सोमवार, अक्तूबर 29, 2012

बन जाओ मेरी कविता का शीर्षक तुम!!

 

बन जाओ मेरी

पुस्तक का शीर्षक....

जो है ३६५ पन्नों की...

वर्ष के दिन की गिनती

और

यह संख्या..

जाने क्यूँ एक से हैं...

लगे है ज्यूँ करती हों

दिल की धड़कन

और हाथ घड़ी में

टिक टिक चलती

सैकेंड की सुई

जुगलबंदी...

और इसका हर पन्ना...

खाली...

मगर भरा भरा सा

अलिखित इबारतों से..

फिर भी..

कुछ लिखे जाने के इन्तजार में...

खूब बिकेगी यह पुस्तक...

हाथों हाथ

बिक पाना ही चाहत है

और बिक जाना ही मंजिल..

वही तब बन जाता है मानक

उसकी लोकप्रियता का..

कि कितना बिक पाये..

हर हिन्दुस्तानी

जोड़ सकेगा

खुद को इससे...

और पढ सकेगा

हर पन्ने पर

अपनी कहानी....

जो कभी लिखी न गई...

मगर पढ़ी गई है लाखों बार

और अब भी इन्तजार मे है

अपने लिखे जाने के...

बोलो..

बनोगी..

मेरी पुस्तक का शीर्षक??

हाँ कहो

तो

शीर्षक रख दूँगा....

तुम!!!

-समीर लाल ’समीर’

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48 टिप्‍पणियां:

Arvind Mishra ने कहा…

घना शीर्षक है अपनत्व से भरा

रचना दीक्षित ने कहा…

आजकी सफलता का मापदंड ऐसे ही नापा जाता है, बिक गए तो सफल. खूबसूरत कविता इशारों इशारों में बहुत कुछ कह जाती है.

आभार.

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

वाह समीर जी...
बिकना ही मानक है - सत्य.
प्रेम की पुस्तक एक लिखता है तो सिर्फ एक ही और पढ़ पाता है, वही जिसके लिये लिखी गयी हो....
सुन्दर ... बढ़िया...

संतोष त्रिवेदी ने कहा…

...क़ाश,हम भी बनते टाइटल कभी !

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

वाह......
बहुत सुन्दर....

मगर "तुम" को कोई और पढ़ेगा तो ज़रा सा दर्द होगा मुझे कहीं :-)

सादर
अनु

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

सुंदर!

Mansoor ali Hashmi ने कहा…

पोस्ट के साथ दी हुई तस्वीर इंगित करती है कि आपने पुस्तक भी लिख ली है और शीर्षक भी चुन लिया है !

उसी के मद्दे नज़र इरशाद है कि:.....

'साधना' पुस्तक बनी, शीर्षक बनी,
जिंदगी जीने का इक मक्सद बनी.

हर दिन इक सफहा लिखा, सफहा पढ़ा,
इक धड़कता दिल बनी, धड़कन बनी.

हाथ पर बन कर घड़ी सी बंध गयी,
प्रेरणा, रचना बनी, पुस्तक बनी.

http://aatm-manthan.com

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

बिकने के लिये शीर्षक का आकर्षण भी कम नहीं होता !

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

३६५ पन्ने हर वर्ष नये होते रहें, शीर्षक भी वही बना रहे...शुभकामनायें...

Satish Saxena ने कहा…

सच कह रहे हो समीर भाई ,
वे ही इस योग्य हैं..
बधाई !

सदा ने कहा…

बेहद गहन भाव लिए सशक्‍त अभिव्‍यक्ति

सादर

mukti ने कहा…

कविता अच्छी है और तस्वीर बहुत अच्छी. आपदोनों बहुत प्यारे लगते हैं :)

रश्मि प्रभा... ने कहा…

शीर्षक में ही इतना आकर्षण है कि झट से पढ़ गए ... बेहतरीन

vandana gupta ने कहा…

बोलो..

बनोगी..

मेरी पुस्तक का शीर्षक??

हाँ कहो

तो

शीर्षक रख दूँगा....

तुम!!!

अब इसके आगे कहने को क्या बचा ? बहुत सुन्दर उद्गार

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

''तुम ''

बेहद खूबसूरती से लिखा गया है हाले दिल ...एक जीवन ..जिसे जीने के लिए अपनों का साथ जरुरी हैं ||

डॉ टी एस दराल ने कहा…

यह प्यार यूँ ही बना रहे .
आज भाभी जी का जन्मदिन है क्या !

रंजू भाटिया ने कहा…

वाह बहुत बढ़िया ,,,तुम ...कब पब्लिश होगी यह किताब :)

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

जो लिखी ही नहीं गयी वो ही पढ़ी जाती है अनगिनत बार .... बहुत खूब ...

PRAN SHARMA ने कहा…

BILKUL ALAG DHANG KEE HRIDAYSPARSHEE KAVITA .

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

ये चलेगा क्या :- Not a bissextile year ( not a leap year ) अलीप वर्ष :)

पी.एस .भाकुनी ने कहा…

बन जाओ मेरी कविता का शीर्षक तुम!!
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कई बार शब्दों से अधिक चित्रों की जुबानी सुनी जा सकती है..............

Vaanbhatt ने कहा…

हाँ कहने में इतनी देर क्यों लग रही है...मेरे हाँ कहने से कोई फर्क भी नहीं पड़ता...बहरहाल दिल से लिक्खी चीजें हाथों हाथ बिकतीं है...पढ़ने वाले भी दिल के हाथों मजबूर होते है...शुभकामनाएं...

mridula pradhan ने कहा…

शीर्षक रख दूँगा....

तुम!!!kya baat hai.....

mridula pradhan ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

Pravhavpurn rachna tum shirashak acchha rahega

Rohit Singh ने कहा…

रख ही दीजिए शीर्षक.....हिंदुस्तानी तो अपने से जोड़ के देखेगा आराम से....क्या करे बेचने की आदत है उसे...जाने कितने सालो से..।

Suman ने कहा…

जो कभी लिखी न गई...

मगर पढ़ी गई है लाखों बार
bahut umda rachna sundar bhavpurn....

वाणी गीत ने कहा…

पुस्तक का यह शीर्षक वर्षों पूर्व ही लिख गया ...
सुन्दर !

Bhawna Kukreti ने कहा…

"tum" chhota magar bahooooot gahra sheershak hai sab samaya hai isme ,hai ki nahiin:)

विष्णु बैरागी ने कहा…

पूरी कविता में ये दो पंक्तियॉं अपने आप मे एक सूत्र जैसी लगीं -

बिक पाना ही चाहत है
और बिक जाना ही मंजिल..

Mansoor ali Hashmi ने कहा…

आपकी कविता रूपी <> पहेली के क्या-क्या अर्थ लगाये जा रहे है ! आप ही ख़ुलासा कीजिए जनाब.

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

बहुत अच्छी कविता अच्छे अंदाज में लिखी गयी |

Ramakant Singh ने कहा…

बिक पाना ही चाहत है

और बिक जाना ही मंजिल..

वही तब बन जाता है मानक

उसकी लोकप्रियता का..

कि कितना बिक पाये..

अपनत्व से भरा

बवाल ने कहा…

टिक टिक चलती

सैकेंड की सुई

जुगलबंदी...

और इसका हर पन्ना...

खाली...

मगर भरा भरा सा

अलिखित इबारतों से..

फिर भी..

कुछ लिखे जाने के इन्तजार में...


बहुत हौले हौले से प्यारी प्यारी प्यारी सी बयार सी बहती हुई कविता। यह आप ही कह सकते हैं। बहुत ही सुन्दर। शीर्ष पर भौजी सा शीर्षक आनंदित कर रहा है।

बवाल ने कहा…

टिक टिक चलती

सैकेंड की सुई

जुगलबंदी...

और इसका हर पन्ना...

खाली...

मगर भरा भरा सा

अलिखित इबारतों से..

फिर भी..

कुछ लिखे जाने के इन्तजार में...


बहुत हौले हौले से प्यारी प्यारी प्यारी सी बयार सी बहती हुई कविता। यह आप ही कह सकते हैं। बहुत ही सुन्दर। शीर्ष पर भौजी सा शीर्षक आनंदित कर रहा है।

मन्टू कुमार ने कहा…

Bahut khub....

Unknown ने कहा…

kya baat hai....

Unknown ने कहा…

kya baat hai....

Vinay ने कहा…

मन आनंदित हो गया

Asha Joglekar ने कहा…

ना भी बिके पढी जरूर जायेगी । यह अनलिखी अन कही मौन इबारत ।

हर किसी की (का) एक तुम जो है ।

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत खूबसूरत प्रस्तुति,,,,
दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ,,,,
RECENT POST:....आई दिवाली,,,100 वीं पोस्ट,

म्यूजिकल ग्रीटिंग देखने के लिए कलिक करें,

Alpana Verma ने कहा…

अनकही /अनदेखी इबारत से लिखी पुस्तक !
शीर्षक ही कह देगा सब बातें...
.............
आपको सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएँ!

घनश्याम दास ने कहा…

खूब कहा कविवर ! बढ़िया प्रस्तुति। दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं ।

प्रेम सरोवर ने कहा…

दीपावली की अनंत शुभकामनाएँ!!
नया पोस्ट.. प्रेम सरोवर पर देखें।

Madan Mohan Saxena ने कहा…

बेह्तरीन अभिव्यक्ति .बहुत अद्भुत अहसास.सुन्दर प्रस्तुति.
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये आपको और आपके समस्त पारिवारिक जनो को !

मंगलमय हो आपको दीपो का त्यौहार
जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार
ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार
लक्ष्मी की कृपा रहे भरा रहे घर द्वार..

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

हि‍न्‍दी के क्षेत्र में अभी Publicist क़ौम का आना हुआ ही नहीं है

Unknown ने कहा…

बहुत उम्दा |

ஜ●▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬●ஜ
ब्लॉग जगत में नया "दीप"
ஜ●▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬●ஜ

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

वाकई शीर्षक महत्वपूर्ण है.

रामराम