बुधवार, अगस्त 18, 2010

एक बेहतरीन कलाकार, गायक एवं इंसान: मिलिये इनसे

आज आपको मिलवाता हूँ एक बेहतरीन कलाकार, गायक और उससे भी उपर एक बेहतरीन इन्सान श्री राजेन्द्र स्वर्णकार से. न कभी मुलाकात हुई, न कभी बात. बस, इन्टरनेट और ब्लॉग के माध्यम से परिचय हुआ और एक आत्मियता का रिश्ता कायम हो गया.

सिलसिला जारी रहा और उन्होंने एक दिन अपनी पसंद से मेरे दो गीतों को अपनी आवाज में रिकार्ड करके भेजा. गीत सुनने के बाद आप सबको सुनवाने का लोभ संवरण नहीं कर पाया और आज वही प्रस्तुत करता हूँ.

भाई राजेन्द्र स्वर्णकार का ब्लॉग शस्वरं है और उस ब्लॉग पर उनकी एक से एक बेहतरीन कृतियाँ उपलब्ध हैं. उनका परिचय, उन्हीं की जुबानी:

मोम हूं , यूं ही पिघलते एक दिन गल जाऊंगा फ़िर भी शायद मैं कहीं जलता हुआ रह जाऊंगा... मूलतः काव्य-सृजक हूं। काव्य की हर विधा में मां सरस्वती की कृपा से लेखनी निरंतर सक्रिय रहती है। अब तक 2500 से अधिक छंदबद्ध गीत ग़ज़ल कवित्त सवैये कुंडलियां दोहे सोरठे हिंदी राजस्थानी उर्दू ब्रज भोजपुरी भाषा में लिखे जा चुके हैं मेरी लेखनी द्वारा । 300 से भी ज़्यादा मेरी स्वनिर्मित मौलिक धुनें भी हैं । मंच के मीठे गीतकार-ग़ज़लकार के रूप में अनेक गांवों-शहरों में काव्यपाठ और मान-सम्मान । आकाशवाणी से भी रचनाओं का नियमित प्रसारण । 100 से ज़्यादा पत्र - पत्रिकाओं में 1000 से अधिक रचनाएं प्रकाशित हैं । अब तक दो पुस्तकें प्रकाशित हैं- राजस्थानी में एक ग़ज़ल संग्रह रूई मायीं सूई वर्ष 2002 में आया था , हिंदी में आईनों में देखिए वर्ष 2004 में । कोई 5-6 पुस्तकें अभी प्रकाशन-प्रक्रिया मे हैं! स्वय की रचनाएं स्वयं की धुनों में स्वयं के स्वर में रिकॉर्डिंग का वृहद्-विशाल कार्य भी जारी है। चित्रकारी रंगकर्म संगीत गायन मीनाकारी के अलावा shortwave listening और DXing करते हुए अनेक देशों से निबंध लेखन सामान्यज्ञान संगीत और चित्र प्रतियोगिताओं में लगभग सौ बार पुरस्कृत हो चुका हूं । CRI द्वारा चीनी दूतावास में पुरस्कृत-सम्मानित … … और यह सिलसिला जारी है … !!

तो चलिए अब आपको अपने दोनों गीत उनके स्वर में:

गीत

मैं जो भी गीत गाता हूँ, वही मेरी कहानी है
मचल जो सामने आती, वही मेरी जवानी है
मैं ऐसा था नहीं पहले, मुझे हालात ने बदला
कोई नाजुक बदन लड़की, मेरे ख्वाबों की रानी है.

नहीं उसको बुलाता मैं, मगर वो रोज आती है
मेरी रातों की नींदों में, प्यार के गीत गाती है
मेरी आँखें जो खुलती हैं, अजब अहसास होता है
नमी आँखों में होती है, वो मुझसे दूर जाती है.

मगर ये ख्वाब की दुनिया, हकीकत हो नहीं सकती
थिरकती है जो सपने में, वो मेरी हो नहीं सकती
भुला कर बात यह सारी, हमेशा ख्वाब देखे हैं
न हो दीदार गर उसके, तो कविता हो नहीं सकती.

-समीर लाल ’समीर’

गज़ल: (यह गज़ल एकदम ताजा है, जो आपने अभी तक नहीं पढ़ी है.)

हमारी महफिल में आज आ कर, हमीं को हमसे मिला रहे हो.
अभी तो तुमसे जमीं न संभली, क्यूँ आसमां को हिला रहे हो.

तुम्हें यह लगता है बिन तुम्हारे, यूँ महफिलें क्यूँ सजी हुई हैं
हमें जलाने की कोशिशों में, क्यूँ खुद को ही तुम जला रहे हो.

गमे जुदाई में जो तुम्हारी, है वो ही हालत हमारी होगी
तुम्हें तो हम यूँ मना भी लेंगे, हमें क्यूँ आखिर रुला रहे हो

तुम्हें मुबारक तुम्हारी शोहरत, हमें भला क्या मलाल होगा
ये नाम बख़्शा है जिसने उसको मिटा के दे क्या सिला रहे हो.

नशा तुम्हारी आँख में जो, डूबा डूबा कर ये होश ले लो
न जाने क्यूँ मैकदे में लाकर, मुझे तुम इतना पिला रहे हो.

हवा की जो तुम सदायें सुन लो, हमारी आहट सुनाई देगी
समीर तेरे ही सामने है, ये किसको फिर तुम बुला रहे हो

-समीर लाल ’समीर’

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65 टिप्‍पणियां:

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…




आदरणीय भाईजी समीर जी
अभिभूत हूं आपके स्नेह से !
क्या कहूं …
इज़्ज़त अफ़्जाई का शुक्रिया !



- राजेन्द्र स्वर्णकार

हास्यफुहार ने कहा…

बहुत अच्छा लगा।

Sunil Kumar ने कहा…

भाई समीर लाल जी इस जानकारी के लिए शुक्रिया स्वर्णकार जी का परिचय उन्ही की जुवानी ,कितने भाषा में गीत लिखते है यह किसी तारीफ़ की मुहताज नहीं है बहुत बहुत बधाई

Gyan Darpan ने कहा…

बढिया लगा राजेन्द्र जी से मिलकर और उनकी आवाज सुनकर

मनोज कुमार ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति।

Satish Saxena ने कहा…

कुछ रचनाकार उत्कृष्ट लेखन के साथ साथ व्यवहार में भी उत्कृष्ट और सौम्य होते हैं ..मैं अकसर इनको पढता हूँ , राजेंद्र उन्ही लोगों में से एक हैं जो अपने सशक्त निशान छोड़ने में समर्थ हैं ! ऐसे सशक्त हस्ताक्षर का ब्लॉग जगत को परिचय कराने के लिए आपका आभार !

संजय भास्‍कर ने कहा…

बढिया लगा राजेन्द्र जी से मिलकर और उनकी आवाज सुनकर...

राजकुमार सोनी ने कहा…

ईश्वर के द्वारा प्रदत्त की गई कोई भी कला धर्म-जाति की दीवारों को तोड़कर आगे बढ़ती है इसलिए अच्छा लगा.
राजेंद्रजी को शुभकामनाएं

राम त्यागी ने कहा…

बहुत ही प्रतिभावान इंसान हैं ...मजा आ गया सुनकर उनको !!

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

राजेन्द्र जी, लिखते और गाते बहुत सुंदर है।

आभार

Arvind Mishra ने कहा…

राजेन्द्र स्वर्णकार जी से मिलाने के लिए शुक्रिया -मुलाक़ात अच्छी लगी !

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

vakai rajendra ji ki vilakshanta ka kayal hoon.....behtreen prastuti...sameer ji sadhuwaad swikaren....

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

bhai rajendra ji se parichit hain hum bhi blog ke maadhyam se.. unke geet bhi sune hain blog par hi.... aaj aapke blog par paakar aur aapke geet ko unke swar me sunkar aur bhi achha laga..

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

परिचय कराने का बहुत आभार। दोनों कविता ही सुन्दर।

Rohit Singh ने कहा…

इसमें कोई शक नहीं कि स्वर लाजवाब है राजेंद्र जी का। हाल ही में इनसे दोस्ती हुई है आभाषी दुनिया में अंग्रेजी के दोस्ती वाले दिन.....लिखना, उसकी धुन बनाना और फिर आवाज का जादू देना..जबरदस्ती खूबी है राजेंद्र जी की....

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

बहुत अच्छा लगा राजेन्द्र जी से करवाई गई इस मुलाकात से।

सम्वेदना के स्वर ने कहा…

परिचित हूँ इनकी प्रतिभा से...क्षमा बहुमुखी प्रतिभा से...आपने इनसे मिलाया आभार!!!

अंजना ने कहा…

राजेन्द्र जी आवाज सुनकर अच्छा लगा |परिचय कराने के लिए आपका शुक्रिया !

संजय तिवारी ने कहा…

चाचा बढिया है

वाणी गीत ने कहा…

आपने परिचय दिया है तो कुछ ख़ास ही होंगे ...
गीतकार-ग़ज़लकार श्री राजेंद्र स्वर्णकार जी के इस परिचय के लिए बहुत आभार ...!

shikha varshney ने कहा…

वाह जितनी उम्दा गज़ल उतना उम्दा स्वर .बहुत शुक्रिया स्वर्णकार जी से मिलाने का.

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

स्वर्णकार है तो खरा सोना होगा ही :)

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

राजेन्द्र जी से परिचय अच्छा लगा ...

और सस्वर कविता और गज़ल का मज़ा ही कुछ और था ...आभार /

Coral ने कहा…

परिचय कराने का बहुत आभार!
मै भी इन से हाल ही में वाकिफ हुई हू !

vandana gupta ने कहा…

rajendra ji ki aawaz bhi utnihi madhur hai jitne achche wo insaan hain.............rajendra ji ka parichay pakar achcha laga..........shukriya.

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

maine satiesh sir ke baato se sahmat hooon.........bas itna kahunga, kyonki sabdo ki kami hai.....:)

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

bahut khoob sir ,
aapki dono hi rachnaye behad behad achhi lagin.geet bahut hi shandaar lage ,rajendra ji ko meri taraf se bahut bahut badhai .
poonam

समयचक्र ने कहा…

राजेन्द्र स्वर्णकार जी का परिचय करने के लिए शुक्रिया .... उनकी गीत/गजल बढ़िया प्रभावशाली हैं .... आभार

रंजना ने कहा…

आपकी लाजवाब रचना और राजेंद्र जी के मधुर स्वर....
ओह...आनंद आ गया.....

बहुत बहुत आभार आपका इस बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्तित्व से परिचित करने के लिए ....

लाजवाब पोस्ट अति सुन्दर प्रस्तुति ...

शिक्षामित्र ने कहा…

एक अच्छी ग़ज़ल को एक अच्छे गायक से सुनने का लुत्फ ही कुछ और है।

Prem Farukhabadi ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति। बहुत अच्छा लगा!

कुमार राधारमण ने कहा…

एक कलाकार का गला गायक के गले से भिन्न होता है। कलाकार और गायक अगर संगीतकार भी हो,फिर तो कहने ही क्या!

honesty project democracy ने कहा…

भाई राजेन्द्र स्वर्णकार जी से मिलवाने के लिए आपका शुक्रिया ...शानदार पोस्ट ...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

हम तो राजेन्द्र स्वर्णकार जी के गातों के कायल हैं!

डॉ टी एस दराल ने कहा…

राजेंद्र जी से परिचय हो चुका है । बेहद प्रभावशाली , युवा कलाकार हैं । बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं ।
स्वरंकार नाम सही रखा है ।
साथ ही एक अच्छे इंसान भी हैं ।

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

वाह जितनी उम्दा गज़ल उतना उम्दा स्वर...
बढिया लगा राजेन्द्र जी से मिलकर और उनकी आवाज सुनकर..

Darshan Lal Baweja ने कहा…

बढिया लगा राजेन्द्र जी से मिलकर और उनकी आवाज सुनकर

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

समीर जी बधाई आपकी रचनाओं को ये खूबसूरत आवाज़ मिली ......

मगर अफ़सोस बहुत कोशिशों के बाद भी सुन नहीं पाई .......!!

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

लड़ाई झगड़ों की पोस्टों के बीच इस प्रकार की जुगलबंदी वास्तव में ही सुख देती है.

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत सुंदर लगा राजेंदर जी से मिलना. धन्यवाद

पंकज मिश्रा ने कहा…

समीर जी
बहुत बढिया!
राजेंद्र जी को शुभकामनाएं!

संजय @ मो सम कौन... ने कहा…

बहुत आनन्ददायक रही जी यह मुलाकात।
आपका शुक्रिया अदा करते हैं कि खूबसूरत गज़लें इतनी अच्छी आवाज में सुनने को मिलीं।

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

smeer ji.... sachmuch apne ek khas insan se sabaka prichay karvaya hai..... mein rajendra ji ke blog ko follow karati hun aur unki kabiliyat ki kayaal hun..... achhi post hai yeh badhai..... apko bhi aur rajendraji ko bhi

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

वाह!! बहुत खूब! समीर जी....आपकी रचना को राजेन्द्र जी की आवाज मे सुन ऐसा लगा जैसे कविता जीवंत हो उठी है...सच मे बहुत बढि़या गाया है उन्हें भी हमारी बधाई दीजिए..

दीपक 'मशाल' ने कहा…

राजेंद्र भाई को पहले भी सुनता, पढ़ता रहा हूँ... उनके बारे में आपने और भी जानकारी दी, जानकर अच्छा लगा.. ये आपकी ग़ज़ल अपने आप में किसी नगीने से कम नहीं लेकिन उनकी गज़ब की आवाज़ ने आपकी रचनाओं को और भी ऊंचाई प्रदान की है.. आभार..

संगीता पुरी ने कहा…

राजेन्‍द्र स्‍वर्णकार जी की कुछ रचनाओं को पढकर उनके बारे में थोडी जानकारी तो थी .. पर आपके इस लेख के माध्‍यम से और बहुत कुछ जानने को मिला .. सुंदर रचनाओं को एक अच्‍छी आवाज में सुनना अच्‍छा लगा !!

राजभाषा हिंदी ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति!
राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की शीघ्र उन्नति के लिए आवश्यक है।

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

श्री.राजेंद्र स्वर्णकार जी से मिल कर बहुत अच्छा लगा...

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

राजेन्‍द्रजी से मिलवाने के लिए आभार।

naresh singh ने कहा…

यह नहीं समझ पा रहा हूँ कि अल्फाज ज्यादा बढ़िया है या आवाज |वैसे राजेंद्रजी से फोन पर बाते हुयी है लेकिन गायन नहीं सुना था |

सदा ने कहा…

राजेन्‍द्र जी का परिचय, कुछ तो हीर जी के ब्‍लाग पर मिला था, और आज आपने इसे सम्‍पूर्ण कर दिया, रचनायें बहुत ही सुन्‍दर और आवाज का जादू पूरी तरह छाया रहा, बधाई के साथ आभार ।

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…

आदरणीय समीर जी
और
आप सब !
आप सबके स्नेह और ख़ुलूसो - मुहब्बत से अभिभूत हूं ।

एहसान मेरे दिल पॅ तुम्हारा है दोस्तों !
ये दिल तुम्हारे प्यार का मारा है दोस्तों !!


इतने प्यार के बदले में मेरे पास पर्याप्त शब्द भी नहीं ।

आभार ! शुक्रिया ! धन्यवाद ! जैसे शब्द आपके स्नेह के आगे बहुत छोटे हैं ।

अपना समझ कर बुला लेना , कभी भी ! कहीं भी !! हाज़िर हो जाऊंगा …
- राजेन्द्र स्वर्णकार

mehhekk ने कहा…

नशा तुम्हारी आँख में जो, डूबा डूबा कर ये होश ले लो
न जाने क्यूँ मैकदे में लाकर, मुझे तुम इतना पिला रहे हो.
es geet aur gazal ka nasha waise hi dil par cha gaya,apratim.waah.

विजय प्रकाश सिंह ने कहा…

राजेन्द्र जी के ब्लॉग पर अभी कुछ दिनो पूर्व ही जाना हुआ था । उनकी बेजोड़ रचनायें पढ़ी थी, आज यहां पर और भी जानकारी मिली । उनकी बहुमुखी प्रतिभा का कायल हो गया ।

रानीविशाल ने कहा…

राजेंद्र साहब से परिचय बहुत ही भड़िया रहा ....
आपकी दोनों ही रचना उनके मधुर स्वर सुन्दर तारतम्य से दिल खुश हो गया !
बहुत बहुत धन्यवाद आपका
सादर

Rajeev Bharol ने कहा…

सुंदर गीत/गज़ल जब सुंदर आवाज से मिलते हैं तो क्या जादू पैदा होता है!

बहुत आनंद आया.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

समीर भाई ... राजेंद्र जी इतना अच्छा गाते हैं उतना अच्छा लिखते भी हैं ... उनकी ज़ुबानी लिखा पढ़ कर बहुत अच्छा लगा ...

hem pandey ने कहा…

एक प्रतिभा का परिचय और उनका लिंक देने के लिए आभार.

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

kafi dino ke baad mera aana hua mafi chahungi .......

bahut 2 sukriya jo parichay paya razendra ji ka .......... aabhar is parichay ka ........

Urmi ने कहा…

राजेंद्र स्वर्णकार जी से परिचय करवाने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया! आपकी लिखी हुई भावपूर्ण रचना और स्वर्णकार जी की मधुर आवाज़ में सुनकर मन प्रसन्न हो गया! ये पंक्तियाँ तो दिल को छू गयी -
नहीं उसको बुलाता मैं, मगर वो रोज आती है
मेरी रातों की नींदों में, प्यार के गीत गाती है
मेरी आँखें जो खुलती हैं, अजब अहसास होता है
नमी आँखों में होती है, वो मुझसे दूर जाती है !

Akanksha Yadav ने कहा…

एक बेहतरीन कलाकार, गायक और उससे भी उपर एक बेहतरीन इन्सान श्री राजेन्द्र स्वर्णकार से. न कभी मुलाकात हुई, न कभी बात. बस, इन्टरनेट और ब्लॉग के माध्यम से परिचय हुआ और एक आत्मियता का रिश्ता कायम हो गया.... यही तो ब्लागिंग का फायदा है...मुलाकातें नहीं हुईं पर अपनत्व बन गया...शानदार पोस्ट..

Asha Joglekar ने कहा…

राजेन्द्र जी की आवाज और आपकी रचनाएँ समसमा संयोग ही कहेंगे । इतने अच्छे कलाकार, रचनाकार स्वर्णकार जी से परिचय कराने का आभार ।

अरुणेश मिश्र ने कहा…

धरती रत्नगर्भा है ।

ज्योति सिंह ने कहा…

मगर ये ख्वाब की दुनिया, हकीकत हो नहीं सकती
थिरकती है जो सपने में, वो मेरी हो नहीं सकती
भुला कर बात यह सारी, हमेशा ख्वाब देखे हैं
न हो दीदार गर उसके, तो कविता हो नहीं सकती.
kis kis ki tarif karoon har baat hi laazwaab hai yahan .bahut khoob .

नीरज गोस्वामी ने कहा…

समीर जी राजेंद्र भाई से मेरा भी आपकी तरह ही एक रूहानी रिश्ता है. कभी मिला नहीं लेकिन हमेशा ऐसा लगता है जैसे उनसे कभी बिछुड़ा ही नहीं हूँ...माँ सरस्वती के लाडले पुत्र हैं वो...लेखन और गायन में सिद्ध हस्त हैं लेकिन इन सब बातों से ऊपर वो एक बेहद नम्र और अपनी ज़मीन से जुड़े हुए इंसान हैं...आपकी रचनाएँ उनके माध्यम से सुन कर हम तो तृप्त हुए...
नीरज