रविवार, जुलाई 11, 2010

मेरा सजन चॉकलेटी...

तब तो नया नया आया था कनाडा. हालांकि नये पुराने से इस वाकिये पर कोई फरक नहीं पड़ता और न ही इस वजह से कि मैं समीर लाल हूँ. पूरा फरक सिर्फ इस बात का है कि मैं भारतीय पुरुष हूँ.

बहुत पहले भी एक बार मैं जिक्र कर चुका हूँ कि रंगों की पहचान के मामले में भारतीय पुरुष से ज्यादा निर्धन, दयनीय और निरीह प्राणी कोई नहीं होता. हम भारतीय पुरुषों को बस गिने चुने रंग मालूम होते है जैसे नीला, पीला, लाल ,गुलाबी, भूरा, हरा, सफेद और काला आदि. ज्यादा स्मार्ट रहे तो नीला और बैंगनी में फर्क कर लेंगे या काला और सिलेटी में. इसके आगे का काम लगभग से चल जाता है जैसे हल्का, गाढ़ा या करीब करीब हरा कह कर.

हुआ ऐसा कि एक मित्र का फोन आया कि उनके मित्र के पास एक शो के दो पास रखे हैं और वो कल शो देखने नहीं जा पायेंगे. मेरा मित्र जो फोन कर रहा था वो भी बिजी था, अतः मुझसे पूछा कि अगर जाना हो तो आप और भाभी चले जाओ. एक तो हम नये नये और फ्री का पास मिल रहा हो तो क्यूँ मना करते. हाँ कर दी. उसने अपने दोस्त का फोन नम्बर दे दिया और कहा कि जब ऑडिटोरियम जाने लगो तो उसे फोन कर देना. वो टिकिट भिजवा देगा वहीं.

इण्डिया से नये नये आये थे तो कमीज जो सबसे रंगीन सिलवा लाये थे, वही पहन कर निकले. ऑडिटोरियम के पास स्टेशन पर पहुँच कर फोन लगाया तो मित्र के मित्र, जो कि कनेडियन थे, ने कहा कि उनका लड़का ऑडिटोरियम की तरफ ही से निकल रहा है, आप उसको पार्किंग के सामने मिल जाना और टिकिट ले लेना. वैसे आप किस कलर की शर्ट पहने हैं, वो बता दिजिये तो मैं उसे मोबाईल पर इन्फार्म कर देता हूँ वो आपको देख लेगा और हाथ हिला देगा.


अब हमारी रंगीन कमीज फिरोजी. अंग्रेजी मे क्या बोलें?  बचाव का एक ही रास्ता था कि हमने कह दिया कि आप चिन्ता न करें, हम कार पहचान कर खुद ही पहुँच जायेंगे.आप हमें कार के बारे में बता दिजिये. पार्किंग में वो कार ले जाता तो उसे जबरदस्ती पार्किंग चार्जेज लग जाते अतः पार्किंग के बाहर सड़क पर मिलना ही तय पाया. पास भर तो लेना है, रुकने का क्या काम. उन्होंने बताया कि  वो टील कलर की सेडान कार से आयेगा. आप पहचान लेना और हाथ हिला देना.

फोन रख दिया और लगे सोचने कि ये भला कौन सा रंग होता है? आने जाने वाली कारों का ताँता लगा था और उनमें कम से कम पाँच तो ऐसे ऐसे रंग रहे होंगे आती जाती कारों के, जिन्हें हमारी सीमित पहचान क्षमता कोई भी नाम देने से इन्कार कर रही थी. एक होता तो बाकी पहचान कर उसे मान लेते टील. मगर यहाँ तो अनजान रंगों की भीड़ चली जा रही थी. ऐसे में हाथ हिलाने लगे तो सब पागल ही समझेंगे हर कार को हाथ हिलाता देख कर.

दस मिनट खड़े सोचते रहे. अपनी कमीज के रंग का अंग्रेजी भी याद नहीं आ रहा था आखिरकार हार कर बेवकूफ नजर आने से बेहतर विकल्प का सहारा लिया.

उन मित्र के मित्र को फिर से फोन लगाया और कहा कि एकाएक पत्नी की तबीयत खराब लगने लगी है. अतः तुरंत घर वापस जाना होगा. आप अपने बेटे से कह दिजिये कि वो परेशान न हो और किसी को भी पास दे दे या वेस्ट जाने दे.

उन्होंने ने भी सॉरी फील किया इस एकाएक तबीयत खराब हो जाने पर और हमारी तारीफ भी की कि हाँ, ऐसे शो तो होते रहेंगे. आप घर लौट जाईये. तबीयत ज्यादा जरुरी है.

पत्नी को बता दिया कि उनका लड़का कहीं जरुरी फंस गया है तो आ नहीं पा रहा है. लौटना पड़ेगा. घर आकर नेट पर अधिक से अधिक रंगों के नाम अंग्रेजी में सीखे. फिरोजी मतलब टर्काईस जान गये. टील रंग भी नेट पर देखा. खड़ी तो थी बिल्कुल उसी रंग की सेडान पार्किंग के सामने. मगर अब क्या, वो तो पास फेंक कर ४ घंटे पहले जा चुका होगा और शो भी खत्म हो चुका होगा.

अब तो मैं मर्जेन्टा, टैन, बर्गेन्डी जैसे कठिन रंग भी पहचान जाता हूँ मगर पत्नी की मूँह से सुना धानी रंग अभी पहचानना बाकी है. नेट पर मिल नहीं रहा और उससे पूँछू तो फिर वो ही-कौन बेवकूफ नजर आना चाहेगा.

कोई बता तो दो जी, कैसा होता है धानी रंग?

वैसे खुद के रंग के बारे में तो एक प्रमोशन तब मिला था, जब कनाड़ा आये थे. भारत में हमारा रंग काला कहलाता था और यदि किसी का जबरदस्त काम हमसे अटका हो तो मैक्सिमम सांवला कह लेता था मगर यहाँ तो सारे साऊथ एशियन ब्राउन कहलाते हैं. काले तो अफ्रीकन होते हैं. तो प्रमोट होकर हम काले से ब्राऊन हो लिए खुशी खुशी.

अभी एक रोज किसी बात पर किसी ने जिक्र के दौरान किसी चीज का रंग बताते हुए एक प्रमोशन और दे दिया..कि अमुक वस्तु लगभग चॉकलेट कलर की है लगभग तुम्हारे कलर के जैसी ही. आह!! वाह!! चॉकलेट कलर!! अब मैं तो इसे भी प्रमोशन ही मान कर चल रहा हूँ.

साधना को भी बता दिया है कि आज से हमारा रंग अंग्रेजी में चॉकलेटी..अब उसकी तरफ से एक गज़ल लिखूँगा..मिसरा है:

मेरा सजन चॉकलेटी, मैं वारी वारी जाऊँ.. :)

 

वैसे, कभी सोचता हूँ कि अगर रंग होते ही न तो क्या होता? दुनिया भले बेरंग होती मगर रंग भेदियों की जमात से तो कितनों को मुक्ति मिल गई होती. लेकिन इन्सान तो इन्सान है, तब झगड़ने का कोई और मुद्दा निकाल लेता.

नोट:
कृपया कोई भारतीय पुरुष सिर्फ इसलिए इस बात से आहत न महसूस करे कि उसे सब रंग मालूम हैं, अपवाद हर तरफ होते हैं और अगर आपको सारे रंग मालूम हैं तो आप अपवाद की श्रेणी के कहलाये.

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102 टिप्‍पणियां:

विवेक रस्तोगी ने कहा…

अरे वाह आप तो चॉकलेटी हो लिये !!

वैसे हम भी रंग पहचानने के मामले में कमजोर हैं, लगता है अब सीखना पढ़ेगा, ये भी पता होना चाहिये।

जैसे हम आज तक दाल को देखकर पहचान नहीं पाते हैं, कि कौन सी दाल है, अपने लिये तो दाल बस दाल ही है, वैसे ही रंग अपने लिये रंग ही है। पर मुझे लगता है कि ये छोटी छोटी चीजें कभी कभी बहुत जरुरी हो जाती हैं, इसलिये इनका पता होना चाहिये।

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

चलिए अब हम जान गए हैं की आपका कलर चाकलेट है...लेकिन चाकलेट भी तो कई कलर के हैं..
मसलन ..ब्राउन, ब्लैक और वाईट ...अब आप कौन से हैं ई भी तो कहिये...:)
वैसे हम जहाँ तक जानते हैं धानी रंग धान के रंग से मिलते जुलते रंग को कहते हैं...अब आप कहेंगे कि खेत में जो धान हैं उसका रंग कि खलिहान में जो धान हैं उसका रंग....
टील कलर ..फिरोजी, टोर्कोईस...जाने क्या क्या कलर है....सच ही है..हिन्दुस्तानी पुरुष ही क्यूँ इन देशो को छोड़ कर बाकि हर जगह के पुरुषों का यही हाल है...जब सद्दाम हुसैन के कमरे में अमेरिकन सैनिकों ने धावा बोला था तो वो हंस हंस कर लोट-पोट हो गए थे यह देख कर कि उसके बिस्तर पर गुलाबी चादर बिछी हुई थी...अब हमारे यहाँ के पुरुषों को क्या फर्क पड़ता है किस रंग कि चादर कहाँ बिछी है...ये सारे चोंचले यहीं हैं...
बहुत अच्छा लिखते हैं आप...
बस खुश हो जाता है मन ..पढ़ कर ही...

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

मुझे शोले फ़िल्म का एक संवाद याद आ रहा है
"मुझे तो सारे पुलिस वाले(रंग) एक जैसे ही नजर आते हैं"।


रंगो से खेलते जरुर हैं लेकिन पहचान कम ही है।
सिर्फ़ इतना ही जानते हैं "बैनीआहपीनाला" यही पढा था।

हा हा हा

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर ने कहा…

nam to hamane hee tay kiye hain. narayan narayan

Sunil Kumar ने कहा…

सच्चाई से लिखी गयी रचना को नमन मज़ा आ गया

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी ने कहा…

आपने मित्र के मित्र के लड़के का मोबाइल नम्बर क्यों नहीं लिया? रिंग बजाते ही आप भाँप जाते कि से्डान और पास कहाँ है, और यह भी जान जाते कि टील रंग कैसा होता है।

खैर, मजा आ गया आपका अनुभव जान कर। रंगों की पहचान के मामले में हम भी नॉर्मल भारतीय पुरुष जैसे ही हैं:)

Udan Tashtari ने कहा…

॒ सिद्धार्थ भाई

तब नया नया आया था, मेरे पास ही मोबाईल नहीं था. पब्लिक फोन से कैसे देखता?? :)

Manish ने कहा…

आप भी यादों में गोता लगा रहे हैं?

चाकलेटी!!!

ही ही ही बड़ा मज़ा आया…

कितने चाकलेट आपने खिलायी हैं? अपने जमाने में…
कनाडा की छोड़िये… भारत में.… :)

वैसे रंगों के नाम मुझे पता नही, अलग अलग किस्म के रंग आजकल दिखते हैं…
हमारे भारतीय कलर बाक्स में तो केवल 12 ही थे

वाणी गीत ने कहा…

जहाँ तक मैं जानती हूँ बिना दाढ़ी मूंछ के पुरुषों को चौकलेटी कहा जाता है ...

इन अलग अलग अंग्रेजी रंगों के नाम डिस्टेम्पर, आयल कलर, नेलपैंट के विज्ञापन में मिल जायेंगे ...हाँ ...धानी , आबनूसी, कसूमल आदि देसी रंग तो सिर्फ अनुभूति की सीमा में आते हैं ...

Smart Indian ने कहा…

धानी तो आपकी तस्वीर में दीवार पर लगी तसवीर की पृष्ठभूमि में दिख रहा है (हरे-पीले का संगम जैसा)... और मजेंटा (Magenta) में "र" नहीं होता है आजकल।

सूर्यकान्त गुप्ता ने कहा…

अच्छा लगा 'कलर' पुराण। हर बारह किलोमीटर के बाद बोली मे अंतर आ जाता है तो यहां सात समन्दर पार वाली बात थी और उपर से हमारी मातृ भाषा नही। फरक तो पड़ता है भाई।

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } ने कहा…

a color full post .
कलर के मामले में हम भी आप से कुछ पीछे ही है . ७ रंग ही आते है पह्चानना .

Avinash Chandra ने कहा…

waah!

Ye bahut pasand aaya..rochak.
bahut badhiya likha hai aapne..

Aur dhani to dhaan ka wo rang hota hai jo dhan ki faliyaan lagne par aata hai.

Apni halki-lagbhag wali bhasha me kahein to... katai se kuchh hafto pahle ka.. "HALKA peelapan liye HALKA hara"

:)

Shabad shabad ने कहा…

अच्छी लगी रंगो की रंगीली बातें....
Aqua और Cyan जैसे रंग भी सुची में रख लो....
पंजाब में कुछ और रंग भी प्रचलित हैं...जैसे
'कड़ाह रंगा'
नसवारी
तोते रंगा
सलेटी.....

हरदीप

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

हमारा काम तो काला, सफेद और रंगीन से चल जाता है। रंगदार पोस्ट। सुना है अधिक चॉकलेट खाने से दाँत खराब हो जाते हैं ।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत बढ़िया संस्मरण...आपका यह रंग पुराण बढ़िया लगा....गज़ल का इंतज़ार है...

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

भारत में छिलके वाले चावल को धान कहते हैं। इसलिए लाइट क्रीम से रंग को धानी कहा जाता है। वैसे संस्‍मरण रहा खूब। भारत में भी आजकल नये रंगों के नाम की फसल लहलहाने लगी है और कई बार बड़ी कठिनाई सी हो जाती है।

PAWAN VIJAY ने कहा…

हम भारतीयों को और रंगों की पहचान हो ना हो पर प्यार के रंग की अच्छी
पहचान है.

Khushdeep Sehgal ने कहा…

गुरुदेव,
मैं तो यही जानता हूं कि हर रंग कुछ कहता है...

कभी लिपिस्टिक के शेड्स चुनते देखिए किसी महिला को सब रंग समझ आ जाएंगे...

वैसे धानी की बात है तो रंग तो मेरे ख्याल से धान जैसा ही यानि हरा ही होगा...हां, रब ने बना दी जोड़ी फिल्म में शाहरुख खॉन अपनी हीरोइन अनुष्का को ज़रूर धानी जी बुलाते थे...

जय हिंद...

रंजू भाटिया ने कहा…

वाह :) बहुत बढ़िया ...रंग के रंग में रंगी पोस्ट :)

अन्तर सोहिल ने कहा…

हमें तो पांच रंगों के नाम लिखने होते थे पेपर में और आज तक वही याद हैं। पहचान भी उन्हीं रंगों को पाते हैं बस।:)

आपकी पोस्ट पढने के बाद ऐसा लगता है कि अब और कुछ पढने लायक होगा ही नहीं ब्लाग्स में। सच कह रहा हूं कसम से

प्रणाम

डॉ महेश सिन्हा ने कहा…

धानी तो चुनरिया सुनी थी
रानी सुना है आपने

Rangnath Singh ने कहा…

चाकलेटी बनने के लिए बधाई :-)

रंजन ने कहा…

कितने कलर.. किस किस का पता करें...

बधाई नया रंग पाने की...:)

मजेदार.

निर्मला कपिला ने कहा…

समीर जी ,किसी रंग की परिभाषा का ये दूसरा प्रयोग देख रही हूँ। चाकलेटी सजन--- पहला अर्श की एक गज़ल मे जामुनी लडकियाँ का देखा था। रोचक पोस्ट है। धन्यवाद।

shikha varshney ने कहा…

आपकी पोस्ट पर आते ही दिन का हसने का कोटा पूरा हो जाता है :) जबर्दस्त्त अनुभव हैं ..और धनि रंग हल्का हरा टाइप होता है कुछ कुछ तोते जैसा.
चाकलेटी हीरो हमारे बॉलीवुड में खूब चलते हैं आ जाइये :)
..

vandana gupta ने कहा…

क्या बात है………………कभी कभी ऐसे नयी चीज़ सीखने को मिल जाती है।

P.N. Subramanian ने कहा…

प्रमोशन की बधाईयाँ स्वीकार करें.

दीपक 'मशाल' ने कहा…

अब क्या कहूं,, मुझे तो फिरोजी भी नहीं पाता.. हा हा हा.. मजेदार संस्मरण.. कुछ सीखा तो आपने भी अब मैं भी ढूंढ रहा हूँ नेट पर रंग.. :P

शिवम् मिश्रा ने कहा…

रंगों के मामले में तो साहब अपना हाथ भी थोडा तंग ही है ! सो ज्यादा बोलते ही नहीं जहाँ भी रंगों की चर्चा हो !

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

रंगों का अदभुद संयोजन ! अब भारत में भी पश्चिम की तरह रंगों की विशाल श्रंखला जानी जाने लगी है जैसे कल ही पत्नी के इ-स्कूटी बटरी से चलने वाली... वहां स्कूटी के कई रंग थे.. लाल के कई रूप थे... ब्लू के भी चार पांच वरिअशन थे... इस्सी तरह सिल्वर के भी... जैसे पर्ल सिल्वर , ग्रे सिल्वर, ओलिव सिल्वर , आदि आदि ... वैसे आपका संस्मरण काफी अच्छा लगा ... हार्दिक बधाई ! बहुत सहजता से गंभीर बात कह जाते हैं आप...

Himanshu Mohan ने कहा…

रंग तो रंग,
हम से तो हुलिया भी बयान नहीं किया जाता।
न जाने कैसे महिलाएँ आनन-फ़ानन ये तय कर लेती हैं कि किस बच्चे की नाक किस पर गई है और आँखें किस पर।
रंग तो ये पहचान सकते हैं कि अलग है या मैच कर रहा है और ह्यू या टिण्ट कौन सा है। नाम बहुत मुश्किल है गुरू!
विपता जी से जुड़ी निकली हमारे भी,
बह कर आ लगे हम इस किनारे भी,
आप ने तो धानी रंग पूछ लिया-
पीच-मस्टर्ड-ऑनियन पूछ्ते बेचारे भी!
:)
:(
:-)

दिगम्बर नासवा ने कहा…

समीर भाई ... आप तो खुश हो गये चॉकलेटी बन के ... पर भाभी का क्या होगा ... वो तो चावकलेट की बहुत शौकीन हैं ...

राजकुमार सोनी ने कहा…

चाकलेट का कलर मामूली नहीं होता भाईसाहब
चाकलेट बच्चों को बड़ी प्रिय है
और आप तो बच्चों और बड़ों के बीच समान रूप से लोकप्रिय है.
मजेदार जानकारी दी आपने.

E-Guru _Rajeev_Nandan_Dwivedi ने कहा…

होत है चच्चा,
यहू होत है !
अब हम कपड़े के प्रकार आज तक नहीं समझ पाए !
सिल्क, टेरीकोट, सूती सब बराबर.
अरे इत्ता ही नहीं,
हर बाइक भी बस बाइक ही होती है हमारे लिए.
आप तो फिर भी अच्छे हैं.
ही ही ही

rashmi ravija ने कहा…

हा हा वाणी ने अच्छा याद दिलाया...ऋषि कपूर और कुमार गौरव को चौकलेटी हीरो कहा जाता था....अब आप थोड़ा और खुश हो लीजिये :)

फिरोजी रंग तो हमें मुंबई में भी एक्सप्लेन करने में बड़ी दिक्कत होती है ...और यहाँ के लोग टरकाईज़ भी नहीं जानते...पता नहीं,मराठी,मलयालम ,तमिल में उसे क्या कहा जाता है.

समयचक्र ने कहा…

अगर रंग होते ही न तो क्या होता ? दुनिया भले बेरंग होती मगर रंग भेदियों की जमात से तो कितनों को मुक्ति मिल गई होती....

कलरों की महिमा अपरम्पार है .... बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति....

naresh singh ने कहा…

रंगों के मामले में हम तो कलर ब्लाईंड है | वैसे सांवले और काले में अपने पराये जितना ही फरक है |

Mansoor ali Hashmi ने कहा…

चचा ग़ालिब कह गए थे:
रंज से खूँ गर हुआ इन्सां तो मिट जता है रंज,
मुश्किलें इतनी पड़ी मुझ पर की आसाँ हो गयी.

इसे कुछ इस तरह कहले आपकी सोच के मुताबिक:

रंग से खूँ गर हुआ इन्सां बढ़ी है मुश्किलें,
होते गर बेरंग तो आसान था जीना यहाँ.


["जिसका सजन चाकलेटी, न क्यूँ इतराए!"]

-मंसूर अली हाश्मी
http://aatm-manthan.com

Mansoor ali Hashmi ने कहा…

चचा ग़ालिब कह गए थे:
रंज से खूँ गर हुआ इन्सां तो मिट जता है रंज,
मुश्किलें इतनी पड़ी मुझ पर की आसाँ हो गयी.

इसे कुछ इस तरह कहले आपकी सोच के मुताबिक:

रंग से खूँ गर हुआ इन्सां बढ़ी है मुश्किलें,
होते गर बेरंग तो आसान था जीना यहाँ.


["जिसका सजन चाकलेटी, न क्यूँ इतराए!"]

-मंसूर अली हाश्मी
http://aatm-manthan.com

sanu shukla ने कहा…

काफ़ी चाकलेटी चाकलेटी सा मजेदार संस्मरण है भाईसाहब....!! पढ़ कर आनंद आया ..!

Parul kanani ने कहा…

sir jeevan rangon ka khel hai..gar ehsaas mein koi rang na ho to soch bhi fail hai :)

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

आज तो हंसते-हंसते बुरा हाल हो गया.... वैसे अभी हंस रहे हैं, आपके जैसी स्थिति में फ़ंस गये तो रोते नज़र आयेंगे. हम भी अपना रंग-ज्ञान बढा ही लें.

डॉ टी एस दराल ने कहा…

हा हा हा ! इतने रंग गिना दिए । हमें तो एक रंग पसंद है --चौक्लेटी ।
लेकिन ये चेहरे का रिफ्लेक्शन शर्ट पर पड़ रहा है या शर्ट का चेहरे पर ।
वैसे मैच बड़ा ज़बरज़स्त कर रहा है ।

काश कि दुनिया में एक ही रंग होता --प्यार का रंग ।

Unknown ने कहा…

मजेदार

वीरेंद्र रावल ने कहा…

सर जी काफी colourful पोस्ट रही आपकी आज तो . हमारे जैसे तुच्छ ब्लोगरो के ब्लोगिंग जीवन काल में टिपण्णी रुपी रंग भरने के लिए खूब खूब साधुवाद . एक आप हैं जो हमें कनाडा से बैठे बैठे हिंदी में प्रोत्साहित करते हैं एक हम हैं जो हिंदुस्तान में बैठे बैठे गैर हिंदी भाषाओ को अपनाने के लिए मरे जा रहे हैं .
हम जैसो के लिए उर्जा का स्रोत बनने के लिए धन्यवाद् .

Arvind Mishra ने कहा…

हा हा हा धानी कुछ कुछ ग्रीन होता है क्या ..हा हा हा
अपनी भी जानकारी पर तरस आ रहा है

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

संस्मरण बहुत ही उपयोगी रहा!
--
आपक बारे में जानकारियों में इजाफा हुआ!

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

इस शानदार प्रोमोशन के लिये हार्दिक बधाई. भविष्य में और भी प्रोमोशन पाने की अग्रिम शुभकामनाएं.:

रामराम.

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

इस शानदार प्रोमोशन के लिये हार्दिक बधाई. भविष्य में और भी प्रोमोशन पाने की अग्रिम शुभकामनाएं.:

रामराम.

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

इस शानदार प्रोमोशन के लिये हार्दिक बधाई. भविष्य में और भी प्रोमोशन पाने की अग्रिम शुभकामनाएं.:

रामराम.

M VERMA ने कहा…

वैसे भी चाकलेटी रंग कोई एक रंग तो है नहीं कई रंगों का मिश्रण है. जिसमें सभी रंग घुले हो वह रंगीला होगा.
दूर से ही (रूबरू मिले बगैर) मेरे अनुमान के अनुसार (आक्टोपसी पूर्वोक्ति) आप रंगीले होंगे ही. (गलत तो नहीं हूँ?)
वैसे मैं भी वैसा ही हूँ (रंग के मामले में)

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

उफ़ पता है होंठ थक गए हैं मुस्कुराते मुस्कुराते...पर लेख था की खतम होने में ही नहीं आ रहा था.

हद है अब बस करिये...सारा आज ही हंसा डालेंगे क्या...और मुझे डर है की कहीं आने वाली गजल भी यही हाल न कर दे.

वैसे चोकलेट से ब्राउन कलर कहना ठीक रहेगा..क्युकी चोकलेट तो और भी डार्क हो जायेगा न????

संजय @ मो सम कौन... ने कहा…

समीर सर,
पोस्ट पढ़कर बहुत खुशी हुई कम से कम एक चीज में तो हम आप से कम नहीं हैं। रंग पहचानने में अपना हाथ भी ऐसा ही तंग था और है, आप तो नेट की मदद से फ़िर बहुत से रंग जान गये, अपन नहीं बदले अभी तक।

Amrendra Nath Tripathi ने कहा…

संवेदना का क्या रंग ? अज्ञानी ही रहें तभी बेहतर ! तब तो रंग जान लेने का कोई दावा नहीं !

आभा ने कहा…

लगता है,भारतीय पुरूष रंग पहचान प्रतियोगिता में स्त्रियों से हार जाएगें, यहाँ मेरे पति भी बहुत घाल मेल करते हैं-कहते हैं अरे यह नहीं वो वो पीली शर्ट और वह निकलती है ऑरेंज।चलिए रंगो के बहाने किस्सा पता चला.

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत खुब जी मजेदार, लेकिन दो टिकटो के लिये दो बार झुठ बोले आप, अब आप से झूठ बोला सीख लिया हम ने भी, आज फ़ोटू मै सची मुची चकलेटी लग रहे है? कही सच मै ही चकलेट तो नही लगाली शरीर पर, अजी कार का ना० भी तो लेते... लेकिन फ़िर पोस्ट केसे लिखते:)

डा० अमर कुमार ने कहा…


इँह.. इँह.. इँह !
हम तो आपसे आगे निकल गये..
अपुन बस दो रँग पैचानता है, गोरी और बोलेगा तो साँवली !
ब्लैक ? नक्को.. ब्लैक नको बोलने का, अपुन उनेको डार्क साँवली बोलेगा, मिस्टर ब्राउन मैन !
ब्राउन पहचनवाने का धन्यवाद !

बेनामी ने कहा…

समीर जी वाकई बहुत सुन्दर पोस्ट.......पूरी तरह से रंगों में रंगी हुई.

बेनामी ने कहा…

समीर जी वाकई बहुत सुन्दर पोस्ट.......पूरी तरह से रंगों में रंगी हुई.

शिवम् मिश्रा ने कहा…

बेहद उम्दा पोस्ट के लिए बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं!

आपकी चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं

Abhishek Ojha ने कहा…

:) अपने को तो.. हम्म... ५-६ से ज्यादा पहचानना तो मुश्किल ही है.

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

बहुत मज़ा आया बांच के उधरे बज़्ज़ पे बिठाये रहते है आप पोस्ट देर से देख पाते हैं हम

अजय कुमार ने कहा…

ओहो तो आप चाकलेटी हो गये हैं ,लेकिन वो मत कीजियेगा जो चाकलेटी हीरो करते हैं फिल्मों में ।

seema gupta ने कहा…

ha ha ha ha ha ha ha very intersting colourfull post same like chocklate ha ha ha

regards

girish pankaj ने कहा…

tippaniyon kee meenar ke neeche meri tippani..? dab hi jayegi. fir bhi. aapki pratibha ke chakleti rang bhi dekhe. badhai.

मनोज कुमार ने कहा…

इस रंगों मे क्या रखा है? दुनिया यों ही रंगबिरंगी है। अलग-अलग रंगों में दिखने से अच्छा है

सब सा दिखना छोड़कर खुद सा दिखना सीख
संभव है सब हो गलत, बस तू ही हो ठीक

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

namskaar sir, aaj aapke is rachna ko padha ,kafi rango ki jankari bhi mil gayi, aur gazal ka mukhda kafi achha laga..........

बेनामी ने कहा…

aapke sajan chokleti padh kar soch me hun ?
samerbhai kta baat hai?

अंजना ने कहा…

वाह समीर जी आप के रंगो का मंथन भी खूब रहा। :-)

वैसे धानी रंग को शायद मार्सूपीअल कहते है ।

रश्मि प्रभा... ने कहा…

aur likhne ka dhang indradhanushi

सदा ने कहा…

हमेशा की तरह अपने ही अंदाज में बेहतरीन रंगों से निखरी पोस्‍ट के लिये आभार ।

SATYA ने कहा…

बहुत खूब। रंगों की पहचान को नया आयाम दिया है आपने। शुभकामना।

ghughutibasuti ने कहा…

चॉकलेटी रंगत पर फिरोजी कमीज! क्या जम रही होगी!
यह टील कलर कौन सा होता है? हमें भी बता देते, कहाँ नेट पर ढूँढते बैठूँगी? धानी क्या पैरट कलर नहीं होता?
यह गज़ल बन जाए तो बताइएगा, मैं भी अपने घुघूत के लिए कविता पाठ की तरह सुनाऊँगी। गाकर उन्हें भगाना तो है नहीं।
घुघूती बासूती

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

mujhe to aapki har post padhni vaise hi achchi lagti hai .kyon ki lagata hai ki aapki post padh nahi rahi hun balki samne samne baat kar rahi hun. vaise yah chokleti rang man ko bahut bhaya.
poonam

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

छमा चाहते हैं,गजल का टाँग तोड़ने के लिए...बुरा लगे त बोल दीजिएगा, अऊर अच्छा लगे त साबासी दीजिएगा...आपका पोस्टवा में एक्के आनंद मिलता है कि लगता है कि नुक्कड़ पर बईठे मजा ले रहे हैं..
मेरा सजन चॉकलेटी मैं वारी जाऊँ
हिंदुस्तान की है माटी मैं वारी जाऊँ.

धानी चूनर देख रीझ जाए सजना
इसकी न खोजो अंगरेजी मैं वारी जाऊँ.

काले से ब्राउन हुआ, फिर चाकलेटी
साजन है या है कोई गिरगिट मैं वारी जाऊँ..

टैन, बार्गण्डी, टील,टरकाइज़, मैजेंटा
प्रेम रंग साचा है सखीरी, मैं वारी जाऊँ.

anju ने कहा…

aapki post padh kar apne pitaji ki rango ki pehchaan yaad aa gayi woh to bhoore(brown)rang ko bhi lal hi kahte hain.
agar rang na hote..........mukti mil gayi hoti.(dil ko chhoo gaya)

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

Rangon se bhari ye rang birangi post bahut ragili lagi yun hi post men rang bharte rahiye..

संजीव गौतम ने कहा…

ये रंगो का चक्कर तो अपन की भी समझ में नहीं आया. तोतई, आसमानी तो समझ मे आ जाते हैं. धानी रंग क्या धनिये से बना है? क्योंकि बारिश के बाद धरती का रंग धानी हो जाता है ऐसा सुना है.
बहरहाल पोस्ट बहुत अच्छी है और हां साखी पर ग़ज़लों को अपना दुलार देने के लिए शुक्रिया हालांकि ये नाकाफी है लेकिन फिर भी......

संजीव गौतम ने कहा…

धानी मतलब धान जैसा रंग. ये ज्यादा सही है

ELECTRICAL PANNEL ने कहा…

बापरे!! अजीब रंग हैं अब तो रंगों की पहचान जरूरी है !!

शोभना चौरे ने कहा…

पहले जमाने में सभी चाकलेटी हीरो हुआ करते थे जिसका कलर से कोई लेना देना नहीं था ...आपकी पोस्ट पढ़कर आनन्द आ गया |
वैसे हरे और पीले रंग के मिश्रण को "धानी "कलर कहते है
वो गाना भी तो है ,
धानी चुनरी पहन
सजके बनके दुल्हन
जाउंगी उनके घर
जिनसे लगी लगन
आयेगे जब सजन लूटने मेरा मन
बज उठेगी "हरे कांच की चूडिया "
"हरे कांच की चूड़ियाँ" फिल्म में सोनिया साहनी पर ये गीत फिल्माया था |

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

चाकलेटी बातें..बहुत सुन्दर.

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अब ''बाल-दुनिया'' पर भी बच्चों की बातें, बच्चों के बनाये चित्र और रचनाएँ, उनके ब्लॉगों की बातें , बाल-मन को सहेजती बड़ों की रचनाएँ और भी बहुत कुछ....आपकी रचनाओं का स्वागत है.

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

प्रोमोशन के लिए बधाइयाँ !

नीरज गोस्वामी ने कहा…

आपको याद होगा हमारे जमाने में कुछ फ़िल्मी हीरो हुआ करते थे जिन्हें चाकलेटी हीरो कहा जाता था...उनमें सबसे पहला नंबर था विश्वजीत का...(याद आया?) मुझे ख़ुशी है के कनाडा वालो ने कम से कम आपको चाकलेटी कह कर अपनी समझदारी का परिचय दे दिया है...अब इस रंग को संभल कर रखियेगा...याने जितना संभव हो धूप में नहला कर रखियेगा...कहीं गोरे हो गए तो क्या होगा सोचिये आप भी उनकी भीड़ में शामिल हो जायेंगे...चाकलेटी रंग आपको अलग पहचान दे रहा है...नहीं?
नीरज

पश्यंती शुक्ला. ने कहा…

बहुत मजा आया पढ़कर और उससे भी ज्यादा तारीफ आपकी इमानदारी की करुंगी...वेलडन सर.

प्रमोशन के लिए congrats.

ZEAL ने कहा…

Glad to know about your promotion to a lighter shade. A treat is due now .

But what about Sadhna bhabhi , who tolerated your coffee colour for past many years ?

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

समीर जी, चॉकलेटी की पहचान तो चाट के ही की जा सकती है। अगर ऐसी बात है, तो फिरकोई बात नहीं।
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पॉल बाबा की जादुई शक्ति के राज़।
सावधान, आपकी प्रोफाइल आपके कमेंट्स खा रही है।

दीपक बाबा ने कहा…

जय रामजी की
क्यों समीर दादा, क्या आपका अंदाज़ भी बदल गया है - अब गिरे को नहीं उठाते.

Aruna Kapoor ने कहा…

क्या कहे समीर जी...पढतें पढते हुम खुद ही इस चॉकलेटी रंग में रंग गए... बहुत खूब!

mehhekk ने कहा…

waah bahut se rangon ki jankari mili aaj:) ur haan choclati rang ke pramotion ke liye bahut badhai:).
vaise wo chinni ki cherry ke liye masti dekh bahut achha laga.:)

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

ठीक कहा आपने. रंग तो हम भी नहीं पहचानते..! श्रीमती जी बार-बार मजाक उड़ातीं हैं.
..रोचक संस्मरण.

शशांक शुक्ला ने कहा…

चलिए इसी बहाने विदेशियों ने किसी भारतीय में मिठास तो भांपी

साधवी ने कहा…

प्रमोशन की बधाई. :)

राजेश स्वार्थी ने कहा…

he he, aapke sath jo kisse hote he, wo kisi aur ke sath kyun nahi hote. :)

Kusum Thakur ने कहा…

आपको प्रमोशन के लिए बधाई ....मज़ा आ गया आपके पोस्ट पढ़कर !!

संजय तिवारी ने कहा…

चच्चा का प्रमोशन, अब तो पार्टी दिजिये. :)

आर.के.गुप्ता ने कहा…

तारीफ के काबिल लेखन, बधाई.

ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηι ने कहा…

आपका संस्मरण पढ कर मुझे आज ये अह्सास हुआ कि शायद पद्यांश से अच्छा गद्यांश होता है। आनद की अनुभूति प्रदान करने के लिये धन्य्वाद।

कबीरा खड़ा बाजार में... ने कहा…

shatik. vishaya ka sundar chayan kia hi Apne. Dhani rang dhan kay ptya ki tarha hota hoga jee.

Asha Joglekar ने कहा…

सजन चॉकलेटी क्या बात है , सलोना सुना, छोटा सुना, सांवरा सुना पर ये तो गज़ब । बैठे बिठाये कैडबरी का मज़ा आ गया । प्रमोशन की बधाई ।

Madhu chaurasia, journalist ने कहा…

चॉकलेटी रंग में आप काफी फब रहे हैं सर..खैर साधना मैडम ने भले ही ये बात अब कही हो 'मेरा सजन चॉकलेटी'...लेकिन परख तो वो सालों पहले गई होंगी...उनका राज अब खुल रहा है...बेहद अच्छा लेख।