सोमवार, अगस्त 01, 2016

दूर जलता...एक उम्मीद का दीपक..




उन अँधेरों को अब तलक एक आस बाकी तो है
दूर कहीं दूर इक दिये की लौ झिलमिलाती तो है
यूँ अब अपनों से कोई हिमायत की उम्मीद नहीं
पर गैरों में अब भी इन्सानियत नजर आती तो है..
कि कल शायद इक हाथ उजाले का बढ़ायेगा कोई..
इन अँधेरों को फिर इक नई सुबह दिलायेगा कोई...
-समीर लाल ’समीर’
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16 टिप्‍पणियां:

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

उम्मीदों का दिया प्रकाश देता रहेगा ,जब तक नई भोर की उजाियारी छा नहीं जाती.

रंजना ने कहा…

वाह

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत ख़ूब समीर भाई ... इंसानियत काइंडा रहे चाहे ग़ैरों में रहे ... रोशनी की उम्मीद ज़िंदा तो है ...
बहुत ही भावपूर्ण लिखा है ...

PRAN SHARMA ने कहा…

Laajawaab,Sameer Ji .

Laxmi ने कहा…

अति सुन्दर।

ऐहै फेरि बसंत ऋतु इन डारिन इन फूल
यही आस अटक्यो रह्यो अलि गुलाब के मूल।

Meena C hopra ने कहा…

Bahut sunder

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

सार्थक सन्देश!

kuldeep thakur ने कहा…

जय मां हाटेशवरी...
अनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 19/08/2016 को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।

kuldeep thakur ने कहा…

जय मां हाटेशवरी...
अनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 19/08/2016 को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।

khayalrakhe.com ने कहा…

उम्मीद का दिया जलता रहे, दुआ है मेरी | Great post!

रश्मि शर्मा ने कहा…

पर गैरों में अब भी इन्सानियत नजर आती तो है..उम्‍मीद का दि‍या जलते रहे। बहुत सुंदर लि‍खा।

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

baqhut khub! bahut bahut badhai...

बेनामी ने कहा…

यूँ अब अपनों से कोई हिमायत की उम्मीद नहीं
पर गैरों में अब भी इन्सानियत नजर आती तो है..Good Lines

HindIndia ने कहा…

बहुत ही उम्दा ..... Very nice collection in Hindi !! :)

Manjit Thakur ने कहा…

चचा, आप हमको भूल गए। फेसबुक को गरियाने का मन करता है रोज़ लिखने वाले टिपियाने वाले बुजुर्ग भी छठे-छमासे लिखते हैं। काहे? हमारे ब्लॉग पर आपको आए भी अरसा बीत गया। क्या कूड़ा लिखने लगा हूं मैं?

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

उम्मीद पर दुनिया कायम है ... सुन्दर अभिव्यक्ति