रविवार, मई 14, 2006

आरक्षण की आग

तिनका तिनका जोड जोड़ कर, नीड़ बनाना जारी है
मक्कारों की आँख लगी है, तूफ़ानों की बारी है.

दुनिया भर मे साख जमा कर, ज्ञान पताका लहराई
सत्ता की लालच मे उनकी, बुद्धि की बलिहारी है.

दलितों का उद्धार जरुरी, कब ये बात नही मानी
आरक्षण की रीत गलत है, इसमे गरज़ तुम्हारी है.

रोक लगानी है समीर,अब और न हो ये मनमानी
आने वाली नस्लों के संग, यह केवल गद्दारी है.

--समीर लाल 'समीर' Indli - Hindi News, Blogs, Links

13 टिप्‍पणियां:

पंकज बेंगाणी ने कहा…

सही है

Sagar Chand Nahar ने कहा…

बहुत दिनों से कुण्डलियाँ नहीं आ रही; ये बहुत ना-इंसाफ़ी है!!!!!!!! जीतु भाई के साप्ताहिक जुगाड़ु लिन्क की तरह साप्ताहिक कुण्डलियाँ चालू करें।

रत्ना ने कहा…

सही है, आने वाली नस्लों के संग
यह केवल गद्दारी है,
ये गद्दारी न हो आगे
अब अपनी जिम्मेवारी है ।

Udan Tashtari ने कहा…

पंकज भाई एवं रत्ना जी,

हमेशा की तरह बहुत बहुत धन्यवाद.

सागर साहब,

आपके आदेश पर तालिम करने का प्रयास करता हूँ,
सुझाव के लिये आभारी हूँ.

समीर लाल

Manish Kumar ने कहा…

सही विषय उठाया है आपने !

Udan Tashtari ने कहा…

धन्यवाद, मनीष भाई.

समीर लाल

राकेश खंडेलवाल ने कहा…

राजनीति को सदा चाहिये हुन्डी एक भुनाने को
जातिवाद था, धर्म हुआ, अब आरक्षण की बारी है

एमबीए का तमगा लेकर रटें पहाड़े तेरह के
इस मंज़िल पहुँचाने वाली नई योजना जारी है

Udan Tashtari ने कहा…

वाह राकेश भाई, बहुत खुब जोड़ है, वाह.

समीर लाल

Pankaj ने कहा…

आरक्षण की मांग एक विशेष क्षेत्र में हम भी रखते हैं। फुरसत मिले तो अपनी राय यहाँ व्यक्त कर दें ।

Udan Tashtari ने कहा…

पंकज भाई
आपके मांग पर अपना समर्थन चस्पा कर आया हूँ, पधारने के लिये धन्यवाद.

ई-छाया ने कहा…

भारत जल रहा है इसमें, ये आग और बढेगी।

अतुल श्रीवास्तव ने कहा…
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
अतुल श्रीवास्तव ने कहा…

क्या कहें, बस यही कि "मूर्खों का देश" - बस अब इस शीर्शक वाले मेरे लेख की यहाँ पर प्रतीक्षा करिये - lakhnawi.blogspot.com

शीघ्र ही लिखूँगा बस समय की तलाश है. तब तक समय बिताने के लिये बाकी का लिखा पढ़िये.

- अतुल