गुरुवार, नवंबर 17, 2011

फोकस न लूज करो, मि.मल्टी-टास्कर!!!

आजकल कुछ शब्द लोग बड़ी वजनदारी और धड़ल्ले से बेझिझक इस्तेमाल करते हैं. ऐसा ही एक शब्द है - 'मल्टी टास्कर'. एक समय में एक से अधिक कार्य पूरी क्षमता और लगन से कर पाने की कला. नौकरी के लिए जितने आवेदन आते हैं- सब मल्टी टास्कर, सब टीम प्लेयर, सब सेल्फ स्टार्टर. मुझे लगता है ये योग्यतायें तो हर इन्सान में होती हैं, फिर भी लिखकर न बताओ तो बात पूरी नहीं होती. लिखकर बताने की जरुरत तो होनी नहीं चाहिये.

समय का क्या है. उसका तो काम ही करवट लेना है. आज एक ली है, तो कल दूसरी लेगा. कल को लोग यह न लिखने लग जायें कि दोनों पैर से चलने वाला, कान से सुनने वाला, आँख से देखने वाला. मेरे हिसाब से इस तरह की योग्यतायें होना स्वाभाविक है, न हो तो लिख कर बताओ, तब तो बात में दम भी नजर आये और बात भी  समझ में आती है. जैसे एक आँख से नहीं दिखता है, टीम प्लेयर नहीं हूँ आदि. मगर अपनी कमी कौन उजागर करे, ये मानव स्वभाव है.

मल्टी टास्कर और टीम प्लेयर पर याद आया अपने अन्ना का नाम. आजकल वो भी मल्टी आंदोलनकारी होने में लगे हैं. टीम प्लेयर का चक्कर ऐसा फँसा कि टीम बदलने की तैयारी में जुटना पड़ा. जिन बातों का विरोध करने के लिए टीम गठित कर हल्ला बोला था, इन दिनों खुद टीम ही उस दलदल में फंसी नजर आ रही है. कोई अपना इन्कम टैक्स का बकाया प्रधान मंत्री कार्यालय में भर रहा है मानो इन्कम टैक्स वालों ने मांगा बस हो और लेने से इन्कार कर रहे हों..तो कोई हवाई यात्रा से हेराफेरी वाला धन लौटाने की पेशकश लिए घूम रहा है. उधर राजा और कलमाड़ी इनकी हरकतें देख तिहाड़ में बैठे दलील दे रहे हैं कि इन्होंने तो हेराफेरी का धन खुद की ट्रस्ट में जमा कर कह दिया कि गरीबों के लिए धरे हैं, इसलिए यह भ्रष्टाचार नहीं है. अन्ना और केजरीवाल ने हाँ में हाँ भी मिला दी टीम प्लेयर होने के नाते और हम, जिसने सारी कमाई खुद की ट्रस्ट में न जमा कर स्विस बैंक जैसे सार्वजनिक स्थल में रखी ताकि भविष्य में जब अमेरीका के मौजूदा हालात देखते हुए वहाँ गरीबों की बाढ़ आयेगी, तो उनकी मदद करेंगे. जब हवाई जहाज वाली हेराफेरी इस कारण से हेराफेरी नहीं है तो हमारा तो बहुत ही बड़ा पुण्य करम कहलाया. हमें तो जेल की बजाये भारत रत्न दिया जाना चाहिये.

सांसद खरीदी में भी एक किड़नी मरीज को बेवजह जेल और उस मार्फत अस्पताल में जबरन रहना पड़ा जबकि उन्होंने हर सांसद को पैसा देते समय कान में साफ कह दिया था कि इस पैसे से गरीबों की मदद करना, पुण्य कार्य होता है.

ऐसे हालातों में जब कलमाड़ी और राजा के साथ साथ कनीमोझी तक भारत रत्न की आस बैठे लगाये हैं तो अन्ना, द मल्टी आंदोलनकारी (उनका तो टास्क ही आंदोलन है) सचिन को भारत रत्न दिलवाने के लिए मैदान में कूद पड़े हैं. माना सचिन तेंदुलकर काबिल है मगर भारत रत्न किसे मिले और किसे नहीं, यह तय करना अन्ना के पाले में कब जा पहुँचा. शुरु हुए भ्रष्टाचार से, पहुँच गये कांग्रेस को हरवाने और आगे भी हरवाते रहने का जिम्मा अपने नाजुक काँधों पर उठा लिया यदि मन मुताबिक बिल न आया तो. फिर अब ये भारत रत्न. कभी कभी तो लगता है कि कल को फलाने को मंत्री बनाओ, वरना आंदोलन. मुम्बई से हमारे गांव सीधे फ्लाईट, वरना आंदोलन...आंदोलन करने के लिए मुद्दों की कमी तो है नहीं- नाले से नदी तक मुद्दों कें अंबार हैं मगर बस, जब से चेहरा फोकस में आया है, उनका फोकस लूज़ होता देख कर अफसोस सा होता है. अरे भई, बायोडाटा में एक शब्द और बढ़ाओ- वेल फोक्सड. मल्टी टास्कर का अर्थ यह तो होता नहीं है कि सारे टास्क बिलोर कर रख दूँगा बल्कि जैसे कि पहले कहा है यह एक समय में एक से अधिक कार्य पूरी क्षमता और लगन से कर पाने की कला है. जिसके लिए फोकस्ड अप्रोच की जरुरत होती है.

sachinBR

एक हमें देखो, मल्टी टास्कर होते हुए भी जबसे नई नौकरी ली है (हालांकि अब तो नई क्या- दो महिने से ज्यादा पुरानी हो गई है), ऐसा फोकस साधे हैं कि लिखना पढ़ना सब छूटा है. न ब्लॉग, न साहित्य. वैसे सच्चाई तो ये है कि चाहो, तो समय भी निकल ही आयेगा. खाना खाना नहीं छूटा, सोना नहीं छूटा, घूमना नहीं छूटा. लिखनें में आलस को कैसे छिपायें तो नई नौकरी की आड़ से बेहतर और कोई बहाना क्या हो सकता है. मौन व्रत साधना अभी सीखा नहीं है.

शायद जल्द ही आलस की चादर से बाहर निकलूँ इसीलिए आज कुछ भी लिख ही डाला है. शायद जागने के पहले की अंगड़ाई की तरह साबित हो...शायद लिखत पढ़त जोर पकड़े. फोकस तो साधे हुए हैं.

अक्सर ही जब मन के भावो को
शब्दों में ढाल नहीं पाता हूँ मैं...
किसी बहाने की आड़ ले
बहुत धीमे से मुस्कराता हूँ मैं...

समीर लाल 'समीर'

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73 टिप्‍पणियां:

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

बहुत ही उम्दा विवेचन |

Smart Indian ने कहा…

जी हाँ, मुद्दों के लिये तो सुनहरा समय है आज का लेकिन बीच-बीच में आराम करने का मज़ा अलग ही है।

विवेक रस्तोगी ने कहा…

कभी कभी ऐसा समय भी होता है जब प्रोडक्टिविटी की इच्छा होती है परंतु कुछ प्रोडक्टिव हो नहीं पाता :)

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

अण्णा को आज मीडिया घेरे रहता है. अण्णा भी उनके लिए बस एक स्टोरी भर है.अण्णा सीधे व धुन के पक्के व्यक्ति हैं. बहुत तीन पांच नहीं जानते. मीडिया किसी को भी कहीं भी चढ़ा कर सीढ़ी खींच लेने में माहिर है...

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

हमें लगता है, हम सब करने में सक्षम हैं, सब साधे सब जाये।

युगल मेहरा ने कहा…

कोई हवाई यात्रा से हेराफेरी वाला धन लौटाने की पेशकश लिए घूम रहा है. उधर राजा और कलमाड़ी इनकी हरकतें देख तिहाड़ में बैठे दलील दे रहे हैं कि इन्होंने तो हेराफेरी का धन खुद की ट्रस्ट में जमा कर कह दिया कि गरीबों के लिए धरे हैं, इसलिए यह भ्रष्टाचार नहीं है. अन्ना और केजरीवाल ने हाँ में हाँ भी मिला दी टीम प्लेयर होने के नाते और हम, जिसने सारी कमाई खुद की ट्रस्ट में न जमा कर स्विस बैंक जैसे सार्वजनिक स्थल में रखी ताकि भविष्य में जब अमेरीका के मौजूदा हालात देखते हुए वहाँ गरीबों की बाढ़ आयेगी, तो उनकी मदद करेंगे. जब हवाई जहाज वाली हेराफेरी इस कारण से हेराफेरी नहीं है तो हमारा तो बहुत ही बड़ा पुण्य करम कहलाया. हमें तो जेल की बजाये भारत रत्न दिया जाना चाहिये

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

आप आए। ब्लाग जगत का सूनापन कुछ कम हुआ।

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

एक समय में एक ही काम को पूरी तल्लीनता से किया जाये तो कहीं ज्यादा आत्मसंतुष्टि मिलती है..... यह बात बहुत अच्छी और अर्थपूर्ण लगी कि योग्यता को बताने की आवश्यकता ही क्यों पड़े...... उम्दा विवेचन

संतोष त्रिवेदी ने कहा…

फोकस में बने रहने के लिए 'मल्टी-टास्कर ' होना ज़रूरी है :-)
आप भी हमेशा फोकस में रहें !

संतोष त्रिवेदी ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
दर्शन कौर धनोय ने कहा…

बहुत उम्दा विचार हैं समीर जी ....नौकरी छोड़ो--सीधी फ्लाईट पकड़ो ..अन्ना का नया दल बन रहा हैं ..हमारे साथ आप भी आमंत्रित हैं ..जय हो ?

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

बहुत उम्दा विचार हैं समीर जी ....नौकरी छोड़ो--सीधी फ्लाईट पकड़ो ..अन्ना का नया दल बन रहा हैं ..हमारे साथ आप भी आमंत्रित हैं ..जय हो ?

Mansoor ali Hashmi ने कहा…

फोकस था एक 'बिल' पे तो शेरो सी गरज थी,
बढ़ने लगी डिमांड तो 'ख़ामोश'* हो गए,
गफलत में आ गए थे जो* जेलों में पहुँच कर,
'टीम अन्ना' कारनामो से बाहोश हो गए !

*मौनव्रत, * घोटालेबाज
-------------------------------------------------

'फोकस' था एक बॉल पे, लगते रहे शतक,
दो-दो* ! दिखे जो साथ, क्लीन बोल्ड हो रहे !!

*शतको का शतक, भारत रत्न

Mansoor ali Hashmi ने कहा…

फोकस था एक 'बिल' पे तो शेरो सी गरज थी,
बढ़ने लगी डिमांड तो 'ख़ामोश'* हो गए,
गफलत में आ गए थे जो* जेलों में पहुँच कर,
'टीम अन्ना' कारनामो से बाहोश हो गए !

*मौनव्रत, * घोटालेबाज
-------------------------------------------------

'फोकस' था एक बॉल पे, लगते रहे शतक,
दो-दो* ! दिखे जो साथ, क्लीन बोल्ड हो रहे !!

*शतको का शतक, भारत रत्न

Mansoor ali Hashmi ने कहा…

'लूज़ फोकस' से नहीं मिलता है 'गोल'
शिघ्र होता है पतन भटके ज़रा !
हारते 'खरगोश' भी है दौड़ में,
रास्ते में थक जो अटके ज़रा !!
http://aatm-manthan.com

गुड्डोदादी ने कहा…

समीर बेटा
आशीर्वाद
मल्टी आन्दोलनकारी लेख स्टीक सुंदर
अमरीका हो या कनाडा नए कर्मचारी के आने पर यही कह परिचय करवाते हैं ही इज वन वीक ओल्ड
नवभारतटाइम्स में अन्ना जी टैक्सी वालों को भी ठीक करेंगे

कुमार संतोष ने कहा…

Sarthak post.
Aabhaar. . !!

समयचक्र ने कहा…

अक्सर ही जब मन के भावो को
शब्दों में ढाल नहीं पाता हूँ मैं...
किसी बहाने की आड़ ले
बहुत धीमे से मुस्कराता हूँ मैं...

भावपूर्ण उम्दा अभिव्यक्ति .... आभार

आशीष "अंशुमाली" ने कहा…

फोकस किधर यह जानना भी जरूरी है वरना सारा फोकस धरा का धरा रह जायेगा।

Shah Nawaz ने कहा…

Waah... Achchhi multi tasking ki hai....

Chaliye New Job mubarak ho!

Shah Nawaz ने कहा…

Vaise Hindi Bloging khud bhi apne aap mein Multi tasking hai... Yahan per blogger apni job ke sath-sath Lekhak, Kavi, Sahitykar, Vyangkaar, Dharm Guru, Vigyanik, Doctor, Politicion tak hote hain... Aur to aur Tippanikaar tak banna zaruri hota hain...

जीवन और जगत ने कहा…

बढि़या पोस्‍ट। इस पर याद आया कि मेरे मोहल्‍ले का एक लड़का जिसकी अभी अभी सरकारी नौकरी लगी है, एक दिन मिल गया। मैनें पूछा कौन सी पोस्‍ट है तो बोला एम0टी0एस0 यानी मल्‍टी टास्किग स्‍टाफ। दरअसल चपरासी के पद का अपग्रेडेड वर्जन है यह, यानी ऐसा कर्मचारी जो चपरासी के नियमित कार्यों के अतिरिक्‍त फोटोकॉपी करना, डॉक की प्रविष्टि करना इत्‍यादि जैसे काम भी जानता हो। वैसे आजकल हर फील्‍ड में मल्‍टीटास्किंग का जमाना है। आजकल की किराना दुकानों को ही लीजिये, राशन के साथ मोबाइल रिचार्ज कूपन, डी0टी0एच0 रिचार्ज, होमियोपैथिक दवाएं आदि भी उपलब्‍ध हैं।

Deepak Saini ने कहा…

आज के समय में मल्टी टास्कर होना बहुत जरूरी है

मनोज कुमार ने कहा…

चलिए अंगड़ाई ले ली है, तो अब मल्टि-टास्कर बन ही जाएंगे।

डॉ टी एस दराल ने कहा…

तो आजकल नए जॉब में बिजी हैं !
सबसे बड़ा मल्टी टास्कर तो पत्नी होती हैं .
लेकिन अब अन्ना जी कर रहे हैं तो करने दो भाई .
वैसे सचिन को भारत रत्न मिले ( यदि वह एलिजिबल हैं ) तो हमें भी ख़ुशी होगी .
कभी कभी समय निकाल लेना ही सही है वर्ना आप भी सेलेब्रिटी की श्रेणी में आ जायेंगे :)

अनुपमा पाठक ने कहा…

अक्सर ही जब मन के भावो को
शब्दों में ढाल नहीं पाता हूँ मैं...
किसी बहाने की आड़ ले
बहुत धीमे से मुस्कराता हूँ मैं...
वाह!
a single post dealing with various issues from different angles, yet, well focused!

Deepak Shukla ने कहा…

Hi..

Bhrastachar humare khun main vidyaman hai..log bhrashtachar ka matlab sirf sarkari mamlon main rishwat lene dene ko hi maante hain jabki vyavharik jeevan main pratyek vyakti kisi na kisi taur par esme lipt hai.. Yah parivarik, raajnaitik, vyavharik ya sarkari kaisa bhi ho sakta hai..to es se team Anna bhi chhooti nahi hai...

Vaise bhi jis ekjutta se team Anna ne jan andolan ko aage badhya hai unke beech aisi khatas sabko kharab mahsus ho rahi hai..

Deepak..

सदा ने कहा…

सार्थक व सटीक लेखन ...।

vijai Rajbali Mathur ने कहा…

गंभीर बातों को बड़े रोचक ढंग से समझा दिया आपने।

नीरज गोस्वामी ने कहा…

ओहो हम अब समझे हुज़ूर इतने दिनों से अपने ब्लॉग से यूँ खिंचे खिंचे से क्यूँ हैं ...नयी नौकरी जो शुरू की है...बधाई...उम्र के इस मोड़ पर नौकरी बदलने का लुत्फ़ ही कुछ और होता है...जैसे विधुर की दुबारा शादी हो जाये...दूसरी शादी पहली की तरह ही निभे या न निभे ये अलग बात है , लेकिन थ्रिल तो है ही बॉस...आप भी मल्टी टास्कर हैं...नौकरी भी करते हैं और ब्लॉग्गिंग भी...फेस बुक पर भी छाये रहते हैं...हमारे लिए आप अन्ना से क्या कम हैं :-)

नीरज

PRAN SHARMA ने कहा…

IS SAARTHAK AUR VIVECHAATMAK LEKH
KE LIYE AAPKO BADHAAEE.

रंजू भाटिया ने कहा…

बढ़िया विवेचन ........मल्टी टास्कर....

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

बहुत दिनों बाद ब्लाग पर...! मल्टी टास्क का यही तो नुकसान है... समय नहीं मिलता:)

वाणी गीत ने कहा…

मतलब कि अब प्रूव हो चुके हैं नौकरी में !

Tv100 ने कहा…

बहुत अच्छा लिखा है ! आपको शुभकामनाएं !
आपका हमारे ब्लॉग http://tv100news4u.blogspot.com/ पर हार्दिक स्वागत है!

Tv100 ने कहा…

बहुत अच्छा लिखा है ! आपको शुभकामनाएं !
आपका हमारे ब्लॉग http://tv100news4u.blogspot.com/ पर हार्दिक स्वागत है!

shikha varshney ने कहा…

मल्टी टास्किंग के बिना काम ही नहीं चलता आजकल.

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

'नौकरी की आड़ से बेहतर और कोई बहाना क्या हो सकता है.'
बहाना ढूँढना तो श्रीमान मल्टी टास्कर' के लिये बायें हाथ का खेल है .

विष्णु बैरागी ने कहा…

यह सब तो मैं लिखनेवाला था। मेरी बात मुझसे पहले लिखकर आप तो खुद ही मल्‍टीटास्‍कर बन बैठे।

Khushdeep Sehgal ने कहा…

मैं भी कहूं कि मेरा मन पिछले कुछ दिनों से पोस्ट लिखने का क्यों नहीं कर रहा...आपकी इस पोस्ट से असली वजह समझ आई...ये टेलीपैथी ही तो है गुरू के प्रभामंडल से निकली रश्मियां शिष्य पर कुछ असर तो करेगी हीं...

अन्ना को ये देश पीपली लाइव का नत्था बनाकर छोड़ेगा...

रही नौकरी के आवेदन में मल्टीटास्किंग की बात तो एक मैडम ने अपने सीवी में जो लिखा, उससे ऊपर कुछ नहीं हो सकता...

I am flexible enough to perform in all positions...

जय हिंद...

Sunil Kumar ने कहा…

आज के समय में मल्टी टास्कर होना बहुत जरूरी है

रजनीश ने कहा…

वाह सर, मेरे मन की बात आपने लिख दी.

sudhir ने कहा…

समयोचित विचारो॓॑ की अभिव्यक्ति प्रशन्सनीय है। बधाई।

मनोज कुमार ने कहा…

चलिए आपकी सक्रियता की आशा का संचार हुआ जो हमें भी प्रेरित करेगी।

Arun sathi ने कहा…

करारा.सही मुद्दा उटाया है.....अन्ना का यही हाल है

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

अक्सर ही जब मन के भावो को
शब्दों में ढाल नहीं पाता हूँ मैं...
किसी बहाने की आड़ ले
बहुत धीमे से मुस्कराता हूँ मैं...

अब तो आलस टूट ही गया होगा ..अंगड़ाई भरपूर ली है

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत ही सुंदर विवेचन किया आपने..बधाई....
मेरे ब्लॉग में आपका स्वागत है..

संगीता पुरी ने कहा…

व्‍यस्‍तता सबसे अच्‍छा बहाना है .. पर न लिखने पढने के पीछे आलस का ही रोल होता है .. बढिया विश्‍लेषण !!

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

भावपूर्ण उम्दा अभिव्यक्ति!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

वाह समीर भाई ... मल्टीटास्किंग में तो माहिर हो आप भी ... और नयी नौकरी ... बधाई हो ... ये नई नौकरी कब आड़े आयगी ब्लोगिंग के ...

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बेहतरीन.अन्ना जी धुन के पक्के है,लेकिन मीडिया ने जरूरत से ज्यादा हाईलाइट किया...

आकर्षण गिरि ने कहा…

multi dimensional write up nut well focussed. Congrats for dealing with various aspects in a precise but satirical way....

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

अण्णा तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं।
समीरलाल तुम खूब लिखो, हम तुम्हारे साथ हैं।

निवेदिता श्रीवास्तव ने कहा…

मौन व्रत :)

Rohit Singh ने कहा…

क्या खूब कही आपने....कभी लैपटॉप की आड़ तो कभी नई नौकरी की आड़...आड़ लेने की कला के मास्टर हैं आप।

Asha Lata Saxena ने कहा…

मीडिया जिसे चाहे ऊपर चढ़ा देता है और जिसे चाहे धराशाई कर देता है |
लगता नहीं की निष्पक्ष होता है |आपका क्या ख्याल है ?
आपका लेख विचारों को सक्रीय करने के लिए काफी है |
आशा

Amrita Tanmay ने कहा…

धीमे से मुस्कुराना कहर बरपाती है.

Arvind Mishra ने कहा…

आप तो अभी भी छाये हुए हो महराज

Deepak Sharma ने कहा…

बहुत खूब

Deepak Sharma ने कहा…

बहुत ही खूब विवेचन...

Asha Joglekar ने कहा…

मल्टी टास्किंग तो हम भी कर रहे हैं आज कल वापसी पर घर को ठीक करना, धूल भरी चादरें पर्दे धोना, खाना बनाना (खाना भी तो होता है ), थोडा () बहुत टीवी देखना घूमने जाना आदि ।
अण्णा के पीछे न पडें प्लीज, वही तो हैं आम आदमी का भरोसा । फोकस तो अभी भी लोकपाल बिल पर ही है ।

Urmi ने कहा…

बहुत बढ़िया, ज़बरदस्त और सार्थक लेखन !

mridula pradhan ने कहा…

अक्सर ही जब मन के भावो को
शब्दों में ढाल नहीं पाता हूँ मैं...
किसी बहाने की आड़ ले
बहुत धीमे से मुस्कराता हूँ मैं...
sadgi ke sath saral baat.....

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सार्थक और सटीक विश्लेषण..सही कहा है कि मल्टी टास्कर होने की जगह वैल फोकस्ड होना ज्यादा बेहतर है...आभार

Surendra shukla" Bhramar"5 ने कहा…

प्रिय समीर भाई उडन तश्तरी जी अभिवादन ...बहुत सुन्दर समझाया आप ने सार्थक व् व्यंग्य का पुट लिए लेख ....
भ्रमर ५
बाल झरोखा सत्यम की दुनिया

जब हवाई जहाज वाली हेराफेरी इस कारण से हेराफेरी नहीं है तो हमारा तो बहुत ही बड़ा पुण्य करम कहलाया. हमें तो जेल की बजाये भारत रत्न दिया जाना चाहिये. सांसद खरीदी में भी एक किड़नी मरीज को बेवजह जेल और उस मार्फत अस्पताल में जबरन रहना पड़ा जबकि उन्होंने हर सांसद को पैसा देते समय कान में साफ कह दिया था कि इस पैसे से गरीबों की मदद करना, पुण्य कार्य होता है. ऐसे हालातों में जब कलमाड़ी और राजा के साथ साथ कनीमोझी तक भारत रत्न की आस बैठे लगाये हैं

Surendra shukla" Bhramar"5 ने कहा…

प्रिय समीर भाई उडन तश्तरी जी अभिवादन ...बहुत सुन्दर समझाया आप ने सार्थक व् व्यंग्य का पुट लिए लेख ....
भ्रमर ५
बाल झरोखा सत्यम की दुनिया

जब हवाई जहाज वाली हेराफेरी इस कारण से हेराफेरी नहीं है तो हमारा तो बहुत ही बड़ा पुण्य करम कहलाया. हमें तो जेल की बजाये भारत रत्न दिया जाना चाहिये. सांसद खरीदी में भी एक किड़नी मरीज को बेवजह जेल और उस मार्फत अस्पताल में जबरन रहना पड़ा जबकि उन्होंने हर सांसद को पैसा देते समय कान में साफ कह दिया था कि इस पैसे से गरीबों की मदद करना, पुण्य कार्य होता है. ऐसे हालातों में जब कलमाड़ी और राजा के साथ साथ कनीमोझी तक भारत रत्न की आस बैठे लगाये हैं

Vaanbhatt ने कहा…

सभी कंप्यूटर हो गये हैं...मल्टीटास्किंग का युग है...जीवन सिर्फ एक मिला है...सो सब कुछ इसी जनम में करना है...

रंजन (Ranjan) ने कहा…

अन्ना जी है.. कुछ भी कर सकते है... मल्टी टास्क तो क्या मल्टी टास्क का बाप भी उनके लिए कुछ नहीं....

अन्ना जी संघर्ष करो... हम चाय पी कर आ रहे है....:-)

www.navincchaturvedi.blogspot.com ने कहा…

सर जी मैं नीरज भाई की टीपणी का अनुमोसदन :) करता हूँ

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति ने कहा…

बहुत सुन्दर पोस्ट .. हां सही है ... एक समय में मल्टी टास्कर की तरह मल्टिपल काम करने से तो काम की गुणवत्ता तो कम ही होगी...

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

विचारों को इतना उलट-पुलट दिया कि पढ़ते-पढ़ते झाईं आ गई।..गज़ब का लेखन!

ePandit ने कहा…

गहन चिन्तन। वाकई आप भी मल्टीटास्कर हैं।

Shri Sitaram Rasoi ने कहा…

"फोकस न लूज करो, मि.मल्टी-टास्कर!!!"

Very Good Article. Bravo????

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Dr. OPVerma