गुरुवार, अगस्त 02, 2007

अनुगूँज: हिन्दुस्तान अमरीका बन जाये तो कैसा होगा!!

अनुगूँज 24: हिन्दुस्तान अमरीका बन जाए तो कैसा होगा - पाँच बातें





अगर भारत अमरीका हो जाये तब तो क्या कहने? ऐसी ऐसी उठा पटक मचेगी, कम से कम शुरु के दिनों में, कि लोग दाँतों तले ऊंगलियाँ दबा लेंगे. बड़ी बड़ी विचित्र सी तस्वीरें उभर रहीं है यह सोचते ही.

१. सबसे बड़ा अंतर जो सूरदासी आँखें भी देख सकेंगी कि जो आज किसी काम के नहीं, वो एकाएक सबसे जरुरी हो जायेंगे और जो आज अपनी पोजिशन की शेखी में ईठलाये घूमते हैं, उनकी पूछ शून्य याने कि काया पलट और इसका उच्चतम उदाहरण होगा कि राष्ट्रपति और राज्यपालों की तूती बोलेगी और प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों का तो आप समझ ही गये. कहो, घर वाले भगा दें कि नाक कटवा दी, निक्कमे. दिन भर खाली घर में बैठा रहता है. मैडम मैडम करने की आदत से बाज आ जा. अभी भी समय है, कहीं नौकरी तलाश ले.

मुझे लगता है कि हमारा राष्ट्रपति भी तो मैचिंग ही होता. लालू जी कैसे रहेंगे? और करना भी क्या है. कुछ उल-जलुल काम. कुछ बम पटाखे फोड़ने वाले आदेश और बाकी समय किसी कन्ट्री साईड में छुट्टी पर. आधे से ज्यादा कार्यकाल तो छुट्टी छुट्टी में ही बीत जायेगा.

हमारे राष्ट्रपति २४ घंटे टीवी पर जनता से माफी मांग रहे होंगे क्योंकि अमरीका में जब थोड़ा लम्बी बिजली चली जाती है तो राष्ट्रपति टीवी पर जनता को हुई परेशानी के लिये माफी मांगते हैं. याद है जब अगस्त १४, २००३ को नार्थ अमरीका में पावर फेलूयर हो गया था.

२. कश्मीर का टंटा तो एकदम ही खत्म हो जाता. मुशर्रफ घुटना टिकाये आते और हमारे राष्ट्रपति जी को जन्म दिन के तोहफे में कश्मीर दे जाते. उपर से निवेदन करते कि मालिक, कृपा बनाये रखना. हम लोग भी याचक भाव देखकर कुछ लोन वोन माफ कर देते और कुछ मिसाईलें पकडा देते कि जाओ, खेलो. अब बदमाशी मत करना. अभी हम व्यस्त हैं अपने यहाँ आ रही बाढ़ों के नामकरण में-कटरीना, रीता और न जाने क्या क्या.

३.बिन लादेन का दुश्मन भारत हो जायेगा. बिन लादेन पलायन करके सुदूर देश अमरीका में छिप जायेगा. काहे से की वो अपने सबसे कट्टर दुश्मन से कम से कम सात समन्दर पार रहने का आदी है. भारत की सेनायें कनाडा में जगह जगह छितराई समय समय पर बेमतलब बम पटाखा फोड़ फोड़ कर खुश होती रहेंगी कि लादेन पकड़ में आने वाला है. जैसा कि अभी सुनते हैं, वो छिपा पाकिस्तान में है और अमरीकी फौजें उसे खोजती हैं अफगानिस्तान में.

इसी कड़ी में एक और घटना होगी कि लादेन लाख कोशिश कर लें, उसके जवान बिना स्टाईल बदले शहीद नहीं हो पायेंगे. वो हवाई जहाज हाई जैक करके बिल्डींग में घूसने की तैयारी करेंगे तो अव्वल तो उतनी ऊँची बिल्डींग मिलेगी ही नहीं, जिसमें हवाई जहाज घूस जाये. और गर मिल भी जाये, तो सुबह सुबह ९-१० बजे दफ्तर में होगा कौन? गिरा लो बिल्डींग. कोई मरा ही नहीं.
कई बार तो मुझे लगता है कि बिल्डींग में हवाई जहाज घुसे, उसके पहले ही हवाई जहाज की इत्ती तेज आवाज से ही बिल्डींग गिर जायेगी और हवाई जहाज उड़ते हुये दूसरी तरफ निकल जायेगा. लो फिर हवाई जहाज का भी कोई नहीं मरा. मैंने देखा है, चर्नी रोड़ मुम्बई में लोकल लाईन के बाजू की जवान बिल्डींग ट्रेनों के आवाजाही से उठे कंपन को नहीं झेल पायी थी और एक रात १:४० की लास्ट लोकल को गुड़ नाईट करते खुद धडधडा कर गुड बाय हो गई थी.शायद १९८३-८४ की बात है.

४. आज सद्दाम हुसैन जिन्दा होते भले ही जेल में होते. उन्हें फाँसी की सजा सुनाई जाती. वो राष्ट्रपति से गुहार लगाते. फाँसी रोक दी जाती. और फिर उनका गुनाह तो अफजल टाईप भी नहीं. वो तो अपने घर के अंदर ही हुडदंग मचाये थे. पक्का माफ हो जाती फाँसी. अब तो उसकी किस्मत ही खराब कही जा सकती है कि भारत के अमरीका होने के पहले ही वो टांग दिये गये. फिर भी हमारी फोजें इराक में मुश्तैदी से तैनात रह कर शांति स्थापित कर रही होती. कई सैनिकों के ट्रान्सफर आर्डर आते कि अब आपका ट्रान्सफर इराक से कुवैत हो गया है. भारत फौंजो के खर्च के नाम पर आराम से कुवैत और इराक का तेल लूट रहा होता.

५. विचार उठता है कि तब शाहरुख खान एड्स उन्मुलन के लिये अमरीका आते और एनजिलिना जोली को मंच पर चुम्बन ही चुम्बन जड़ देते. सी एन एन टाईप न्यूज चैनल ढ़ोल पीट पीट कर बार बार चुम्बन प्रकरण पूरे अमरीका में दिखा रहे होते. लोग हाय हाय करते रह जाते और शाहरुख वापस भारत में ऑस्कर अवार्ड लेने और ऑस्कर अवार्ड का इस बार संचालन करेंगे आपके अपने करन जौहर.

ऐसे में जाने क्या क्या हो जाये,
अगर भारत ही अमरीका हो जाये
हम भी आज लाईन में लगे होते
काश! भारत का वीसा मिल जाये.

गंभीर नोट: यह रचना विषय के आधार पर उड़न तश्तरी की एक काल्पनिक उडान मात्र है. इसके माध्यम से किसी पद या व्यक्ति की गरिमा को कोई ठेस पहुँचाने इरादा नहीं है फिर भी यदि किसी को ठेस पहुँची हो तो अमरीकन स्टाईल दाँत चियारे हमारी सॉरी. :) Indli - Hindi News, Blogs, Links

28 टिप्‍पणियां:

Arun Arora ने कहा…

भाइ अभी 25% नही बना है,तो क्या हाल है जरा देखो,माल्स मे और बाकी जगह ,बन गया तो ...हे भगवान मुझे तो उस नजारे से पहले बुला लेना,कि अगली पीढी के चोराहो पर मुक्त सेक्स और संसकृति लेप्स के नजारे को इन आखो से देखना पडे

अनुराग श्रीवास्तव ने कहा…

"सुबह ९-१० बजे दफ्तर में होगा कौन? गिरा लो बिल्डींग. कोई मरा ही नहीं.
कई बार तो मुझे लगता है कि बिल्डींग में हवाई जहाज घुसे, उसके पहले ही हवाई जहाज की इत्ती तेज आवाज से ही बिल्डींग गिर जायेगी और हवाई जहाज उड़ते हुये दूसरी तरफ निकल जायेगा. लो फिर हवाई जहाज का भी कोई नहीं मरा."

सटीक !!

Laxmi ने कहा…

अच्छी कल्पना की उड़ान भरी है। बिन लाडन पाकिस्तान में है और उसे अफ़गानिस्तान में ढ़ूँढ़ने की बात से एक कहानी याद आई। एक आदमी सड़क पर कोई चीज़ खोज रहा था। लोगों ने पूछा कि यह चीज़ कहाँ गिरी थी। उसने बताया, " घर मे ।" लोगों ने पूछा, "फिर सड़क पर क्यों खोज रहे हो?" उसने कहा, "क्योंकि सड़क पर बत्ती जल रही है और घर में अँधेरा है।"

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

वैसे तो इस कम्पीटीशन - बिल्डिंग गिराने का नहीं; लेख लिखने का; में भाग लेने का कोई इरादा नहीं. पर अगले 2-3 दिन में डेली पोस्ट के लिये टॉपिक न मिला तो शायद इसी विषय पर घसीट मारें. लिहाजा अपने विचार लिख कर क्या कहें. :)

यह जरूर है कि समीर लाल स्टाइल में टिप्पणी जरूर कर सकते हैं - आप बहुत अच्छा लिखते हैं, बहुत सम्भावनाये हैं और आपसे बहुत उम्मीदें हैं. आप लिखते रहें. हम पढ़ते रहेंगे इत्यादि-इत्यादि! :)

Pramendra Pratap Singh ने कहा…

चकाचक लिखा है।

हमने तो विशेष तौर पर नीचे वाली लाइन को पढ़ा, अब आप कह रहे है तो विवाद नही करते है। नही तो पूरा मन बना कर आये थे।

बेनामी ने कहा…

सही शैली है । प्रभुजी मान गये आपको :)

Sanjay Tiwari ने कहा…

अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव की तैयारियां चल रही हैं. जनता का एक सर्वेक्षण आया है. इसे डव्ल्यूएसजे और एनबीसी ने संयुक्त रूप से 27 से 30 जुलाई के बीच आयोजित किया था. इस सर्वे में 1005 युवक/युवतियों को शामिल किया गया.

सवाल पूछा गया-
आपको अर्थव्यवस्था की कौन सी एक-दो बातें सबसे ज्यादा चिंतित करती हैं -

जवाब मिला-
स्वास्थ्य सेवाओं का खर्च- 44 प्रतिशत
देश से बाहर जाती नौकरियां - 34 प्रतिशत
अमीर-गरीब का अंतर- 22 प्रतिशत
मंहगी उच्च शिक्षा - 17 प्रतिशत
संघीय बजट घाटा - 16 प्रतिशत
अच्छी तनख्वाह वाली नौकरियों की कमी- 15 प्र0
मंहगे घर - 14 प्रतिशत

लब्बोलुआब यह कि मंहगाई ने मार रखा है. थोड़ा और तह में जाएं तो कंपनियों की गुलामी बर्दाश्त नहीं. थोड़ा और गहरे उतरें तो अर्थव्यवस्था का यह माडल ठीक नहीं जहां व्यक्ति की आवश्यकताएं और उसकी कीमत कंपनियां तय करती हैं वहां जीना कितना दूभर है. सहज-सरल जीवन कंपनीराज के प्रभाव में आने के बाद कितना दुरूह और जटिल हो जाता है इसके लक्षण इस सर्वे में दिख रहे हैं.

पहले कारपोरेशन व्यवसाय के लिए व्यक्ति के लिए सपोर्टिंग गुड्स का कारोबार करके पैसा बनाती थीं. अब वे जीवन के लिए जरूरी क्षेत्रों को अपना व्यावसायिक क्षेत्र बना रही हैं. स्वास्थ्य, भोजन, पानी, शिक्षा और उर्जा अब कारपोरेशन्स के लिए व्यावसाय का विषय हो गया है. यही अमेरिकन मॉडल आफ इकोनामी है.

यह अमेरिकी मॉडल आफ इकोनामी भारत में तेजी से फैल रही है. स्वास्थ्य सेवाएं, बिजली, पानी, शिक्षा, भोजन जैसे मूलभूत आवश्यकताओं को कंपनियों के हवाले किया जा रहा है. तस्वीर क्या होगी आनेवाले सालों में यह आसानी से समझा जा सकता है.

अमरीका युद्ध संस्कृति का देश है भारत बुद्ध संस्कृति का देश. अमेरिका भोगवाद का प्रहरी है और भारत योगवाद का साधक. लालू-तालू जैसे लोगों का उदाहरण देकर हिन्दुतान को मजाक में भी अमरीका बनाने का सपना नहीं देखना चाहिए.

Satyendra Prasad Srivastava ने कहा…

फिर तो भाई आप पाकिस्तान से उड़न तश्तरी उड़ा रहे होते। ग़ज़ब की उड़ान भरी है आपने। जबर्दस्त कल्पना। मजा आ गया।

पंकज बेंगाणी ने कहा…

आये हाये.. मजा आ गया. खील गए लालाजी इस लेख में तो. :)


बहुत मस्त लिखा है. :)

Sanjeet Tripathi ने कहा…

हा हा, मजा आ गया!!
खालिस समीराई रचना के लिए बधाई!!

संजय बेंगाणी ने कहा…

चुन चुन कर मुद्दे रखे है. हवाई जहाज व रेल वाला प्रकरण मजेदार रहा. :)
सरकार को एक माफी मांगु मंत्री रखना पड़ेगा. जो बिजली जाते ही माफी माँगे, यानी दिन में पाँच बार. :)

Unknown ने कहा…

वाह गुरु, सही तस्वीर खींची है, सिर्फ़ एक बात और छूट गई कि कुंवारी माँओं की संख्या आज के अमेरिका से कम से कम चार गुनी तो रहेगी ही.. बढिया लेख

Jitendra Chaudhary ने कहा…

गज़ब किए हो गुरुदेव! एकदम सॉलिड। अनछुए हिस्से बयां कर दिए, हम तो आतंकवाद वाला मुद्दा छोड़ दिए थे, लेकिन आप एकदम सॉलिड कवर किए हो।

मजा आ गया। लगे रहो गुलफ़ाम। ये अनुगूँज खत्म होने के बाद बाकी के प्वाइन्ट भी लिख डालो, वो का है कि प्वाइन्ट बहुत है, लेकिन माइनस मार्किंग के चक्कर मे सिर्फ़ ५ ही लिखे गए है। है ना?...

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

समीर जी,पढ़्कर मजा आ गया। सचमुच मान गए आपकी पारखी नजर को!क्या खूब अमरीका बनाया है हिन्दुस्तान का।

गरिमा ने कहा…

"सुबह ९-१० बजे दफ्तर में होगा कौन? गिरा लो बिल्डींग. कोई मरा ही नहीं.
कई बार तो मुझे लगता है कि बिल्डींग में हवाई जहाज घुसे, उसके पहले ही हवाई जहाज की इत्ती तेज आवाज से ही बिल्डींग गिर जायेगी और हवाई जहाज उड़ते हुये दूसरी तरफ निकल जायेगा. लो फिर हवाई जहाज का भी कोई नहीं मरा."
"मुझे लगता है कि हमारा राष्ट्रपति भी तो मैचिंग ही होता. लालू जी कैसे रहेंगे? और करना भी क्या है. कुछ उल-जलुल काम. कुछ बम पटाखे फोड़ने वाले आदेश और बाकी समय किसी कन्ट्री साईड में छुट्टी पर."

अब कुछ रहने को रहा ही कहा.. :)

अंकुर गुप्ता ने कहा…

जबरदस्त लिखा. व्यंग्य बाणो से हंसा हंसा कर लोट पोट कर दिया. हा! हा!! हा!!!

बेनामी ने कहा…

वाह जी वाह, छा गए!! :)

अभी हम व्यस्त हैं अपने यहाँ आ रही बाढ़ों के नामकरण में-कटरीना, रीता और न जाने क्या क्या.

अजी नहीं, नाम यूँ होते; जनता-नाशिनी, सर्वस्व-नाशिनी.... ;)

@संजय बेंगाणी
सरकार को एक माफी मांगु मंत्री रखना पड़ेगा. जो बिजली जाते ही माफी माँगे, यानी दिन में पाँच बार. :)

संजय भाई, दो दिन बाद वो मंत्री नौकरी से ही माफ़ी माँग जाएगा!! ;) आप भूल गए कि मंत्रियों को काम करना पसंद नहीं, वह भी वो जिसमें ऊपर की कमाई न हो!! ;)

बेनामी ने कहा…

अच्छा है। लेख अच्छा लगा। टिप्पणियां भी। खासकर संजय तिवारी की। पाण्डेयजी लिखे तो अच्छा है।

ALOK PURANIK ने कहा…

भारत अगर अमेरिका हो जायेगा, पाकिस्तान बहुत सलीके से पेश आयेगा। भारत से कहेगा, जी कश्मीर का हम तो पूरे ही आपके हैं। पाकिस्तान को चलाने वाले अल्लाह हैं, या अमेरिका है या आर्मी है। अमेरिका के प्रति नमन भाव रहेगा, तो भारत के प्रति दुश्मनी का गमन भाव हो जायेगा।

सुजाता ने कहा…

बहुत खूब लिखा । व्यन्ग्य भी बडे तीखे और मारक है‍ ।आपकी व्यन्ग्य मिसाइल अमरीका के पास नही है ।यह खुद का मज़ाक उडा पाना उसके बस की बात नही ।

Divine India ने कहा…

मस्त हो गये सर जी…
वाह क्या शैली है…।

sanjay patel ने कहा…

दादा...झन्नाट स्टफ़ दिया ...कहीं आपको सोनिया जी यू.एस. में भारत का राजदूत नियुक्त न कर दें.और कुछ हो न हो आपके कार्यकाल में हम हिन्दी ब्लाँगर (ग़रीब)भाई - भैन न्यूयार्क में एक सम्मेलन ज़रूर कर लेंगे. और अभी हाल में जो हुआ उससे कहीं अच्छा करेंगे.(प्रतिनिधि मण्डल में मेरा ध्यान रखना जी)जैसी सबकी चेती ..आपकी भी चेते.

Udan Tashtari ने कहा…

अरुण भाई

अरे भाई, यह तो हास्य व्यंग्य में सिर्फ विषयाधारित कल्पना की जा रही है. परेशान न हों, शायद आप अमरीका में ही हर चौराहों पर आरती होते देखें जिस हिसाब से उनका भारत के प्रति रुझान बढ़ रहा है.


अनुराग भाई

आभार.


लक्ष्मी जी

लतीफा बढ़िया है. हा हा!! आभार.


ज्ञानदत्त जी

हमने देख लिया है कि आपने इस काम्पटीशन के लिये समय निकाल लिया है हमारी रेक्यूवेस्ट पर तो आभार और समीर लाल स्टाईल टिप्पणी के लिये अनेकों आभार. :)

प्रमेन्द्र

अच्छा हुआ हमने नीचे वाली लाईन लिख दी थी, है न!! :)

बहुत धन्यवाद रचना को चकाचक घोषित करने के लिये.

प्रेम जी

बस ऐसे ही आते रहें, हौसला बना रहेगा. :)

Udan Tashtari ने कहा…

संजय भाई

अरे भाई, यह तो हास्य व्यंग्य में सिर्फ विषयाधारित कल्पना की जा रही है. परेशान न हों, हमारी तमन्ना तो यह है कि शायद आप अमरीका में ही हर चौराहों पर आरती होते देखें जिस हिसाब से उनका भारत के प्रति रुझान बढ़ रहा है.

आपकी बातों से सहमत हूँ.


सत्येन्द्र भाई

आप को आनन्द आया, अच्छा लगा. आभार.

पंकज

अरे वाह, बहुत धन्यवाद कहूँ. :)

संजीत

बहुत शुक्रिया.

संजय भाई

हा हा!! माफी मांगू मंत्री. :) बहुत धन्यवाद पसंद करने का.


सुरेश भाई

पाँच बातों पर बेरियर लगा था न भाई, फिर माईनस मार्किंग. पसंद करने का आभार.

Udan Tashtari ने कहा…

जीतू भाई

वाह वाह!! बहुत मजा तो तब आया जब जीतू भाई को मजा आ गया. और लाया जायेगा अभी तो लिमिट लगी थी ५ पाईंट की. आभार पसंद करने का.

परमजीत भाई

पसंद करने के लिये आभार.

गरिमा जी

अरे, फिर भी कोशिश करें कुछ नई बात निकलेगी. :) आपके पधारने का आभार. हौसला बढ़ाती रहें.


अंकुर भाई

चलो, अच्छा हुआ. उद्देश्य पूरा हुआ. बहुत धन्यवाद.

अमित भाई

सही नाम सजेस्ट किये. :)

संजय भाई का अब शंका समाधान हो गया होगा.
:)

हौसला बढ़ाने का आभार.

Udan Tashtari ने कहा…

अनूप भाई

बहुत आभार हमेशा की तरह हौसला बढ़ाने का.

आलोक पुराणीक जी

सही कह रहे हैं आप बिल्कुल.


सुजाता जी

हौसला बढ़ाने और रचना पसंद करने का बहुत आभार. आती रहें यूँ ही.


दिव्याभ भाई

बहुत आभार पसंद करने का.


संजय पटेल भाई

हा हा, काश!! हुआ तो आपकी सारी मांगे मंजूर. :)

बहुत शुक्रिया पसंद करने का.

रंजू भाटिया ने कहा…

वाह!!! क्या कल्पना है ...मज़ा आ गया पढ़ के ..एक ओर हँसाने वाली आपकी मज़ेदार
रचना ....:)बधाई!

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

समीर जी हम देर आये पर दुरुस्त आये, क्योंकि इतना अच्छा लिखा आपने पढ़ने से छूटा नहीं कहने को अब बचा भी कुछ नहीं सभी पाठकों ने बहुत कुछ कहा और बहुत अच्छा कहा, फिर भी भी हम कह ही देतें हैं कि आप ने ये बहुत अच्छा विषय चुना और बहुत गहरा कटाक्ष किया है हमेशा यूँ ही नये-नये विषयों पर लिखते रहिये हमारी शुभकामनायें आपके साथ हैं.