रविवार, जुलाई 08, 2007

गुणों की खान-मोटों के नाम

"जीवन में सकारात्मक सोच का स्थान बहुत अहम है. अगर आप सकारात्मक सोच नहीं रखते तो यकीन जानिये आप जल्द डिप्रेशन का शिकार हो जायेंगे और यह एक प्रकार का धीमा जहर है जिससे आप मर भी सकते हैं." जब एक महाज्ञानी के यह शब्द सुने तो हम एकदम सतर्क हो गये-एकदम सकारात्मक सोचधारक. अब हम अपने मोटापे के प्रति भी अपनी समस्त पूर्व धारणाओं को तिलांजली दे सकारात्मक सोच रखने लगे हैं.

मोटापे की प्रवृति दुबलापे से बिल्कुल भिन्न होती है. दुबला व्यक्ति यदि कोई प्रयास न भी करे तो वो दुबला ही बना रहता है एवं और दुबला नहीं हो जाता. मगर अगर मोटा व्यक्ति कोई प्रयास न करे तो उसका मोटापा दिन दूना रात चौगुना बढ़ता ही जाता है. इस बात को स्वीकार कर लेना चाहिये. इसे स्वीकारने में आपको कोई परेशानी भी नहीं होगी क्योंकि ऐसी बातें स्वीकार कर लेना आपकी फितरत में है जैसे कि आपने भ्रष्टाचार, अराजकता, जातिवाद को कितनी आसानी से स्वीकारा ही हुआ है, तभी तो निष्क्रियता के परिणाम स्वरुप मोटापे के तरह यह दिन रात अपनी बढ़त बनाये हुये है.




मेहनत तो हो नहीं पायेगी, तब दुबले होने से रहे फिर काहे चिन्ता करना. स्वीकार करो इसे खुले मन से, स्वागत करो इसका. नहीं भी करोगे तो भी यह तो बढ़ता ही जाना है. तो फायदे देखकर ही खुश हो लो बाकि कार्य तो यह खुद कर लेगा. मुझे वैसे भी मोटे व्यक्ति पतले दुबले व्यक्तियों से ज्यादा गुणी नजर आते हैं, देखें न कितनी खासियतें होती हैं इनमें. मानों कि गुणों की खान.


जैसा मैने देखा है कि मोटे लोग आम तौर पर हमेशा हँसते मुस्कराते रहते हैं जबकि दुबले पता नहीं क्यूँ गंभीर से दिखते हैं. हो सकता है मोटों का अवचेतन मन अपने आप पर, अपनी हालत देख, हँसी न रोक पाता हो और मुस्कराता हो, मगर जो भी हो हँसते, मुस्काराते ही मिलते हैं मोटे. अर्थात वे हँसमुख होते हैं.

फिर उन्हें देखने वाला भी तो हँस ही देता है. इतने टेंशन की जिन्दगी में कोई किसी के चेहरे पर हँसी बिखेर जाये तो इससे बड़ा साधुवादी कार्य क्या हो सकता है. वैसे किसी दुबले को कह कर देखिये कि भाई, हँसाओ. वो तरह तरह के चुटकुले सुनायेगा, हास्य कविता पढ़ेगा, फूहड़ सी मुख मुद्रा बनायेगा तब भी कोई गारंटी नहीं कि हँसी आ ही जाये, लॉफ्टर चैलेंज देखकर देख लो जबकि किसी मोटे से कह कर देखो. बस जरा सा हिल डुल दे. एक दो नाच के लटके झटके लगा दे, पूरा माहौल हास्यमय हो जायेगा. अर्थात वे मनोरंजक होते हैं.

अच्छा, आप किसी मोटे को मोटा कह कर भाग जाईये. वो सह जायेगा. आपको कुछ नहीं कहेगा. जो भी वजह हो, चाहे उसे पता हो कि वो पीछा नहीं कर पायेगा या थक जायेगा, मगर वो कहेगा कुछ नहीं. अर्थात वे सहनशील होते हैं.

पतलों को मैने देखा है कि चेहरा मोहरा कैसा भी हो जब भी घर से निकलेंगे, पूरा सज धज कर कि शायद सुन्दर दिखने लगें. मोटा व्यक्ति बिना सजेधजे, जिस हाल में है, वैसे ही निकल पड़ता है. वो जानता है कि वो हर हाल में भद्दा ही दिखेगा. वो यथार्थ को समझता है. तो वो स्थितियों से समझौता कर लेता है. अर्थात वे न सिर्फ यथार्थवादी होते हैं बल्कि समझौतावदी भी होते हैं.

मोटे व्यक्ति वैसे भी घूमने फिरने और खेल कूद से पहरेज करते है तो अधिकतर बैठा रहते है. अब बैठे बैठे क्या करे तो किताब पढ़ते है, कम्प्यूटर पर पढ़ते है तब ज्ञानार्जन कर ही लेते है. अर्थात वे ज्ञानी होते हैं.

जब मोटा व्यक्ति अन्य लोगों के साथ कभी पैदल कहीं निकल जाता है तो जगह जगह रुक कर भिखारियों और दुखियों का हाल पूछता है (भले ही इसकी वजह उसकी थकान हो और इस बहाने बिना शर्म के थोड़ा आराम मिल जाता है-क्योंकि मोटा व्यक्ति थोड़ा शर्मीला होता है) और उन्हें भीख में कुछ पैसे भी देता है.अर्थात वो दानी होता है.

आपको शायद ही पता हो मगर मोटा व्यक्ति पराई स्त्रियों पर खराब नजर नहीं रखता. जैसा कि पहले बताया जा चुका है कि वो यथार्थवादी होता है तो यह भली भाँति जानता है कि चाहे जैसी भी खराब नजर रखे, कुछ फायदा नहीं. कोई स्त्री उसे पूछने वाली नहीं. अतः अपने समझौतावादी स्वभाव के तहत विकल्प के आभाव मे, वो हमेशा अच्छी नजर रखता है अर्थात वो चरित्रवान होता है. साथ ही उनकी पत्नी भी इस सत्य से परिचित होती हैं कि उनके पति पर कोई भी डोरे नहीं डालेगा अर्थात वो एक सुरक्षित पति होते हैं.

वैसे कभी कोई दुबला ट्रेन में या बस यात्रा में सीट पर बैठा हो तो उसे कोई भी खिसका कर जगह ले लेता है कि खिसकना जरा भईया मगर मोटों के साथ यह समस्या नहीं होती. वो तो पडोसी की भी आधी सीट घेरे होता है अर्थात वो विराजमान होता है.

मोटा व्यक्ति कभी विवादों और लफड़े में नहीं पड़ता. (शायद वो जानता है कि कहीं बात बढ़ गई तो भाग भी न पायेंगे. पिटने के सिवाय कोई रास्ता नहीं बचेगा) अर्थात वो विवादों में तटस्थ और स्वभाव से शांतिप्रिय होता है.

मैने तो यह भी देखा है कि मोटे व्यक्ति के पास पैंट शर्ट तक नये नये खूब ज्यादा होते हैं. अभी अभी सिलवाया और दो बार पहना नहीं कि मोटापा तो मंहगाई की गति से बढ़ता गया और कपडे आम जनता की जेब की तरह छोटे. अब फैंक तो सकते नहीं कि शायद कल को दुबले हो ही जाये तो पहनेंगे. (अर्थात मोटा व्यक्ति आशावादी होता है) अभी नया ही तो है. तो धर देते हैं. फिर न कभी दुबले हुये, न कभी मंहगाई कम हुई और न कभी उनका इस्तेमाल तो नये नये कपडे जमा होते रहे. गिनती बढ़ती गई जो कि दुबले के नसीब मे कहाँ. उसकी तो पैन्ट शर्ट फट ही जाये तभी छूटे. अर्थात वे (इस मामले में) समृद्ध होते हैं.

मोटा जब कहीं ज्यादा खाना खाता है तो उसे उसकी सेहतानुरुप माना जाता है और कोई बुरा नहीं मानता बल्कि लोग कहते पाये गये हैं कि भाई साहब, क्या भूखे ही उठने का इरादा है वरना कोई दुबला उतना खाये तो लोग कहने लगते हैं कि न जाने कितने दिन का भूखा है या आगे लगता है खाना नहीं मिलेगा. अर्थात वे सम्मानित होते हैं.

अब चूँकि मोटा व्यक्ति ज्यादा कहीं आता जाता नहीं और अक्सर घर पर ही सोफे में बैठा होता है तो बच्चों पर लगातार नजर बनीं रहती है अर्थात वो एक अच्छा अभिभावक होता है.

कभी स्कूटर या सायकिल से गिर जाओ तो दुबले की तो हड्डी गई ही समझो मगर मोटे की चरबी से होते हुए हड्डी तक झटका पहुँचने के लिये जोर का झटका चाहिये इसलिये अक्सर हड्डी बच जाती है अर्थात वो दुर्घटनाप्रूफ होता है.

अनेकों गुणों की खान का क्या क्या बखान करुँ मगर अगर कोई दुबला मर जाये तो कारण खोजना पड़ता है कि क्यूँ मरा..शायद शुगर बढ़ गई होगी, हार्ट फेल हो गया होगा मगर मोटा मरे तो बस एक कारण सबके मुँह से कि मोटापा ले डूबा. अर्थात उसका कारण बिल्कुल साफ और पारदर्शी होता है. नो कन्फ्यूजन. बस एक कारण और मात्र एक: मोटापा.

काश, मेरे देश के विकास की गति भी मोटी हो जाये बिना किसी प्रतिरोध के. सब सकारत्मक सोच रखें और फिर देखिये कैसी दिन दूनी रात चौगुनी विकास की दर बढ़ती है. मगर यह भ्रष्टाचार, अराजकता, गुंडागिरी की ट्रेड मिल तो हटाओ!! जरुर मोटी हो जायेगी. आमीन!!!


(यह विलम्बित आलेख शिष्य गिरिराज के विशेष अनुरोध पर प्रेषित किया जा रहा है) Indli - Hindi News, Blogs, Links

34 टिप्‍पणियां:

मैथिली गुप्त ने कहा…

हे भगवान इतनी अच्छाईंया होती हैं मोटेपन में!

काकेश ने कहा…

ये रिसर्चात्मक लेख लिख के आपने हमारा बड़ा उपकार किया है..अब हम इसे अपनी पत्नी को दिखायेंगे और उनको भी ये सारे फायदे बतायेंगे.धन्यवाद आपको.

आपके मोटे मित्र -काकेश

बेनामी ने कहा…

क्या खुब फरमाया है आपने. अब मोटे होने के गुर भी बता दें गुरूवर. :)

ALOK PURANIK ने कहा…

मोटा ज्ञान दिया जी

Arun Arora ने कहा…

भाइ जी धन्यवाद आप के लेख को मैने प्रिंट करा कर घर मे लटका दिया है ,अबी मेरा वजन ही क्या है बस ९०/९५ किलो,सारा घर दिन भर मेरे खाने पर नजर लगाये रहता है,कितने मोटे हो गये हॊ..?
मै अब सबको ठीक से समझा पाउगा.और आपके लिये भी एक मैडल भेजने की कोशिश करता हू मोटा सा अपने जैसा ही :)

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

आप हम पर व्यंग कर रहे हैं. व्यक्तिगत आक्षेप उचित नहीं है. :)
मैं आज ही एक्सरसाइजर की धूल पोंछता हूं. :)

Neelima ने कहा…

मोटा व्यक्ति गजब का कल्पनाशील और रचनात्मक भी होता है - तभी न इतना बढिया लिखा है आपने :)

अभय तिवारी ने कहा…

स‌त्य व‌च‌न.. मोट‌ापे ने मेरे एक प‌रिचित की ज‌ान ब‌च‌ाई है.. प्रसिद्ध स्ट‌ंट ड‌ाय‌रेक्ट‌र रवि दीव‌ान एक फिल्म के स्टंट के दौरान एक भ‌य‌ान‌क दुर्घ‌ट‌न‌ा क‌ा शिक‌ार हो ग‌ए.. ब‌ज़ूक‌ा जो कि ब‌हुत ब‌ड़ी मिस‌ाइल नुम‌ा चीज़ होती है.. उन‌के पेट में घुस ग‌ई.. म‌ग‌र वे ब‌च गए.. अप‌ने क‌म‌र के गिर्द च‌ढ़े मोट‌ापे के क‌ारण.. आज भी वे अप‌ने मोट‌ापे को ध‌न्य‌व‌ाद देते हैं..
वैसे वे आज‌क‌ल दुब‌ले हो ग‌ए हैं और खुद को कोस‌ते रह‌ते हैं..

Poonam Misra ने कहा…

पढकर शेक्स्पियर के नाटक 'जूलियस सीज़र 'की यह पंक्तियां ज़हन में आ गयीं
Let me have men about me that are fat,
Sleek-headed men, and such as sleep o’ nights:
Yond Cassius has a lean and hungry look;
He thinks too much: such men are dangerous

Sanjay Tiwari ने कहा…

अनुभवजन्य सत्य जान पड़ता है. हम तो खा-खा के खत्म हुए जा रहे हैं, लेकिन मोटापा है कि पास फड़कने का नाम ही नहीं लेता.

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

लेख बहुत अच्छा है।मोटापे के फायदे जान कर खुशी हुई।

अनुराग श्रीवास्तव ने कहा…

समीर जी,
VLCC और Slim Line जैसी क्लीनिक चलाने वाले लोग आपको यह संदेश देना चाहते हैं कि कुछ 'ले देकर' यह पोस्ट हटा लीजिये, इसके छपते ही लोग "मोटापा घटाइये" वाली दुकानों से दूर भाग रहे हैं.
मजेदार लिखा है.

Rajesh Kumar ने कहा…

प्रभुदेव, आपने तो पतले कैसे होवें को पतले क्यों होवें में बदलकर मूलभूत प्रश्न को ही बदल डाला।

पंकज बेंगाणी ने कहा…

चलो मस्त लिखा, छा गए, बहुत बढिया, इन ब्लोगर ख्याति उर्वरक शब्दों को साइड पर रखते हैं. उसे डिफोल्ट समझा जाए. :)


आप तो यह बताओ कि आप किस चीज को जस्टिफाय कर रहे हो लालाजी? मोटापे को... जो अम्मा वो क्या कहते हैं घरेलु हलन चलन यंत्र जो लगाया है उसका क्या अचार डालेंगे अब.. अजी हम तो कहने वाले थे यदि सुबह प्रयोग कर रहे हैं तो शाम को करना शुरू किया जाए, कि यह जो क्षैत्रफल का घेराव है, वह मायावती के घोटालों की तरह फैलता ही ना रहे.

बेलगाम छुट्टा हाथी किस काम का भाई...

हम तो कहते हैं.. आदमी दूबले ही सोहणे लगते है.. ना हो तो हमे ही देख लो.. और नही तो कोई छः इंच छोटा करने को पील पडे तो सरपट भाग तो लें.. हा हा हा हा

आप तो फिर रह ही जाओगे...

ePandit ने कहा…

सारी बातें आप पर एकदम फिट साबित हो रही हैं, सिवाय इसके कि "मोटा व्यक्ति दानी होता है"। इसे सिद्ध करने के लिए जरा एक चैक भेज दीजिए मुझे, ज्यादा नहीं बस १०००-१५०० (रुपए नहीं डॉलर) का, मेरा पता न हो तो डाक द्वारा चिट्ठी भेज कर मंगा लेना।

ePandit ने कहा…

मोटा व्यक्ति कभी विवादों और लफड़े में नहीं पड़ता. (शायद वो जानता है कि कहीं बात बढ़ गई तो भाग भी न पायेंगे. पिटने के सिवाय कोई रास्ता नहीं बचेगा) अर्थात वो विवादों में तटस्थ और स्वभाव से शांतिप्रिय होता है.

तो ये राज है आपकी तटस्थता का। :)

अब मोटे होने के इतने फायदे आपने बता दिए कि हमें भी मोटा होने का मन कर रहा है, तो गुरुदेव इसके लिए भी कोई टिप्स बताएँ जाएँ, हम झक मार कर देख चुके ५०-५५ किलो से पार लगते ही नहीं। :(

अनूप शुक्ल ने कहा…

बढ़िया है। ईश्वर आपको दिन-दूना रात चौगुना मोटापा दे ताकि आपमें ये सारी अच्छाइयां बनीं रहें, बढ़ें :)

अनिल रघुराज ने कहा…

आपने सारे फायदे मोटे पुरुषों के गिनाएं हैं। मोटी स्त्रियों को इस गुदगुदाने वाले लेख से जरूर निराशा हुई होगी। आखिर दो-चार फायदे उनके लिए भी लिख देते।

Sagar Chand Nahar ने कहा…

लेट लतीफ होने का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि जो कु आप कहना चाहते हैं लोग पहले ही कह जाते हैं। बहुत कुछ कहने का मन था पर अब कुछ बचा ही नहीं। :(
जैसा मैने देखा है कि मोटे लोग आम तौर पर हमेशा हँसते मुस्कराते रहते हैं जबकि दुबले पता नहीं क्यूँ गंभीर से दिखते हैं.

हमारे मेवाड़ में एक कहावत है कि "मियांजी मियांजी दूबळा क्यूं? के तन घणी" यानि मियांजी आप दुबले क्यूं है, मियांजी कहते हैं कि मुझे तनाव बहुत है ( चिड़चिड़ा बहुत हूं)
मजा आ गया पढ़ कर, अब मैं भी मोटा होना शुरु कर रहा हूँ।

Divine India ने कहा…

समीर भाई,
:) :)

बहुत गहरी संवेदना है आपको मोटे लोगों के प्रति…
कितना गहरा और गहन रिसर्च किया है…पता चलरहा है…।
वैसे आपकी तस्वीर काफी नजदीक से देखी है हमने भी… :) :)
अब जो भी है बस दिल अगर खुश हो जाए तो और क्या चाहिए इस जटिल दुनियाँ में…।

Manish Kumar ने कहा…

मजेदार लेखन की एक ओर मिसाल !

रंजू भाटिया ने कहा…

वाह !!! इतने गहरे रिसर्च के बाद आपने यह लेख लिखा है तो मोटापा भी बहुत ही सुंदर लगने लगा है :) इस लेख को पढ़ के हँसने से कुछ वज़न बढ़ सकता है आख़िर में एक सूचना मोटे लफ़्ज़ो में लगा देते समीर जी :)

mamta ने कहा…

लाजवाब !!
और मोटे लोग लेखक भी अच्छे होते है ।

mamta ने कहा…

लाजवाब !!
और मोटे लोग लेखक भी अच्छे होते है ।

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

समीर जी! कमाल कर दिया आपने क्या लेख लिखा है, बहुत खूब। गुणों की खान है...ये मोटापा तो आज़ ही पता चला है...शुक्रिया आभास कराने के लिये। :) :)

आशीष "अंशुमाली" ने कहा…

कमाल का व्‍यंग्‍य है.. न हंसते बना.. न रोते। वजनदार लेख है।

नीरज शर्मा ने कहा…

धन्यवाद आपकी समीक्षात्मक टिप्प्णियों का हमेशा स्वागत रहेगा !

नीरज शर्मा ने कहा…

हा हा हा मजा आया लेख पढ कर साथ ही मोटे लोगों की खूबियों के बारे में जान कर अब उन्‍हें मोटू कहने से पहले सोचना पडेगा।

नीरज शर्मा ने कहा…

हा हा हा मजा आया लेख पढ कर साथ ही मोटे लोगों की खूबियों के बारे में जान कर अब उन्‍हें मोटू कहने से पहले सोचना पडेगा। [:)]

रवि रतलामी ने कहा…

भाई, मोटापे का आप चाहे जितना गुणगान करो, पर हम जैसे चिर पतलों को खींचो नहीं वरना ठीक नहीं होगा - हाँ !

Neeraj Rohilla ने कहा…

भईया,
बहुत सता लिया हमें, काहे बार बार याद दिलाते हो कि हम कम वजन हैं ।

या तो कुछ गुर बताओ वजन बढाने के, वरना यूँ कलेजे पर तीर तो न चलाओ ।

वैसे बहुत बढिया लिखा है पढकर तबियत हरी हो गयी ।

महावीर ने कहा…

समीर-ज्ञान-गंगा की इस मोटी-धारा में स्नान कर, ज्ञान-चक्षु खुल गए हैं और अब समझ आया किः
"डाक्टरों ने दिये हैं धोके, समीर की पनाह चाहता हूं"
आंखें खुल गईं पढ़ कर! इन डाक्टरों ने अभी तक
उल्टी पट्टी ही पढ़ाई हुई थी। कभी कोलेस्टरौल और उन में भी एच.डी. एल और एल.डी.एल का अनुपात। अभी भी उनकी तसल्ली नहीं हुई, कहते थे कि ग्लीस्ट्राइड और ब्लड प्रेशर पर भी अंकुश रखना। वजन जो कम किया है, आगे ना बढ़ जाए। घी, मक्खन से दूर रहना, दूध भी क्रीम
निकला हुआ - गऊ माता का इतना अपमान!
समीर-ज्ञान-गंगा में फिर से डुबकी लगाने को जी तो चाहता है पर दुबारा अस्पताल जाने से डर लगता है।
भई बड़ा मजा आया पढ़ने में हर बार की तरह।

बेनामी ने कहा…

मार लिया मैदान समीर जी, आपने मोटापे की लाज रख ली, उसका परचम फहरा दिया, लोगों का मुँह बंद कर दिया!! :D

Pramendra Pratap Singh ने कहा…

बधाई,

आपके बारें में पढ़कर अच्‍छा लगा :)