शनिवार, जनवरी 06, 2007

किस विधी कहूँ आभार तुम्हारा...

आप सबने, अपने स्नेह और आशिष से मुझे तरकश स्वर्ण कलम से सम्मानित किया है. मैं आप सबका बहुत आभारी हूँ. हालांकि मुझे लगता है कि अभी ही तो मैने कलम पकडना सीखा है, आप सबके बीच आया हूँ और कुछ थोडा ही पेश कर पाया हूँ. अभी तो सफ़र की शुरुवात है और न जाने कितना सीखना है. जैसी कि मित्रों ने संभावनायें व्यक्त कीं कि अक्सर इस तरह के किसी भी सम्मान के बाद लोगों ने लिखना कम कर दिया, ऐसा देखा गया है. तब ऐसे वक्त में इस तरह का सम्मान शायद प्रगती मे बाधक न बनें वरन मुझे आगे और बेहतर करने के लिये, बेहतर लेखन की ओर प्रेरित करे, यही कामना करता हूँ. सन २००६ के उदयीमान चिट्ठाकारों में सर्वश्रेष्ट की घोषणा सुन लगता है कि किस बुलंदी पर पहुँचा दिया है आप सबने अपने प्यार और आशिर्वाद से.

---बस मुन्नवर राना जी की यह पंक्तियां डरा रहीं हैं और कुछ सिखा भी रहीं हैं.


बुलंदी देर तक किस शख्स के हिस्से में रहती है
बहुत ऊंची इमारत हर घडी खतरे में रहती है


तब मै अपनी तरफ से सिर्फ इतना ही कहना चाहूँगा कि,


मैं नहीं मानता कि मैने कुछ किया है,
ये आपका स्नेह है जो मैने जिया है.


और भविष्य के लिये भी आपसे निवेदन करता हूँ:


बस यूँ ही मुझको आप सिखाते रहना
गर भूलूँ जो औकात,याद दिलाते रहना.


आज ज्यादा न कह कर बस इतना ही. हसरत जयपुरी की कुछ पंक्तियां बरबस ही याद आ रहीं हैं:


एहसान मेरे दिल पे तुम्हारा है दोस्तों
ये दिल तुम्हारे प्यार का मारा है दोस्तों
यारों ने मेरे वास्ते क्या कुछ नहीं किया
सौ बार शुक्रिया अरे सौ बार शुक्रिया.....


मन भाव विभोर है आप सबका स्नेह पाकर. कृप्या मुझे यूँ ही आशीष देते रहें.
आप सबका का आभार और हार्दिक अभिनन्दन.

बाकी फिर.................
सादर

समीर लाल 'समीर' Indli - Hindi News, Blogs, Links

37 टिप्‍पणियां:

bhuvnesh sharma ने कहा…

गुरूदेव बहुत बहुत बधाई
:-)

अनुराग श्रीवास्तव ने कहा…

आपकी ताली की महिमा वाली कविता याद करते हुये और तालियां बजाते हुये आपको बधाई देता हूं.

Manish Kumar ने कहा…

aapka ya sandesh der se aaya par hum badhai pehle hi pichli post de chuke the. aap yoon hi likhte rahiye salon saal isi kaamna ke sath...

Neeraj Rohilla ने कहा…

इस विधि कहो आभार हमारा,

जनता जनार्दन के सहयोग से स्वर्णजणित सिंहासन प्राप्त करनें पर हार्दिक बधाई |

अपेक्षा है कि आपकी विजययात्रा में आपके सिपहसालारों के निस्वार्थ समर्पण भाव को आप भली भांति समझेंगें और उनको निःशुल्क कनाडा यात्रा का अवसर प्रदान करेगें :-) (ईस्माइली को ध्यान में रख अपना रक्तचाप न बढायें |

इस सुअवसर पर हम चावल विश्वविद्यालय (राइस यूनिवर्सिटी) के भारतीय विद्यार्थियों के जनप्रतिनिधि की सामर्थ्य में आपको कविता पाठ के लिये सादर आमन्त्रित करते हैं |

समीरानन्दजी को उनके प्रशंशकों की ओर से शुभकामनाये एवं आशा है कि भविश्य में इसी प्रकार सार्थक लेखन से हिन्दी ब्लागजगत को धनी बनाते रहेंगे |

बेनामी ने कहा…

हार्दिक बधाई कविवर समीर जी। आपका जीतना तो तय था। आप न जीतते तो हैरानी के मारे हमको एकाध अटैक आ ही जाता। बीते साल आपने कई नए ट्रेंड चलाए। यथा ताली ट्रेंड, स्माईली ट्रेंड आदि।

बाकी आपका प्रश्न है "किस विधि.." आभार काहे का जी। वो जो कहते हैं यू डिजर्व इट। बस आप हमारा ऐसे ही मनोरंजन करते रहिए कभी कविवर समीरराय बनकर कभी स्वामी समीरानन्द बनकर।

Raag ने कहा…

बधाई हो बहुत बहुत।

उन्मुक्त ने कहा…

बहुत, बहुत बधाीई

Udan Tashtari ने कहा…

भुवनेश भाई, अनुराग भाई,मनीष भाई, मिश्रा जी, उन्मुक्त जी,

यह सब आप लोगों का स्नेह है. बहुत आभार. स्नेह बनाये रखें.

Udan Tashtari ने कहा…

श्रीश भाई

बहुत बहुत शुक्रिया. आप लगातार मनोबल बढ़ाते रहे है, इसे जारी रखें. मनोरंजन का वादा रहा, अपने सामर्थ्यनुरुप जारी रहेगा. :) :)


नीरज भाई

निस्वार्थ समर्पण भाव से अति प्रभावित हो गया हूँ, बहुत बहुत शुक्रिया.
आपके राइस यूनिवर्सिटी के भारतीय विद्यार्थियों के बीच उपस्थिती मेरा सौभाग्य होगी. जब भी आदेश करेंगे, चले आऊँगा. :)

सम्पादक ने कहा…

आपको सर्वश्रेष्ठ उदयिमान चिट्ठेकार २००६ चुने जाने पर बधाई। हमने यहां पर सूचित किया था कि हमारा न्यास मंडल सर्वश्रेष्ठ उदयिमान चिट्ठेकार २००६ को पुस्तक भेंट करेगा। यदि आप हमें अपना पोस्टल पता भेज यहां ईमेल कर सकें तो हम आपको पुस्तक भेज सकेंगे। यदि आप यह भी बता सकें कि आप किस तरह की पुस्तक पसंद करेंगे तो और अच्छा हो।

Udan Tashtari ने कहा…

संपादक जी
आभारी हूँ. आपको अलग से ईमेल कर दिया गया है. ऐसा ही स्नेह बनाए रखें.

सादर

प्रेमलता पांडे ने कहा…

बहुत-बहुत बधाई!!!

बेनामी ने कहा…

जब सही उम्मीदवार चुन कर आता है तो विजेता से ज्यादा खुशी मतदाता को होती है. चिट्ठाजगत ने आपको विजेता बनाकर अपनी परिपक्वता ही परिचय दिया है. समीरजी अपने इस भाई की तरफ से भी शुभकामना स्वीकार करें.

जब नेता जीतता है तो कार्यकर्ताओं/मतदाताओं को मिठाई भी खिलाता है. अब नेट पर इस परम्परा का कैसे निर्वाह होगा. अच्छा चलिये एक काम करते हैं... मैं खुद के पैसे से ही आपके नाम की मिठाई खा आता हूं, बिल संभालकर रखूंगा... जब कभी भी आपसे मुलाकात होगी भुगतान कर देना. :)

पंकज बेंगाणी ने कहा…

लालाजी,

बहुत बहुत बधाई। :)

बेनामी ने कहा…

बधाई स्वीकारें तथा आभार व्यक्त करने के लिए अपने लेखन में कमी न आने दें.
एक बार फिर आपको बधाई देता हूँ.

Srijan Shilpi ने कहा…

बहुत-बहुत बधाई, समीर जी। आपकी लेखनी इसी तरह लोकप्रियता और पठनीयता के शिखरों को छूती रहे।

बेनामी ने कहा…

देर से ही सही पर मेरी तरफ से भी बधाई स्वीकार करें

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

Sameer ji
Bahut Bahut badhai.vastav men aap is puruskar ko deserve karte han.

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

Sameer ji
Bahut Bahut badhai.vastav men aap is puruskar ko deserve karte han.

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

Sameer ji
Bahut Bahut badhai.vastav men aap is puruskar ko deserve karte han.

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

Sameer ji
Bahut Bahut badhai.vastav men aap is puruskar ko deserve karte han.

Jitendra Chaudhary ने कहा…

किस विधी कहूँ आभार तुम्हारा...
ये सवाल था या विश्लेषण अलंकार?

अगर सवाल था,तो:
अरे! भैया, हमारी गिफ़्ट भिजवा दो। दूसरों से भी जो जो चुनाव पूर्व वादे किए थे, उनको निभाओ। सारा पुरस्कार अकेले थोड़े ही डकारने देंगे।

अगर अलंकार था तो:
भैया! अच्छा लिखो, कविताएं और छन्द सब फुरसतिया के पास भेज दो, गद्य वाले लेख हमे बताओ, हम पढेंगे।

अनूप शुक्ल ने कहा…

आभार व्यक्त करने का यह तरीका ठीकै है! फ़िर से बधाई और आशा है कि अब चुनावी वायदे पूरे करने पर ध्यान दिया जायेगा!

Udan Tashtari ने कहा…

प्रेमलता जी

बहुत धन्यवाद.

शशी भाई

अरे, याद है न कि आपने कुद जाने की सलाह दी थी गीता सार पर:


हे पार्थ! इस चिट्ठाजगत में जिन्हें तू समझ रहा है... वे तो बस तेरे हारे हुए प्रतिद्वंद्वी हैं. तू किस धर्मसंकट में है... त्याग दे लोकलाज... कूद पड़ चुनावी रण में... प्रचार कर अपना... बना अपने लिए वोटों का रन... जीत तेरी ही होगी.


---तो हम लोकलाज छोड़ कर कुद पडे. आप सबका स्नेह रहा और यह सम्मान आप सबने दिया. मिठाई वाली रसीद की जरुरत नहीं, बस यूँ रकम पता चल जाये, बिल्कुल भुगतान होगा और उससे ज्यादा मेहमानी में चिपकाया जायेगा :) इंतजार करें मेरे अपने जवानी के शहर में -मुंबई में- अरे, बड़े खुबसूरत साल गुजारे गये हैं वहां. आना ओवरड्यू है.


पंकज

बहुत धन्यवाद.


संजय भाई

दो बार बधाई के लिये तीन बार धन्यवाद. वादा रहा कोई कमी नहीं आयेगी.

सृजन शिल्पी जी

बधाई और शुभकामनाओं के लिये धन्यवाद. ऐसा ही स्नेह बनाये रखें.


सागर भाई

बिल्कुल देर नहीं हुई. इंतजार जरुर लगा था. अब बहुत धन्यवाद.

Udan Tashtari ने कहा…

भावना जी

बहुत शुक्रिया. यह आपका बड़प्पन है जो आप ऐसा सोचती है. मनोबल बढ़ाते रहने का आभार.


जीतू भाई

पुरुस्कार की हिस्सा बांट जल्दी ही की जायेगी और कविताएं और छन्द सभी फुरसतिया जी को समर्पित किये जायेंगे. आपके खाते में सब लेखों के लेबल. :)

बहुत धन्यवाद.

अनूप भाई

चलो, ठीकै है तो काम चल गया. आपका बहुत धन्यवाद फिर से और वादा निभाने का वादे पर वादा. :) यूँ हीं मनोबल बढ़ाते रहें.

Udan Tashtari ने कहा…

महावीर जी

आपका आशीष है जो यह सम्मान दिया गया. आपका मेरे ब्लाग तक आना और उत्साहवर्धन हमेशा अच्छा लगता है. बहुत आभारी हूँ, बस स्नेह और आशीष बनायें रखें.

Divine India ने कहा…

Hello Sir,Very-2 Heartiest Congratulations for ur super Success,mai to itna hi kahunga
"kham thok thel ta hai jab nar parvat ke jaate paon ukhar,
manav jab joor lagaata hai pathar paani banjaata hai"

Udan Tashtari ने कहा…

दिव्याभ जी

आपका बहुत बहुत शुक्रिया. भविष्य में भी मनोबल बढ़ाते रहें.

बेनामी ने कहा…

समीर जी आपको पहले ही कह दिया था कि समझो हो ही गया। बहुत बहुत बधाईयां :) चलो कही तो अपना उम्मीदवार प्रथम आया

Udan Tashtari ने कहा…

तरुण भाई

आपके कहते ही सब समझ गये थे. वो तो चुनाव की आवाश्यकता आपके कहने के बाद रह ही नहीं गयी थी, मगर आप तो समझते हैं औपचारिकातायें तो पूरी करनी ही होती हैं सरकारी और सार्वजनिक कार्यों में. :) :)

हृदय से आभारी हूँ आपके स्नेह का.

बेनामी ने कहा…

स्वामी समीरानंद की जय !
आशा करते है कि आपके प्रवचनो का आनंद दुगने उत्साह से मिलते रहेगा !

रंजू भाटिया ने कहा…

bahut bahut badhaai ho sameer ji ......

Udan Tashtari ने कहा…

आशीष जी

बस दुगने उत्साह?? अरे, हम तो तीन-चार गुने उत्साह से लिखने जा रहे थे, अब टेम्पो डाउन करना पडेगा लगता है. बहुत धन्यवाद.


रंजु जी

आपका भी बहुत बहुत शुक्रिया. यूँ ही स्नेह बनाये रखें.

राकेश खंडेलवाल ने कहा…

इसने दी, उसने दी, सबने आ आ कर बधाई दे डाली
किन्तु मेरे हिस्से मेम आई केवल दो हाथों की ताली
उसे बजा कर ढोल सरीखा करूँ मुनादी घर बाहर मैं
पहले से ही चुने हुए थी, रही औपचार्कता खाली

Udan Tashtari ने कहा…

अरे राकेश भाई,

आपके स्नेह को शब्दों की जरुरत कब से आन पड़ी. ताली की आवाज तो मुझे नतीजों के पहले ही सुनाई दे गई थी. बस स्नेह बनाये रखें.

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` ने कहा…

समीर भाई,

बहोत बहोत बधाई!
चलो, ये हमारी दुआ काम कर गयीँ !
आप वाकई बढिया लिखते हैँ जिसे आज हरकोई जान गया है !
यूँ ही लिखते रहियेगा,

स स्नेह,
लावण्या

Udan Tashtari ने कहा…

लावण्या जी

बहुत बहुत धन्यवाद. आपका स्नेह मिलता रहेगा और हम लिखते रहेंगे.