सोमवार, अगस्त 21, 2006

शहनाई के शहंशाह 'उस्ताद बिस्मिल्ला खान' नही रहे....



शहनाई वादक 'उस्ताद बिस्मिल्ला खान' किसी भी परिचय के मोहताज नही हैं. उन्होने आज सोमवार को ९१ वर्ष की(२१ मार्च, १९१६ से २१ अगस्त, २००६) अवस्था मे अपनी अंतिम सांस ली और इस दुनिया को अलविदा कह दिया. उनके देहवसान से एक युग का अंत हुआ.शास्त्रीय संगीत की दुनिया मे इस कमी को शायद ही कभी भरा जा सके.
ज्ञातत्व रहे कि आप भारत रत्न (२००१) से नवाजे गये थे.आपको बनारस हिन्दु विश्व विद्यालय, बनारस और विश्व भारती विद्यालय, शांति निकेतन ने मानद डी.लिट.से सम्मानित किया. आप संगीत नाट्क अकादमी अवार्ड, तानसेन अवार्ड, म.प्र., एवं पदम विभूषण अवार्ड से विभूषित हुये.आपके शहनाई वादन का प्रसारण हर १५ अगस्त को प्रधानमंत्री के लाल किले से भाषण के बाद दूर दर्शन का दस्तुर बन गया था. यह नेहरू जी के समय से शुरु हुआ था. आप पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे.

भगवान दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें.

रुप हंस 'हबीब' का खत आया,यह खबर लेकर:

"शांत हुई शहनाई जब शहनाई बन गई शहनाई,
खुब बजेगी शहनाई 'हबीब', जिसने बजवाई शहनाई."

समीर लाल 'समीर' Indli - Hindi News, Blogs, Links

5 टिप्‍पणियां:

Pratyaksha ने कहा…

उस्ताद बिस्मिल्ला खान को 'लाईव' सुना था , पटना में स्पिक मैके के एक प्रोग्राम में 6-7 साल पहले । मन विभोर हो गया था । शाम का समय , तेज़ बारिश हो रही थी । नीचे दरियों पर बैठे सब झूम रहे थे ।
उनके देहावसन से वाकई एक युग समाप्त हुआ । हमारी श्रधाँजलि ।

Sagar Chand Nahar ने कहा…

उस्ताद के निधन से भारतीय शास्त्रीय संगीत का एक युग और समाप्त हुआ, भगवान उनकी आत्मा को शान्ति दे, मेरी तरफ़ से सदगत खान साहब को हार्दिक श्रद्धान्जलि।

संजय बेंगाणी ने कहा…

आज सुबह ही यह समाचार सुना था, बेहद दुःख हुआ.
दिवंगत को श्रद्धांजली

प्रेमलता पांडे ने कहा…

अच्छा लिखा है। उस्ताद बिस्मिल्लाहखान और शहनाइ एक दूसरे के पर्याय हैं। श्रद्धैय को नमन।

राकेश खंडेलवाल ने कहा…

मौन हो गई बजते बजते प्राणों में सुधि की शहनाई
शहनाई के नये अर्थ को जो बतलाती थी शहनाई
यूँ तो शहनाई के स्वर को आवाज़ें कुछ और मिलेंगी
किन्तु संवारेंगी क्या वैसे, जैसे सजती थी शहनाई