शनिवार, मार्च 21, 2020

दुनिया व्हाटसएप रुपी ज्ञान का मास्क पहन कर ही चल रही है




भारत यात्रा के दौरान सूचना दी मित्र को कि उनके शहर दर्शन पर हैं सपरिवार. शहर देखेंगे, कुछ सिद्ध मंदिरों मे दर्शन कर प्रभु का आशीष प्राप्त कर आप तक कल पहुँचेंगे.
मित्र ने हिदायत दी कि मंदिर में भीड़ बहुत होती है, अतः दर्शन टाल दिया जाये. करोना वायरस फैला है, खतरा न पालें. मित्रवत सलाह थी किन्तु परिवारिक सदस्यों की धार्मिकता हमारी व्यक्तिगत मित्रता पर भारी पड़ी. अतः जाने के विचार से न जाने के विचार को नीचा दिखाने हेतु यूँ सोच पैदा की कि प्रभु ही अपने भक्तों की रक्षा करेंगे.
कल तक नित प्रभु दर्शन की चाह में लंबी लंबी क़तारों में खड़े लोग आज इसलिए  एकाएक घरों में दुबक गए हैं कि कहीं मंदिर की भीड़ भाड़ में करोना का वायरस उन्हें अपनी चपेट में लेकर सच में न प्रभु दर्शन करा दे. इनमें से कई तो व्यवस्था में लगी पुलिसजो सुनिश्चित करती है कि लोगों को क्रमवार दर्शन होको अच्छी ख़ासी रक़म देकर जल्दी से मूर्ति के दर्शन प्राप्त कर लेते थेआज बिना किसी रिश्वत के साक्षात दर्शन के मौक़े से छुपे बैठे हैं.
प्रभु का सर्वदा दर्शनाभिलाषी आज प्रभु के साक्षात दर्शन से बचने के लिए हर तरफ मास्क पहने घूम रहा है. यहाँ तक की मंदिर के भीतर भी लोग मास्क पहने दर्शन प्राप्त कर रहे थे. उसे डर है कि प्रभु उसे पहचान ना लें कि यही है जो दर्शनाभिलाषी था. जिसे मास्क नसीब नहीं हुआ, वो मास्क की तलाश में हर मेडीकल स्टोर पर मंदिर की तरह शीश नवा रहा है कि शायद कहीं मिल जाये.
चीन से आये वायरस से बचने के चीन से न आ पाये मास्क की तलाश कहर ढहा रही है. सारी दुनिया चीन से माल लेना बन्द कर चुकी है मगर वायरस फ्री का है तो बिना लिए भी अपने आपको दिये जा रहा है.  फ्री का माल सभी आदतन ले लेते हैं. मास्क फ्री नहीं है अतः अपने आप आपको चीन से निकल शेष दुनिया को नहीं दे पा रहा है. तो शार्ट स्पलाई हो गया है.
कामगार जनसंख्या के आधार पर ऐसे मौके का फायदा सिर्फ भारत उठा सकता था संपूर्ण विश्व को मास्क बनाकर सप्लाई करने में. मगर वो स्वयं मास्क पहने मौके का फायदा उठा रहा है. कोई स्वच्छ भारत मे प्रदूषण  के नाम पर मास्क पहने घूम रहा है, तो कोई कर्ज वसूली वालों से बचने को मास्क पहने घूम रहा है. मास्क बना सकने वाले मास्क खरीद कर पहने हुए इस बात पर इतरा रहे हैं कि अगला मास्क नहीं खरीद पा रहा है. किसी ने ऐसे ही हालात देख कर तंज कसा कि डॉक्टर भी इसीलिए मास्क पहन कर मरीज का ऑपरेशन करता है ताकि अगर वो ऑपरेशन के दौरान मर जाये तो उस मरीज की आत्मा उसे पहचान कर सताने न अ जाये.
मास्क की कमी, वायरस की बढती धमक और माहौल देखते हुए मुझे ऐसा लग रहा है कि अगला चुनाव ’हर चेहरे पर एक मास्क’ के वादे पर लड़ा जायेगा. फिर भले ही तब तक करोना वयारस स्वतः ही वीर गति को प्राप्त हो चुका होगा. कागजी शौचालयों के देश में खुले में शौच मुक्त भारत में बिना वायरस के मास्क युक्त हर चेहरे की परिकल्पना, एक नये युग का दिवा स्वपन बनेगा. प्रदुषण से मुक्ति के लिए प्रदूषण दूर करना तो जरुरी नहीं..वो ऐसे भी तो हो सकता है –’मास्क लगाओ, प्रदुषण भगाओ’.
जीएसटी और नोट बंदी के चलते मंद पड़े बाज़ार में व्हाटसएप के ज्ञान के अलावा आज अगर कुछ बिक रहा है तो एक तो वो है  वायरस और प्रदूषण से बचाने वाला मास्क जो शॉर्ट सप्लाई में है. मास्क बेचने वाले मेडिकल स्टोर और मास्क सुझाने वाले डॉक्टर की क्लिनिक. और इसके अलावा मन्दी की मार से दूसरी जो वस्तु बची है, जो महंगाई और विषमताओं के बीच मुस्कुराते हुए जीने की वजह देती हैवो है शराब. देशी हो या विदेशीक्या फ़रक पड़ता है. भले चाईना में ही क्यूँ न पैक हुई होजिस भी दुकान से बिकेबिकती भरपूर है.
नेता भले ना वादा निभायेदारू अपना कर्तव्य ज़रूर निभाती है. जब तक आपके साथ है,जन्नत नसीबी का वादा निभाती है.
सच्चाई और सच्चे लोगों की अंततः विजय होती है. एक सच ही तो अंततः बच रहता है. शायद यही वजह है कि साची मय में श्रद्धा से डूबे भक्तों के पास ना दुख ठहरता है ना ही करोना वायरस. बस श्रद्धा से साथ निभाते चलो.
यही फ़रक है नेता और इसमें- इसे वादा निभाना आता है. इसी बात पर एक चीयर्स. रीसर्च बता रहे हैं कि अल्कोहल करोना की काट है.

व्हाटसएप की दुनिया में कौन जाने यह किसी अल्कोहल वाली कम्पनी का बांटा ज्ञान ही न हो. जानता तो खैर कोई ये भी नहीं है कि करोना वायरस के प्रसार में भी व्हाटसएप का कितना योगदान है. क्या फरक पड़ता है? आज कल की दुनिया व्हाटसएप रुपी ज्ञान का मास्क पहन कर ही चल रही  है.
-समीर लाल ’समीर’
भोपाल से प्रकाशित दैनिक सुबह सवेरे के रविवार मार्च २२, २०२० के अंक में:
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4 टिप्‍पणियां:

Gyan Vigyan Sarita ने कहा…

Excellent depiction of hype created by few to derive commercial advantage of the plight.....

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (23-03-2020) को    "घोर संक्रमित काल"   ( चर्चा अंक -3649)      पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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आप अपने घर में रहें। शासन के निर्देशों का पालन करें।हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  

Onkar ने कहा…

सामयिक रचना

मन की वीणा ने कहा…

व्यग्यांत्मक शैली में शानदार प्रस्तुति।