-23T03:18:00.000-04:00सही है, उड़नतश्तरी सही जगह उतर रही है।ये तो तस्वीर ...सही है, उड़नतश्तरी सही जगह उतर रही है।<BR/>ये तो तस्वीर का एक रुख है। दूसरा रुख भी है, जब प्रवासी पहली बार अपने घर/गाँव/शहर वापस जाता है। क्या क्या नही परेशानी उठानी पड़ी हमारे <A HREF="http://www.jitu.info/merapanna/?p=155" REL="nofollow"> पप्पू भैया</A> को। दोनो एपीसोड पढिएगा, फिर कोई राय बनाइएगा।Jitendra Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/09573786385391773022noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1156310029883726052006-08-23T01:13:00.000-04:002006-08-23T01:13:00.000-04:00आप इस कदर जो मुस्कुरा कहे है,क्या दर्द है जो छुपा ...आप इस कदर जो मुस्कुरा कहे है,क्या दर्द है जो छुपा रहे है---। काफी अच्छी गज़ल थी। जाने क्यों याद आ गई।रत्नाhttps://www.blogger.com/profile/03508535869768847255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1156304166120071132006-08-22T23:36:00.000-04:002006-08-22T23:36:00.000-04:00सही कहा आपनेसही कहा आपनेपंकज बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/05608176901081263248noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1156303278183792872006-08-22T23:21:00.000-04:002006-08-22T23:21:00.000-04:00हमें खबर है कि अभी तक आप इस तरह के जवाबी कीर्तन की...हमें खबर है कि अभी तक आप इस तरह के जवाबी कीर्तन की बाहर बैठकर मौज लिया करते थे। अबकी बार आ भी गये मैदान में। बढ़िया है! लगे रहें। मुझे तो एकबात ही सही लगती है कि दुखी मनुष्य बहुत खोजी प्रवृत्ति का होता है। हर जगह दुखी<BR/>रहने के बहाने तलाश ही लेता है। यह अपरिहार्य दुखदाई पहलू होता है कि बेचारा बाहर गया<BR/>व्यक्ति देश में कुबेर ही समझा जाता है। और कुबेर की हालत तो कैसी होती है सबको पता है।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1156303041151440262006-08-22T23:17:00.000-04:002006-08-22T23:17:00.000-04:00दिल में छुपे दर्दों को बिना एक भी शब्द के बहुत खूब...दिल में छुपे दर्दों को बिना एक भी शब्द के बहुत खूबसूरत तरीके से प्रस्तुत किया है।Jagdish Bhatiahttps://www.blogger.com/profile/17093503828934988942noreply@blogger.com