सोमवार, जनवरी 02, 2012

नीलोफर की आँख- एक किताब!!!

उसकी आँखों में एक किताब रहती थी.

एक कहानी की किताब-- लाल डोरे वाली.

जिसकी कहानियों में होती थी एक खारे पानी की झील, जिसमें तैरती रहती थी कड़वी यादों की छोटी-बड़ी मछलियाँ. बड़ी मछली छोटी मछली का पीछा करती, तड़पाती और खा जाती.

लाल डोरे की पकड़ ढीली पड़ती और छलक जाती खारे पानी की झील से एक बूँद-बहने को- उन हालातों के मरुथल में जो आ-आ कर ठहर जाते तुम्हारे गालों पर छीनने उसकी रुमानियत और रंगीनी.

एक बूँद से- न मरुथल गीला होता और न समझ पाता कि कुछ बदला है.. सब कुछ पूर्ववत... दिन ब दिन बस ढलती जाती  नूरानी चेहरे की रंगीनियत और रुमानियाँ. मानो जैसे कोई वस्त्र अत्याधिक बार धुल जाने से खो बैठा हो अपनी आभा और चमक.

जलते दहकते गमों और दुखों के शोले टकराते उस झील से और उठता धुँए का बादल. जैसे कोहरा सा छा गया हो. ओढ़ लेती तुम/वो उस कोहरे की चादर को परत दर परत, न जाने किससे क्या छुपाने को. नजर आता कांतिहीन और दूर कहीं गहराई में डूबा धुँधला सा चेहरा.. बाँध लेती अपने आसपास कटीलें अनुभवों की बाढ़... किसी को इजाजत नहीं कि उसे लाँध कर उसके आसपास भी पहुँचे और कर लेती खुद को नितांत अकेला...

अकेलेपन की दुश्वारियाँ और दर्द तो सिर्फ वही अहसास सकता है, जो अकेले रहने को मजबूर हुआ... भीड़ में एकाकीपन की तलाश वहीं सुख देती है जो पहाड़ पर घूमने आये सैलानियों के चेहरे पर देखी जा सकती है.... पहाड़ की जिन्दगी जीने को मजबूर,वहाँ के रहवासी ही उन तकलीफों और दुश्वारियों को समझते हैं- जो पहाड़ की जिन्दगी पेश करती है.....

वो उनसे जूझती. सब सहन करती- कोई उसे पागल कहता तो कुछ लोग कहते कि किसी प्रेतात्मा का साया पड़ गया उस पर. नंगे सर तालाब वाले बरगद के नीचे से देर रात गुजर गई थी. कोई नहीं समझ पाता कि किस-किस ने उसे कैसे-कैसे दुख दिये हैं. कितने ही साये, देर रात गये उसे रौंदते रहते  और वो मजबूर ठीक से सिसक भी न पाती ....  अगर इसको ही प्रेत कहते हैं, तब तो यह प्रेतों की नगरी कहलाई...

मेरी कोशिश रंग लाई थी-- एक बार ..जब मैंने अपनी नजरों को पैना किया...देखा तुम्हारे लिहाफ को.जिस पर देखी थी मैने एक कतार लाल चीटियों की..तुम्हें भक्षने को आतुर...और मैं सफ़ल हुआ था चीर पाने में तुम्हारा कोहरे वाला लिहाफ..... तुम तक पहुँचने के लिए.

और तुमने कहा था ...ये कैसी दीवानगी है....तुम मानोगे नहीं!! है न!!

.....न!!! --कहा था मैंने

तुम हँस दी थी खामोशी ओढे़...उफ़्फ़!!वो खामोश उदास-सी.. कैसी अजब हँसीं...

.क्या सच में...तुम पूछती..और मैं चुप हो झुका लेता सर अपना तुम्हारे काँधे पर -कि अब कुछ ऊँगलियाँ तैरेंगी मेरी बालों में? ...

एक सुकून की चाहत...

और पाता कि तुम ओढ़ रही हो एक और परत उस कोहरे वाली चादर की!!!

Effective golden-brown make-up

उन झील सी गहरी आँखों में

सजते कुछ ख्वाब

मिटते कुछ ख्वाब.

अजब है ये दुनिया...

कमबख्त!! इन ख्वाबों की!!!

-समीर लाल ’समीर’

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104 टिप्‍पणियां:

संतोष त्रिवेदी ने कहा…

कैसे-कैसे ख्वाब,
वह लिहाफ और कोहरे की चादर
जल्द ही सब छंटेगा
तुम्हारा तुमसे मिलेगा !

Arun sathi ने कहा…

सरजी यह खाब्बों की दुनिया ही है जो हमें कुछ पल खुशी का देतें है।
सार्थक।

Pankaj Narayan ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना। समीर लाल जी को पढ़ कर बहुत अच्छा लगता है।

संगीता पुरी ने कहा…

सारे ख्‍वाब पूरे भी तो नहीं हो सकते .. प्रकृति भी तो कुछ नियमों से बंधी है !!

निर्झर'नीर ने कहा…

बहुत मर्म और चिंतन समेटा है आपने इस लघु कथा में ..सार्थक

Kunwar Kusumesh ने कहा…

बहुत बढ़िया .

Sundeep TYAGI ने कहा…

आपकी आँखों में बेहद प्यार है।

जिंदगी है जिंदगी का सार है।।

 क्या दवा दारू दीवाने की सनम

आँखे होना चार ही उपचार है॥

अनुपमा पाठक ने कहा…

कविता सी प्रवाहमयता लिए सुन्दर गद्य!
सादर!

रश्मि प्रभा... ने कहा…

उसकी आँखों में एक किताब रहती थी... और पन्ने पलटने लगे

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

नाश्ता करते करते सोचा कि आपका ब्लॉग पढ़ लूँ..... और बहुत अच्छा लगा आज आपके ब्लॉग पर काफी दिनों पर आ कर .... जो पोस्ट्स छूट गयीं थीं उन्हें भी आज पढ़ा.

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

नाश्ता करते करते सोचा कि आपका ब्लॉग पढ़ लूँ..... और बहुत अच्छा लगा आज आपके ब्लॉग पर काफी दिनों पर आ कर .... जो पोस्ट्स छूट गयीं थीं उन्हें भी आज पढ़ा.

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

मन ने जो ख्‍वाब सजाए होते हैं बस वे ही सुहाने होते हैं।

kalp verma ने कहा…

हक़ीकत की दुनिया में तो यूँ ही दर्द बहुत हैं...
ख़्वाबों की दुनिया में ही जीना बेहतर लगता है...

kalp verma ने कहा…

हक़ीकत की दुनिया में तो यूँ ही दर्द बहुत हैं...
ख़्वाबों की दुनिया में ही जीना बेहतर लगता है...

विभूति" ने कहा…

ख्वाबो की खुबसूरत रचना.....

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

मछलियों की तरह ही बड़े ख्वाब छोटों को खा जाते हैं।

संजय भास्‍कर ने कहा…

नव वर्ष पर ......प्रशंसनीय रचना गुरदेव
आप को भी सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !

शुभकामनओं के साथ
संजय भास्कर

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

बहुत खूब दादा
आ कब रहे हो भाई

vandana gupta ने कहा…

सुन्दर भावमयी प्रस्तुति।

Satish Saxena ने कहा…

नए साल पर क्या क्या याद आ जाता है ... :-)
शुभकामनायें आपको !

Satish Saxena ने कहा…

नए साल पर क्या क्या याद आ जाता है ... :-)
शुभकामनायें आपको !

दीपक बाबा ने कहा…

प्रेम ...
खामोश उदास आँखें ...
खुशी की तलाश .

रश्मि शर्मा ने कहा…

बहुत सुंदर रचना समीर जी। शुरू कि‍या तो पढ़ती चली गई। बहुत खूब।

रश्मि शर्मा ने कहा…

बहुत सुंदर रचना समीर जी। शुरू कि‍या तो पढ़ती चली गई। बहुत खूब।

Kailash Sharma ने कहा…

लाज़वाब प्रस्तुति...रचना के भाव अपने साथ बहा लेजाते हैं...आभार

Rajput ने कहा…

खुबसूरत रूमानी अहसास कराती रचना
नववर्ष की शुभकामनायें

shikha varshney ने कहा…

अद्भुत...

सदा ने कहा…

बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ...

कल 04/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्‍वागत है, 2011 बीता नहीं है ... !

धन्यवाद!

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

ख़्वाब नसीब वाले के ही पूरे होते है,..अपना नसीब कहाँ,,,,

"काव्यान्जलि":

नही सुरक्षित है अस्मत, घरके अंदर हो या बाहर
अब फ़रियाद करे किससे,अपनों को भक्षक पाकर,

Amrita Tanmay ने कहा…

बहुत बढ़िया...ख्वाब सा...

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

इन आंखों की किताब को हर कोई नहीं पढ़ सकता!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

आँखों की किताब पढ़ना आसान नहीं ..सुन्दर अभिव्यक्ति

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

आज कल कहाँ खोए हैं? बड़े भाई!

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

Bahut khubsurat prstuti...bahut2 badhai...

Smart Indian ने कहा…

सुन्दर ललित रचना! सपरिवार आपको नए साल की हार्दिक शुभकामनायें!

Dr. Shailja Saksena ने कहा…

bahut sunder

vidya ने कहा…

मार्मिक प्रस्तुति...
लाजवाब.
आज की हलचल में हलचल मचेगी ही..

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

ये ख्वाबों की दुनिया, ये.......

ASHOK BIRLA ने कहा…

बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति लघु कथा की

Nidhi ने कहा…

बढ़िया ....काश ऐसा कोई ..हर की जिंदगी में आये ,और मैं सफ़ल हुआ था चीर पाने में तुम्हारा कोहरे वाला लिहाफ..... तुम तक पहुँचने के लिए.

और तुमने कहा था ...ये कैसी दीवानगी है....तुम मानोगे नहीं!! है न!!

.....न!!! --कहा था मैंने .

Monika Jain ने कहा…

bahut hi sundar rachna..kho si gayi..aabhar
Welcome to मिश्री की डली ज़िंदगी हो चली

नीरज गोस्वामी ने कहा…

पध्य में कविता कैसे की जाती है ये कोई आप से सीखे...वोही बेजोड़ लेखन...जिसके हम हमेशा कायल रहें हैं...वाह.

नीरज

दिलीप ने कहा…

ek baar bahe to behte chale jao..waah bahut achcha sir

निवेदिता श्रीवास्तव ने कहा…

भीड़ में एकाकीपन की तलाश....क्या बात है ....... नव-वर्ष की शुभकामनाएं !

mridula pradhan ने कहा…

अजब है ये दुनिया...
कमबख्त!! इन ख्वाबों की!!!
kya baat hai......bahot achchi lagi.

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बहुत ही बढ़िया सर!


सादर

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

एक ख्वाब, खूबसूरत सा...

कुमार संतोष ने कहा…

Waah Sir kya rawani hai kalam ki .
aur kuch khawaab hamne bhi padh liye...

Pallavi saxena ने कहा…

अदबुद्ध आपकी यह रचना दिल में उतर गई...

Unknown ने कहा…

ख्वाबो की खुबसूरत रचना

प्रेम सरोवर ने कहा…

प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट " जाके परदेशवा में भुलाई गईल राजा जी" पर आपके प्रतिक्रियाओं की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी । नव-वर्ष की मंगलमय एवं अशेष शुभकामनाओं के साथ ।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

गज़ब ढाते हो समीर भाई ... कौन सी दुनिया में पहुँच जाते हो लिखते हुवे ... पहुंचना तो ठीक फिर वापस कैसे आते हो ...
नया साल बहुत बहुत मुबारक हो ..

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

आज कल चिन्तन-क्रम में रहस्यवाद का समावेश ,जागरण से विश्राम ले कर स्वप्नों में विचरण करने की सूचना दे रहा है .
सुन्दर रहे यह स्थिति भी!

avanti singh ने कहा…

बहुत ही उम्दा लिखा आप ने,पढ़ते हुए रचना का एक हिस्सा हो गयी मैं भी ,डूब गयी उस में,रचना खत्म हुई तो अहसास हुआ के मैं इस का किरदार नहीं हूँ .....बेहतरीन लिखा ...बधाई स्वीकारें........

Rakesh Kumar ने कहा…

बहुत खूब.
सुन्दर भावमय प्रस्तुति.
लगता है भाव समुन्द्र में गहरी डुबकी
लगा दी है.

मेरे ब्लॉग पर कभी इंतजार होता था आपको.
अब मैं आपका इंतजार करता हूँ.

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति ने कहा…

oh !! kitna bhaavMay..pady kavy... behad sundar srijan ..kamaal kee shaily aur laghu katha bhavnaon se bhari.. kitne hee sundar bimboN ka prayog... kamaal..

Bhawna Kukreti ने कहा…

समीर लाल जी बहुत अच्छा लगा आज आपके ब्लॉग पर पर आ कर .
आपके ब्लॉग को पढ़ कर अच्छा लगता है।

बेनामी ने कहा…
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
Naveen Mani Tripathi ने कहा…

वाह ख्वाबो की दुनिया भी बड़ी अजीबो गरीब है .....फ़िलहाल बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति .... आभार.

मुझे आपकी अभिव्यक्ति पढ़ कर अपनी एक रचना याद आ गयी.

प्यार की प्यास है जरूर तेरी आँखों में |
है बेवफाई का फितूर तेरी आँखों में ||
जुल्फें हर वक्त क़यामत का जुल्म ढाती हैं |
लाल डोरे भी हैं मशहूर तेरी आँखों में |
हो के बेचैन जब मै तुझको भूलना चाह |
दिखा है मेरा ही कसूर तेरी आँखों में |

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत सुंदर प्रस्तुति ......
--जिन्दगीं--

समयचक्र ने कहा…

Bhavapoorn abhivyakti...abhar

डॉ.मीनाक्षी स्वामी Meenakshi Swami ने कहा…

अप्रतिम रचना।
नववर्ष की मंगलकामनाएं।

दीपिका रानी ने कहा…

कविता में कहानी या कहानी में कविता। जो भी हो, अद्वितीय!

Urmi ने कहा…

बेहद ख़ूबसूरत एवं उम्दा रचना ! बधाई !

मनोज कुमार ने कहा…

नववर्ष की शुभकामनाएं।

gwl ने कहा…

Eyes are really an important part of human being nicely narrated. http://www.giftwithlove.com

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) ने कहा…

बिल्कुल नवीन शैली में प्राकृतिक प्रतीकों ने उद्गारों को सपनीले रंगों से सँवार दिया है, भई वाह !!!

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

उन झील सी गहरी आँखों में

सजते कुछ ख्वाब

मिटते कुछ ख्वाब.

अजब है ये दुनिया... bahut hi badhia.

rashmi ravija ने कहा…

ओह!! एक कविता सा बहाव है,इन पंक्तियों में..
बहुत सुन्दर

मेरे भाव ने कहा…

adbhud... bahut sundar.. dil ko chhu gai...

Anupama Tripathi ने कहा…

कल 14/1/2012को आपकी पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

amrendra "amar" ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना।

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

bhavpurn prastuti...nav varsh evam makar sankranti ki shubhkamnaen!.

Maheshwari kaneri ने कहा…

बेहद ख़ूबसूरत एवं सार्थक रचना ! बधाई !

Suman ने कहा…

बहुत बढ़िया रचना !

मनोज भारती ने कहा…

नव-वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं!!!

प्रेम सरोवर ने कहा…

आपका यह पोस्ट ज्ञानवर्धक है । इससे बहुत कुछ सीखने को मिलता है । मेरे नए पोस्ट "हो जाते हैं क्यूं आद्र नयन" पर ाके प्रतिक्रियाओं की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी । धन्यवाद ।

vikram7 ने कहा…

उसकी आँखों में एक किताब रहती थी. एक कहानी की किताब-- लाल डोरे वाली. जिसकी कहानियों में होती थी एक खारे पानी की झील, जिसमें तैरती रहती थी कड़वी यादों की छोटी-बड़ी मछलियाँ. बड़ी मछली छोटी मछली का पीछा करती, तड़पाती और खा जाती.
ati sundar abhivyakti ,samiir jii.


vikram7: महाशून्य से व्याह रचायें......

Praveena joshi ने कहा…

क्या कहे ...या ना कहे की प्रेम ख्वाबो मे ज्यादा हसीन लगता है ।,इसीलिये आपका यह ख्वाब अति सुंदर है ।

Dimple Maheshwari ने कहा…

hmm....aap bahut achha likhte hain.

love sms ने कहा…

excellent put up, very informative. I’m wondering why the opposite specialists of this sector do not realize this. You should continue your writing. I’m sure, you have a great readers’ base already!

Rakesh Kumar ने कहा…

आपकी प्रस्तुति कमाल की है.
सुनीता जी की हलचल में इसे देखकर अच्छा लगा.

आपका मेरे ब्लॉग पर इंतजार है.
नई पोस्ट 'हनुमान लीला-भाग ३' प्रकाशित की है.

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

आज 22/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर (सुनीता शानू जी की प्रस्तुति मे ) पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

P.N. Subramanian ने कहा…

हम उस बूँद ही की तलाश में मरुस्थल में भटकते रहे. बहुत सुन्दर.

प्रेम सरोवर ने कहा…

जीवन में हर सपने पूरे नही होते हैं ।जीवन भी तो कुछ नियमों से बधा है । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।

Unknown ने कहा…

▬● बहुत खूबसूरती से लिखा है आपने... शुभकामनायें...

दोस्त अगर समय मिले तो मेरी पोस्ट पर भ्रमन्तु हो जाइयेगा...
Meri Lekhani, Mere Vichar..
http://jogendrasingh.blogspot.com/2012/01/blog-post_23.html
.

निर्मला कपिला ने कहा…

भावनात्मक पोस्ट। शुभकामनायें।

SANJEEV RANA ने कहा…

sahab khawabo ke bina bhi jindgi me koi ras nhi hain.

बेनामी ने कहा…

बहुत बढिया ।

हिंदी दुनिया

roses ने कहा…

Good post...
rosesandgifts.com

Atul Shrivastava ने कहा…

गहरे भाव लिए बेहतरीन पोस्‍ट।
कमाल का लेखन।

कबीर कुटी - कमलेश कुमार दीवान ने कहा…

nilofar ki aankh ..ek kitab achchi or sashakt kavita hai jiska bhara poora sabdchitra bahut prabhavi lagata hai

Business economy world ने कहा…

Awesome written

internet marketing belgium ने कहा…

Excellent blog article

PWT Sports Racing News ने कहा…

Thanks for sharing this post

PWT Harbal Products ने कहा…

Lovely post

PWT Health Tips ने कहा…

wonderful post

सूत्रधार ने कहा…

आदरणीय आपके प्रोत्‍साहन के लिए आभार ...शुभकामनाओं के साथ ...

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

नए पोस्ट के इन्तजार में,.....

लाजबाब प्रस्तुती .
MY NEW POST ...40,वीं वैवाहिक वर्षगाँठ-पर...

Naveen Mani Tripathi ने कहा…

behad sundar prvishti ke liye abhar ....janab maine bhi apka yah lekh padh kr ankho pr kuchh likh dala hai ....please welcome on my new post.

बवाल ने कहा…

लाल साब,
इस लेख को कई बार पढ़ डाला और ये समझ ना आया कि क्या विचार प्रकट करें। इतना ही कह पा रहे हैं कि आख़िर कौन टाइप के हो आप ? हा हा।
वाक़ई उड़नतश्तरी, उड़नतश्तरी ही है। कम सून। मिसिंग यू अ लॉट।

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत दिन हो गए,आपके नए पोस्ट का इन्तजार करते.....
वाह!!!!!बहुत सुंदर प्रस्तुति ,अच्छी रचना

NEW POST....
...काव्यान्जलि ...: बोतल का दूध...
...फुहार....: कितने हसीन है आप.....

love sms ने कहा…

excellent put up, very informative. I’m wondering why the opposite specialists of this sector do not realize this. You should continue your writing. I’m sure, you have a great readers’ base already!

***Punam*** ने कहा…

"अजब है ये दुनिया...
कमबख्त!! इन ख्वाबों की!!!"

न जाने कितनी निलोफर अपनी आँखों में किताब संजोये बैठी हैं...
पन्ने दर पन्ने न जाने कितने ख्वाब लिखे धरे हैं.....

बहुत सुन्दर......