tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post114502150811073242..comments2024-03-04T07:12:33.254-05:00Comments on उड़न तश्तरी ....: मंदिर से अज़ानUdan Tashtarihttp://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1145242045985457252006-04-16T22:47:00.000-04:002006-04-16T22:47:00.000-04:00सही कह रहे हैं आप, महावीर जी.रचना पसंद करने के लिय...सही कह रहे हैं आप, महावीर जी.<BR/>रचना पसंद करने के लिये आभारी हूँ आपका.<BR/>समीर लालUdan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1145112872385166472006-04-15T10:54:00.000-04:002006-04-15T10:54:00.000-04:00शैलेश भाईविचारों की अभिव्यक्ति कर एक प्रयास मात्र ...शैलेश भाई<BR/>विचारों की अभिव्यक्ति कर एक प्रयास मात्र है कि शायद कोई अलख कहीं कुछ रास्ता दिखाये.<BR/>धन्यवाद आपका कि आपको कुछ आशा की किरण की उम्मीद है, रचना सफ़ल हुई.<BR/>समीर लालUdan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1145096131690310942006-04-15T06:15:00.000-04:002006-04-15T06:15:00.000-04:00जहां मे रोशनी करताचिरांगा आसमां का हैसरहद को बांटत...जहां मे रोशनी करता<BR/>चिरांगा आसमां का है<BR/>सरहद को बांटती रेखा<BR/>क्यूँ ना आज मिटा दी जाये.<BR/><BR/>समीर जी क्या लिखा हैं|||<BR/>आप ऐसे ही कलम चलाते रहिये, कभी तो इन नासमझों को<BR/>समझ आयेगी। काश कि बिस्फोट करने से पहले ये साम्प्रादायिक लोग<BR/>आपकी कविता पढ़े होते, मैं विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि इन घटनाओं की<BR/>नौवत ना आती।शैलेश भारतवासीhttps://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1145074197722631312006-04-15T00:09:00.000-04:002006-04-15T00:09:00.000-04:00मास्साब ने जब पास कर दिया, तब तो हम ग्रेजुयेट हो ग...मास्साब ने जब पास कर दिया, तब तो हम ग्रेजुयेट हो गये.<BR/>बहुत धन्यवाद<BR/>समीर लालUdan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1145073896444166322006-04-15T00:04:00.000-04:002006-04-15T00:04:00.000-04:00आप बहुत अच्छी कविता करते हैं.- मास्साबआप बहुत अच्छी कविता करते हैं.<BR/>- मास्साबपंकज बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/05608176901081263248noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1145044315080800742006-04-14T15:51:00.000-04:002006-04-14T15:51:00.000-04:00धन्यवाद, राम जी.धन्यवाद, राम जी.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1145044183815657722006-04-14T15:49:00.000-04:002006-04-14T15:49:00.000-04:00अति सुन्दर ।अति सुन्दर ।Ramlalhttps://www.blogger.com/profile/11746170597331417839noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1145031318538124612006-04-14T12:15:00.000-04:002006-04-14T12:15:00.000-04:00सागर जीअब सोच जागी है तो कभी उसके पूरा होने की उम्...सागर जी<BR/><BR/>अब सोच जागी है तो कभी उसके पूरा होने की उम्मीद भी है.<BR/><BR/>धन्यवाद<BR/>समीरUdan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23257105.post-1145030489873202632006-04-14T12:01:00.000-04:002006-04-14T12:01:00.000-04:00बहुत अच्छी कवितायें है, परन्तु हम सब जानते हैं कि ...बहुत अच्छी कवितायें है, परन्तु हम सब जानते हैं कि कुत्ते कि दुम कभी सीधी नहीं होती उसी तरह मंदिरों और मस्जिदों में धमाका करने वाले कभी सुधर नहीं सकते, ये कल्पना करना भी मुश्किल प्रतीत होता है कि "मंदिर के कमरे से अजान या मस्जिद में आरती गाई जाये. काश आपकी आशा सफ़ल हो और इन्सानियत फ़िर से जिन्दा हो.Sagar Chand Naharhttps://www.blogger.com/profile/13049124481931256980noreply@blogger.com