रविवार, जून 04, 2017

सब कर लियो..बस टॉप न करियो प्लीज़!!


रीक्षा के परिणाम आते ही टॉपर ऐसे चर्चा में आ लेते हैं कि लगने लगता है कि अगर ये न होते तो हम किसकी बात करते? दूसरे जो चर्चा में हर वक्त रहते हैं वे विदेश यात्रा पर हैं. मगर गहराई से सोचें तो हैं तो वो भी टॉपर ही..चाहे चुनाव जीतने की बात हो या जुमले फेंकने की बात हो. आज अगर ओलंपिक में गोला फेंक, भाला फेंक की तरह जुमला फेंक प्रतियोगिता को भी शामिल कर लिया जाये तो दावा है कि यही विश्व के टॉपर होकर उभरेंगे. एक गोल्ड मैडल भी आ जायेगा विदेश से..और क से कम इतना कहने को भी हो जायेगा कि ले आये विदेश से सोना..१५ लाख न सही..१५ -१५ माईक्रों नेनो ग्राम हर देशवासी के हिस्से.
टॉपर होना कोई आसान बात तो है नहीं..मगर है बड़ा बवाले जान. जैसे ही आपने टॉप किया नहीं कि बस घिर गये मीडिया से लेकर कोचिंग वालों के चक्कर में. अब आप सोचेंगे कि मीडिया तो समझे मगर ये कोचिंग का अब कैसा चक्कर? अब तो टॉप कर ही लिया ..अब किस बात की कोचिंग?
दरअसल होता यूँ हैं कि यह भी एक बिजनेस मॉडल ही है जिसमें हर कोचिंग क्लास का प्रयास होता है कि आप उन्हें इस बात का दावा कर लेने दो कि आप मेक इन उनकी कोचिंग क्लास वाले टॉपर हो..मेक इन इंडिया टाईप मेक इन शर्मा सर की कोचिंग..इसके लिए अच्छी खासी रकम से लेकर तरह तरह के ऑफर दिये जाते हैं ..और बस, आपकी हाँ के साथ आप टंग लिए उनकी कोचिंग के बैनर पर..टॉपर एक बैनर अनेक..हालत यह हो जातें हैं कि एक ही टॉपर इतने सारे कोचिंग के बैनरों पर टंग लेता है कि अगर आप हिसाब लगाये तो एक कोचिंग से दूसरी कोचिंग से तीसरी कोचिंग आते जाते ही साल निकल लेता..बंदा स्कूल कब जाता..पढ़ता कब और परीक्षा कब लिखता..टॉप करना तो खैर दूर की बात होती.
उस पर से मीडिया आप के पिछले साल के हर दिन का हिसाब पूछ पूछ कर हालाकान हुआ जाता है कि कितना पढ़ते थे? कितनी देर सोते थे? क्या खाते थे? कौन सी कोचिंग में जाते थे? कैसे तैयारी की? अब टॉप किया है तो जबाब भी टॉपर टाईप देना पड़ते हैं. भले शाम को आलू चिप्स और आधी रात में मैगी बना कर खाई हो मगर बताना तो पोष्टिक खाना ही होगा क्यूँकि यह स्वस्थ तन देता है तो पढ़ाई में मन लगता है आदि आदि टाईप बातें जो पिछले साल के टॉपर से टीवी पर सुनी थी. टॉपर होते ही आप न जाने कितनों के रोल मॉडल हो जाते हो, यह आपको भी पता होता है. जैसे सेलीब्रेटी लोग आधा आधा शब्द खा खा कर जबाब देते हैं, कुछ वैसे ही बात करना होती है.
कई बार तो सोचता हूँ कि टॉपर्स के लिए एक ओरिन्टेशन कोर्स चला दूँ कि टॉपर होने और मीडिया से मिलने की बीच चार घंटे के लिए पधारो म्हारी क्लास..हम आपको कोचिंग वालों से बेस्ट डील करना भी बोनस में सिखायेंगे.
इनसे इतर एक प्रदेश है बिहार..जहाँ अगर आज के जमाने में आप पैदा हो गये तो घर परिवार शुभचिंतक सब यही आशीर्वाद देते मिलेंगे कि बेटा सब कर लेना बस १२ वीं में टॉप न करना. नेता बन जाओ, खून कर लो, किसी को अगवा करके फिरौती काट लो, बलात्कार से लेकर दलाली जैसा चमत्कार कर लो..बाहुबली हो जाना मगर बस टॉप न करना. बाकी के हर काम की काट है..कभी न फंसोगे और न कभी जेल होगी. बस, टॉपर और जेल की जो जुगलबन्दी है, उससे कोई न बच पा रहा है अब.
एक बार जेल हो गई तो कैरियर खराब हो जायेगा बच्चे..टॉप न करियो प्लीज़!!
-समीर लाल ’समीर’

भोपाल के दैनिक  सुबह सवेरे में ४ जून, २०१७ में प्रकाशित

http://epaper.subahsavere.news/c/19552400

#Jugalbandi
#जुगलबन्दी
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5 टिप्‍पणियां:

राकेश खंडेलवाल ने कहा…

भाईजी. स्पाम्सरिन्ग में फ़ीस तगड़ी ही मिलती हौइ. आपका शुक्रिया जो यह माडल सुझया. अब से हम भी ब्लाग और फ़ेसबुक पर स्पाम्सरिन्ग का धन्धा खो; लेते हैं. आयें और हमसे कोचिन्ग लेकत सफ़ल कवि और व्यंगकार बनें.

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

सच्ची ,कैसी छीछालेदर होती हैं बेचारे टॉपर की ,खास तौर से बिहार के टापर की.पिछले साल एक कन्या पर बीती और इस साल तो ...!

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

Javab nahi aapka lekhn men hardik badhai aapko..

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

समसामयिक पोस्ट

Satish Saxena ने कहा…

गज़ब !!